सोमवार, 4 जनवरी 2010

अब सब कुछ होगा बस एक िक्लक पर


अब सब कुछ होगा बस एक िक्लक पर

(लिमटी खरे)


नई दिल्ली। विजन 2020 को साकार करने की दिशा में भारत सरकार काफी हद तक गंभीर दिखाई दे रही है। देश के हर जिले को ई डिस्ट्रिक्ट बनाने के लिए संचार मंत्रालन द्वारा आरंभ की गई ई डिस्ट्रिक्ट योजना को देश के 35 जिलों से बढाकर ज्यादा करने की पहल की जा रही है। इस योजना के लागू होने से आम नागरिकों को अनेक सुविधाएं कम्पयूटर की बस एक िक्लक पर ही मुहैया हो सकेंगी।

संचार मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय का यह प्रयास है कि 2010 के अंत तक देश के सभी जिलों को ई डिस्ट्रिक्ट योजना से जोड दिया जाए। जिलों के इससे जुडने से 33 सरकारी सेवाओं का लाभ नागरिकों द्वारा तत्काल ही उठाया जा सकेगा। वर्तमान में यह योजना देश के 14 राज्यों में चल रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार यूपी के 6, मध्य प्रदेश और तमिलनाडू के पांच पांच, महाराष्ट्र और बिहार के तीन तीन, असम, पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल के दो दो एवं मिजोरम, उडीसा, उत्तराखण्ड, झारखण्ड एवं हरियाणा के एक एक जिलों को ई डिस्ट्रिक्ट योजना से जोडा गया है।


सूत्रों ने बताया कि ई डिस्ट्रिक्ट योजना के लागू होने के उपरांत जाति, आय, मूलनिवासी प्रमाणपत्र बनवाने के लिए लोगों को यत्र तत्र भटकना नहीं पडेगा। इसमें आवेदन देने के महज 48 से 72 घंटों के अंदर ही उन्हें प्रमाणपत्र मिल जाएंगे। वर्तमान में इन प्रमाणपत्रों को बनवाने के लिए लोगों को लम्बी एवं उलझाउ प्रक्रिया का सामना करना पडता है, जिससे उनके समय और धन दोनों ही की बबाZदी होती है। इसके अलावा अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के माध्यम से बच्चों के लिए कम्पयूटर आधारिक शिक्षा और बिजली के बिल के भुगतान की सुविधा भी इसमें उपलब्ध होगी।

उधर इस योजना को लागू करने में आने वाली कानूनी पेचीदगियों और व्यवहारिक कठिनाईयों के समाधान के लिए मंत्रालय ने एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति मैदानी इलाकों में जाकर इसमें आने वाली तकलीफों का अध्ययन करने के बाद इसके समाधान का रास्ता सुझाएगी। इस समिति के प्रतिवेदन के आधार पर ही मंत्रालय अपने कानून में संशोधन के विधेयक का मसौदा तैयार करेगा। अनेक जिलों में कनेक्टिविटी की समस्या इसके मार्ग की सबसे बडी बाधा बनकर उभर रही है।

कहां थे कांग्रेस के युवराज!




ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)


कहां थे कांग्रेस के युवराज!

