शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

फटाके नहीं बम फूट रहे हैं मनमोहन जी!


फटाके नहीं बम फूट रहे हैं मनमोहन जी!

(लिमटी खरे)

हैदराबाद बम धमाकों से दहल गया है। देश की सुरक्षा व्यवस्था में बुरी तरह सेंध लगी हुई है और प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह आज भी वैसे ही मौन धारण किए हुए हैं। एक के बाद एक गृह मंत्री बदलते जा रहे हैं पर देश की आंतरिक सुरक्षा बुरी तरह हांफ रही है इसका कारण सियासी लाभ हानि का गणित ही माना जा सकता है। कोई हिन्दु आतंकवाद को दोषी मानत है कोई अल्पसंख्यकों के कारण उपजी परिस्थितियां मान रहा है। सही मायने में देखा जाए तो आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता है। आतंकवाद के मायने ही येन केन प्रकारणेन दहशत फैलाना है। इन पूरे मामलों में सबसे निराशाजनक तो यह है कि दहशतगर्दी के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा देनें में भी सियासी पार्टियां अपना अपना उल्लू सीधा करने से नहीं चूकती हैं।

हैदराबाद को चारमीनार का शहर कहा जाता है। हैदराबाद दक्षिण भारत का बहुत ही खूबसूरत शहर है, पर पिछले लगभग एक दशक से यह चर्चाओं में है। पिछले पांच सालों में तीसरी मर्तबा हैदराबाद को बमों के धमकों ने दहल दिया है। लोगों के जेहन से अभी यह बात विस्मृत नहीं हुई होगी कि 2007 में 18 मई को मक्का मस्जिद और इसके उपरांत 25 अगस्त को गोकुल चाट और लुबिनी पार्क के धमाकों ने दहला दिया था।
बृहस्पतिवार की शाम 7 बजे हैदराबाद शहर के दिलखुश नगर इलाके में हुए दोहरे धमाके में लोगों के चीथड़े उड़ गये। आरंभिक जांच बता रही है कि धमाकों के लिए टिफिन बाक्स का प्रयोग किया गया है। इसका सबसे दुखद पहलू यह है कि वहां के सीसीटीवी केमरों के तार ही काट दिए गए थे। यह है भारत गणराज्य के अति संवेदनशील इलाकों के सुरक्षा हालात। अगर सीसीटीवी केमरे के तार कटे थे तो कंट्रोल रूम जहां से इन कैमरों के जरिए बाजार पर नजर रखी जाती है वहां के सरकारी वेतन पाने वाले नुमाईंदे क्या अपनी नौकरी बजाने के बजाए चौसर खेल रहे थे?
कहा तो यह भी जा रहा है कि अगर हैदराबाद पुलिस ने गृह मंत्रालय के अलर्ट और दिल्ली पुलिस की ओर से दी गई जानकारी को संजीदगी के साथ लिया होता तो शहर में गुरुवार शाम हुए सीरियल ब्लास्ट की घटना को रोका जा सकता था। दिल्ली पुलिस ने लोकल पुलिस को आतंकी हमले होने से संबंधित जानकारी कई बार दी, लेकिन हैदराबाद पुलिस ने उसे नजरंदाज कर दिया और इसका नतीजा गुरुवार शाम ब्लास्ट के रूप में देखने को मिला।
वहीं चौबीसों घंटे खबरों को रूमाल से तानकर चादर बनाने में माहिर समाचार चेनल्स भी इसमें अपने अपने स्तर पर कयास लगा रहे हैं। कोई इसमें इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) का हाथ होने की बात कह रहा है तो कोई अफजल गुरू की फांसी का बदला।  कहीं से खबर आ रही है कि पुणे में पिछले साल हुए धमाकों के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने जिन आतंकियों को पकड़ा था, उन्होंने पिछली जुलाई में हैदराबाद में रेकी की थी।
देश के नए गृह मंत्री बनते ही सुशील कुमार शिंदे का स्वागत इन बर्बर आताताईयों ने 01 अगस्त को पुणे में धमाके कर किया था। देश में सत्ता की मलाई चखने के आदी हो चुके जनसेवकों के लिए अब नैतिकता मानो बची ही नहीं है। एक समय था जब नैतिकता के आधार पर नेता त्यागपत्र दे दिया करते थे, आज नैतिकता के मायने ही बदल गए हैं। जब तक संभव हो बेशर्मी के साथ कुर्सी से चिपके रहो और ज्यादा शोर शराबा हो तो बस विभाग बदल दो, यानी लाल बत्ती जस की तस! इस तरह बेशर्म राजनेताओं के भरोसे आम आदमी अपनी सुरक्षा की चिंता आखिर किस आधार पर करे?
पुणे के हादसे के बाद दिल्ली पुलिस ने जिन आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था, उसमें से एक मकबूल के पास हैदराबाद शहर के बारे में खासी जानकारी थी। वैसे मकबूल महाराष्ट्र के नांदेड़ का रहने वाला था और उसने ही यह जानकारी आईएम के लोगों को दी थी। उसी की सहायता से आईएम के सदस्य मोटरसाइकल पर बैठकर शहर के दिलसुख नगर और बेगम बाजार की रेकी की थी। मकबूल ने पुलिस को कहा था कि हमारी योजना हैदराबाद को निशाना बनाने की है और यह सॉफ्ट टारगेट है। दिल्ली पुलिस के एक आला अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि आधिकारिक स्तर पर हैदराबाद पुलिस को यह जानकारी दे दी गई थी और शहर की सुरक्षा बढ़ाने के लिए कहा गया था। लेकिन हैदराबाद पुलिस ने उसे रूटीन जानकारी कहकर नजरंदाज कर दिया।
वहीं, राज्य के पुलिस महानिदेशक दिनेश रेड्डी ने बताया कि ये विस्फोट निश्चित रूप से किसी आतंकवादी संगठन की करतूत है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी-एन आई ए ने इन विस्फोटों की जांच शुरू कर दी है। केन्द्रीय गृह सचिव आर. के. सिंह ने कहा कि एक ही समय पर दो शक्तिशाली विस्फोटों से संकेत मिलता है कि ये आतंकी हमला था। अब अधिकारी अपनी खाल बचाने चाहे जो कहें पर दहशतगर्द तो अपना खेल खेलकर जा चुके हैं।
आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि जब उड़न खटोला या सुख सुविधाओं की बात आती है तब हमारे देश के शासक अपने आप को दुनिया के चौधरी अमरीका से कमतर नहीं आंकते हैं। चौपर वैसा ही चाहिए जैसा ओबामा के पास है, पर जब देश की आंतरिक सुरक्षा की बात आती है तो वे बगलें झांकने पर मजबूर हो जाते हैं। रही बात सत्ता पक्ष से पूरी तरह सेट विपक्ष की तो वह भी इस मामले में दिखावटी चिल्लपों और विरोध के बाद शांत ही नजर आए तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह को चाहिए कि इस मामले को गंभीरता से लेकर खुद संज्ञान लेते हुए उचित कार्यवाही करें ताकि आम जनता के अमन चेन में खलल ना डाला जा सके। (साई फीचर्स)

छत्तीसगढ़ के सांसद ने साधा सिवनी वासियों का हित!


0 सिवनी से नहीं चल पाएगी पेंच व्हेली ट्रेन . . . 5

छत्तीसगढ़ के सांसद ने साधा सिवनी वासियों का हित!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। परिसीमन में सिवनी लोकसभा का अवसान हो गया। सिवनी की अंतिम सांसद रहीं श्रीमति नीता पटेरिया। वे 2004 से 2009 तक सांसद रहीं। उनके कार्यकाल में भी सिवनी की ब्राडगेज का मामला दिल्ली में सिवनी के जनसेवक नहीं उठा सके। इसी दर्मयान बिलासपुर के सांसद पुन्नू लाल माहोले ने मण्डला से बरास्ता सिवनी होकर छिंदवाड़ा जाने वाले रेल खण्ड के अमान परिवर्तन के संबंध में प्रश्न उठाया था, तब भी सिवनी में ब्राडगेज पर सियासत करने वालों की तंद्रा नहीं टूटी। सिवनी ब्राडगेज का मामला सिवनी के बजाए छत्तीसगढ़ के संसद सदस्य द्वारा देश की सबसे बड़ी पंचायत में उठाया जाना निश्चित तौर पर सिवनीवासियों के लिए सुखद संयोग ही माना जाएगा।
गौरतलब है कि लगभग डेढ़ दशक पहले तक सिवनी, छिंदवाड़ा और मण्डला लोकसभा सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। आदिवासियों की लगातार उपेक्षा के कारण महाकौशल में भाजपा का वर्चस्व बढ़ता ही चला गया। कांग्रेस के परंपरागत आदिवासी वोट बैंक उसके हाथ से फिसल गए। आदिवासियों ने अपनी उपेक्षा का सबक महाकौशल के हर लोकसभा सीट पर खड़े कांग्रेस के उम्मीदवारों को सिखाया। यहां तक कि एक उपचुनाव में छिंदवाड़ा के ताड़नहार कमल नाथ को भी भाजपा के सुंदर लाल पटवा ने धूल चटवा दी थी। वर्तमान में नरसिंहपुर, मण्डला और छिंदवाड़ा पर कांग्रेस तो जबलपुर और बालाघाट पर भाजपा का कब्जा है।
यहां उल्लेखनीय होगा कि लोकसभा में ही छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के सांसद पुन्नू लाल माहोले द्वारा मण्डला से छिंदवाड़ा रेल खण्ड के अमान परिवर्तन के बारे में प्रश्न पूछा गया था। माहोले के पूछे गए अतारांकित प्रश्न संख्या 4502 के जवाब में 25 अगस्त 2005 को तत्कालीन रेल राज्यमंत्री आर.वेलू ने कहा था कि नैनपुर से छिंदवाड़ा (139.6 किमी) खंड का छोटी लाईन से बड़ी लाईन परिवर्तन हेतु 2003-04 में सर्वेक्षण किया था, सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना की लागत उस वक्त ऋणात्मक प्रतिफल के साथ 228.22 करोड़ रूपए आंकी गई थी। यह प्रस्ताव अलाभकारी प्रकृति का होने के कारण अस्वीकार कर दिया गया था। इसके बाद इसे ठंडे बस्ते के हवाले कर दिया गया था।
यहां एक बात और महत्वपूर्ण होगी कि एक मर्तबा तो तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.व्ही.नरसिंहराव द्वारा भी चुनावी घोषणा के तौर पर परमहंसी आश्रम श्रीधाम में जगतगुरू शंकराचार्य जी के समक्ष यह कहा गया था कि उनके संसदीय क्षेत्र रहे महाराष्ट्र के रामटेक से गोटेगांव तक बड़ी रेल लाईन लाई जाएगी। दुर्भाग्य से वे दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बन पाए और छिंदवाड़ा नैनपुर से इतर रामटेक गोटेगांव की यह घोषणा खालिस चुनावी वायदा बनकर रह गई।
(क्रमशः जारी)

मध्य प्रदेश जनसंपर्क पूरी तरह से आरएसएस के रंग में रंगता जा रहा है।


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 60

मध्य प्रदेश जनसंपर्क पूरी तरह से आरएसएस के रंग में रंगता जा रहा है

(विनय डेविड)

भोपाल (साई)। मध्य प्रदेश जनसंपर्क पूरी तरह से आरएसएस के रंग में रंगता जा रहा है। न केवल उसके रंग रूप में भगवा भारी हो चला है बल्कि अब अंदरखाने में विज्ञापन के मामले में भी उन्हीं वेबसाइटों को तरजीह दी जा रही है जिनके ऊपर भगवा रंग चढ़ा है। अब विज्ञापन के लिए बाकायदा आरएसएस की सहमति वाला सर्टिफिकेट लाना जरूरी हो गया है।
देश के हिन्दीभाषी राज्यों में फिलहाल मध्य प्रदेश जनसंपर्क ही एकमात्र ऐसा जनसंपर्क है जो वेबसाइटवालों से संपर्क में रहता है। अभी तक जनसंपर्क पर आरोप लगता था कि वहां बैठे कमीशनखोरअपनी अपनी पसंद की वेबसाइटों को विज्ञापन दिलाते हैं। शिकायतें इतनी बढ़ गई कि मीडिया मामलों में विशेष रूचि रखनेवाले मध्य प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष प्रभात झा ने हस्तक्षेप किया। न सिर्फ हस्तक्षेप किया बल्कि अपनी पसंद के एक व्यक्ति लाजपत आहूजा को जनसंपर्क में विज्ञापन और जनसंपर्क का प्रभार भी दिलवा दिया। लाजपत आहूजा अपने आपको आरएसएस का समर्पित वर्कर बताते हैं और मिलनेवालों को आरएसएस के करीबी होने का किस्सा भी सुनाते हैं।
इसके बाद अगले चरण में मध्य प्रदेश और लखनऊ दिल्ली की कुछ वेबसाइटों को मीडिया चौपाल के बहाने भोपाल बुलाया गया। दिनभर की मीटिंग हुई। इस मीटिंग में जो जो वेबसाइट संचालक शामिल हुए थे उन्होंने अपनी आर्थिक बदहाली बताई। हालांकि इस मीटिंग से कुछ महत्वपूर्ण वेबसाइटों के संचालक दूर ही रहे लेकिन जो आये उसमें ज्यादातर आरएसएस के समर्थक थे, या यह भी कह सकते हैं कि उन्हीं को बुलाया गया जो विचारधाराके लिए काम करने को प्रतिबद्ध थे।
इस मीटिंग की कहानी तो अलग लेकिन इस मीटिंग के बाद बिना डाक की एक चिट जनसंपर्क पहुंची है। यह चिट कोई सरकारी नोटशीट का हिस्सा तो नहीं है लेकिन इसकी अहमियत किसी सरकारी नोटशीट से ज्यादा है। बताते हैं कि खुद सीपीआर महोदय इस चिट का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। चिट क्या यह एक लिस्ट है जिसमें कुछ वेबसाइटों के नाम भेजे गये हैं। अब खबर है कि यह लिस्ट जनसंपर्क विभाग पहुंचा दी गई है जिसे एक बार फिर प्रभात झा के करीबी व्यक्ति ने तैयार किया है। चिट के साथ मौखिक संदेश यह भेजा गया है कि जो जो वेबसाइटें इसमें शामिल हैं उन्हें एक निश्चित रकम अदा की जाएगी।
इस लिस्ट को तैयार करने के पीछे लंबी अवधि की योजना क्या है यह तो पता नहीं चल पाया है लेकिन इस लिस्ट को लेकर जनसंपर्क में काफी गहमा गहमी है। जिस जनसंपर्क में एकबार को संबंधित मंत्री की चिट्ठी को भी किनारे रख दिया जाता है उस जनसंपर्क में इस चिट को इतना महत्वपूर्ण क्यों मान लिया गया है? वही लाजपत आहूजा इस लिस्ट को प्रभारी मत्री की चिट्ठी से ज्यादा अहमियत दे रहे हैं जिनकी नियुक्ति में प्रभात झा का बहुत बड़ा रोल रहा है।
उम्मीद है कि इस लिस्ट के अनुसार ही अगले कुछ दिनों में जनता का पैसा प्रभात झा समर्थक उन वेबसाइटों को बांटना शुरू कर दिया जाएगा जिसमें से एक दो के संचालक खुद प्रभात झा के कर्मचारी रह चुके हैं।इस तरह, अब मध्य प्रदेश जनसंपर्क की नई अघोषित विज्ञापन नीति यह बन गई है कि उन्हीं वेबसाइटों को विज्ञापन दिया जाएगा जो विचारधारा को आगे बढ़ायेंगी और प्रदेश में बतौर नेता प्रभात झा को प्रोजेक्ट करेंगे।
(साभार भोपाल रिपोर्टर डॉट ब्लागस्पाट डॉट काम)

