रविवार, 6 नवंबर 2011

प्रणव की राहुल भक्ति के निहितार्थ

प्रणव की राहुल भक्ति के निहितार्थ

दिग्गी राजा का स्थान लेना चाह रहे प्रणव

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी इन दिनों राहुल गांधी के लिए हनुमान बने हुए हैं। राहुल गांधी को अगला वजीरे आजम बनवाने के प्रणव के बयानों से सियासी हलचल मच गई है। कांग्रेस के नेता ही चतुर सुजान प्रणव दा के इस तरह के बयानों के निहितार्थ सियासी गलियारों में खोजे जाने लगे। प्रणव मुखर्जी ने वैसे भी रायसीना हिल्स पर स्थित राष्ट्रपति भवन पर कब्जा जमाने की अपनी अनिच्छा जाहिर की जा चुकी है।

सियासी गलियारों में अभी प्रणव के बयानों पर शोध चल ही रहा था कि खुद प्रणव मुखर्जी ने अपनी मंशा को इशारों ही इशारों में जाहिर कर दिया। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के सूत्रों का कहना है कि पिछली मुलाकात में प्रणव मुखर्जी ने सोनिया गांधी के सामने साफ कर दिया है कि अगर राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व या वजीरे आजम पद संभालते हैं तो वे राहुल के लिए चाणक्य की भूमिका निभाने को सहर्ष तैयार हैं।

गौरतलब है कि वर्तमान में राहुल गांधी के अघोषित राजनैतिक गुरू और चाणक्य की भूमिका में महासचिव राजा दिग्विजय सिंह हैं। दिग्विजय सिंह की शातिर चालों के आगे प्रणव मुखर्जी की एक नहीं चल पाती है। वैसे भी प्रणव दा ने सोनिया को कह दिया है कि वे राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति बनने में दिलचस्पी नहीं रख रहे हैं। सूत्रों ने यह भी बताया कि सोनिया मैया को प्रसन्न करने के लिए प्रणव मुखर्जी ने भावावेष में यह तक कह दिया कि अगर राहुल गांधी पीएम बनते हैं तो वे राहुल के नेतृत्व में वित्त या गृह मंत्री का पद भी संभालने को तैयार हैं।

सड़क मार्ग से ही ढुलेगा कोयला

0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 7

सड़क मार्ग से ही ढुलेगा कोयला

रेल मार्ग में लोडिंग अनलोडिंग है समस्या

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश की मशहूर थापर गु्रप ऑफ कंपनीज के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य तहसील घंसौर में डलने वाले पावर प्लांट के लिए कोयले की सप्लाई सड़क मार्ग से होगी या रेल मार्ग से इसमें संशय बरकरार है। रेल मार्ग में बार बार लोडिंग अनलोडिंग से बचने के लिए इसे सड़क मार्ग से ही कराए जाने पर विचार किया जा रहा है।

थापर गु्रप के मित्र राजनेता द्वारा इसके मार्ग प्रशस्त किए गए हैं। मूलतः यह कोयला अनूपपुर से घंसौर लाया जाना है। कहा जा रहा है कि यह बरास्ता कटनी, जबलपुर लखनादौन लाया जाएगा। संभवतः यही कारण है कि रीवा से लखनादौन तक के नेशनल हाईवे के हिस्से को फोरलेन में तब्दील करने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है।

झाबुआ पावर लिमिटेड के भरोसेमन्द सूत्रों का कहना है कि कंपनी द्वारा अन्त में सडक मार्ग से ही कोयले की सप्लाई की कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसके लिए बडे ट्रांसपोर्टर्स को भी तलाशा जा रहा है। आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के बरेला के इस प्रस्तावित पार प्लांट के लिए 32 लाख टन कोयला का परिवहन प्रतिवर्ष अनूपपुर से घंसौर तक होना प्रस्तावित है। हाल ही में रीवा से लखनादौन तक के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक सात के हिस्से को भी फोल लेन में तब्दील किए जाने का प्रस्ताव आया है। कहा जा रहा है कि थापर ग्रुप ऑफ कम्पनीज के दवाब में आकर केन्द्र सरकार द्वारा इस मार्ग की मरम्मत और इसे चौडा करने की कार्ययोजना बनाई है।

सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) सदा ही एक बात का रोना रोती रहती है कि देश की सडकें उसके द्वारा निर्धारित गुणवत्ता के अनुसार नहीं बन पाती हैं, और जितना भार उन पर चलना चाहिए उससे कहीं ज्यादा भार परिवहन और पुलिस महकमे की कृपा से चलता है, इन परिस्थितियों में सडकों की दुर्दशा होना स्वाभाविक ही है। डर तो इस बात का है कि जब वर्तमान में लखनादौन से घंसोर मार्ग जर्जर हाल में है तब थापर ग्रुप ऑफ कंपनीज के प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के बरेला में प्रस्तावित संयन्त्र में लाखों टन कोयला परिवहन किया जाएगा तब तो अधमरी सडकों के धुर्रे उडने में समय नहीं लगेगा।

(क्रमशः जारी)

मीडिया पर कब्जा जमाने का ‘मन‘

बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 19

मीडिया पर कब्जा जमाने का मन

दिशाहीन हो चुकी है मनमोहन सरकार

बाजपेयी और इंदिरा के सिद्धांतों के बीच झूल रही मन सरकार

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व में संप्रग सरकार पूरी तरह दिशाहीन होकर दौड़ रही है। जानकारों का कहना है कि मनमोहन सरकार न तो अटल बिहारी बाजपेयी के अनुरंजक दृष्टिकोण को ही अपना पा रही है और न ही प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी के सत्तावादी दृष्टिकोण को। यही कारण है कि आज सरकार में बुरी तरह भ्रम की स्थिति बन चुकी है। हर मोर्च पर विफल रही मनमोहन सरकार की भद्द हर जगह पिट रही है।

मनमोहन सरकार द्वारा मीडिया पर कब्जा करने की जुगत लगाई जा रही है। व्यवसायिक घरानों के बाद अब मीडिया घरानों की देहरियों पर कत्थक करते पत्रकारों को लुभाने के लिए सरकार द्वारा हर संभव कोशिश आरंभ हो गई है। मनमोहन के पास एक प्रस्ताव गया है जिसमें मीडिया की विभिन्न शाखाओं में क्रास होल्डिंग को गैरकानूनी बनाने का प्रस्ताव आया है। इससे इलेक्ट्रानिक न्यूज चेनल वाले अखबार नहीं चला पाएंगे और अखबार वाले चेनल नहीं चला पाएंगे।

पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री को मशविरा दिया गया है कि टीवी के घरानों के मालिकों को प्रलोभन देकर उन्हें अपने कब्जे में ले लिया जाए और पत्रकारों को थोड़ा लोभ देकर अपने पक्ष में कर लिया जाए। वैसे भी अब पत्रकारिता को पेशा बनाने वालों में कार्पोरेट सोच और संस्कृति बुरी तरह हावी होती दिख रही है।

(क्रमशः जारी)

बिकने की तैयारी में आईडिया सेलुलर

एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  15

बिकने की तैयारी में आईडिया सेलुलर

दफ्रिका की कंपनी की है आईडिया पर नजर

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। आदित्य बिड़ला समूह की कंपनी आयडिया सेलुलर अपना एक हिस्सा बेचने की तैयारी में है। इसके लिए उसके प्रतिनिधि दक्षिण अफ्रीका में एमटीएस के प्रमोटरों से बातचीत कर रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका की कंपनी एमटीएस से आयडिया के प्रतिनिधियों की काफी समय से बातचीत चल रही है। लेकिन अभी तक कुछ ठोस निकल कर नहीं आया है।

यद्यपि प्रत्यक्षतः तो आयडिया सेलुलर अपनी कंपनी का हिस्सा बिकने की खबरों का खंडन कर रही है फिर भी लेकिन जानकार सूत्रों ने बताया कि बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है और इसमें कुछ ठोस शीघ्र ही निकल आएगा। एमटीएस ने भारत के कई राज्यों में अपना कामकाज शुरू कर दिया है लेकिन अभी तक कंपनी ठीक से अपने कदम नहीं जमा पाई है। इसलिए वह चाहती है कि किसी मजबूत कंपनी का कुछ हिस्सा खरीदकर अपने पैर जमाए।

आईडिया के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि दिखावे के चक्कर में आईडिया ने अपने एम्पलाईज को मोटा वेतन तो दिया जा रहा है किन्तु उसे उतना राजस्व नहीं मिल पा रहा है। सूत्रों ने कहा कि आयडिया जमने के बावजूद उतना रेवेन्यू पैदा नहीं कर पा रही है। इसलिए वह कुछ हिस्सा बेचकर राजस्व इकट्ठा करना चाह रही है।

(क्रमशः जारी)