मंगलवार, 4 मार्च 2014

2005 से पहले के नोट बदलने की समय-सीमा 1 जनवरी तक बढ़ी


(एडविन अमान)
नई दिल्ली (साई)। आरबीआई ने पुराने नोटों को बदलने की समय-सीमा बढ़ाते हुए अब इसे 1 जनवरी, 2015 कर दी है। पहले यह समय सीमा इसी साल 31 मार्च तक थी। रिजर्व बैंक ने अन्य बैंकों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे पुराने नोटों को बदलने की एवज में लोगों से कोई चार्ज न लें और करेंसी का पूरा-पूरा भुगतान करें। बैंकों से यह भी खयाल रखने को कहा गया है कि नोट बदलने में लोगों को किसी भी तरह की असुविधा न हो।
भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2005 से पहले के जारी किए गए सभी करेंसी नोटों को 31 मार्च 2014 के बाद वापस लेने का फैसला किया था। रिजर्व बैंक ने कहा था कि लोग ऐसे करेंसी नोटों को बैंकों में बदल लें, जिनके पीछे जारी करने का साल नहीं दर्ज है।  केंद्रीय बैंक पहले ही बैंकों के जरिये 2005 से पहले के बैंक नोट को नियमित तौर पर वापस ले रहा है क्योंकि ऐसे नोटों में सुरक्षा उपाय बाद में छपे नोटों के मुकाबले कम हैं। रिजर्व बैंक का मानना है कि 2005 से पहले छपे नोट जो प्रचलन में है, उनकी संख्या इतनी अधिक नहीं है जिससे इसका लोगों पर व्यापक असर पड़े।
आरबीआई ने लोगों से भी अपील की है कि वे नोट बदलने की प्रक्रिया में सहयोग करें। कोई भी बैंक की उस ब्रांच में अपने नोट बदलवा सकता है, जो उन्हें सुविधाजनक लगता हो। गौरतलब है कि इससे पहले आरबीआई ने पुराने नोट बदलने की समय-सीमा 31 मार्च, 2014 तय की थी। हालांकि कुछ शर्तों के साथ इस तारीख के बाद भी नोट बदलना मुमकिन था।
गौरतलब है कि 2005 से पहले जारी सभी करेंसी नोट वापस लेने का फैसला भारतीय रिजर्व बैंक (त्ठप्) ने कालेधन और नकली नोटों की समस्या से निपटने के लिए लिया है। इसके तहत 500 रुपए और 1000 रुपए सहित सभी मूल्य के नोट वापस लिए जाएंगे और यह काम एक अप्रैल से शुरू हो जाएगा। केंद्रीय बैंक ने यह कदम काले धन तथा जाली नोटों की समस्या पर काबू पाने के लिए उठाया है।

2005 के पहले नोटों को पहचानना बहुत ही आसान है। दरअसल 2005 के पहले छपे नोटों पर प्रिटिंग का साल नहीं छपा है। वहीं 2005 के बाद छपे नोटों में आप साल देख सकते हैं। लोग आसानी से 2005 से पहले जारी करेंसी नोट की पहचान कर सकते हैं। ऐसे नोट के पिछले हिस्से में प्रकाशन का वर्ष नहीं छपा है। वर्ष 2005 के बाद जारी सभी करेंसी नोट के पिछले भाग के नीचे मध्य में प्रकाशन का वर्ष छपा है।

लाइन में टिकट मिलने में हुई देर, तो ट्रेन करेगी इंतजार


(सोनाली खरे)
नई दिल्ली (साई)। टिकट काउंटर पर ज्यादा भीड़ होने की स्थिति में ट्रेन चलने से पहले यात्रियों का इंतजार करेगी. जब तक लाइन में लगे लोग टिकट नहीं ले लेते, गाड़ी स्टेशन पर खड़ी रहेगी. हालांकि इसके कुछ निश्चित नियम-शर्तें होंगी, जिन पर अभी विचार किया जा रहा है.
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अरुणेंद्र कुमार ने मीडिया को बताया कि जनरल टिकट पर कम दूरी की यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने का इरादा है. इसी सिलसिले में विभिन्न तौर-तरीकों पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि इस वित्त वर्ष के पहले छह माह में यात्रियों की संख्या में आई कमी को देखते हुए रेलवे यह कदम उठा रहा है. रेलवे को नुकसान हुआ है. रेलवे बोर्ड का मानना है कि टिकट लेने के लिए किसी भी यात्री को कतार में 10 मिनट से अधिक खड़ा नहीं होना चाहिए. अगर इससे ज्यादा समय लगता है, तो इसकी समीक्षा करने की जरूरत है.