इस देश की सबसे पुरानी सियासी पार्टी होने का गौरव प्राप्त कांग्रेस अपनी स्थापना की 125वीं वर्षगांठ धूम धाम से मना रही है। 28 दिसंबर को कांग्रेस की स्थापना के समय इटली मूल की निवासी एवं नेहरू गांधी परिवार की बहू कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने पार्टी के निजी कें्रद्रीय कार्यालय की नींव रखी। आश्चर्य की बात है कि 125 सालों के कांग्रेस के इतिहास में आजादी के बाद आधी सदी से अधिक समय तक कांग्रेस ने देश पर राज किया और अपने लिए एक अदद केंद्रीय कार्यालय तक नहीं बनवा सकी। यह अलहदा बात है कि प्रदेश यहां तक कि जिलों में कांग्रेस के भव्य कार्यालय खडे हो चुके हैं। बहरहाल कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय के शिलान्यास के मौके पर कांग्रेस की वर्तमान अध्यक्ष ने अतीत (मोतीलाल नेहरू, जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के जीवन दर्शन) को समझाया। जब बारी आई भविष्य की तो सबकी निगाहें कांग्रेस के भविष्य (राहुल गांधी) को खोज रहीं थीं। कार्यक्रम में उपस्थित लोग असमंजस में थे कि आखिर कांग्रेस के युवराज गए तो गए कहां। हो सकता है युवराज साल भर की भागदौड के बाद विदेशी धरा पर नया साल मनाने की गरज से बाहर गए हों। रही बात कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय की नींव रखने की तो उसके लिए उनके परिवार का एक सदस्य यानी कांग्रेस की राजमाता जो वहां मौजूद थीं।


फिर ब्राम्हण बनिया पार्टी बन गई भाजपा!

जब से भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ है तब से इसे ब्राम्हण और बनियों की पार्टी ही कहा जाता रहा है। भाजपा पर लगे इस दाग को कुछ ही दिन पहले बमुश्किल धोया गया था, एक बार फिर भाजपा ब्राम्हणों की पार्टी बनकर उभर रही है। भाजपा के नए निजाम नितिन गडकरी, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमति सुषमा स्वराज के अलावा अब राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरूण जेतली भी ब्राम्हण ही हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा में अब ब्राम्हणों का एक छत्र राज्य कायम हो गया है। वैसे भी राजनैतिक बिसात पर जातीयता को बहुत ही अधिक संवेदनशील माना गया है, और भाजपा ने अपने कोटे के तीन शीर्ष पदों पर ब्राम्हणों को विराजमान कर सभी को चौंका दिया है। भाजपा और संघ का एक धडा इसे स्वीकार करने में अपने आप को असहज पा रहा है। भाजपाईयों का कहना है कि जैसे तैसे तो भाजपा के दामन से ब्राम्हण बनियों की पार्टी होने का दाग छूटा था, पर पार्टी के नीतिनिर्धारकों ने एक बार फिर पार्टी पर ब्राम्हण बनियों की पार्टी होने की छाप लगा ही दी।

और बज गए बगावत के बिगुल





मध्य प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए स्थानीय निकाय चुनावों में औंधे मुंह गिरी कांग्रेस में बगावत का स्वरनाद सुनाई देने लगा है। बाहुबली क्षत्रपों द्वारा अपने चहेतों को टिकिट देने और अनेक प्रभावशाली नेताओं द्वारा भीतराघात करने संबंधी शिकायतों से प्रदेश कांग्रेस कमेटी भोपाल और एआईसीसी दिल्ली गूंज उठी है। इनमें सबसे अधिक बगावत की बू भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ के महाकौशल क्षेत्र से आ रही है। जहां उनके संसदीय क्षेत्र छिंदवाडा के जिला मुख्यालय, सिवनी बालाघाट यहां तक कि संभागीय मुख्यालय जबलपुर में भी कांग्रेस का निराशजनक प्रदर्शन रहा है। दूसरे नंबर पर चंबल के क्षत्रप युवा तुर्क ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ असंतोष के स्वर फूटने लगे हैं। विन्धय में कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले कुंवर अर्जुन सिंह के पुत्र अजय िंसंह तथा सूबे के पूर्व विधानसभाध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी को भी भारी गुस्से का सामना करना पड रहा है। चौ तरफा एक ही शिकायत गूंज रही है कि टिकिट वितरण में भाई भतीजावाद हावी रहा तो दूसरी और स्थानीय स्तर पर प्रभावशाली नेताओं ने परोक्ष तौर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय न कर भीतराघात भी किया है।

