गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

कमल नाथ, दिग्गी, ज्योतिरादित्य, अरूण यादव ने बनाया एकजुट होने का मन


पचौरी को घेरने एकजुट हुए क्षत्रप

भोज मामले में नप सकते हैं हरवंश
 
(लिमटी खरे)
 
नई दिल्ली। लगातार चौबीस बरस तक राज्य सभा के रास्ते संसदीय सौंध तक पहुंचने वाले कांग्रेस के मध्य प्रदेश के निर्वतमान प्रदेशाध्यक्ष सुरेश पचौरी के खिलाफ केंद्र में सक्रिय मध्य प्रदेश के आला दिग्गज अब एकजुट होने लगे हैं। केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया की एमपीसीसी चीफ के पद पर हुई ताजपोशी के उपरांत मध्य पदेश के क्षत्रपों ने एक ही विमान से मध्य प्रदेश आने की सहमति देकर जता दिया है कि वे मध्य प्रदेश में कांग्रेस को जिलाने के लिए एकजुट हो गए हैं। माना जा रहा है कि सुरेश पचौरी से खफा इन नेताओं द्वारा अब तक जानबूझकर अपनी कर्मभूमि वाले प्रदेश से दूरी बनाई गई थी।
गौरतलब होगा कि पचौरी के एमपीसीसी चीफ बनने के बाद कांग्रेस महासचिव राजा दिग्विजय सिंह अनेक मर्तबा मध्य प्रदेश आए किन्तु उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी जाने की जहमत नहीं उठाई। दिग्गी राजा द्वारा काफी हाउस में पत्रकारों ेस चर्चा हंसी ठठ्ठा किया जाता रहा है और श्यामला हिल्स स्थित अपने आवास पर कार्यकर्ताओं ेस भेंट, किन्तु पीसीसी कार्यालय जाना उन्होंने कभी उचित नहीं समझा। इसी तरह केंद्रीय मंत्री कमल नाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अरूण यादव यहां तक कि खुद कांतिलाल भूरिया ने भी सुरेश पचौरी के कार्यकाल में पीसीसी से पर्याप्त दूरी बनाकर रखी थी।
2008 में राज्य सभा का कार्यकाल समाप्त होने के उपरांत सुरेश पचौरी को लोकसभा की टिकिट मिलने में भी दिग्गज ही आड़े आए। इतना ही नहीं दुबारा राज्य सभा जाने के रास्ते में भी मध्य प्रदेश के क्षत्रप ही आड़े आते रहे हैं। भूरिया के हाथों में एमपीसीसी की कमान आते ही प्रदेश के क्षत्रप एक बार पुनः एकजुट होते नजर आ रहे हैं जिससे साफ हो रहा है कि इन दिग्गजों ने जानबूझकर मध्य प्रदेश में कांग्रेस को रसातल में जाने के मार्ग ही प्रशस्त किए हैं। शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री कमल नाथ के उड़न खटोले जिसे मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने किराए से लिया है, पर सवार होकर एमपी के क्षत्रप भूरिया की ताजपोशी में शामिल होंगे।
उधर प्रवक्ता माणक अग्रवाल भी अब काफी हद तक सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। वहीं विधानसभा के उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह पर भी कांग्रेस के घोर विरोध के बाद राजा भोज समारोह में मंचासीन होने के आरोप उन्हें सता रहे हैं। माना जा रहा है कि अजय सिंह के पाले में विधानसभा नेता प्रतिपक्ष का पद आने के बाद अब जाति के क्षत्रिय ठाकुर हरवंश सिंह की विधानसभा उपाध्यक्ष पद से बिदाई सुनिश्चित है। हरवंश सिंह से नाराज आला नेताओं ने उन्हें एमपीसीसी में ही कहीं एडजस्ट कराकर उनका कद कम करने का प्रयास किए जाने की खबरें भी जोर पकड़ने लगी हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी की आधिकारिक वेब साईट पर पूर्व अध्यक्षों की फेहरिस्त कुछ और कहानी बयां कर रही है कि उनके कार्यकाल में पीसीसी की आईटी विंग पूरी तरह से ही निष्क्रीय रही है। पूर्व अध्यक्षों में आज तक 33वें नंबर पर अंतिम निर्वाचित अध्यक्ष सुभाष यादव को 30 जून 2005 से अध्यक्ष दर्शाया गया हैै। मजे की बात तो यह है कि इस बोर्ड के इर्द गिर्द पान की पीकें भी साफ दिखाई दे रही हैं। पचौरी के सहयोगियों ने पूर्व अध्यक्षों के नाम और कार्यकाल टाईप कर उसे वेब साईट पर अपलोड करना भी मुनासिब नहीं समझा।

