फार्म तलाशते गड़करी
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली (साई)।
भाजपा के निजाम नितिन गड़करी इन दिनों ट्वंटी ट्वंटी क्रिकेट के मानिंद राजनीति में
अपना फार्म तलाशने में जुट गए हैं। अपने परिवार के साथ एक पखवाड़े का अवकाश कनाड़ा
में बिताने के बाद वापसी में लंदन में उन्होंने जो जलवा दिखाया उसे देखकर भाजपा के
आला नेताओं के कान खड़े हो गए हैं। लंदन में गड़करी के एक एनआरआई प्रशंसक ने उनके
सम्मान में एक हाई टी का आयोजन किया।
गड़करी के करीबी
सूत्रों का दावा है कि इस हाई टी के पीछे एनआरआई को भाजपा के साथ जोड़ना मुख्य मकसद
है। गड़करी खुद भी व्यवसाई हैं और उन पर अक्सर ही अपने परिजनों के व्यवसाय को बढ़ाने
के आरोप लगते रहते हैं। एनआरआई व्यवसाईयों के साथ अपने परिवार विशेषकर पुत्रों को
सामने करना भी इसी रणनीति का ही एक हिस्सा माना जा रहा है।
इधर, भाजपा के नेशनल
आफिस 11, अकबर रोड़
के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भाजपा के
प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवारों के कान उस वक्त खड़े हो गए जब उनके संज्ञान में
लाया गया कि इस पार्टी में लक्ष्मी मित्तल, लार्ड हामिद, अनिल अग्रवाल, हिन्दुजा, अर्नेस मित्तल, प्रकाश लोहिया, एलेन हावर्ड जैसी
नामचीन हस्तियां शामिल हुईं।
सूत्रों ने बताया
कि गड़करी ने दुनिया भर के शीर्ष एनआरआई उद्योगपतियों को यह विश्वास दिलाया है कि
अगर 2014 में भाजपा की सरकार बनी तो निश्चित तौर पर भारत के दरवाजे वैश्विक निवेश
के लिए खोल दिए जाएंगे। इसी बीच किसी ने चुटकी ली, कि जब भाजपा की सोच
एसी है तो फिर भाजपा एफडीआई का विरोध क्यों कर रही है? इस पर गड़करी ने
मुस्कुराते हुए यही कहा कि जिस नीति से राज हासिल हो वही राजनीति होती है।
एनआरआई
उद्योगपतियों की चिंता इस बात पर केंद्रित रही कि क्या यूपीए टू, अपना कार्यकाल पूरा
कर पाएगी? इसके जवाब
में गड़करी ने मंझे हुए राजनेता की तरह एक ही बात कही कि भाजपा की दिलचस्पी सरकार
गिराने में नहीं है,
अगर सरकार गिरी तो खुद के कर्मों से ही गिरेगी।
हाई टी के अंतिम
दौर में उद्योगपतियों ने गडकरी से यह जानना चाहा कि अगर 2014 में सरकार बनी तो
क्या वे पीएम के दावेदार होंगे? इसके जवाब में गड़करी मात्र मुस्कुराते ही
रहे। इधर जब सारी बातें छन छनकर भाजपा कार्यालय पहुंची तो पीएम पद के भाजपा के
उम्मीदवारों के हाथों के तोते उड़ गए। लंदन में गड़करी ने गुपचुप तरीके से जो खेल
खेला है उसका संदेश वैश्विक स्तर पर एनआरआई उद्योगपतियों में गड़करी के लिए काफी
फायदे का सौदा ही साबित होने वाला है।