बुधवार, 13 जून 2012

आदिमानव के जमाने के दुर्लभ हथियार मिले


आदिमानव के जमाने के दुर्लभ हथियार मिले
(महेंद्र गुप्ता)
भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी में मानवीय सभ्यता के सिलसिलेवार विकास के अहम सुरागों से परदा हटाते हुए खोजकर्ताओं के एक समूह ने रविवार को दावा किया कि आदिमानव ने इत्तफाक सेडायनोसोर की हड्डियों के जीवाश्मों का इस्तेमाल शिकार के लिये हथियार बनाने में किया था।
मंगल पंचायतन परिषदके प्रमुख विशाल वर्मा ने बताया कि हमें नजदीकी धार जिले में डायनोसोर की हड्डियों के जीवाश्मों से बने आठ दुर्लभ हथियार मिले हैं। ये हथियार आदिमानव ने बनाये थे और इनके 10,000 से एक लाख साल पुराने होने का अनुमान हैं। इनमें हैंड ऐक्स ( कुल्हाडे की तरह चोट करने वाला धारदार हथियार ), तीर के अगले हिस्से की तरह नुकीले अस्त्र और ब्लेड सरीखे तेज धार वाले हथियार शामिल हैं। आदिमानव इन घातक हथियारों का इस्तेमाल शिकार करने और इसके बाद मरे जानवर के शरीर से खाने लायक मांस निकालने में करता था। आदिमानव को स्वाभाविक तौर पर यह अंदाजा नहीं था कि वह जिन पत्थरों को हथियार बनाने के लिये तराश रहा है, वे दरअसल डायनोसोर की हड्डियों के जीवाश्म हैं।
आदिमानव का हथियार बनाने के लिये डायनोसोर की हड्डियों के जीवाश्मों का इस्तेमाल संयोग ही था। लेकिन उसने इन जीवाश्मों को इसलिये चुना होगा, क्योंकि ये आम पत्थरों के मुकाबले नरम होते हैं और इन्हें आसानी से मनचाहा आकार दिया जा सकता है। खोजकर्ता समूह के प्रमुख ने बताया कि हमें इस प्रक्रिया के सबूत मिले हैं कि आदिमानव ने किस तरह डायनोसोर की हड्डियों के जीवाश्मों को पत्थर समझकर चट्टानों से बाहर निकाला और इन्हें तराशकर हथियार बनाये। हमें इन जीवाश्मों के वे अवशेष भी मिले हैं, जो आदिमानव के हथियार तराशे जाने के बाद बच गये थे।
वर्मा ने बताया कि उनके खोजकर्ता समूह को जिस स्थान से आदिमानव के बनाये दुर्लभ हथियार मिले हैं, वह जगह करीब 12 करोड़ साल पुरानी नर्मदा घाटी का हिस्सा है। उन्होंने बताया कि हमें ये हथियार उसी क्षेत्र से मिले हैं, जहां से हम डायनोसोर के कम से कम साढ़े छह करोड़ साल पुराने जीवाश्म ढूंढ चुके हैं। हमारा अभियान फिलहाल जारी है। इसमें ऐसे और हथियार मिलने की उम्मीद है। वर्मा ने कहा कि उनका समूह नर्मदा घाटी में इस बात के प्रमाण पहले ही ढूंढ चुका है कि आदिमानव ने हथियार बनाने के लिये पेड़ों के जीवाश्मों का इस्तेमाल भी किया था। घाटी में नदियों के किनारे आदिमानव के बनाये पाषाण हथियार बहुतायत में मिलते हैं।
मंगल पंचायतन परिषद ने तब पहली बार दुनिया भर का ध्यान खींचा था, जब इसने वर्ष 2007 के दौरान धार जिले में डायनासोर के करीब 25 घोंसलों के रूप में बेशकीमती जुरासिक खजाने की चाबी ढूंढ निकाली थी। वर्मा के मुताबिक इन घोंसलों में डायनोसोर के सौ से ज्यादा अंडों के जीवाश्म मिले थे। इनमें सबसे दुर्लभ घोंसला वह था, जिसमें इस विलुप्त जीव के 12 अंडों के जीवाश्म एक साथ मिले थे। उन्होंने कहा कि वह अब तक डायनोसोर के 150 से ज्यादा अंडों के जीवाश्म ढूंढ चुके हैं।

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