शुक्रवार, 9 अगस्त 2013

बीमारी से कराह रहा है जिला चिकित्सालय

बीमारी से कराह रहा है जिला चिकित्सालय

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। लगातार बारिश से, मौसम में संक्रमण तेजी से फैल रहा है, जिसके चलते बीमार होने वालों की तादाद में विस्फोटक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। लगातार बढ़ते मरीजों और चिकित्सक तथा पॅरा मेडीकल स्टाफ की मटरगश्ती से जिला चिकित्सालय भी बुरी तरह कराह रहा है।
एक अनुमान के अनुसार जिला चिकित्सालय में पिछले दिनों रोजाना लगभग पांच सौ मरीज अपना इलाज करवाने पहुंच रहे हैं, जिसमें से चार दर्जन से ज्यादा मरीज अस्पताल में दाखिल हो रहे हैं। अस्पताल में इतने मरीजों को भर्ती करने की क्षमता नहीं है, जिसके परिणाम स्वरूप वार्ड के फर्श पर मरीजों की रेलमपेल देखते ही बन रही है।

गंदगी से बजबजा रहे हैं संडास
जिला चिकित्सालय में मरीजों की बढ़ी तादाद से यहां के संडास पूरी तरह गंदगी से बजबजा रहे हैं। आलम यह है कि शौचालयों के साफ ना होने से संडास में जहां तहां मल पड़ा हुआ है। लेट्रिन भी पूरी तरह लबालब ही पड़ी हुई हैं। अस्पताल के कॉरीडोर में भी सीलन की बदबू लोगों को परेशान कर रही है।

दरबार लगाते हैं सिविल सर्जन
जिला चिकित्सालय में सिविल सर्जन के पद पर पदस्थ डॉ.सत्य नारायण सोनी का ध्यान भी जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं की ओर कतई नजर नहीं आता है। बताया जाता है कि आपरेशन के पहले बेहोश करने के एवज में मोटी रकम लेने के हजारों संगीन आरोप डॉ.सत्यनारायण सोनी पर हैं। बताते हैं कि डॉ.एस.एन.सोनी को दरबार लगाने का शौक है। जिला चिकित्सालय के सिविल सर्जन कक्ष में सदा ही कम से कम पांच चिकित्सक बैठे मिलते हैं जो डॉ.सोनी की हां में हां मिलाकर राग मल्हार गाते दिखते हैं। वहीं दूसरी ओर ओपीडी और वार्ड में मरीज कराहते पड़े रहते हैं।

लगातार बारिश बढ़ा रही मुसीबत
पिछले लगभग एक माह से लगातार होने वाली बारिश से लोग आजिज आ चुके हैं। सूर्यनारायण की बादलों के बीच लुकाछिपी के चलते बारिश के मौसम में कीट पतंगे तेजी से पनप रहे हैं। जानकारों का कहना है कि इस मौसम में नंगी आंखों से ना देखे जा सकने वाले कीटाणु भी तेजी से ही पनपते हैं, जो रोगों के कारक होते हैं।

एडवाईज़री जारी करने में असफल स्वास्थ्य विभाग
बारिश के मौसम में किन किन सावधानियों को बरता जाए यह बताने में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह ना केवल असफल है वरन् स्वास्थ्य विभाग ने इसकी एडवाईज़री भी जारी नहीं की है। केंद्र पोषित एनआरएचएम स्कीम के तहत करोड़ों रूपयों के आवंटन का स्वास्थ्य विभाग द्वारा क्या किया गया है इस बारे में ना तो जिला प्रशासन को ही जानकारी है और ना ही आम जनता को। एनआरएचएम की मद को ही अगर सही उपयोग किया जाए तो शहर और जिले के हर व्यक्ति को घर बैठे पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं मिल सकती हैं। विडम्बना यही है कि स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान देने के बजाए अपनी उदर पूर्ति में ही लगा हुआ है।

दूबरे पर दो आषाढ़ है डेंगू

पुरानी कहावत दूबरे पर दो आषाढ़ को डेंगू चरितार्थ कर रहा है। डेंगू के लार्वा रोज मिल रहे हैं और स्वास्थ्य विभाग ने दस दिन बाद भी मीडिया के अथवा पंपलेट्स या मुनादी पिटवाकर डेंगू की एडवाईज़री जारी नहीं की है। जानकारों की मानें तो एडीज़ मच्छर का लार्वा लगभग 365 दिन यानी एक साल तक प्रभावी रहता है। ठण्ड के मौसम में डेंगू का कहर तेज होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है।

भाजपा की बजाए हरवंश की पोल खोलते कांग्रेसी!

