नरक के द्वारपाल
बने नितीश
(प्रतिभा सिंह)
पटना (साई)।
इनसेफ्लाइटिस से मरनेवाले बच्चों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की
सहायता राशि दी जायेगी। यह राशि मुख्यमंत्री सहायता कोष से परिजनों को मिलेगी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य में इनसेफ्लाइटिस से हो रही मौत की मंगलवार को
उच्चस्तरीय समीक्षा की। बच्चों के इस तरह काल के गाल में समाने से नितीश कुमार का
कुशासन सामने आ रहा है।
बताया जाता है कि
बीमारी का अध्ययन के लिए शीघ्र ही केंद्रीय टीम बिहार आयेगी। मुख्यमंत्री ने इस
संबंध में केंद्रीय सचिव से मंगलवार को फोन पर बात की। बैठक में मुख्यमंत्री ने
गांव में डॉक्टरों की टीम भेज कर ऐसे रोगियों की पहचान करने का निर्देश दिया। इस
तरह के मरीजों को अस्पताल में लाकर इलाज सुनिश्चित कराने का भी आदेश दिया गया।
यह व्यवस्था की गयी
है कि आंगनबाड़ी सेविकाओं से बीमार हो रहे बच्चों की मदद करने में सहायता ली जाये।
समीक्षा बैठक में उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को पटना, मुजफ्फरपुर व गया
जिलों में अलग-अलग टास्क फोर्स गठित करने का निर्देश दिया। फोर्स की जिम्मेवारी
होगी कि प्रतिदिन इनसेफ्लाइटिस से पीड़ित रोगियों की पहचान के लिए की गयी कार्रवाई
व इलाज के लिए की गयी कार्रवाइयों की समीक्षा करे। टीम विशेषज्ञों से भी संपर्क
रखे और उनसे परामर्श लेकर बेहतर चिकित्सा सुविधा पीड़ित बच्चों को उपलब्ध कराये।
मुख्यमंत्री ने
केंद्र केंद्र से वैक्सिन की मांग की। केंद्रीय सचिव ने मुख्यमंत्री को आश्वासन
दिया कि केंद्रीय टीम बिहार भेजा जायेगा। पीड़ित बच्चों के इलाज एवं बीमारी से बचाव
के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। विशेषज्ञों ने मच्छर काटने से
होनेवाली बीमारी मस्तिष्क ज्वर बताया है। इसके लिए मच्छर मारने के लिए बड़े पैमाने
पर मेलाथियोन के छिड़काव का निर्देश भी दिया गया। बड़े पैमाने पर बचाव के लिए
टीकाकरण अभियान भी चलाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने
निर्देश दिया कि जिला स्तर पर सिविल सर्जन के नियंत्रण में शिकायत निवारण केंद्र
की स्थापना की जाये। इस कंट्रोल रूम के दूरभाष नंबरों को प्रचारित किया जाये जिससे
कि मस्तिष्क ज्वर से पीड़ित लोगों के संबंध में समय पर सूचना उपलब्ध हो सके और
उन्हें इलाज की सुविधा तुरंत मुहैया करायी जा सके।
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