नाकारा लोगों को किया जा रहा है पुरूस्कृत
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। मतदाता सूची में नाम जुड़वाने वाले बी.एल.ओ. को पुरूस्कृत
करने की योजना पर सवालिया निशान लगने आरंभ हो गए हैं।
गौरतलब है कि गत दिवस राजीव गांधी मानस भवन में जिले के सभी बी.एल.ओ. को
दो चरणों में लोकसभा निर्वाचन के मद्देनजर प्रशिक्षण दिया गया। स्वीप की नोडल
अधिकारी श्रीमती प्रियंका दास द्वारा सभी बी.एल.ओ. को महिला मतदाताओं की संख्या
बढ़ाने, नैतिक मतदान एवं मतदान करने हेतु जागरूकता बढ़ाने तथा युवा
मतदाताओं को जोड़ने संबंधी आवश्यक समझाईश एवं दिशा निर्देश दिये गये थे।
इस बैठक में कहा गया था कि बी.एल.ओ. द्वारा मतदाताओं की मतदाता सूची में
अधिक से अधिक नाम जोड़ने वाले बी.एल.ओ. को पुरस्कृत किया जायेगा एवं सेक्टर अधिकारी
को प्रमाण पत्र दिया जायेगा। अधिक से अधिक मतदाताओं का नाम जोड़ने वाले बी.एल.ओ. को
प्रथम पुरस्कार हेतु राशि 3000 रूपये, द्वितीय पुरस्कार
हेतु राशि 2000 रूपये एवं तृतीय पुरस्कार हेतु 1000 रूपये से पुरूस्कृत किया
जायेगा।
अधिक से अधिक महिला मतदाताओं के नाम जोड़ने वाले बी.एल.ओ. को प्रथम
पुरूस्कार हेतु राशि रूपये 3000 रूपये, द्वितीय
पुरूस्कार हेतु राशि रूपये 2000 एवं तृतीय पुरूस्कार हेतु राशि रूपये 1000 से
पुरूस्कृत किया जायेगा। अधिक से अधिक युवा मतदाताओं के नाम जोड़ने वाले बी.एल.ओ. को
प्रथम पुरूस्कार हेतु राशि 3000 रूपये, द्वितीय
पुरूस्कार हेतु राशि 2000 रूपये एवं तृतीय पुरूस्कार हेतु राशि 1000 रूपये से
पुरूस्कृत किया जायेगा।
इसी प्रकार अधिक से अधिक युवा मतदाताओं के नाम जोड़ने वाले बी.एल.ओ. को
प्रथम पुरूस्कार हेतु राशि रूपये 3000 रूपये, द्वितीय
पुरूस्कार हेतु राशि रूपये 2000 एवं तृतीय पुरूस्कार हेतु राशि एक हजार रूपये से
पुरूस्कृत किया जायेगा। अतः बी.एल.ओ. से कहा गया है कि अपना कार्य पूर्ण निष्ठा
एवं ईमानदारी से कार्य करना सुनिश्चित करें।
एक कर्मचारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से
कहा कि यह तो कर्तव्य निष्ठ कर्मचारी के साथ अन्याय है। जिस कर्मचारी ने पूरी
निष्ठा के साथ पहले ही गांव-गांव, घर-घर जाकर
मतदाताओं के नामों को जुड़वाया है उनके कार्य को नजर अंदाज कर अब अंतिम समय में जो
नाकारा बीएलओ पहले सुसुप्तावस्था मे रहे और अब अपने-अपने क्षेत्र में जाकर
मतदाताओं के नाम जुड़वाएंगे उन्हें पुरूस्कृत किया जाना न्यायोचित नहीं है।
गौरतलब है कि दिसंबर में मतदाताओं के नाम जोड़ने का अभियान चलाया गया था।
इसके उपरांत मतदाता दिवस पर भी यह अभियान चलाया गया था। कर्तव्यनिष्ठ बीएलओ के
द्वारा इसी दौरान अपने-अपने क्षेत्रों के मतदाताओं के नाम जुड़वा दिए गए थे। कहा जा
रहा है कि संभवतः अब वे ही मतदाता बचे होंगे, जिन क्षेत्रों
में बीएलओ निष्क्रिय रहे हैं। अब निष्क्रिय बीएलओ अपने-अपने क्षेत्र में ज्यादा
मतदाताओं के नाम जुड़वाकर प्रशासन से अपनी पीठ थपथपाए जाने की जुगत लगाएंगे।
एक अन्य कर्मचारी ने भी नाम उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ
इंडिया को बताया कि वस्तुतः होना यह चाहिए था कि अंतिम चरण में जिन बीएलओ द्वारा
नाम ज्यादा संख्या में जुड़वाए गए हैं, उन्हें शोकॉज
नोटिस दिया जाना चाहिए था कि पहले के चरणों में इन मतदाताओं के नामों को मतदाता
सूची में क्यों नहीं जोड़ा गया।