गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

लोकपाल समिति पर उठी उंगलियां



लोकपाल समिति पर उठी उंगलियां
नई दिल्ली (ब्यूरो)। लोकपाल विधेयक के मसौदे के लिए बनी सरकारी और गैर सरकारी सदस्यों की समिति राजनीति की बली चढ़ती नजर आ रही है। समिति में शामिल पिता शांति भूषण और पुत्र प्रशांत भूषण की भूमिका को संदिग्ध माना जा रहा है। समिति के सदस्यों पर अब राजनीतिक हलकों से भी सवाल उठ रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने इस समिति के एक प्रमुख सदस्य एवं पूर्व कानून मंत्री शांतिभूषण की भूमिका पर सवाल उठा दिए हैं।
सपा नेता मोहन सिंह ने यह चिट्ठी सीधे शांतिभूषण को लिखी और उनकी ही भूमिका पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है वह कानून की धाराओं के तहत बहस करने वाले अच्छे वकील हो सकते हैं, लेकिन अच्छे कानून का मसौदा बनाने में उनकी भूमिका पर उन्हें संशय है। सपा नेता ने अन्ना हजारे को भी निशाना बनाया है। मोहन सिंह ने कहा कि इस समिति को बनाने वाले ने भी कभी जन अदालत में मत्था नहीं टेका है। ऐसे में कानून बनाने का संवैधानिक अधिकार रखने वाली संसद को किनारे रखकर उसका मसौदा तैयार करना संसद का अपमान है। एक डरपोक और कमजोर सरकार ने इस समिति की बात मान ली और उसमें पिता-पुत्र को जगह मिल गई।
गौरतलब है कि लोकपाल विधेयक के मसौदे के लिए समाजसेवी अन्ना हजारे के आमरण अनशन के दबाव में बनी समिति शुरू से विवाद में है। आंदोलन में अन्ना के साथ बढ़-चढ़कर खडे रहने वाले योग गुरु बाबा रामदेव ने समिति में शांतिभूषण और उनके पुत्र वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को रखे जाने पर एतराज जताया था। हालांकि बाद में उन्होंने अपना रुख नरम कर लिया।

कोई टिप्पणी नहीं: