पटना में फट सकता है नेताओं का आक्रोश
विवादित मुद्दों पर चलेंगी तलवारें
असंतुष्ट निकालेंगे भडास
(लिमटी खरे)
विवादित मुद्दों पर चलेंगी तलवारें
असंतुष्ट निकालेंगे भडास
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 11 जून। भारतीय जनता पार्टी की पटना में होने वाली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हंगामेदार होने के आसार नजर आ रहे हैं। शनिवार 12 जून को आहूत दो दिवसीय बैठक के लिए असंतुष्टों की तैयारियों को देखकर पार्टी के आला नेताओं के होश उडे हुए हैं। पार्टी के सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में अनेक विवादस्पद मुद्दों पर तल्ख बहस होने की उम्मीद है। गौरतलब है कि नितिन गडकरी के पार्टी की कमान संभालने के बाद हाशिए में आए नेताओं और नए नवेले नेताओं की मुगलई से त्रस्त नेताओं ने एक दूसरे को लामबंद करना आरंभ कर दिया था। सभी को उचित मोके की तलाश थी जो शनिवार को पटना में मिलने जा रहा है।
हाल ही में राज्य सभा चुनावों में संसदीय बोर्ड के असहमत होने के बाद भी वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी को टिकिट दिए जाने से अटल बिहारी बाजपेयी खेमा बुरी तरह आहत है। जेठमलानी पूर्व में अटल बिहारी के खिलाफ चुनाव तक लड चुके है। इसके साथ ही साथ पत्रकार तरूण विजय को पिछले दरवाजे यानी राज्य सभा से भेजने का विरोध संघ के ही वरिष्ठ प्रचारक शेषाद्रि चारी ने किया था। इस मामले में चारी ने अपनी नाराजगी से गडकरी को भी आवगत कराया जा चुका है।
जाति आधारित जनगणना के मामले में एक धडा इसे सही बता रहा है, तो दूसरा इसकी खिलाफत में एडी चोटी एक किए हुए है। इस मसले पर भाजपा के नीति निर्धारकों का धडा परोक्ष तौर पर अपनी सहमति दे चुका है, किन्तु इस मामले में संघ ने अपना विरोध जताया है। भाजपा आलाकमान के सामने अब मुश्किल यह है कि अगर इस मसले पर पार्टी मंच पर चर्चा होगी तब भाजपा क्या स्टंेड लेगी, यह तय नहीं है, एक ओर संघ विरोध में खडा है तो दूसरी ओर भाजपा के आला नेता इसके पक्ष में हैं।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि पटना में इस अधिवेशन को कराने के पीछे यह तर्क था कि इस साल के अंत में बिहार को चुनावी दौर से गुजरना है, और इसी बहाने बिहार में भाजपा को संगठित करने का मौका मिलेगा, किन्तु जमीनी हकीकत देखकर लगने लगा है कि बिहार में भाजपा संगठन में एकता के बजाए सम्मेलन में फैलने वाली गुटबाजी की आशंका के चलते बिखराव की उम्मीद ज्यादा है। इस सम्मेलन में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नवोदित फायर ब्रांड गांधी ‘‘वरूण फिरोज गांधी‘‘ की अगली भूमिका को लेकर भी संदेह बना हुआ है।
हाल ही में राज्य सभा चुनावों में संसदीय बोर्ड के असहमत होने के बाद भी वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी को टिकिट दिए जाने से अटल बिहारी बाजपेयी खेमा बुरी तरह आहत है। जेठमलानी पूर्व में अटल बिहारी के खिलाफ चुनाव तक लड चुके है। इसके साथ ही साथ पत्रकार तरूण विजय को पिछले दरवाजे यानी राज्य सभा से भेजने का विरोध संघ के ही वरिष्ठ प्रचारक शेषाद्रि चारी ने किया था। इस मामले में चारी ने अपनी नाराजगी से गडकरी को भी आवगत कराया जा चुका है।
जाति आधारित जनगणना के मामले में एक धडा इसे सही बता रहा है, तो दूसरा इसकी खिलाफत में एडी चोटी एक किए हुए है। इस मसले पर भाजपा के नीति निर्धारकों का धडा परोक्ष तौर पर अपनी सहमति दे चुका है, किन्तु इस मामले में संघ ने अपना विरोध जताया है। भाजपा आलाकमान के सामने अब मुश्किल यह है कि अगर इस मसले पर पार्टी मंच पर चर्चा होगी तब भाजपा क्या स्टंेड लेगी, यह तय नहीं है, एक ओर संघ विरोध में खडा है तो दूसरी ओर भाजपा के आला नेता इसके पक्ष में हैं।
भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया कि पटना में इस अधिवेशन को कराने के पीछे यह तर्क था कि इस साल के अंत में बिहार को चुनावी दौर से गुजरना है, और इसी बहाने बिहार में भाजपा को संगठित करने का मौका मिलेगा, किन्तु जमीनी हकीकत देखकर लगने लगा है कि बिहार में भाजपा संगठन में एकता के बजाए सम्मेलन में फैलने वाली गुटबाजी की आशंका के चलते बिखराव की उम्मीद ज्यादा है। इस सम्मेलन में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के नवोदित फायर ब्रांड गांधी ‘‘वरूण फिरोज गांधी‘‘ की अगली भूमिका को लेकर भी संदेह बना हुआ है।