समस्या ‘चेंज‘ की है
अरुणेंद्र कुमार ने कहा कि उन्होंने कुछ स्टेशनों का दौरा किया और पाया कि नई मशीनों से टिकट तो चंद सेकेंड में मिल जाता है. ज्यादा समय पैसे लेने-गिनने और बकाया पैसे वापस करने में लगता है. इसके लिए काउंटरों की संख्या बढ़ाने, मेले या त्योहार के मौके पर काउंटरों पर प्रमुख स्टेशनों के किराए मोटे अक्षरो में लिखने की व्यवस्था की जाएगी. यात्रियों से चेंज लाने की अपील की जाएगी. चेंज के लिए भी एक काउंटर शुरू करने के बारे में सोचा जा सकता है.

‘आप‘ का परम्परागत ‘हल्दी कुंकुं‘ कार्यक्रम संपन्न

(निधि गुप्ता)
मुंबई (साई)। मुबई दक्षिण मध्य  लोक सभा क्षेत्र में करीब दो लाख पोर्ट से सम्बंधित कामगार और लोग निवास करते है .उन सब के  चहेते पूर्व बरिष्ठ अधिकारी एवम आप पार्टी के संभावित उम्मीदवार रविद्र कुमार खरे के नेतृत्व में महिलाओं के लिए विशेष ‘हल्दी कुंकुं‘ कार्यक्रम का आयोजन दिनबंधूनगर साइन और हिम्मत नगर वडाला में किया गया .जिसमे भरी संख्या  में महिलाओ ने भाग लिया .
श्री खरे ने इस अवसर पर महिलाओ को वर्तमान राजनीति की दुर्दशा के बारे में बताया ,गैस क्यों महगी हुई ? महगाई क्यों हुई ? बिजली क्यों महगी हुई ? आदि के बारे में जागृत किया .जब उनसे इस प्रकार के कार्यकमो के प्रयोजन पर सवाल पूछा गया तो उसके जवाव में रविन्द्र कुमार  खरे  बताया ने बताया कि महाराष्ट्र की उन्नति में स्त्रियों की श्रेष्ठ भूमिका रही है और इसके आलावा  हमारे लोक सभा क्षेत्र में महिलाओं का अनुपात पुरुषों से अधिक है ,इसलिए महिला शक्ति को आमने लेन हेतु   इस  पारंपरिक ‘हल्दी कुमकुम ‘का कार्यक्रम आयोजित किया गया है .

सर्वे दल ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ क्षतिग्रस्त फसलों का करें आकलन


(सोनल सूर्यवंशी)
भोपाल (साई)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी संभागायुक्त एवं कलेक्टर को निर्देश दिये हैं कि सर्वे दल पूरी ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ ओला वृष्टि से क्षतिग्रस्त फसलों का सर्वे करें।
उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार विपत्ति की इस घड़ी में किसानों के साथ है और उन्हें हर-संभव मदद दी जायेगी। चौहान ने आज राजगढ़ जिले की ब्यावरा तहसील के गाँव बामलाबे जोड़ का दौरा किया और पीड़ित किसानों से मुलाकात की। इस अवसर पर उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा भिलाल, सांसद नारायण सिंह आमलाबे, क्षेत्रीय विधायक उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ग्राम बामलाबे जोड़ पहुँचने के बाद आसपास के खेतों में गये जहाँ उन्होंने प्रभावित फसलों का जायजा लिया। उन्होंने बाद में किसानों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने ओला वृष्टि की विपदा से निपटने के लिए 2000 करोड़ रुपये का इंतजाम किया है और जरूरत पड़ने पर अधिक धनराशि की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। मुख्यमंत्री ने संभागीय कलेक्टरों को ओला वृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे त्वरित गति से करने को कहा। उन्होंने कहा कि सर्वे रिपोर्ट के बाद सभी प्रभावितों को मुआवजा राशि तत्काल वितरण किया जाये।
मुख्यमंत्री ने किसानों को बताया कि जिन किसानों की 50 प्रतिशत या उससे अधिक फसलें खराब हुई हैं उसे शत-प्रतिशत नुकसान मानकर राहत दी जायेगी। उन्होंने बताया कि जिन किसानों की लहसुन और संतरे की फसल प्रभावित हुई है उन्हें भी राहत राशि दी जायेगी। चौहान ने बताया कि संतरे की फसल को नुकसान होने पर 500 रुपये प्रति पेड़ और 50 प्रतिशत नुकसान होने पर 400 रुपये प्रति पेड़ मुआवजा दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि जिन किसानों की 50 प्रतिशत फसलें क्षतिग्रस्त हुई हैं उनकी बेटी की शादी पर 25 हजार रुपये दिये जायेंगे। किसानों के ऋण के ब्याज की राशि का भुगतान भी शासन द्वारा किया जायेगा, ताकि उन्हें अगली फसल पर 0 प्रतिशत दर पर ऋण मिल सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को मुआवजा राशि वितरण के साथ ही फसल बीमा का लाभ दिलाने के लिये अधिक से अधिक फसल कटाई प्रयोग करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये गये हैं। चौहान ने सभी अधिकारियों-कर्मचारियों से कहा कि वे प्राकृतिक आपदा से पीड़ित किसानों को राहत पहुँचाने में कोताही न बरतें। सभी प्रभावितों को राहत दिलवायें और पूरी संवेदनशीलता के साथ काम करें। उन्होंने अधिकारी-कर्मचारियों को कहा कि केन्द्र के समान 10 प्रतिशत महँगाई भत्ता दिया जायेगा। सरकार उनकी चिन्ता करेगी, वे किसानों की चिन्ता करें।

