बुधवार, 26 सितंबर 2012

पूर्वोत्तर में बाढ़ का कहर जारी


पूर्वोत्तर में बाढ़ का कहर जारी

(पुरबालिका हजारिका)

गोवहाटी (साई)। असम के १६ जिलों में ६९ राजस्व खंड बाढ़ के पानी में घिरे हैं। राज्य में बाढ़ से जुड़ी घटनाओं में अब तक १८ लोगों की मौत हो चुकी है और सात अब भी लापता हैं। राज्य के राजस्व विभाग के प्रधान सचिव ने कहा है कि प्रत्येक मृतक के करीबी रिश्तेदार को नियमों के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि निमाटीघाट में ब्रह्घ्मपुत्र का पानी उतरने के बाद जोरहाट और माजुली द्वीप के बीच फेरी सेवा आज फिर शुरू कर दी जाएगी। गौरतलब है कि दो हजार गांव के लगभग १८ लाख लोग बाढ़ की चपेट में हैं।  तीन लाख ८५ हजार लोग राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं।
१५ दिनों के बाद कल से धेमाजी और अरूणाचल प्रदेश के कुछ जिलों के साथ राष्ट्रीय राजमार्ग से यातायात फिर शुरू हो गया है। सेना, वायु सेना और आपदा कार्यवाई बल बाढ़ ग्रस्त जिलों में बचाव कार्यों में लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा चिकित्सा दल और मोबाईल मेडिकल इकाई तैनात किया गया है।
दिल्ली से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से आकाश कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने राज्य के बाढ़ग्रस्त इलाकों में तत्काल राहत पहुंचाने के लिए कल असम के आपदा प्रबंधन मंत्री पृथ्बी माझी से बातचीत की। उन्होंने असम में बाढ़ की स्थिति पर चिंता व्यक्त की तथा राहत और बचाव कार्यों में राज्य सरकार की हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया।
अरुणाचल प्रदेश से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो ने बताया कि राज्य में, चीन की सीमा से सटे दूरदराज के अंजॉ जिले में पांच और लोगों की मौत हो जाने के साथ ही राज्य में बाढ़ से मरने वालों की संख्या नौ हो गई है। लोहित जिले में बाढ़ के बाद से चार लोग लापता हैं।
अरूणाचल प्रदेश में बाढ़ग्रस्त जिलों में स्यांग और दूसरी कई नदियों का पानी उतर रहा है लेकिन राज्य के बहुत से पूर्वी जिलों में बाढ़ के पानी का कहर जारी है। अंजॉ जिले के सातों प्रशासनिक केन्द्रों का संपर्क पूरी तरह कटा हुआ है। इस बीच, अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल जे.जे. सिंह ने राज्य के नियोजन, वित्त और सार्वजनिक कार्य विभाग मंत्री चोना मेन के साथ बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की।
गंगटोक से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो ने कहा कि सिक्किम में पिछले कुछ दिनों में भूस्खलन की घटनाओं के मद्देनजर भू-वैज्ञानिकों और खनन विशेषज्ञों का एक दल मिट्टी की जांच के लिए उत्तरी जिले में जाएगा। इस बीच, सेना के हेलिकाप्टरों की मदद से दुर्गम इलाकों में स्थानीय लोगों के लिए जरूरी वस्तुएं गिराई जा रही हैं। भूस्खलन से प्रभावित कुछ परिवारों को मंगल और छुंगथुंग में बनाए गए राहत शिविरों में भेज दिया गया है।
उत्तर सिक्किम के जिला प्रशासन ने चट्टाने टूटने की घटनाओं में प्रभावित उन लोगों को जिनके घर तबाह हुए उन्हें सहायता राशि प्रदान की है। उधर, सीमा सड़क संगठनकर्मियों ने इस इलाके को राज्य के अन्य हिस्से को जोड़ने वाले मुख्य मार्ग पर मलवा हटाने का काम जोर-शोर से शुरू दिया है।
हालांकि इनका मानना है इन सड़कों पर स्थायी यातायात बहाल करने में कम से कम एक से दो हफ्ते का वक्त लग सकता है। इस बीच, राज्य सरकार ने प्रभावित इलाकों में आपूर्ति के लिए पर्याप्त खाद्यान्न होने की बात भी कही है। उत्तरी सिक्किम में अचानक बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं में मरने वालों की संख्या २० हो गई है।

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