बुधवार, 13 जून 2012

महामहिम के लिए मनमोहन के नाम पर जोर

महामहिम के लिए मनमोहन के नाम पर जोर

(प्रियंका श्रीवास्तव)

नई दिल्ली (साई)। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से मिलने पहुंची। करीब 45 मिनट चली मुलाकात के बाद ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव ने एक साझा बयान जारी करके राष्ट्रपति पद के लिए तीन नाम सुझाए।
मुलायम सिंह यादव ने कहा, कि तीन नामों पर उन्होंने विचार किया, पहला नाम है एपीजे अब्दुल कलाम, दूसरा नाम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, तीसरा नाम पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी।
ममता बनर्जी और मुलायम सिंह यादव ने सोनिया गांधी द्वारा सुझाए प्रणब मुखर्जी और हामिद अंसारी के नाम को नकार दिया। प्रणब मुखर्जी का पत्ता काटते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि राष्ट्रपति ऐसा व्यक्ति हो जिसे देश सम्मान से देखता हो। ममता ने कहा, श्हम सभी सहयोगी दलों से अपील करते हैं कि वो इन तीन नामों में से किसी एक पर सर्वसहमति करे।श्
मुलायम सिंह यादव और ममता बनर्जी द्वारा सोनिया गांधी द्वारा सुझाए गए दोनों नामों को नकारने के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता राशिद अलवी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, श्हमें समाजवादी पार्टी और ममता बनर्जी से पूरी उम्मीद है कि हम सब मिलकर ऐसे नाम पर सहमत हो जाएंगे कि जिस पर सभी राजी हो जाएंगे।श्
इससे पहले राष्घ्ट्रपति चुनाव पर चर्चा के लिए ममता बनर्जी और सोनिया गांधी की मुलाकात किसी नतीजे पर नहीं पहुंची। करीब 40 मिनट की मुलाकात के बाद ममता ने कहा था, कि सोनिया गांधी के साथ उनकी बहुत विस्तार से बात हुई। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस पार्टी की पहली पसंद प्रणब मुखर्जी और दूसरी पसंद हामिद अंसारी है।
ममता ने कहा कि इस पर उन्होंने कहा कि वे अभी इसके बारे में कुछ नहीं कह सकतीं। अभी उन्हें मुलायम सिंह यादव के घर जाकर उनसे चर्चा करनी है। वहीं कांग्रेस की ओर से प्रणब मुखर्जी का नाम सामने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से जुड़े सूत्रों ने भी प्रणब के नाम पर सहमति के संकेत दिए हैं।