सिवनी :चमत्कार करना जानते हैं गौतम थापर


0 रिजर्व फारेस्ट में कैसे बन रहा पावर प्लांट . . . 05

चमत्कार करना जानते हैं गौतम थापर

(एस के खरे)

सिवनी। मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की आदिवासी बहुल्य घंसौर तहसील में स्थापित किए जाने वाले कोल आधारित पावर प्लांट के द्वारा पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए संयंत्र क्षेत्र में वृक्षारोपण न किए जाने के बावजूद भी मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल की अनुशंसा पर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा 600 मेगावाट के प्रथम चरण की स्वीकृति मिलना अपने आप में एक अजूबे से कम नहीं है।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि देश के मशहूर उद्योगपति गौतम थापर जिनका राजनैतिक क्षेत्र में भी इकबाल बुलंद है, के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा दो चरणों में लगाए जा रहे कोल आधारित पावर प्लांट के संयंत्र प्रबंधन द्वारा जमा कराए गए प्रपत्रों से साफ हो जाता है कि इस संयंत्र की स्थापना के दोनों चरणों में निर्माण अवस्था से प्रदूषण फैलना आरंभ हो जाएगा।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि इसके निर्माण का काम वर्ष 2009 से ही आरंभ हो गया है। इस संयंत्र के निर्माण के पहले सबसे अधिक जरूरी यह बात थी कि संयंत्र क्षेत्र के आस पास वाले क्षेत्र में संयंत्र प्रबंधन द्वारा पर्याप्त मात्रा में वृक्षारोपण किया जाए, ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। सूत्रों ने कहा कि इस हेतु संयंत्र प्रबंधन ने सरकार को भरोसा दिलाया था कि वह संयंत्र के निर्माण के पहले ही वृक्षारोपण का काम आरंभ कर देगा।
सूत्रों ने साई न्यूज से यह भी कहा कि जेपीएल के दूसरे चरण की लोकसुनवाई में संयंत्र प्रबंधन ने मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के आला अधिकारियों के समक्ष इस बात को स्वीकार किया था कि 22 नवंबर 2011 अर्थात निर्माण आरंभ होने के दो वर्षों बाद तक संयंत्र प्रबंधन द्वारा वृक्षारोपण नहीं किया गया है। हैरानी की बात तो यह है कि पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए आहूत लोकसुनवाई में ही संयंत्र प्रबंधन ने स्वयं के द्वारा नियमों के माखौल उड़ाने की बात कही गई और जिला प्रशासन सिवनी तथा मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के आला अधिकारी मंुह ताकते बैठे रहे।
उधर, मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड नू समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि चूंकि वृक्षारोपण के उपरांत इन्हें बड़ा करने के लिए पानी की आवश्यक्ता होती। चूंकि मध्य प्रदेश सरकार से पानी लेने के लिए संयंत्र प्रबंधन का अनुबंध नहीं हुआ था अतः इन पौधों को पानी कैसे दिया जाता। अगर यह पानी दूर से लाया जाता तो यह काफी हद तक मंहगा साबित होता, संभवतः यही कारण था कि पर्यावरण बचाने और प्रदूषण रोकने के लिए आवश्यक वृक्षारोपण संयंत्र प्रबंधन द्वारा वर्ष 2009 से 2011 तक नहीं करवाया गया।
मध्य प्रदेश सरकार के जल संसाधन विभाग के सूत्रों का कहना है कि संयंत्र प्रबंधन द्वारा जल संसाधन विभाग, मध्य प्रदेश शासन के पत्र क्रमांक वृपनिम/31/रास्/162/08/86 दिनांक 06 फरवरी 2009 द्वारा 23 एमसीएम/वर्ष की जल अनुमति प्राप्त की जा चुकी है। सूत्रों ने आगे बताया कि मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड और मध्य प्रदेश सरकार के नर्मदा वैली विकास प्राधिकरण के मध्य 21 फरवरी 2011 को 16.88 एसीएम पानी हर साल रानी अवंती बाई सागर परियोजना के बरगी बांध से निकालने हेतु समझौता भी हो चुका है।
कुल मिलाकर सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में पर्यावरण बिगड़े, प्रदूषण फैले, क्षेत्र झुलसे या आदिवासियों के साथ अन्याय हो इस बात से मध्य प्रदेश सरकार के प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को कुछ लेना देना नहीं है। यह सब देखने सुनने के बाद भी केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

राजनाथ के हाथ होगा झा का प्रभात!


राजनाथ के हाथ होगा झा का प्रभात!

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश में पोखरण विस्फोट की तरह हटाए गए भाजपा अध्यक्ष और सियासी राजनीति में हाशिए पर चले गए सांसद प्रभात झा के दिन फिरने वाले हैं। टीम राजनाथ में उन्हें जल्द ही महासचिव बनाया जाकर मध्य प्रदेश में आग और पानी का संतुलन बरकरार किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। अगामी 2 और 3 मार्च को दिल्ली में आयोजित बैठक के उपरांत टीम राजनाथ की घोषणा होने की पूरी पूरी संभावनाएं जताई जा रही हैं
झंडेवालान स्थित संघ मुख्यालय केशवकुंज के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को संकेत दिए कि 2 और 3 मार्च को दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में राजनाथ सिंह के अध्यक्ष पद पर मुहर लगेगी और इसके बाद वह अपनी नई टीम घोषित करेंगे। सूत्रों ने आगे बताया कि गुजरात चुनाव में हैट-ट्रिक लगाने के बाद संघ ने पहले ही मोदी को राष्ट्रीय स्तर पर लाने के लिए हरी झंडी दे दी है। पार्टी नेतृत्व ने फिलहाल मोदी को इलेक्शन कैंपेन कमिटी का चेयरमैन बनाकर राजनीति का रुख देखने का मन बनाया है। इलेक्शन कमिटी के हेड बनने के बाद नरेंद्र मोदी बीजेपी की हर राजनीतिक कमिटी के हिस्सा होंगे। खास बात यह है कि टिकट बांटने में भी उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाएगी।
पार्टी के अंदरखाने यह भी चर्चा है कि अगले लोकसभा चुनाव में मोदी उत्तर प्रदेश की किसी सीट से ताल ठोक सकते हैं। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि अगर मोदी यहां से लड़ते हैं तो कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और इससे करीब दर्जन भर सीटों पर पार्टी को फायदा हो सकता है। मोदी ने इसके लिए हाल में अपने एक भरोसेमंद और पार्टी की प्रदेश इकाई के सचिव राजेश पटेल के जरिए यूपी के कई शहरों का सर्वे भी कराया है। इस सर्वे के दौरान राजेश पटेल ने हाल में कहा था कि मोदी उत्तर प्रदेश से चुनाव लड़ सकते हैं। हालांकि, सीट को लेकर उन्होंने भी कोई संकेत नहीं दिया था।
इस बीच, राजनाथ की टीम यानी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए पार्टी के कोर ग्रुप की बैठकों का दौर जारी है। इसके लिए राज्यों से भी नाम मंगाए गए हैं। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि पार्टी के राष्ट्रीय मामलों में मोदी के बढ़ते कद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके बेहद करीबी ओमप्रकाश माथुर, पुरुषोत्तम रूपाला और अमित शाह को राजनाथ की टीम में महासचिव और उपाध्यक्ष जैसे पद मिलने की पूरी संभावना है। रूपाला अभी भी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। राष्ट्रीय सचिव मुरलीधर राव के अलावा हाल में मध्य प्रदेश में बीजेपी अध्यक्ष पद से हटाए गए प्रभात झा को भी महासचिव बनाए जाने की संभावना है। प्रभात झा इससे पहले बतौर अध्यक्ष राजनाथ के पहले कार्यकाल में उनसे अटैच राष्ट्रीय सचिव रहे थे। इस बार राष्ट्रीय सचिव की यह भूमिका सुधांशु त्रिवेदी को मिलने की संभावना है।
पूर्व पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी की टीम में से हिमाचल प्रदेश के जे. पी. नड्डा अपने पद पर बने रह सकते हैं। गडकरी के कोटे से महिला मोर्चा की अध्यक्ष स्मृति ईरानी को राष्ट्रीय महासचिव बनाए जाने की संभावना है। इसके अलावा फिल्म ऐक्ट्रेस किरण खेर को राष्ट्रीय सचिव बनाया जा सकता है। अरुणाचल प्रदेश से किरन रिजीजू को भी नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल कर अहम जिम्मेदारी दिए जाने की संभावना है।

