बुधवार, 13 जून 2012

पानी के विवाद हेतु मन से मिलेंगी शीला


पानी के विवाद हेतु मन से मिलेंगी शीला

(रश्मि सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में चल रहे जल संकट से परेशान मुख्यमंत्री शीला दीक्षित जल्द ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात करेंगी। मुख्यमंत्री का मानना है कि पानी की देनदारी को लेकर हरियाणा अपना वादा पूरा नहीं कर रहा है, जिस कारण राजधानी के कई इलाकों मे जलसंकट लगातार बना हुआ है।
बताया जाता है कि सरकार इस बात से खासी दुखी है कि मुनक नहर को लेकर हरियाणा वादे के अनुसार पानी सप्लाई करने में आनाकानी कर रहा है, जिससे कुछ प्लांटों को पानी नहीं मिल पा रहा है। दिल्ली सचिवालय में कैबिनेट मीटिंग के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने इस बात पर खासा दुख व आश्चर्य जताया कि हरियाणा सरकार अपने वादे के अनुसार दिल्ली को उसके हिस्से का पानी मुहैया नहीं करा पा रहा है।
सीएम के अनुसार तकलीफ इस बात की है कि पानी के मसले को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए ग्रुप ऑफ मिनिस्टर (जीओएम) के सुझावों पर भी हरियाणा सरकार अमल नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों को जल संकट से बचाने के लिए उन्हें अब प्रधानमंत्री से मिलना पड़ेगा।
सूत्र बताते हैं कि हैदरपुर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को पानी सप्लाई करने वाली हैदरपुर नहर की जगह सरकार ने हरियाणा सरकार को करीब 400 करोड़ रुपये देकर उसके साथ-साथ मुनक नहर का निर्माण करवाया है। पुरानी नहर को हरियाणा सरकार 610 एमसीडी पानी सप्लाई करती है, जिसका 30 प्रतिशत पानी रिसाव व अन्य कारणों से कम हो जाता है। समस्या यह है कि हरियाणा अब कह रहा है कि वह मुनक में पानी तो छोड़ेगा, लेकिन उसमें से 30 प्रतिशत पानी कम कर लेगा। दिल्ली सरकार नई नहर में 610 एमजीडी ही पानी चाहती है ताकि हैदरपुर प्लांट के अलावा इस पानी से नांगलोई व द्वारका के प्लांट भी शुरू किए जा सकें।
यह मसला पिछले एक साल से सुलझ नहीं पा रहा है और बनी पड़ी मुनक नहर दो सरकारों के विवाद के कारण अभी तक सूखी पड़ी है। गौरतलब है कि सोमवार को ही हरियाणा सरकार के चीफ सेक्रेटरी पी. के. चौधरी ने दिल्ली सरकार को स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली को उसके हिस्से का ही पानी मिलेगा, जो मिलता रहा है। उन्होंने यह भी कह दिया है कि दिल्ली को अतिरिक्त पानी नहीं दिया जाएगा।
इसे राजधानी में रहने का खामियाजा कह सकते हैं कि दिल्ली वालों को पानी के लिए मुंबई वालों से 9 गुना ज्यादा रकम चुकानी पड़ रही है। दिल्ली में जिस पानी के लिए महीने में 907 रुपये चुकाने होते हैं उतने ही पानी के लिए मुंबई में 160 रुपये का बिल आता है। दिल्ली के उलट मुंबई में पानी के लिए कोई स्लैब नहीं है और न ही वहां मुंबई महानगरपालिका पानी के बिल के साथ सर्विस चार्ज लेती है। वहां भी 60 पर्सेंट सीवरेज मेंटेनेंस चार्ज लिया जाता है। लेकिन झुग्गी-झोपड़ियों को छोड़कर बाकी जगह सीवरेज की सुविधा भी दी गई है। दिल्ली वाले पानी के बिल से परेशान हैं। पानी आए या न आए, हर दो महीने में हजारों का बिल जरूर आ रहा है।