भाजपा की बजाए हरवंश की पोल खोलते कांग्रेसी!

प्रदेश कांग्रेस के पोल खोल निर्देश कूड़े में, हरवंश ने मेरा उपयोग कर उर्मिला सिंह को हरवाया: शक्ति सिंह, नीता पटेरिया को हमने आपने जिताया: राजा बघेल

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। प्रदेश में सत्तारूढ़ होने का सपना देखने वाली कांग्रेस के आला नेताओं ने कांग्रेस के जिला स्तर और जमीनी संगठन को सक्रिय होकर भाजपा विधायक, सांसदों, मंत्रियों आदि की पोल खोलने के लिए पाबंद किया है। सिवनी में भाजपा नेताओं से पूरी तरह उपकृत कांग्रेस के नेताओं द्वारा भाजपा की पोल खोलने के बजाए कांग्रेस के क्षत्रप रहे स्व.हरवंश सिंह ठाकुर की ही पोल खोली जा रही है, जिसको लेकर तरह तरह की प्रतिक्रियाओं का कभी ना थमने वाला दौर आरंभ हो गया है।
गत दिवस भैरोगंज में कांग्रेस अध्यक्ष और शहर की प्रतिष्ठित फर्म मेसर्स हरगुनदास रामनाथ के सदस्य हीरा आसवानी और उपाध्यक्ष खुमान सिंह के बीच हुए वाद विवाद के बीच थप्पड़ की गूंजअब दिलीप कुमार अभिनीत कर्माचलचित्र में डॉ.डेंग को मारे गए थप्पड़ की गूंजएक बराबर ही मानी जा रही है। इसकी गूंज कहां तक जाएगी यह बात भविष्य के गर्भ में है किन्तु जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और शहर के सबसे पुराने और सबसे प्रतिष्ठित व्यवसाई खानदान के हीरा आसवानी को सरेआम एक पार्टी के कार्यक्रम में थप्पड़ मारा जाना कांग्रेस के लिए शर्मनाक ही माना जा रहा है।
कहा जा रहा है कि कांग्रेस के क्षत्रप हरवंश सिंह द्वारा जिस तरह की गंदी राजनीति का श्रीगणेश किया गया था उसी की परिणिति है उनके अवसान के बाद कांग्रेस की वर्तमान हालत। कांग्रेस के अंदर अनुशासन नाम की चीज ही नहीं रह गई है। यद्यपि हरवंश सिंह के जीवित रहते समय भी कांग्रेस में अनुशासन बहुत ज्यादा नहीं था पर कम से कम इस तरह की घटनाएं सार्वजनिक तौर पर नहीं हुआ करती थीं।
अब तो कांग्रेस के नेता ही सरेआम यह कहने लगे हैं कि हरवंश सिंह ने उनका उपयोग कांग्रेस के फलां केंडीडेट को हराने और भाजपा के फलां केंडीडेट को जिताने के लिए किया था। कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि कांग्रेस के एक नेता और सिवनी के निर्दलीय प्रत्याशी दिनेश राय के बीच जब चुनाव के उपरांत बाहुबली चौक पर चर्चा हुई तो लोगों ने दांतों तले उंगली दबा ली।
दोनों की चर्चा में दिनेश राय ने उक्त कांग्रेसी नेता से कहा कि उन्होंने पिछले चुनाव में हरवंश सिंह के साफ निर्देश मिलने के बाद भी दिनेश राय का साथ नहीं दिया, यह तो गद्दारी है। इस पर छूटते ही उक्त कांग्रेसी नेता ने दिनेश राय से कहा कि वे मजबूर थे, क्योंकि हरवंश सिंह ने उन्हें दिनेश नहीं नीता भाभी (श्रीमती नीता पटेरिया) को जिताने की जवाबदेही सौंपी थी।
इसी तरह गत दिवस प्रदेश कांग्रेस के पर्यवेक्षक अबरार अहमद की उपस्थिति में कांग्रेस के एक अन्य उपाध्यक्ष कुंवर शक्ति सिंह ने तो साफ साफ कह दिया था कि हरवंश सिंह ने शक्ति सिंह का उपयोग कर, घंसौर की कद्दावर नेता और वर्तमान में उत्तराखण्ड की राज्यपाल उर्मिला सिंह को हराने का काम किया था। असहाय जिला कांग्रेस कमेटी अब शक्ति सिंह को शो काज नोटिस देने का साहस भी नहीं जुटा पा रही है।
कांग्रेस के अंदर उच्चश्रंखलता की बातें एकाएक बढ़ गई हैं। गत दिवस भैरोगंज में जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं शहर के प्रतिष्ठित व्यवसाई हरगुनदास रामनाथ एण्ड संस परिवार के सदस्य हीरा आसवानी के साथ सरेआम हुई थप्पड़बाजी के बाद डूंडा सिवनी की एक सभा में राहुल गांधी के दूत राजा बघेल ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि श्रीमती नीता पटेरिया को हमने आपने सभी ने मिलकर जिताया है।

