सोमवार, 23 नवंबर 2009

बालाघाटी ठाकरे किस हक से मुंबई पर अधिकार जताते हैं!

बालाघाटी ठाकरे किस हक से मुंबई पर अधिकार जताते हैं!

(लिमटी खरे)


कांग्रेस के शक्तिशाली महासचिव और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजा दिग्विजय सिंह ने महाराष्ट्र पर जातिवाद और क्षेत्रवाद का कहर बरपाने वाले बाला साहेब ठाकरे और उनके भतीजे राज ठाकरे के मुंबईया होने पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए एक धमाका कर दिया है।


बकौल राजा दिग्विजय सिंह, बाला साहेब ठाकरे मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले के मूल निवासी हैं। इस लिहाज से वे मुंबईकर नहीं हैं। दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश पर दस साल लगातार राज किया है, इस लिहाज से उनकी जानकारी गलत नहीं मानी जा सकती है।


यह बात सच है कि मुंबई के बाहर वालों पर आतंक बरपाने वाले ठाकरे ब्रदर्स ही अगर मुंबई के मूल निवासी नहीं हैं, तो वे किस अधिकार से मुंबई को आपली मुंबई कहकर मराठा मानुष को भडका रहे हैं। इस तरह से देखा जाए तो ठाकरे ब्रदर्स मुंबई के लिए उसी तरह के प्रवासी हैं, जिस तरह अन्य लोग बाहर से जाकर मुंबई में बसे हैं।


मराठी मूल के ठाकरे ब्रदर्स अगर वाकई अपनी मातृभूमि के लिए सर्वस्व न्योछावर करने कृत संकल्पित हैं, तो उन्हें सबसे पहले मध्य प्रदेश और बालाघाट जिले के लिए कुछ करना चाहिए। वस्तुत: ठाकरे ब्रदर्स एसा करेंगे नहीं क्योंकि एसा करने से उन्हें राजनैतिक तौर पर कुछ लाभ होने वाला नहीं है।


मध्य प्रदेश के इंदौर में आयोजित मछुआरों के सम्मेलन में दिग्विजय सिंह ने यह रहस्योद्घाटन किया। वैसे देखा जाए तो मुंबई मूलत: कोलियों और मछली पकडकर जीवन यापन करने वाले मछुआरों का शहर है, जिस पर बाद में पारसी और गुजरातियों ने अपना वर्चस्व बना लिया था।


नब्बे के दशक में शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे ने मराठा कार्ड चलकर आतंक बरपाया और मुंबई पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस ने अपने नफा नुकसान को देखते हुए बाला साहेब को आतंक बरपाने की पूरी छूट दी थी, जिसका नतीजा है ठाकरे ब्रदर्स का जातीवाद और क्षेत्रवाद के नाम पर होने वाला तांडव।


राज ठाकरे जब बाला साहेब ठाकरे के मातोश्री की मांद से बाहर निकले तब बाला साहेब को कमजोर करने के लिए सियासतदारों ने एक बार फिर वही पुरानी चाल चली और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के जनक राज ठाकरे को आतंक बरपाने की पूरी छूट दे दी।


ठाकरे ब्रदर्स ने मुंबई में उत्तर भारतीयों का जीना मुहाल कर रखा है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। कल तक सदी के महानायक अमिताभ बच्चन को कोसने वाले ठाकरे ब्रदर्स की तोप का मुंह अब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर पर आकर टिक गई है।


यह सच है कि धन दौलत और शोहरत उगलने वाले क्रिकेट पर मुंबई का कब्जा रहा है, पर इसका मतलब यह तो नहीं है कि शेष भारत के खिलाडियों को इस खेल को खेलने का कोई हक नहीं है। बाला साहेब ठाकरे एण्ड कंपनी सचिन को मराठों को आगे नहीं बढाने पर लानत मलानत भेज रहे हैं, जिसकी चहुंओर तीखी प्रतिक्रिया है। ठाकरे का अगर बस चले तो वे क्रिकेट जेसे लोकप्रिय खेल को मुंबई की बपौती बना डालें।


इस सब विवाद के चलते पहली बार कांग्रेस की ओर से कोई बयान आया है, वह भी कांग्रेस की आधुनिक राजनीति के चाणक्य माने जाने वाले दिग्विजय सिंह का। दिग्गी राजा ने ``बात निकली है तो दूर तलक जाएगी`` की तर्ज पर बाला साहेब ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोला है, वरना इस मामले में प्रदेश और केंद्र में बैठी कांग्रेस बेकफुट पर ही नजर आ रही है।


समूचे महाराष्ट्र में वेमनस्य फैलाने का काम करने वाले ठाकरे ब्रदर्स का ``सामना`` का प्रकाशन प्रतिबंधित कर देना चाहिए। शिवसेना और मनसे का आतंक इतना अधिक है कि सामना में छपे आलेखों को महाराष्ट्र में किसी निजाम के फरमान से कम नहीं माना जाता है।


मुंबई के हालात देखकर लगता है मानो 1947 में भारत देश आजाद हुआ है पर इस अखण्ड भारत के नक्शे में मुंबई नहंी है। भारत गणराज्य का कानून देश की व्यवसायिक राजधानी मुंबई में लागू नहीं होता है। मुंबई में चलता है ठाकरे ब्रदर्स का अपना कानून। यह है पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा और राजीव गांधी के सपनों का इक्कीसवीं सदी का भारत, जिस पर नेहरू गांधी खानदान की चौथी और पांचवीं पीढी राज कर रही है।