. . . तो गिल्त हो गई कांग्रेस से

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस 125वीं सालगिरह मना रही है। पार्टी के तरकश में न जाने कितने तीर आज भी पडे हुए हैं, जिन्हें अगर वह चाहे तो चलाकर देश की युवा पीढी को आजादी के दीवानों की अद्भुत कारगुजारियों से आवगत करा सकती है। पार्टी आने वाले दिनों में नेहरू गांधी परिवार की पांचवी पीढी अर्थात राहुल गांधी के हाथों में सौंपने को आमदा है। आज राहुल गांधी भी शायद आजादी के इतिहास से बहुत अच्छी तरह वाकिफ नहीं होंगे, कि आजादी चाहने वालों ने आखिर किस दीवानगी के साथ ब्रितानियों को खदेडा था। कांग्रेस के पास यह सौभाग्य है कि आजादी के जुनून का नेतृत्व कांग्रेस ने ही किया था। पार्टी अगर चाहती तो उन शहीदों के बारे में बताकर आम जनता की भावनाएं जोड लेते। कांग्रेस चाहती तो उसके पास केंद्र में सरकार है, और गणतंत्र के 50 साल पूरे होने पर केंद्र सरकार के माध्यम से कोई अभियान ही चलवा देती। वस्तुत: एसा हुआ नहीं। हो सकता है कांग्रेस के भविष्य के निजाम राहुल गांधी की नजरों में आजादी के परवानों के बलिदान की कोई कीमत ही न हो।


मध्य प्रदेश पर गिर सकती है ममता की गाज

आजादी के बाद से अब तक पक्षपात का शिकार विकास की बाट जोहता मध्य प्रदेश आने वाले दिनों में रेल्वे के एक कार्यालय से महरूम हो सकता है। प्रदर्शन और निर्माण कार्यों में लापरवाही के आधार पर पिश्मच मध्य रेल्वे जबलपुर जोन, उत्तर मध्य रेल्वे इलाहाबाद, पूर्वी रेल्वे जोन हाजीपुर को समाप्त करने पर रेल्वे गंभीरता से विचार कर रहा है। ममता के करीबी सूत्रों का कहना है कि चूंकि महाकौशल के संभागीय मुख्यालय जबलपुर में एक असेZ से भाजपा का कब्जा है अत: कांग्रेसी क्षत्रप यहां से रेल्वे जोन समाप्त करने पर दबाव डाल रहे हैं। इन परिस्थितियों में जबलपुर के रेल्वे जोन को बिलासपुर, इलाहाबाद को उत्तर रेल्वे दिल्ली तथा हाजीपुर को पूर्वी रेल्वे जोन कोलकता में मर्ज किया जा सकता है। सूत्र यह भी बताते हैं कि जबलपुर से गोंदिया का अमान परिवर्तन का काम संतोषजनक नहीं होने के चलते भी जबलपुर पर गाज गिरने की संभावनाएं हैं।

चाल, चरित्र, चेहरा नहीं पोशाक बदली भाजपा ने!

भाजपा ने अपनी चाल, चरित्र और चेहरा भले ही बदला हो या न बदला हो पर भाजपा ने अपनी पोशाक अवश्य ही बदल ली है। कल तक भाजपा में धोती धारण करने वाले नेताओं की भरमार थी। अटल बिहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, राजनाथ सिंह आदि धोती कुर्ते में बडे ही सभ्रांत और कुलीन दिखते थे। इसके बाद अरूण जेतली ने कुर्ता पायजामा और शर्ट पेंट के साथ जैकेट का चलन आरंभ किया। नरेंद्र मोदी ने आधे बांह का कुर्ता चलन में लाया। अब आरामदेह फुलपेंट, फैशनेबल पश्चिमी सभ्यता का प्रतीक सूट, जैकेट आदि के रंग में रंग चुका है भाजपा का मुख्यालय 11 अशोक रोड। भाजपा के नए निजाम नितिन गडकरी भी धोती कुर्ता या कुर्ता पायजामा को ज्यादा तरजीह नहीं देते हैं। वे सफारी सूट या पश्चिमी सूट, कोट पेंट या शर्ट पेंट में ही नजर आ रहे हैं। कल तक भाजपा के कार्यकर्ता 11 अशोक रोड में कुर्ता पायजामा पहनकर सभ्रांत दिखने का प्रयास करते थे, तो अब शर्ट पेंट या कोट में आकर अपने आप को वर्तमान अध्यक्ष के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाला जताने का प्रयास कर रहे हैं।