कांग्रेस के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो जिला कांग्रेस के तीसरी और चौथी पंक्ति के वे नेता जो हरवंश सिंह द्वारा पूरी तरह प्रताड़ित रहे हैं अब अपनी खुमारी उतार रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस भले ही भाजपा की पोल खोलने के निर्देश दे पर जिला कांग्रेस के नेता तो अपने ही क्षत्रप रहे स्व.हरवंश सिंह ठाकुर की ही पोल खोलने पर आमदा दिख रहे हैं, जिसका सीधा प्रभाव हरवंश सिंह की सियासी विरासत संभालने वाले रजनीश सिंह के सियासी कैरियर पर पड़ता दिख रहा है।

खवासा बार्डर का जाम!

खवासा बार्डर का जाम!

(शरद खरे)

सिवनी जिला मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर अवस्थित है। जिले में खवासा में इकलौती बॉर्डर है जो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को विभाजित करती है। इस बॉर्डर पर सालों से लोग जाम से जूझ रहे हैं। खवासा बॉर्डर का जाम ना तो जिला प्रशासन को दिखता है और ना ही पुलिस प्रशासन हो। इस बॉर्डर में परिवहन विभाग की चेक पोस्ट में पीछे की ओर एक तौल कांटा भी है। इस तौल कांटे की ओर से अगर प्रवेश किया जाए तो बाएं हाथ पर एक रजिस्टर रखा होता है। उस रजिस्टर को अगर पलटा लिया जाए तो लोग दांतों तले उंगली दबा लेंगे। इस रजिस्टर में सिवनी से लेकर भोपाल और दिल्ली तक मुख्य मंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, नेता पत्रकार, सोशल वर्कर्स आदि को हर माह दी जाने वाली राशि का खुलेआम उल्लेख होता है। इस रजिस्टर को कोई भी देख सकता है।
वैसे तो खवासा की आबादी ज्यादा नहीं है पर यहां परिवहन, कृषि उपज मंडी, विक्रयकर आदि की जांच चौकियों के चलते यह एरिया सदा ही आबाद रहता है। यहां पदस्थ सरकारी कर्मचारियों के साथ ही साथ गुण्डों की बड़ी फौज भी यहां चौबीसों घंटे मण्डराती रहती है। गुण्डों की यह फौज आने जाने वाले वाहनों से एक नंबर में राशि लेने के साथ ही साथ चौथ वसूली का काम नायाब तरीके से अंजाम देती है।
कहते हैं यहां की जांच चौकियां रिमोट कंट्रोल से संचालित होती हैं। जैसे ही कोई लाल पीली बत्ती का वाहन आता दिखता है वैसे ही इन जांच चौकियों में दो नंबर का काम बंद, एक नंबर का काम चालूकी तर्ज पर काम आरंभ हो जाता है। यहां दो नंबर का काम धड़ल्ले से और इतनी सफाई से होता है कि मजाल है कोई इसे पकड़ ले। और तो और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि दशकों बीत गए पर खवासा की परिवहन, मण्डी या सेल्स टेक्स आदि की जांच चौकियोें में किसी भी जिम्मेदार सरकारी विभाग ने छापा मारने की जहमत नहीं उठाई है।
जिला कलेक्टर भरत यादव और जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला की सिवनी में तैनाती के ठीक बाद जब समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा इन दोनों ही अधिकारियों का साक्षात्कार लिया गया था और इन्हें खवासा के जाम के बारे में बताया गया था तो दोनों ही अधिकारियों ने एक पखवाड़े के अंदर ही यहां छापा मारकर व्यवस्था सुधारने की बात कही थी। विडम्बना ही कही जाएगी कि एक नहीं कई पखवाड़े बीत गए पर स्थिति जस की तस ही बनी हुई है।