दिल्ली में डोमेस्टिक कैटिगरी में पानी प्रति किलोलीटर 2.42 रुपये से 30.25 रुपये पड़ता है। यहां पानी के तीन-चार स्लैब हैं। अगर 10 किलोलीटर से कम पानी इस्तेमाल किया तो पानी 2.42 रुपये प्रति किलोलीटर, 10 से 20 किलोलीटर इस्तेमाल किया तो 3.63 रुपये प्रति किलोलीटर, 20 से 30 किलोलीटर इस्तेमाल किया तो 18.15 रुपये प्रति किलोलीटर और इससे ज्यादा इस्तेमाल किया तो 30.25 रुपये प्रति किलोलीटर मिलता है। जबकि मुंबई में कोई स्लैब नहीं है। वहां डमेस्टिक कंज्यूमर को पानी 4 रुपये प्रति किलोलीटर के हिसाब से मिलता है। इस हिसाब से अगर कोई फैमिली दिल्ली में 25 किलोलीटर पानी यूज कर रही है तो पानी की कीमत 454 रुपये होगी और मुंबई में 100 रुपये।
दिल्ली में जितना पानी यूज किया उसकी कीमत का 60 पर्सेंट सीवरेज मेंटेनेंस चार्ज लगता है। इतना ही चार्ज मुंबई में भी लगता है। लेकिन दिल्ली में पानी की चार्ज ज्यादा होने की वजह से सीवरेज चार्ज खुद ब खुद ज्यादा हो जाता है। दिल्ली में कई जगह सीवरेज की सुविधा नहीं हैं लेकिन उन लोगों के पानी के बिल में भी सीवरेज मेंटेनेंस चार्ज लिया जाता है। जबकि मुंबई महानगरपालिका के पीआरओ का कहना है कि मुंबई में झुग्गी-झोपड़ियों को छोड़कर सब जगह सीवरेज का इंतजाम है।
दिल्ली में पानी के बिल के साथ सर्विस चार्ज भी लिया जाता है। 0-10 किलोलीटर पानी पर 60.50 रुपये , 10-20 किलोलीटर पर 121 रुपये , 20-30 किलोलीटर पर 181.50 रुपये और इससे ज्यादा पानी पर 242 रुपये सर्विस चार्ज हर महीने लिया जाता है। जबकि मुंबई में सर्विस चार्ज नहीं लिया जाता।
दिल्ली में 1.67 करोड़ की आबादी के लिए दिल्ली जल बोर्ड 850 एमजीडी पानी की सप्लाई करता है जबकि डिमांड 1050 एमजीडी से ज्यादा है। यहां डिमांड और सप्लाई के बीच 200 एमजीडी का अंतर है। मुंबई महानगरपालिका वहां की 1.21 करोड़ आबादी के लिए 3450 एमजीडी पानी सप्लाई करता है। वहां डिमांड 3800 एमएलडी है और डिमांड - सप्लाई का अंतर 350 एमजीडी है।
दिल्ली में कमर्शल और इंडस्ट्रियल कटैगरी के पानी उपभोक्ताओं के लिए पानी के दाम घरेलू कैटिगरी से ज्यादा हैं। मुंबई में भी यही नियम है। मुंबई नगर निगम के मुताबिक घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ता पानी देने से जो नुकसान होता है उसकी भरपाई हम कमर्शल उपभोक्ताओं से कर लेते हैं।
दिल्ली में वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट को निजी हाथों में दिया जा रहा है लेकिन मुंबई में ऐसा नहीं है। महानगरपालिका का कहना है कि पानी बहुत संवेदनशील मसला है। यह जरूरत के साथ - साथ सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है , इसलिए हम इसका निजीकरण नहीं करेंगे। सरकारी एजेंसी ही पानी के वितरण का काम देखेगी।

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