परिवहन नियमों का माखौल उड़ा रही यात्री बस




दो के बजाए एक ही दरवाजे की चल रहीं बस
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। सिवनी से आने जाने वाली यात्री बसें प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान के निर्देशों और परिवहन विभाग की गाईड लाईन का खुला माखौल उड़ाती दौड़ रही हैं। इन बसों पर न तो फिटनेस का आता पता है और न ही दो दरवाजे ही दिखाई दे रहे हैं। यह सब देखने सुनने के बाद भी जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन आंखें बंद किए बैठा है।
परिवहन विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि यात्री बसों में निर्धारित परमिट नंबर, फिटनेस आदि को वैधता के साथ लिखा जाना चाहिए। इसके अलावा बस में रूट के हिसाब से किराया सूची भी पठनीय तरीके से चस्पा होना चाहिए। विडम्बना ही कही जाएगी कि न तो फिटनेस ही इसमें दिखती है, न ही किराया सूची या परमिट।
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि सिवनी का राज्य परिवहन का बस स्टैंड अब परिवहन विभाग की संपत्ति बन गया है। इसके साथ ही साथ बस स्टैंड परिसर में ही यातायात पुलिस की चौकी भी स्थापित हो चुकी है। आश्चर्य का विषय तो यह है कि दोनों ही जिम्मेदार विभागों की नजरों के सामने से रोजाना ही यात्री बस कई फेरे लगाती हैं, पर इनकी नजरें इन पर इनायत नहीं हो पाती हैं।
कहा जा रहा है कि जिन यात्री बसों के पास वैध परमिट नहीं हैं वे भी सड़कों पर दौड़ रही हैं। पर्यटक परमिट पर चलने वाली यात्री बस भी स्टेट कैरिज के मानिंद ही जगह-जगह सवारी भर और उतार रहीं हैं। मजे की बात तो यह है कि जो यात्री बस नागपुर में सपनि के बस स्टैंड के आसपास भी नहीं फटक पाती हैं वे भी सिवनी बस स्टैंड परिसर के अंदर आकर सीना ठोंककर सवारियां, उतार और भर रहीं हैं।
उल्लेखनीय होगा कि कुछ समय पूर्व सोशल नेटवर्किंग वेब साईट पर भी स्टेट कैरिज के रूप में अवैध रूप से संचालित होने वाली यात्री बसों की सूची डाली गई थी। संचार क्रांति के युग में पुलिस और जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने भी इसे देखा होगा, पर इन पर अब तक कोई कार्यवाही न होना अपने आप में यह दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि निजी बस संचालकों का रेकिट कितना तगड़ा है।
कुछ समय पूर्व प्रदेश के निजाम शिवराज सिंह चौहान द्वारा सड़कों पर एक के बजाए दो दरवाजे वाली बसों को ही चलाने के आदेश दिए गए थे। आज भी एक दरवाजे वाली यात्री बसें बेधड़क चलते हुए शिवराज सिंह चौहान के आदेश को धता बता रही हैं।