सर चढकर बोला हुड्डा का जादू
हरियाणा में मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का जादू लोगों के सिर चढकर बोल रहा है। विधायक दिन रात उठते बैठते हुड्डा के नाम की माला एसे ही नहीं जप रहे हैं। हाल ही में बिजली निगम के कार्यालय में एक विधायक जी के साथ घटा वाक्या उनके लिए अविस्मरणीय बन गया। हुआ यूं कि एक विधायक जी किसी अफसर से मिलने बिजली निगम के दफ्तर पहुंचे। वहां जैसे ही वे मुख्य द्वार पर पहुंचे तो दरवाजा अपने आप खुल गया। भोंचक्क विधायक जी के समर्थक ने चुटकी ली और कहा कि हुड्डा जी ने कहा है कि जैसे ही विधायक जी आएं दरवाजा अपने आप ही खुल जाना चाहिए। फिर क्या था विधायक जी अपने समर्थकों पर रोब गांठते हुए अंदर चल दिए। अब विधायक जी को कौन समझाए कि राज्य में कुछ कार्यालयों में सेंसर युक्त दरवाजे लगाए गए हैं, जिनके सामने अगर कोई आ जाता है तो वे अपने ही आप खुल जाते हैं। पर अंतत: हुई तो हुड्डा जी की ही जय जयकार।

पर उपदेश कुशल बहुतेरे
इस बार दिल्ली सरकार के मंत्रियों का जायका जरा बिगडा हुआ रहा। कारण था कि नया साल मनाने के लिए उन्हें छुट्टी नहीं मिल सकी। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने साफ साफ हिदायत दी थी कि कामन वेल्थ गेम्स की तैयारियां की जाएं। जिस किसी को भी जश्न मनाना हो वह शहर में ही रहकर नए साल का जश्न मनाए। देरी से चल रही परियोजनाओं का काम समय पर पूरा हो इसलिए शीला दीक्षित ने अपने मंत्रियों को पाबंद कर रखा है कि वे खेल की तैयारियों पर विशेष नजर रखें। मन मसोसकर सभी मंत्री दिल्ली में ही रहने पर मजबूर हैं। वहीं दूसरी ओर यह तुगलकी फरमान सुनाकर सूबे की निजाम शीाला दीक्षित नया साल मनाने राजस्थान के सवाई माधोपुर रवाना हो गईं। अपने परिवार के लोगों के साथ शीला राजस्थान में नए साल का स्वागत करने के उपरांत 2 जनवरी का वापस दिल्ली आ जाएंगी। एक वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ता ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि पुरानी कहवात है, पर उपदेश कुशल बहुतेरे। शीला जी को चाहिए था कि इस बार मंत्रियों को निर्देश देने के साथ ही साथ वे भी नए साल का स्वागत देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली में ही करतीं तो बेहतर होता।

कहां लापता हैं रघुबीर!
मायानगरी के एक अभिनेता की इन दिनों खोज चल रही है। जाने माने अभिनेता और स्टेज के कलाकार रघुबीर यादव पिछले दो माहों से लापता हैं। हलांकि इनकी गुम इंसान रिपोर्ट (आदमी के गुम हो जाने पर पुलिस में लिखाई जाने वाली रपट) दर्ज नहीं कराई गई है, पर मुंबई की एक कोर्ट के रिकार्ड में वे लापता हैं। डरना मना है, फिराक, दिल्ली 6, लगान आदि फिल्मों में अपनी अदाकारी का जलवा दिखा चुके रघुबीर के खिलाफ मुंबई की एक अदालत ने वारंट जारी किया है। दरअसल रघुबीर यादव की पित्न पूिर्णमा ने मुंबई के बांद्रा की परिवार अदालत में परिवाद दाखिल कर रघुबीर यादव से भरण पोषण की मांग की है। बार बार समन जारी होने पर उपस्थित न होने पर अदालत ने 19 सितम्बर को रघुबीर के खिलाफ वारंट जारी किया है। रघुबीर अभी भी कहीं फरारी ही काट रहे हैं।