कैथल : अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय


अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। गैर मान्यता प्राप्त विद्यालय प्राइवेट स्कूल वैल्फेयर एसोसिएशन के बैनर तले अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे। यह निर्णय मुन्दड़ी ब्लाक द्वारा काकौत गांव के सरस्वती सीनियर सैकेण्डरी स्कूल के प्रांगण में आयोजित एक बैठक में लिया गया। बैठक की अध्यक्षता जिला प्रधान रविभूषण गर्ग ने की तथा जिला चेयरमैन कुलदीप पूनिया व कोषाध्यक्ष महेन्द्र सिंह विशेष तौर पर मौजूद थे। बैठक में तय किया गया कि विद्यालय चाहे मान्यता प्राप्त हों या गैर मान्यता प्राप्त, राजकीय हों या गैर राजकीय अपने प्रदेश के बच्चों को शिक्षा देकर कोई गल्त कार्य नहीं कर रहे। ये तो सरकार का सर्व शिक्षा अभियान में बहुत बड़ा सहयोग कर रहे हैं। एक ओर तो सरकार कह रही है बच्चा चाहे एक दिन भी विद्यालय न गया हो, वह आठवीं कक्षा में दाखिला ले सकता है, दूसरी ओर सरकार गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों पर रोक लगा रही है। सरकार का यह कदम गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों के साथ नाइंसाफी पूर्ण है। ये स्कूल शिक्षा देने के साथ-साथ अपने परिवार का निर्वाह तो चला ही रहे हैं साथ ही युवाओं को रोजगार भी दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि गैर मान्यता प्राप्त स्कूल आगामी 24 फरवरी को जवाहर पार्क में एक महत्वपूर्ण बैठक करेंगे जिसमें आगामी रणनीति तय की जाएगी। बैठक में बोलते हुए पूनिया ने कहा कि सरकार सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में सौंपने की घोषणा कर रही है, दूसरी ओर गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों पर शिकंजा कस रही है जोकि यह सहन नहीं होगा। इस मौके पर मुन्दड़ी मण्डल का गठन किया गया जिसमें रमेश चंद को मुन्दड़ी ब्लाक को प्रधान, राजेन्द्र ढुल को उपप्रधान, मेहर सिंह को सचिव, वकील सिंह नैन को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके इलावा जिला कार्यकारिणी में चीका के प्रमोद भार्गव को उपप्रधान की जिम्मेवारी सौंपी गई है। इस मौके पर सतीश कुमार, दलबीर सिंह, वकील सिंह, रमेश कुमार, पवन कुमार, सोनू शर्मा, रविन्द्र सिंह, मेहर सिंह, धर्मवीर ढुल, गुरनाम सिंह, राजेन्द्र ढुल, सुरेश कुमार, तरसेम गुप्ता, सुल्तान सिंह, शिव कुमार, राज कुमार, गुरमीत सिंह, अरविंद कुमार, गुलशन कुमार, ओम प्रकाश, रमेश चंद, नरेश कुमार, धर्मपाल, वीरेन्द्र ढुल, दर्शन सिंह आदि मौजूद थे।

साई के भजनों पर रूके नहीं पग


साई के भजनों पर रूके नहीं पग

(वर्षा अग्रवाल)