केंद्रीय मंत्रियों से मिले गौर


केंद्रीय मंत्रियों से मिले गौर
 
(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर ने कल यहां केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश और केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमल नाथ से मुलाकात कर प्रदेश से जुड़े पर्यावरण एवं शहरी विकास से संबंधित प्रकरणों के शीघ्र निदान के लिए आग्रह किया।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार बाबूलाल गौर ने केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश से मुलाकात कर बताया कि भोपाल गैस त्रासदी पर गठित मंत्री समूह की अनुशंसाओं के अनुसार गैस दावा अदालतों द्वारा 700 करोड़ रूपये में से गैस पीड़ितों को अब तक 300 करोड़ रूपये की राशि वितरित की जा चुकी है। श्री गौर ने गैस त्रासदी के स्मारक के निर्माण के संबंध में भी चर्चा की और पर्यावरण संबंधी बैठक पुनः शीघ्र  बुलाये जाने का आग्रह किया।
इसके साथ ही साथ उन्होंने केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री कमल नाथ से मुलाकात कर प्रदेश में जे.एन.एन.यू.आर.एम. के तहत केन्द्र सरकार में लंबित विभिन्न योजनाओं की किश्तांें एवं केन्द्र सरकार द्वारा पुनरीक्षित योजनाओं को शीघ्र स्वीकृति देने का आग्रह किया। उन्होंने छोटे तथा मझोले शहरों की पूर्व से प्रेषित योजनाओं के संबंध में स्वीकृति एवं राशि विमुक्त करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने बताया कि छोटे एवं मझोले शहरों की आदिवासी बाहुल्य निकायों की भी योजनाएं राज्य सरकार द्वारा तैयार करायी गयी हैं जिससे प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों की नगरीय निकायों के जल संकट की समस्या का निवारण हो सके। श्री गौर ने उक्त योजनाओं के लिए शीघ्र स्वीकृति का अनुरोध किया। श्री गौर ने भाजपा महासचिव श्री अरूण जेटली से भी सौजन्य मुलाकात की। इस अवसर पर भोपाल की मेयर श्रीमती कृष्णा गौर भी उनके साथ थीं।

प्लास्टिक पाउच में नहीं बिकेगा गुटखा


प्लास्टिक पाउच में नहीं बिकेगा गुटखा
नई दिल्ली (ब्यूरो)। प्लास्टिक पाउच में बिर रहे गुटखा और पान मसाला की प्लास्टिक पैकिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक जारी रखी है। गुटखे से सेहत तथा प्लास्टिक से पर्यावरण को नुकसान का मुद्दा उठाने वाले संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं (एनजीओ), को भी पक्षकार बना लिया है। कोर्ट ने पान मसाला गुटखा उद्योग को भी पक्षकार के तौर पर शामिल करते हुए अपनी बात रखने की इजाजत दी है।
बुधवार को न्यायमूर्ति जी.एस. सिंघवी एवं न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन की पीठ ने प्लास्टिक पैकिंग पर रोक हटाने से इंकार करते हुए सभी आवेदकों की पक्षकार बनने की मांग स्वीकार कर ली। पीठ ने कहा कि वे सभी का पक्ष सुनेंगे। कोर्ट ने पर्यावरण की सुरक्षा की दृष्टि से गुटखा के अलावा बाकी उत्पादों की प्लास्टिक पैकिंग पर भी रोक लगाने की गैर सरकारी संगठन दिल्ली स्टडी ग्रुप की मांग पर सरकार से जवाब मांगा है।
इससे पहले इंडियन डेंटल एसोसिएशन के वकील ने स्वास्थ्य का मुददा उठाते हुए मामले में पक्षकार बनाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि एसोसिएशन लगातार गुटखे के नुकसान के प्रति लोगों को सचेत करती रही है और इसके खिलाफ मुहिम चलाती रही है। एसोसिएशन चाहती है कि तंबाकू युक्त गुटखे और पान मसाले की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाई जाए। पीठ ने 20 जुलाई को सुनवाई की तिथि तय करते हुए कहा कि तब कोई स्थगन नहीं होगा।
ज्ञातव्य है कि गत 2 फरवरी को भी कोर्ट ने गुटखे की प्लास्टिक पैकिंग पर प्रतिबंध की तिथि बढ़ाने से इनकार कर दिया था और केंद्र सरकार से निर्धारित तिथि तक इस बावत अधिसूचना जारी करने को कहा था। केन्द्र सरकार ने 4 फरवरी को अधिसूचना जारी कर गुटखा और पान मसाले की प्लास्टिक पैकिंग पर रोक लगा दी थी।

लोकपाल समिति पर उठी उंगलियां



लोकपाल समिति पर उठी उंगलियां
नई दिल्ली (ब्यूरो)। लोकपाल विधेयक के मसौदे के लिए बनी सरकारी और गैर सरकारी सदस्यों की समिति राजनीति की बली चढ़ती नजर आ रही है। समिति में शामिल पिता शांति भूषण और पुत्र प्रशांत भूषण की भूमिका को संदिग्ध माना जा रहा है। समिति के सदस्यों पर अब राजनीतिक हलकों से भी सवाल उठ रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने इस समिति के एक प्रमुख सदस्य एवं पूर्व कानून मंत्री शांतिभूषण की भूमिका पर सवाल उठा दिए हैं।
सपा नेता मोहन सिंह ने यह चिट्ठी सीधे शांतिभूषण को लिखी और उनकी ही भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है वह कानून की धाराओं के तहत बहस करने वाले अच्छे वकील हो सकते हैं, लेकिन अच्छे कानून का मसौदा बनाने में उनकी भूमिका पर उन्हें संशय है। सपा नेता ने अन्ना हजारे को भी निशाना बनाया है। मोहन सिंह ने कहा कि इस समिति को बनाने वाले ने भी कभी जन अदालत में मत्था नहीं टेका है। ऐसे में कानून बनाने का संवैधानिक अधिकार रखने वाली संसद को किनारे रखकर उसका मसौदा तैयार करना संसद का अपमान है। एक डरपोक और कमजोर सरकार ने इस समिति की बात मान ली और उसमें पिता-पुत्र को जगह मिल गई।
गौरतलब है कि लोकपाल विधेयक के मसौदे के लिए समाजसेवी अन्ना हजारे के आमरण अनशन के दबाव में बनी समिति शुरू से विवाद में है। आंदोलन में अन्ना के साथ बढ़-चढ़कर खडे रहने वाले योग गुरु बाबा रामदेव ने समिति में शांतिभूषण और उनके पुत्र वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को रखे जाने पर एतराज जताया था। हालांकि बाद में उन्होंने अपना रुख नरम कर लिया।