सुषमा बन सकतीं हैं भाजपा की पीएम इन वेटिंग
एक के बाद एक सफल सियासी सफर तय करने वाली घरेलू लुक वाली भाजपा नेत्री सुषमा स्वराज भाजपा के लिए नई पीएम इन वेटिंग बन सकतीं हैं। भाजपा में अगली पंक्ति में वैसे भी महिलाओं की कोई ज्यादा लंबी कतार नहीं है। फिर कांग्रेस की श्रीमति सोनिया गांधी और बहुजन समाज पार्टी की सुश्री मायावती के सामने भाजपा को एक न एक महिला नेत्री का चेहरा सामने लाना ही होगा। इस दृष्टिकोण से सुषमा स्वराज का चेहरा सबसे मुफीद ही लगता है। इशारों ही इशारों में भाजपा की मुखर नेत्री ने बीते दिनों हृदय प्रदेश की राजधानी भोपाल में संवाददातों से चर्चा के दौरान खुद को पीएम इन वेटिंग की दौड से अलग बता दिया, किन्तु उनकी सधी चाल और भविष्य की रणनीति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुषमा के नाम पर आने वाले दिनों में राजग के पीएम इन वेटिंग के लिए आम सहमति बना ली जाए। जिस तरह से पार्टी लाईन पर वे चल रहीं हैं उससे तो यही प्रतीत हो रहा है कि संघ की ओर से भी उन्हें इशारा मिल चुका है। गौरतलब होगा कि पार्टी महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दों पर सुषमा को ही वक्तव्य देने के लिए खडा कर रही है।

अब बस भी कीजिए थुरूर साहेब
लगता है कि केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री शशि थुरूर का दिल है कि सोशल नेटविर्कंग वेवसाईट टि्वटर के बिना मानता ही नहीं है। हर बात को वे इसके माध्यम से अपने प्रशंसकों से शेयर करते हैं। वीजा नियमों को कठोर बनाने के मामले में थुरूर ने अपने विभाग के मंत्री एम.एस.कृष्णा के खिलाफ ही चले गए। बाद में जब कृष्णा ने थुरूर की खिचाई की तब भी थुरूर का गुरूर कम नहीं हुआ। टि्वटर से अगाध प्रेम करने वाले शशि थुरूर ने फिर टि्वटर पर इस मामले में टिप्पणी कर डाली और कहा कि यात्रा पर होने के कारण वे इस मसले पर मचे बेवजह की हायतौबा क्यों। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री डॉ.एम.एम.सिंह सहित समस्त कांग्रेसियों को अब तो सार्वजनिक तौर पर कह ही देना चाहिए -``अब बस भी कीजिए थुरूर साहेब।``

मंदिर मिस्जद भेद कराते . . .
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के पिता एवं मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की अमर कथा ``मधुशाला`` के अनुसार मिस्जद मंदिर आपस में भेद कराते हैं पर मधुशाला आपस में प्रेम कराना सिखाती है। दिल्लीवासी हरिवंश राय बच्चन की इस मधुशाला से बेहद ज्यादा प्रभावित नजर आ रहे हैं। सन 2009 में समूचा विश्व मंदी के दौर से गुजर रहा था, जाहिर है हिन्दुस्तान भी इसकी चपेट में था। देश की राजनैतिक राजधानी दिल्ली पर मंदी का असर कोई खास नहीं दिखा। दिल्ली सरकार को आबकरी से होने वाले राजस्व में लगभग चार फीसदी इजाफा हुआ है। यही नहीं हुजूर बीते साल के आखिरी महीने अर्थात दिसबर में ही दिल्ली वासी लाख दो लाख नहीं वरन पूरे एक सौ साठ करोड रूपए की शराब गटक चुके हैं, जो अपने आप में एक रिकार्ड ही है। पिछले साल दिसंबर में दिल्लीवासियों ने 128 करोड रूपए की शराब पी थी। है न मजे की बात मंदिर मिस्जद भेद कराते . . . ।