25 आईएएस के तबादले

25 आईएएस के तबादले
 
(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। राज्य शासन द्वारा 25 आई.ए.एस. अधिकारियों को स्थानांतरित कर पदस्थापना के आदेश जारी किये गये हैं। श्री सुदेश कुमार प्रमुख सचिव सार्वजनिक उपक्रम तथा आयुष को प्रमुख सचिव संसदीय कार्य एवं जन-शिकायत निवारण, श्री विनोद चन्द्र सेमवाल प्रमुख सचिव पर्यटन, संस्कृति, संसदीय कार्य विभाग को प्रमुख सचिव राज्यपाल, श्री के.पी. सिंह वि.क.अ.-सह-पंजीयन महानिरीक्षक एवं अधीक्षक मुद्रांक को प्रमुख सचिव सार्वजनिक उपक्रम विभाग, श्रीमती सलीना सिंह प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश अनुसूचित-जाति वित्त एवं विकास निगम को प्रमुख सचिव मछली-पालन तथा प्रबंध संचालक मत्स्य महासंघ का अतिरिक्त प्रभार, श्री अजय तिर्की प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ को प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा एवं श्रम, डॉ. एम. मोहनराव वि.क.अ.-सह-आयुक्त अनुसूचित-जाति कल्याण को प्रमुख सचिव अनुसूचित-जाति कल्याण एवं प्रबंध संचालक अनुसूचित-जाति वित्त विकास निगम का अतिरिक्त प्रभार, श्री आशीष उपाध्याय आयुक्त-सह-संचालक आदिम-जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएँ तथा आयुक्त आदिवासी विकास को आयुक्त अनुसूचित जनजाति कल्याण तथा आयुक्त-सह-संचालक आदिम-जाति क्षेत्रीय विकास योजनाएँ का अतिरिक्त प्रभार, श्री शिवनारायण मिश्रा सचिव वित्त को प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश खनिज विकास निगम तथा पदेन सचिव खनिज साधन, श्री अशोक वर्णवाल आयुक्त-सह-संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र तथा पदेन सचिव स्कूल शिक्षा को प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ, श्री पंकज अग्रवाल आयुक्त कोष एवं लेखा तथा पदेन सचिव वित्त को सचिव वित्त नियुक्त किया गया है।
इसी प्रकार श्री टी. धर्माराव कमिश्नर रीवा को आयुक्त कोष एवं लेखा तथा पदेन सचिव वित्त, श्री रघुवीर श्रीवास्तव आयुक्त पिछड़ा वर्ग कल्याण को कमिश्नर शहडोल संभाग, श्री प्रदीप खरे कमिश्नर शहडोल संभाग को कमिश्नर रीवा संभाग, श्रीमती रश्मि अरुण शमी संचालक उद्यानिकी एवं मिशन संचालक उद्यानिकी को आयुक्त-सह-संचालक राज्य शिक्षा केन्द्र तथा पदेन सचिव स्कूल शिक्षा, श्री जगदीश मालपानी सचिव राज्यपाल सचिवालय को आयुक्त अनुसूचित-जाति कल्याण एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण, श्रीमती पुष्पलता सिंह संचालक ग्रामीण रोजगार को अपर सचिव मध्यप्रदेश शासन, श्री जी.पी. कबीरपंथी अपर सचिव श्रम को कलेक्टर दतिया, श्री अशोक देशवाल कलेक्टर दतिया को अपर आयुक्त आबकारी ग्वालियर, श्रीमती सोनाली एम. वायंगणकर कलेक्टर शाजापुर को अपर आयुक्त वाणिज्यिक कर इंदौर, श्री राजेश बहुगुणा संचालक जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान तथा प्रबंध संचालक लघु सिंचाई एवं कृषि को कलेक्टर छतरपुर, श्री निशांत बरबड़े कलेक्टर होशंगाबाद को उप सचिव मुख्यमंत्री, श्री आर.के. जैन अपर आयुक्त आबकारी ग्वालियर को कलेक्टर शिवपुरी, श्री प्रमोद कुमार गुप्ता अतिरिक्त संचालक नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण इंदौर को कलेक्टर शाजापुर, श्री जॉन किंग्सली ए.आर. कलेक्टर शिवपुरी को संचालक ग्रामीण रोजगार एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी समग्र स्वच्छता अभियान और श्री राहुल जैन कलेक्टर छतरपुर को कलेक्टर होशंगाबाद के पद पर पदस्थ किया गया है।
शिवराज सरकार ने अनेक अफसरों को पदोन्नति भी दी है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के तीन अधिकारियों को प्रमुख सचिव के पद पर पदोन्नत करते हुए पदस्थापना आदेश जारी किये गये हैं। श्री प्रवीण गर्ग कमिश्नर भोपाल संभाग को वि.क.अ.-सह-कमिश्नर भोपाल संभाग, श्री शैलेन्द्र सिंह प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश खनिज विकास निगम तथा पदेन सचिव खनिज साधन को प्रमुख सचिव अनुसूचित-जनजाति कल्याण, विमुक्त घुमक्कड़ एवं अर्द्ध-घुमक्कड़ जाति कल्याण बनाया गया है। श्रीमती वीरा राणा आयुक्त-सह-संचालक हाथकरघा तथा प्रबंध संचालक हस्तशिल्प एवं हाथकरघा विकास निगम को प्रमुख सचिव मध्यप्रदेश शासन के समकक्ष घोषित किया गया है।
श्री के.के. सिंह प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग को अपने वर्तमान कर्त्तव्यों के साथ-साथ संस्कृति विभाग एवं ट्रस्टी सचिव भारत भवन का अतिरिक्त प्रभार, श्री एस.पी.एस. परिहार प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन एवं विकास को वर्तमान कर्त्तव्यों के साथ पर्यटन विभाग तथा आयुक्त पर्यटन का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। श्री प्रवीर कृष्ण प्रमुख सचिव लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा भोपाल गैस त्रासदी विभाग को वर्तमान कर्त्तव्यों के साथ प्रमुख सचिव आयुष का अतिरिक्त प्रभार और श्री मनीष रस्तोगी आयुक्त बजट तथा पदेन सचिव वित्त को वर्तमान कर्त्तव्यों के साथ पंजीयन महानिरीक्षक एवं अधीक्षक मुद्रांक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
श्रीमती सलीना सिंह द्वारा प्रमुख सचिव मछली-पालन तथा प्रबंध संचालक मत्स्य महासंघ का कार्यभार ग्रहण करने पर श्री प्रभांशु कमल प्रमुख सचिव मछली-पालन एवं प्रबंध संचालक मत्स्य महासंघ के अतिरिक्त प्रभार से मुक्त होंगे। श्री सुदेश कुमार द्वारा प्रमुख सचिव जन-शिकायत निवारण विभाग का कार्यभार ग्रहण करने पर डॉ. जे.टी. एक्का प्रमुख सचिव जन-शिकायत निवारण विभाग के प्रभार से मुक्त होंगे।