जमशेदपुर (साई)। छोटा गोविंदपुर में साई बाबा मंदिर के वार्षिकोत्सव पर आयोजित भजन संध्या में लोग अपने पांव रोक नहीं पाए और जमकर नाचे। साई बाबा मंदिर के वार्षिकोत्सव के भजन संध्या के कार्यक्रम में जीप उपाध्यक्ष श्रीमती अनिता देवी एवं पार्षद सुनीता साह मुख्यरूप से हिस्सा लीं। मंदिर के संस्थापक कंचन प्रसाद अतिथियों का स्वागत किये।
प्रातः आरती के बाद पूजा अर्चना संपन्न हुआ। शाम में पालकी यात्रा निकाली गयी। जिसमें सैकड़ों भक्त जुलूस के रूप में बैंड-बाजों के धून पर थिरकते हुये नगर भ्रमण में हिस्सा लिये। वार्षिकोत्सव के भजन संध्या में कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से सबों को थिरके पर मजबूर किया। साई दरवार के मंचन को भक्तों ने खूब सराहा। देर रात तक भजन गायन का दौर चला। भक्ति गीतों एवं भजन की प्रस्तुति से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। इस अवसर पर प्रसाद का वितरण भी किया गया।

पीलीभीत साई का पूजन अर्चन हुआ


साई का पूजन अर्चन हुआ

(राम कुमार)

पीलीभीत (साई)। नगर में साई बाबा के मंदिरों पर भक्तों की भीड़ जुटी और दीप दान कर प्रसाद वितरण किया गया। नकटादाना चौराहा समेत नई बस्ती के साई मंदिर में पूजन अर्चन किया गया।
वहीं, बीसलपुर में सांई भक्तों ने शहर में आज सांई बाबा की पालकी यात्रा धूमधाम से निकाली। जगह-जगह पुष्प वर्षा के साथ यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। गुरूवार को मुहल्ला बख्तावरलाल स्थित सांई बाबा के मंदिर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र हुए और उन्होंने मंदिर परिसर से सांई बाबा की पालकी यात्रा धूमधाम से निकाली। पालकी यात्रा मंदिर से प्रारंभ होकर विभिन्न मार्गाे से होती हुई पुनरू मंदिर परिसर में आकर सम्पन्न हो गयी। कार्यक्रम में अमित सक्सेना, दिनेश चंद्र सक्सेना, अंजू गंगवार, सुंदरी गंगवार, सुरेंद्र मोहन एडवोकेट, रेनू सक्सेना, बंटी गंगवार, सुषमा सक्सेना सहित बड़ी संख्या में भक्तगण शामिल थे। 

सोना गिरा धड़ाम


सोना गिरा धड़ाम

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। उंचाईयों पर लंबे समय रहने के बाद सोना अब धड़ाम से गिर गया है। वैश्विक बाजारों में मंदी की घारणा के बीच स्थानीय सर्राफा बाजार में स्टाकिस्टों की बिकवाली का दबाव बढने से सोने का भाव सात महीने में पहली बार लुढक कर 30,000 रुपये के नीचे आ गया।
सोना 480 रुपये की गिरावट के साथ 29,720 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। 21 जुलाई 2012 के बाद भाव इस स्तर पर आया है।पिछले दो दिन में सोने में 215 रुपये निकल गए थे। औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं की ओर से उठान कम जोर रहने से चांदी भी 1,250 रुपये लुढककर 54,550 रुपये प्रति किग्रा रह गयी। विगत दो सत्रों में चांदी में 1,050 रुपये की गिरावट दर्ज की गयी थी।
यहां सर्राफा व्यापारियों कहा कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की एक बैठक के विवरण की रपट के प्रकाशित होने के बाद अंतर्राष्ट्रीय बजार में सोना गत जुलाई के बाद से सबसे निम्न स्तर पर आ गया है। फेडरल रिजर्व के कार्रवाई विवरण से लगता है कि बैठक में मौद्रिक प्रोत्साहन पैकेज के जोखिम और लाभ के बारे में बहस हुई थी।
इसके अतिरिक्त शादी विवाह के मौसम समाप्त होने के कारण सुस्त घरेलू मांग तथा शेयर बाजार के घाटे की भरपाई करने के लिए निवेशकों द्वारा बिकवाली बढाने से भी कारोबारी धारणा प्रभावित हुई। वायदा बाजार में कमजोर रुख का असर भी स्थानीय सर्राफा बाजार में देखने को मिला।
घरेलू बाजार में सोना 99.9 और 99.5 शुद्धता के भाव 480.480 रुपये की गिरावट के साथ क्रमशरू 29,720 रुपये और 29,520 रुपये प्रति 10 ग्राम बंद हुए। गिन्नी के भाव 150 रुपये टूटकर 25,150 रुपये प्रति आठ ग्राम रह गये।
इसी प्रकार चांदी तैयार के भाव 1,250 रुपये की गिरावट के साथ 54,550 रुपये और साप्ताहिक डिलीवरी के भाव 1,800 रुपये लुढक कर 53,300 रुपये प्रति किग्रा बंद हुए। चांदी सिक्कों के भाव 1,000 रुपये की गिरावट के साथ लिवाल 78,000 रुपये और बिकवाल 79,000 रुपये प्रति सैकडा रह गये।