दोनों ही वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में इस बात को भी लाया गया था कि खवासा से महज दस किलोमीटर दूर महाराष्ट्र की सीमा में मानेगांव टेक की जांच चौकी में वहां के परिवहन विभाग की एक एम्बेसिडर के अलावा कोई वाहन खड़ा नहीं मिलता है जबकि एमपी में जाम लगा रहता है, पर दोनों ही अधिकारियों द्वारा दिखवाते हैंकहकर बात को समाप्त कर दिया गया था। आखिर क्या कारण है कि मानेगांव टेक पर एक भी वाहन नहीं और खवासा में वाहनों की लंबी कभी समाप्त ना होने वाली कतार!
कहते हैं कि सेल्स टेक्स में आजकल कर, ऑन लाईन जमा होने लगा है। कई बार ऑन लाईन जमा की रसीद और इंटरनेट पर अद्यतन स्थिति का मिलान नहीं होता है जिससे वहां देर लगती है। सवाल यह है कि आखिर ऑन लाईन या ऑफ लाईन व्यवस्था से आम जनता को क्या लेना देना? वह तो बस सड़क क्लीयर चाहती है। अब सड़क को क्लियर कैसे किया जाए यह सोचना जिला प्रशासन का काम है।
चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कुछ समय के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के बतौर इस चेक पोस्ट को मेटेवानी में स्थानांतरित करने का सुझाव दिया है। वैसे रिड्डी टेक के पास नवीन चेक पोस्ट का काम पिछले बीस सालों से युद्ध स्तरपर जारी है। हालत देखकर लग रहा है मानो मध्य प्रदेश महाराष्ट्र की सीमा पर चेक पोस्ट नहीं, आगरा में ताज महल का निर्माण हो रहा है। बीस साल पहले इस चेक पोस्ट के निर्माण के लिए 11 करोड़ रूपए की राशि की स्वीकृति प्राप्त हो चुकी थी, पर इसका काम आरंभ नहीं हो सका।
दरअसल, नेता, मंत्री, सांसद विधायक, सरकारी अधिकारी और पत्रकार सभी के लिए कामधेनु है यह चेक पोस्ट। इस चेक पोस्ट में नमक स्वादानुसारकी तर्ज पर सभी को पांच सौ रूपए से पचास हजार रूपए प्रतिमाह की चंदीबेरोकटोक या तो घर पहुंच सेवा में उपलब्ध है या फिर जाकर लेना होता है। अब अगर किसी को घर बैठे बिना हाथ पांव हिलाए पैसा मिल रहा हो तो भला वह इसकी मुखालफत क्यों करने लगा?
सिवनी को हस्तिनापुर कहा जा सकता है क्योंकि यहां रियाया का दुखदर्द देखने, उन्हें सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए पाबंध सांसद, विधायक और सरकारी कर्मचारी तथा इन्हें पथभ्रष्ट होने से बचाने के लिए जिम्मेदार मीडिया ही धृतराष्ट्र की भूमिका में आ चुका है। इन परिस्थितियों में जनता अब किसी पर उम्मीद लगाने के बाजए अपने दोनों हाथ करमयानी माथे पर रखकर अपनी लाचारी दर्शा रही है।

खवासा का जाम नासूर बन चुका है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। कुरई थाने में पदस्थ आधा दर्जन में से दो सिपाही खवासा में तैनात हैं, जो व्यवस्था बनाने के बजाए चौथ वसूली में कहीं गड़बड़झाला तो नहीं कर रहा है वाहन चालक, यह देखने में व्यस्त है। कुल मिलाकर समूचे कुंए में ही भांग घुली हुई है इसलिए अब उम्मीद उपर वाले से ही की जा सकती है. . .।