तबादलों की तिथि 15 तक खिसकी

तबादलों की तिथि 15 तक खिसकी

(संतोष पारदसानी)

भोपाल (साई)। प्रदेश के कई जिलों में नगरपालिका/नगर पंचायत निर्वाचन की घोषणा के फलस्वरुप आचार संहिता प्रभावशील है। राज्य शासन ने इस पर विचारोपरांत पूरे राज्य में स्थानांतरण पर प्रतिबंध से छूट की अवधि को 15 जुलाई 2012 तक बढ़ाये जाने का निर्णय लिया है। सामान्य प्रशासन विभाग ने आज इस संबंध में आदेश जारी करते हुए सभी विभागों, विभागाध्यक्षों, कलेक्टरों, संभागायुक्तों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों आदि को अवगत करा दिया है।
पूर्व में राज्य एवं जिला स्तर पर अधिकारियों/कर्मचारियों के 1 मई 2012 से 15 जून 2012 तक की अवधि के लिए स्थानांतरण करने पर प्रतिबंध शिथिल किया गया था।

ठन सकती है लालू और युवराज में!


ठन सकती है लालू और युवराज में!

आईपीएल फूटी आंख नहीं सुहा रहा बिहारी क्षत्रप को

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी और इक्कीसवीं सदी के स्वयंभू प्रबंधन गुरू लालू प्रसाद यादव के बीच रार बढ़ने के संकेत मिल रहे हैं। इन दोनों के बीच विवाद का कारण इंडियन प्रीमियर क्रिकेट लीग है। एक ओर राहुल जहां आईपीएल की माला जप रहे हैं, वहीं दूसरी ओर लालू प्रसाद यादव पानी पी पी कर आईपीएल को तबियत से कोस रहे हैं।
कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (बतौर सांसद सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास) के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि लालू यादव ने पिछले दिनों जब कांग्रेस की सुप्रीमो श्रीमति सोनिया गांधी से मुलाकात की तब उन्होंने आईपीएल के बारे में दिल खोलकर जहर उगला।
सूत्रों की मानें तो लालू यादव ने सोनिया को यहां तक कह डाला कि अगर जल्द ही आईपीएल पर रोक नहीं लगाई गई तो आने वाले समय में इसके विवादों का सीधा असर संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की छवि पर पड़ सकता है। लालू की बातें सुनकर सोनिया गांधी भी सोच में पड़ गईं और उन्होंने मूलतः पत्रकार और लाल बत्ती धारी क्रिकेट के कथित ज्ञाता राजीव शुक्ला को बुला भेजा। राजीव शुक्ला के साथ चर्चा के बाद सोनिया कुछ संतुष्ट नजर आईं, वरना वे तो लालू की बातों में आकर आईपीएल पर ताला लगवाने का मन बना चुकी थीं।
सूत्रों ने कहा कि राजीव शुक्ला ने कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी को बताया कि लालू प्रसाद यादव को वैसे तो फटाफट क्रिकेट से अधिक लेना देना नहीं है, मगर लालू का पुत्र प्रेम उन्हें आईपीएल में दखल देने पर मजबूर कर रहा है। लालू के पुत्र तेजस्वी का नाम दिल्ली डेयर डेविल्स की टीम के संभावित 33 खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल था।
पूरा का पूरा आईपीएल का तमाश हो गया, पर लालू पुत्र तेजस्वी को एक बार भी मैदान में उतरने का मौका नहीं मिला। और तो और दिल्ली डेयर डेविल्स का प्रबंधन अब लालू पुत्र को बाहर कर अन्य खिलाड़ी को इसमें स्थान देना चाह रहा है। फिर क्या था लालू का जैसे ही इस बात का इल्म हुआ उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया, आखिर किसने इतनी हिमाकत कर डाली कि लालू पुत्र तेजस्वी को मैदान में ना उतारकर बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा हो। अर्थात तेजस्वी की क्रिकेट की दुनिया में कहानी आरंभ होने के पहले ही समाप्त हो गई।
यहां उल्लेखनीय होगा कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के सर पर इन दिनों क्रिकेट का भूत सवार है। राहुल गांधी उठते बैठते क्रिकेट की ही बातें सोचते रहते हैं। आलम यह है कि लोगों से बातचीत के दरम्यान भी वे क्रिकेट विशेषकर आईपीएल यानी फटाफट क्रिकेट को जरूर बीच में लाते हैं।
इन परिस्थितियों में लालू प्रसाद यादव का राहुल से नाराज होना स्वाभाविक ही है। कहते हैं कि अहम् के चलते लालू प्रसाद यादव इस असली मामले के बारे में ना तो सोनिया से ही चर्चा कर रहे हैं और ना ही राहुल के ही संज्ञान में इस बात को ला रहे हैं। हाल ही में क्रिकेट के कथित भगवान, मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर की राज्य सभा से एंट्री की खबर ने भी लालू के मुंह में कुनैन की कड़वी गोली फोड़कर उनके मुंह का स्वाद कसैला कर दिया था।