किसानों को तत्काल मुआवजे की मांग की रजनीश ने



(ब्यूरो कार्यालय)
सिवनी (साई)। किसान पुत्र रजनीश हरवंश सिंह ने सिवनी जिले में हुई ओला वृष्टि से प्रभावित किसानों को शीध्र मुआवजा दिए जाने की मांग विधानसभा में बेहद प्रभावी ढंग से रखी।
गौरतलब है कि जिले में गत दिनों हुई भारी अेलावृष्टि से किसानों की शत प्रतिशत चौपट हुई थी। रबी सीजन की फसल का शीघ्र आंकलन करवाते हुए पीड़ित किसानों को त्वरित मुआवजा दिये जाने की मांग केवलारी विधानसभा क्षेत्र्ा के विधायक ठा.रजनीश हरवंश सिह द्वारा की गयी। श्री सिंह ने इस मामले को विधानसभा मंे प्रभावी ढंग से उठाते हुए, इस पर त्वरित चर्चा करवाए जाने की मांग के अलावा शासन-प्रशासन से लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने के पहले ही पीड़ित किसानांे को मुआवजा दिये जाने की मांग की।
जिला कांग्रेस प्रवक्ता रामदास ठाकुर ने जारी प्रेस विज्ञप्ति मंे बताया कि गत दिनों प्रदेश के अन्य हिस्सांे की भांति सिवनी जिले में भी हुई ओलावृष्टि के कारण क्षतिग्रस्त हुई किसानों की रबी सीजन की फसलों का आंकलन करने, केवलारी विधायक ठा.रजनीश सिंह ने केवलारी क्षेत्र्ा के विभिन्न ग्रामांे मे पहुंच कर प्रभावित किसानों से मिलकर, इस मामले को शासन-प्रशासन के समक्ष उठाने का अश्वासन दिया था।
इस मामले में श्री ठाकुर ने बताया कि प्रदेश विधानसभा सत्र्ा प्रारंभ होने के पहले दिन ही केवलारी विधायक ठा.रजनीश हरवंश सिंह ने सिवनी जिले के किसानों की ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई फसलों का मामला उठाते हुए, विधानसभा को अवगत कराया कि सिवनी जिले में गत दिनों ओलावृष्टि से जिले के किसानों की रबी सीजन की फसल को शत प्रतिशत नुकसान पहंुचा है।
श्री सिंह ने बताया कि अनेक ऐसे किसान जिनकी दलहन की चना, मसूर, तुअर आदि की फसल पककर तैयार हो ही रही थी कि प्रकृति की मार ऐसी पड़ी कि लोगों के खेतों में लगी दलहन की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी है, तथा किसानों के हाथों में डंठल भी हाथ नही लग सके हैं। श्री सिंह ने विधानसभा का ध्यान आकृष्ट कराते हुए बताया कि इस वर्ष सिवनी जिले के किसानों ने गेहूं की फसल मंे काफी लागत लगायी थी। किसानों ने अच्छे बीज, खाद-पानी की व्यवस्था कर गेहूं की फसल अपने खेतांे में लहलहायी थी कि गत दिनों हुई ओलावृष्टि से किसानों के खेतांे मंे लहलहाती गेहूं की फसल पूरी तरह चौपट हो गयी।
श्री सिंह ने आगे बताया कि जिन किसानांे की फसल पकने की स्थिति मे थी, वह टूटकर पूरी तरह खेतांे मे गिर गयी है जबकि जिन किसानों की गेहूं अभी निकासी मंे थी उसकी बालंे पिट जाने के कारण अब उस बाली मंे दाना नही भर पायेगा, इसलिए ऐसे किसान जिनकी गेहंू की फसल खड़ी तो दिख रही है किन्तु उसमें दाना नही भर पायेगा, इसलिए उन्हें भी शत प्रतिशत क्षति मानकर, एवं सर्वे करवाकर मुआवजा दिया जाये। श्री ठाकुर ने बताया कि विधायक श्री सिंह ने शासन का ध्यान इस ओर भी आकृष्ट कराया कि ओलावृष्टि का मुआवजा अति वृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई सोयाबीन फसल की तरह न दिया जाये।
इस संबंध मे श्री सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष के पटल पर जिले के उन किसानों की ऋण पुस्तिका की फोटो कॉपी एवं 150, 200 से लेकर 1000 रुपये तक के वितरित किये जा रहे चैकों को रखते हुए अतिवृष्टि के मुआवजे के वितरण मंे पारदर्शिता की मांग करते हुए ओलावृष्टि से क्षतिग्रस्त हुई फसल से प्रभावित किसानांे को मुआवजा राशि का वितरण लोकसभा चुनाव की लगने वाली आचार संहिता के पूर्व ही करवाए जाने का अनुरोध करते हुए कहा कि कहीं इसका हश्र भी अतिवृष्टि जैसा न हो जाये क्योंकि विधानसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण किसानांे को अब तक अतिवृष्टि का मुआवजा नहीं मिल सका है।
श्री ठाकुर ने बताया कि श्री सिंह ने मुख्यमंत्र्ाी श्री चौहान से इस दिशा में त्वरित कार्यवाही करने की अपेक्षा करते हुए 15 दिनांे के भीतर जिले के किसानों को शत-प्रतिशत फसल का मुआवजा दिये जाने की बात कही है।