गुरुवार, 12 नवंबर 2009

. . . . और ट्रेन ही ले भगा ममता का रेल ड्राईवर!

. . . . और ट्रेन ही ले भगा ममता का रेल ड्राईवर!

 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अब तक सभी ने बस, टेक्सी, ट्रक आदि को लेकर भागने के वाक्यात सुने होंगे, किन्तु बुधवार को उत्तर प्रदेश की धर्म नगरी माने जाने वाले मथुरा से एक रेल चालक स्टेशन मैनेजर की शह पर पूरी की पूरी रेल गाडी को लेकर ही नौ दो ग्यारह हो गया। बेचारे यात्री रेल्वे प्लेटफार्म पर एक दूसरे का मुंह ताकते रह गए। इस तरह यात्रियों की सेवा कर रहा है ममता बेनर्जी का रेल महकमा।


प्राप्त जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से आईआरसीटीसी द्वारा माता रानी वेष्णो देवी का एक धार्मिक टूर का आयोजन किया गया था। 03 नवंबर को यह विशेष रेलगाडी भोपाल से रवाना हुई। इस विशेष पैकेज टूर में यात्री किराया, खाना पीना आदि सब कुछ शामिल था।


यह रेल मध्य प्रदेश के बाद गुजरात पहुंची, फिर राजस्थान। राजस्थान पहुंचते तक तो सब कुछ ठीक ठाक रहा, किन्तु जैसे ही यह रेल ख्वाजा की नगरी अजमेर पहुंची, वहां से सारी गडबडी आरंभ हो गई। यात्रियों को जिनमें निन्यानवे फीसदी की उम्र 70 साल से अधिक है, अर्थात सीनियर सिटिजन्स की इस रेल गाडी में न तो यात्रियों को सलीके का खाना ही नसीब हुआ और न ही शौचालयों में पानी और साफ सफाई की कोई व्यवस्था थी।


15 नवंबर तक चलने वाले इस विशेष टूर के यात्रियों के मुताबिक बार बार शिकायत के बाद भी व्यवस्थाओं में कोई सुधार परिलक्षित नहीं हुआ। जब बुधवार 11 नवंबर को यह रेल गाडी मथुरा पहुंची तो वहां भी महज दो तीन मंदिर घुमाकर ही यात्रियों को शाम 5 बजे वापस रेल्वे स्टेशन ले जाया गया।


जब यात्री रेल्वे स्टेशन पहुंचे तो कोच में पानी आदि को लेकर यात्रियों ने हंगामा आरंभ किया। बताते हैं कि हंगामा इस कदर बढ गया कि मथुरा के स्टेशन प्रबंधक को हस्ताक्षेप करना पडा। यात्रियों ने बताया कि स्टेशन प्रबंधक द्वारा यात्रियों से कहा गया कि कोच में पानी भरवाने रेल को आगे यार्ड में ले जाया जा रहा है।


चूंकि मथुरा से रेल का निर्धारित प्रस्थान शाम 6 बजे का था अत: उससे पहले पानी, साफ सफाई की बात से नििश्ंचत कुछ यात्री प्लेटफार्म पर ही उतर गए, और जिन्हें इसकी खबर नहीं थी, वे रेल को खसकते देख दौड दौड कर इसमें चढने लगे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार एक वृद्ध महिला का पैर प्लेटफार्म और रेल गाडी के बीच फंस गया। उक्त महिला घायल हो गई पर रेल प्रशासन के कानों में जूं तक नहीं रेंगी।


भरोसे मंद सूत्रों का कहना है कि बात बिगडती देख स्टेशन मैनेजर ने रेल के चालक को मशविरा दिया कि वह रेल को तत्काल मथुरा स्टेशन से आगे ले जाए, ताकि मथुरा स्टेशन के सर से यह बला टाली जा सके। इसके बाद देर रात तक वे यात्री प्लेट फार्म पर रेल गाडी का इंतजार करते रहे।


रेल का इंतजार कर रहे यात्रियों ने जब अपने अपने परिजनों को इस बात की जानकारी देते हुए फोन खडकाए तब कहीं जाकर उच्चाधिकारियों के कान में यह बात पहुंची। देर रात उक्त विशेष रेलगाडी को दिल्ली के पहले फरीदाबाद रेल्वे स्टेशन पर रोककर मथुरा में फंसे इस रेलगाडी के यात्रियों को पंजाब मेल एवं अन्य रेल गाडियों के माध्यम से फरीदाबाद भेजा गया।


गौरतलब होगा कि इस तरह का एक अन्य रेल्वे पेकेज टूर 18 नवंबर को एक बार फिर भोपाल से रवाना किया जाने वाला है। एक तरफ तो रेल मंत्री ममता बनर्जी यात्रियों को बेहतर सुविधाएं देने कृतसंकल्पित होने की बात कहतीं हैं, वहीं दूसरी ओर उनके ही विभाग में सीनियर सिटीजन्स से भरी ट्रेन में इस तरह की घटनाएं क्या संदेश दे रहीं हैं।