इस तरह झुकाया मोदी ने गड़करी को!


इस तरह झुकाया मोदी ने गड़करी को!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। चाल, चरित्र और चेहरे के लिए विख्यात भारतीय जनता पार्टी में मोदी, जोशी प्रकरण की तहें आज भी खोजी जा रही हैं। सियासी जानकार इस पूरे मामले की पृष्टिभूमि और संजय जोशी की अगली रणनीति खोजने में लगे हैं। गड़करी के रणनीतिकारों ने भले ही मीडिया को मैनेज कर ‘‘हार कर भी जीत गए गड़करी‘‘ वाले एंगल से खबरें प्लांट करवा दीं हों, पर वास्तव में नरेंद्र मोदी के सामने बौने ही साबित हुए हैं भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी।
मुंबई कार्यकारिणी के साथ ही संजय जोशी के नाटकीय त्यागपत्र और भाजपा से उनकी बिदाई की परतें अब उघड़ना आरंभ हो गई हैं। दिल्ली में झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशव कुंजके सूत्रों का कहना है कि नरेंद्र मोदी ने पूरी दादागिरी के साथ भाजपा को झुकाकर संजय जोशी को बाहर करवाया है।
सूत्रों की मानें तो भाजपाध्यक्ष की पहली बार कमान संभालने के वक्त नरेंद्र मोदी ने नितिन गड़करी की काफी मदद की थी। उस समय मोदी और गड़करी के बीच हुए समझौते के तहत नितिन गड़करी ने मोदी से वायदा किया था कि वे समय आने पर संजय जोशी को साईज में ला देंगे। गड़करी अपने पहले कार्यकाल में मोदी से किया वायदा नहीं निभा सके।
सूत्रों ने आगे बताया कि कार्यकारिणी के एक दिन पूर्व ही नरेंद्र मोदी ने नितिन गड़करी को फोन कर उनको उनके वायदे की याद सख्ती के साथ दिलवाई। वार्तालाप के दरम्यान, गड़करी ने मोदी से घुमा फिराकर वायदा पूरा करने की बात कही गई। जिस पर मोदी हत्थे से ही उखड़ गए।
सूत्रों ने आगे कहा कि इस मसले में नरेंद्र मोदी ने भाजपा के निजाम नितिन गड़करी को दो टूक शब्दों में कह दिया कि वे (गड़करी) अब मोदी या संजय जोशी में से किसी एक को चुन लें। मोदी उस दिन काफी गुस्से में थे और उन्होंने गड़करी से साफ कह दिया कि अगर गड़करी कहें तो मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने को भी तैयार हैं। गड़करी चुपचाप सारी बातें सुनते रहे और उन्होंने कहा कि ठीक है वे फैसला लेकर मोदी को आवगत कर देंगे।
सूत्रों ने बताया कि मोदी के फोन रखते ही गड़करी ने संघ के आला नेताओं को इस बारे में सविस्तार जानकारी दी। चूंकि संजय जोशी संघ के खासुलखास हैं अतः संघ उन्हें छोड़ने को तैयार नहीं था, वहीं दूसरी ओर मोदी को भाजपा का मौखटा बनाकर वेतरणी पार करने का सपना देख रहा संघ उन्हें भी छोड़ना नहीं चाह रहा था। संघ के साथ रायशुमारी के बाद गड़करी ने अहम, अप्रिय और कड़ा फैसला ले ही लिया। यह नतीजा अगले दिन मीडिया के माध्यम से गड़करी तक पहुंचा कि संजय जोशी ने त्यागपत्र दे दिया है।
मोदी जोशी प्रकरण में मुंह की खाने के बाद भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी खुद को काफी असहज ही महसूस कर रहे हैं। मोदी के हाथों पस्त गड़करी को उनके सलाहकारों ने संभलने का मशविरा भी दे डाला है। बताते हैं कि गड़करी को कहा गया है कि अगर मोदी ने इस बार भी गुजरात में परचम लहरा दिया तो 2014 के आम चुनावों में भाजपा मोदीमय ही होने वाली है।
उस परिदृश्य में भाजपा के चुनावी पोस्टर्स में मोदी का फोटो सबसे बड़ा होगा, और भाजपा के व्यवसायिक पृष्ठभूमि के अध्यक्ष गड़कारी का बेहद छोटा सा। चर्चा तो यह भी है कि आम चुनावों के पोस्टर्स में बीच में मोदी का बड़ा सा फोटो, और दाएं बाएं सुषमा स्वराज, अरूण जेतली, राजनाथ सिंह और गड़करी की तस्वीरें हों। गड़करी इस बात से भयजदा अवश्य हो रहे होंगे कि उनके अध्यक्ष रहते उनका फोटो मोदी के फोटो के मुकाबले कम तवज्जो पाएगा!
अब लोगों की निगाहें संजय जोशी पर लगी हैं जो भाजपा से मुक्त होकर संघ के पूर्णकालिक सदस्य बन गए हैं। केशव कुंज के सूत्रों का कहना है कि जोशी का पुनर्वसा संघ नेतृत्व जल्द ही स्वदेशी जागरण मंच अथवा वनवासी कल्याण आश्रम के माध्यम से कर सकता है।