बच्चों में रेप गेम्स का नशा


बच्चों में रेप गेम्स का नशा

(प्रतुल बनर्जी)

नई दिल्ली (साई)। बच्चों को रेसिंग गेम्स या फाइट गेम को पसंद है ये तो सुना ही होगा, पर अब भारत के बच्चों पर ष्रेप गेम्सष् की लत लग गई है। साइट्स पर ऐसे कई रेप गेम्स है जो बच्चों को मानसिक रुप से बिगाड़ रहा है। रेप गेम्स में खिलाड़ी को महिला का बलात्कार करने की चुनौती दी जाती है। पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूएचआरसी) ने इस मामले में सुझाव मांगे हैं।
आयोग के संयुक्त सचिव सुजय कुमार हल्दर ने कहा कि आयोग ने इस मामले को लेकर गंभीर चिंता जताई है, क्योंकि इस तरह की रिपोर्ट मिल रही है कि बच्चे, खासकर किशोरों को रेप-गेम्स की लत है। उन्होंने कहा कि हमने राज्य के गृह सचिव से इस पर चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है कि इस तरह के ऑनलाइन खेलों पर सूचना प्रौद्योगिकी कानून के तहत किस प्रकार प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।
आयोग ने विभिन्न शिशु मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा इस वीडियो गेम को लेकर चिंता जताए जाने और इसे प्रतिबंधित करने की मांग के बाद इस पर स्वतरू संज्ञान लिया है।
0 क्या है रेप गेम्स
थ्रीडी वीडियो गेम ष्रेपलेष् जापान की कम्पनी ष्इल्युजनष् द्वारा 2006 में बनाया गया था, जिसमें एक पुरूष महिला एवं उसकी दो बेटियों के साथ दुष्कर्म करता है। यह गेम अर्जेटीना, मलेशिया एवं थाइलैंड सहित कई देशों में प्रतिबंधित है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक वकील के मुताबिक, राज्य सरकार के पास सूचना प्रौद्योगिकी कानून 2000 की धारा 67 के तहत इस पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार है।

हिन्दू महासभा के नाम पर अवैध संगठन चलाने पर दिल्ली उच्च न्यायलय ने अवमानना का संज्ञान लिया


हिन्दू महासभा के नाम पर अवैध संगठन चलाने पर दिल्ली उच्च न्यायलय ने अवमानना का संज्ञान लिया

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। विदित हो की दिल्ली उच्च न्यायलय की खंडपीठ ने एल. पी. ए. नं0 522/2011 पर हिन्दू महासभा की केंद्रीय उच्चाधिकार समिति की याचिका पर अपना निर्णय दिया था की स्वामी चक्रपाणी व अन्य अपने आपको राष्ट्रीय पदाधिकारी नहीं कह सकते ! इस निर्णय के पश्चात भी स्वामी चक्रपाणी व चन्द्र प्रकाश कौशिक अपने आपको राष्घ्ट्रीय  अध्यक्ष एवं इनके सहयोगी अपने आपको स्वयंभू राष्घ्ट्रीय  पदाधिकारी घोषित कर प्रशासन एवं राष्ट्र को कई वर्षों से दिग्भ्रमित कर रहे थे ! इसके खिलाफ केंद्रीय उच्चधिकार समिति के अध्यक्ष डॉ संतोष राय ने दिल्ली उच्च न्यायलय में अपने अधिवक्ता श्री अवधेश कुमार सिंह के माध्यम से अपराधिक मनोवृत्ति व भूघ्माफिया, जो अखिल भारत हिन्दू महासभा के स्वंभू व अवैध राष्ट्रीय पदाधिकारी समाचार पत्रों के माध्घ्यम से घोषित कर रखा थाके खिलाफ न्यायलय की अवमानना का वाद डाला।
 कल वाद संख्या 104/2013 डॉ संतोष राय बनाम चन्द्र प्रकाश कौशिक व अन्य पर माननीय न्यायमूर्ति जे. एस. सिस्घ्तानी  ने न्यायलय की अवमानना की नोटिस पांच लोगों के खिलाफ स्वीकार कर जारी किया, जिसमे चन्द्र प्रकाश कौशिक, मुन्ना कुमार शर्मा, विरेश त्यागी, स्वामी चक्रपाणी तथा डॉ इंदिरा तिवारी हैं ! अधिवक्ता श्री अवधेश कुमार सिंह के तर्कों से प्रभावित कर तथा कागजाती साक्ष्यों के आधार पर 17 अप्रैल 2013 को माननीय न्यायमूर्ति ने नोटिस जारी करते हुए जबाब देने का तिथि निश्चित किया !