माता रानी में श्रृद्धालुओं ने बनाया रिकार्ड
उत्तर भारत में त्रिकुटा की पहाडियों पर विराजीं माता वेष्णों देवी के भक्तों ने 2009 में एक रिकार्ड बना दिया है। इस साल कुल 82 लाख पांच हजार श्रृद्धालुओं ने माता रानी के भक्तिभाव से दर्शन किए। अर्थात साल भर रोजाना लगभग साढे बाईस हजार श्रृद्धालुओं ने माता रानी के दरबार में हाजिरी दी। नए साल की पूर्व संध्या पर उमडे भक्तों के हुजूम के आगे माता वेष्णो देवी श्राईन बोर्ड के सारे प्रबंध धरे के धरे रह गए। यद्यपि श्राईन बोर्ड को उम्मीद थी कि इस बार भक्तों की संख्या का आंकडा करोड के पार हो जाएगा, पर एसा हुआ नहीं। साल के आखिरी दिन बेस केम्प कटडा में लगभग पचास हजार श्रृद्धालु अपनी बारी का इंतजार करते रहे। गौरतलब होगा कि माता रानी के दरबार भवन में एक समय में तीस हजार लोग ही दर्शन कर सकते हैं।

सक्रिय राजनीति से बलात हटाए जा सकते हैं तिवारी
आंध्र प्रदेश के राजभवन और वहां के राज्यपाल रहे नारायण दत्त तिवारी पर सेक्स स्केंडल के छींटे पडने के बाद अब कांग्रेस का नेत्त्व उन्हें बलात इस बात के लिए तैयार करने पर जुटा हुआ है कि तिवारी सक्रिय राजनीति से स्वेच्छिक सेवानिवृति ले लें। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ के सूत्रों ने बताया कि आलकमान चाहतीं हैं कि उत्तराखण्ड में 2012 में होने वाले विधानसभा चुनावों के पहले वहां सब कुछ साफ सुथरा कर लिया जाए, इसलिए आलाकमान ने सूबे के नेताओं को मशविरा दिया है कि वे तिवारी को इसके लिए तैयार करें। सूत्रों ने बताया कि तिवारी से कांग्रेस की राजमाता इसलिए भी खफा हैं क्योंकि उनका सेक्स स्केंडल तब बाजार में आया जबकि कांग्रेस पार्टी अपने गौरवशाली इतिहास के 125 साल पूरे करने का जश्न मनाने की तैयारी कर रही थी। आलाकमान चाहतीं हैं कि तिवारी देहरादून के बजाए अपने पेत्रक गांव कुमाउं जाकर ही राम नाम जपें।

पुच्छल तारा
चेन्नई से डॉ.टी.विश्वनाथन के मेल के अनुसार सोशल नेटविर्कंग वेवसाईट के फायदे हैं तो नुकसान भी। एक ओर जहां आप इसके माध्यम से लोगों से जुडे रहते हैं, वहीं दूसरी ओर शशि थुरूर जैसे भारत के विदेश राज्यमंत्री इसके माध्यम से ही सरकार चलाने का जतन करने लगते हैं। विश्वनाथन ने चीन का जिकर करते हुए कहा कि एक व्यक्ति ने दो शादियां कीं और दोनों अलग अलग शहरों में एक दूसरे से अनजान रहतीं थीं। दोनों महिलाएं फेसबुक के माध्यम से एक दूसरे की मित्र बनीं और जब उन्होंने एक दूसरे के प्रोफाईल पर शादी के फोटो देखे तो उनके होश उड गए। दोनों के पति एक ही थे। बस फिर क्या था दोनों ने पुलिस को शिकायत की और मियां जी जेल के अंदर।