नरक के द्वारपाल बने नितीश


नरक के द्वारपाल बने नितीश

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। इनसेफ्लाइटिस से मरनेवाले बच्चों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि दी जायेगी। यह राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष से परिजनों को मिलेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में इनसेफ्लाइटिस से हो रही मौत की मंगलवार को उच्चस्तरीय समीक्षा की। बच्चों के इस तरह काल के गाल में समाने से नितीश कुमार का कुशासन सामने आ रहा है।
बताया जाता है कि बीमारी का अध्ययन के लिए शीघ्र ही केंद्रीय टीम बिहार आयेगी। मुख्यमंत्री ने इस संबंध में केंद्रीय सचिव से मंगलवार को फोन पर बात की। बैठक में मुख्यमंत्री ने गांव में डॉक्टरों की टीम भेज कर ऐसे रोगियों की पहचान करने का निर्देश दिया। इस तरह के मरीजों को अस्पताल में लाकर इलाज सुनिश्चित कराने का भी आदेश दिया गया।
यह व्यवस्था की गयी है कि आंगनबाड़ी सेविकाओं से बीमार हो रहे बच्चों की मदद करने में सहायता ली जाये। समीक्षा बैठक में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को पटना, मुजफ्फरपुर व गया जिलों में अलग-अलग टास्क फोर्स गठित करने का निर्देश दिया। फोर्स की जिम्मेवारी होगी कि प्रतिदिन इनसेफ्लाइटिस से पीड़ित रोगियों की पहचान के लिए की गयी कार्रवाई व इलाज के लिए की गयी कार्रवाइयों की समीक्षा करे। टीम विशेषज्ञों से भी संपर्क रखे और उनसे परामर्श लेकर बेहतर चिकित्सा सुविधा पीड़ित बच्चों को उपलब्ध कराये।
मुख्यमंत्री ने केंद्र केंद्र से वैक्सिन की मांग की। केंद्रीय सचिव ने मुख्यमंत्री को आश्वासन दिया कि केंद्रीय टीम बिहार भेजा जायेगा। पीड़ित बच्चों के इलाज एवं बीमारी से बचाव के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। विशेषज्ञों ने मच्छर काटने से होनेवाली बीमारी मस्तिष्क ज्वर बताया है। इसके लिए मच्छर मारने के लिए बड़े पैमाने पर मेलाथियोन के छिड़काव का निर्देश भी दिया गया। बड़े पैमाने पर बचाव के लिए टीकाकरण अभियान भी चलाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जिला स्तर पर सिविल सर्जन के नियंत्रण में शिकायत निवारण केंद्र की स्थापना की जाये। इस कंट्रोल रूम के दूरभाष नंबरों को प्रचारित किया जाये जिससे कि मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित लोगों के संबंध में समय पर सूचना उपलब्ध हो सके और उन्हें इलाज की सुविधा तुरंत मुहैया करायी जा सके।

आदिमानव के जमाने के दुर्लभ हथियार मिले


आदिमानव के जमाने के दुर्लभ हथियार मिले
(महेंद्र गुप्ता)
भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी में मानवीय सभ्यता के सिलसिलेवार विकास के अहम सुरागों से परदा हटाते हुए खोजकर्ताओं के एक समूह ने रविवार को दावा किया कि आदिमानव ने इत्तफाक सेडायनोसोर की हड्डियों के जीवाश्मों का इस्तेमाल शिकार के लिये हथियार बनाने में किया था।
मंगल पंचायतन परिषदके प्रमुख विशाल वर्मा ने बताया कि हमें नजदीकी धार जिले में डायनोसोर की हड्डियों के जीवाश्मों से बने आठ दुर्लभ हथियार मिले हैं। ये हथियार आदिमानव ने बनाये थे और इनके 10,000 से एक लाख साल पुराने होने का अनुमान हैं। इनमें हैंड ऐक्स ( कुल्हाडे की तरह चोट करने वाला धारदार हथियार ), तीर के अगले हिस्से की तरह नुकीले अस्त्र और ब्लेड सरीखे तेज धार वाले हथियार शामिल हैं। आदिमानव इन घातक हथियारों का इस्तेमाल शिकार करने और इसके बाद मरे जानवर के शरीर से खाने लायक मांस निकालने में करता था। आदिमानव को स्वाभाविक तौर पर यह अंदाजा नहीं था कि वह जिन पत्थरों को हथियार बनाने के लिये तराश रहा है, वे दरअसल डायनोसोर की हड्डियों के जीवाश्म हैं।
आदिमानव का हथियार बनाने के लिये डायनोसोर की हड्डियों के जीवाश्मों का इस्तेमाल संयोग ही था। लेकिन उसने इन जीवाश्मों को इसलिये चुना होगा, क्योंकि ये आम पत्थरों के मुकाबले नरम होते हैं और इन्हें आसानी से मनचाहा आकार दिया जा सकता है। खोजकर्ता समूह के प्रमुख ने बताया कि हमें इस प्रक्रिया के सबूत मिले हैं कि आदिमानव ने किस तरह डायनोसोर की हड्डियों के जीवाश्मों को पत्थर समझकर चट्टानों से बाहर निकाला और इन्हें तराशकर हथियार बनाये। हमें इन जीवाश्मों के वे अवशेष भी मिले हैं, जो आदिमानव के हथियार तराशे जाने के बाद बच गये थे।
वर्मा ने बताया कि उनके खोजकर्ता समूह को जिस स्थान से आदिमानव के बनाये दुर्लभ हथियार मिले हैं, वह जगह करीब 12 करोड़ साल पुरानी नर्मदा घाटी का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि हमें ये हथियार उसी क्षेत्र से मिले हैं, जहां से हम डायनोसोर के कम से कम साढ़े छह करोड़ साल पुराने जीवाश्म ढूंढ चुके हैं। हमारा अभियान फिलहाल जारी है। इसमें ऐसे और हथियार मिलने की उम्मीद है। वर्मा ने कहा कि उनका समूह नर्मदा घाटी में इस बात के प्रमाण पहले ही ढूंढ चुका है कि आदिमानव ने हथियार बनाने के लिये पेड़ों के जीवाश्मों का इस्तेमाल भी किया था। घाटी में नदियों के किनारे आदिमानव के बनाये पाषाण हथियार बहुतायत में मिलते हैं।
मंगल पंचायतन परिषद ने तब पहली बार दुनिया भर का ध्यान खींचा था, जब इसने वर्ष 2007 के दौरान धार जिले में डायनासोर के करीब 25 घोंसलों के रूप में बेशकीमती जुरासिक खजाने की चाबी ढूंढ निकाली थी। वर्मा के मुताबिक इन घोंसलों में डायनोसोर के सौ से ज्यादा अंडों के जीवाश्म मिले थे। इनमें सबसे दुर्लभ घोंसला वह था, जिसमें इस विलुप्त जीव के 12 अंडों के जीवाश्म एक साथ मिले थे। उन्होंने कहा कि वह अब तक डायनोसोर के 150 से ज्यादा अंडों के जीवाश्म ढूंढ चुके हैं।