बहरहाल अगर दिग्विजय सिंह सच कह रहे हैं कि बाला साहेब ठाकरे का परिवार मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले का मूल निवासी है तो निश्चित तौर पर बालाघाट के निवासी फक्र के बजाए अपने आप को शर्मसार पा रहे होंगे कि महाराष्ट्र प्रदेश को अलगाववाद, क्षेत्रवाद और भाषावाद की आग में झोंकने वाले ठाकरे ब्रदर्स बालाघाट की भूमि पर पैदा हुए हैं।

आडवाणी की गत से घबराए युवराज

ये है दिल्ली मेरी जान

(लिमटी खरे)





आडवाणी की गत से घबराए युवराज


अंतत: कांग्रेस की नजर में भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी  ने यह कह ही दिया है कि उन्हें भविष्य का प्रधानमंत्री न मानें। कांग्रेसियों के अतिउत्साह के चलते कांग्रेस के सबसे ताकतवर महासचिव राहुल गांधी को भविष्य का प्रधानमंत्री प्रचारित किया जा रहा है। राहुल गांधी को दूसरी बार अपनी छवि बचाने के लिए सामने आना पडा है। इसके पहले राहुल ने खुद को युवराज कहने पर आपत्ति जताई थी। राहुल गांधी के नजदीकी सूत्रों का कहना है कि राहुल को यह कदम इसलिए उठाना पडा है क्योंकि वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के ``पीएम इन वेटिंग`` लाल कृष्ण आडवाणी की गत देख चुके हैं, इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया है। गौरतलब होगा कि अतिउत्साह और महात्वाकांक्षा के चलते पिछले लोकसभा चुनावों में एल.के.आडवाणी को राजग ने प्रधानमंत्री के तौर पर प्रस्तुत किया था। वे 7 रेसकोर्स रोड (प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) को अपना आशियाना तो नहीं बना पाए पर अपनी छवि पर खासा बट्टा अवश्य ही लगवा लिया। आडवाणी की इस तरह हुई दुर्गत से राहुल गांधी के कान खडे हो गए और उन्होंने अपने आप को पीएम इन वेटिंग की लाईन से प्रथक करने की मंशा जता ही दी।


मयखाना दिखता है मध्य प्रदेश के अक्स में
मध्य प्रदेश के सूबेदार शिवराज सिंह चौहान दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में आए और कहा कि अगले साल मध्य प्रदेश के मण्डप में मध्य प्रदेश का अक्स दिखने की बात कही। मध्य प्रदेश के मण्डप का उन्होंने अवलोकन किया। इतिहास में संभवत: यह पहला मौका होगा जब एमपी के पेवेलियन में शराब के स्टाल को भी स्थान दिया गया हो। एम पी पवेलियन में केंद्रीय आदिवासी विकास मंत्री कांतिलाल भूरिया के संसदीय क्षेत्र रतलाम के ग्राम टिटारी में पटेल वाईन और फ्रूट प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज द्वारा बनाई जाने वाली वाईन की बाटल्स को भी प्रदर्शित किया गया है। 12 फीसदी से अधिक एल्कोहल वाली एम्बी वाईनयार्डस के नाम से बाजार में उपलब्ध इस वाईन को इसमें स्थान दिया जाना आश्चर्यजनक ही है। एक ओर शराब को सामाजिक बुराई माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार द्वारा देश की राजनैतिक राजधानी में लगने वाले इस महत्वपूर्ण मेले में शराब को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यही है श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीन दयाल उपाध्याय के आदशोZं पर चलने वाली भाजपा का एक चेहरा!



नाश्ते में देरी से बिफरीं सैलजा!
देश के जनसेवक भले ही सादगी और मितव्ययता का राग अलापते रहें किन्तु असल जिंदगी में वे कितने निष्ठुर और गुस्सैल होते हैं, इसका उदहारण केंद्रीय गरीबी उन्नमूलन मंत्री सैलजा ने दे दिया है। बीते दिनों वे हरियाणा में हांसी के एक रेस्ट हाउस पहंची। उनके स्टाफ ने पहले ही वहां तैनात नायब तहसीलदार हनुमान सिंह को संदेशा भिजवा दिया था कि मदाम और उनका लाव लश्कर वहां ब्रेक फास्ट लेगा। सैलजा प्रात: 9 बजे विश्राम गृह पहुंची तो नाश्ते में विलंब को देखकर भडक गईं और गुस्से में बिना नाश्ता किए ही वहां से रफत डाल दी। दरअसल सैलजा शायद भूल गईं कि वह विश्राम गृह था आईटीडीसी का कोई होटल नहीं जहां हर समय गर्मा गरम नाश्ता तैयार मिलता है। बाद में सैलजा ने एसडीएम को तलब किया। एसडीएम ने लाख समझाने की कोशिश की कि वे भी नाश्ता छोडकर ही आए हैं, पर उन्होंने एक न मानी और बिना नाश्ता किए ही वहां से रवानगी डाल दी।



कब फेंटेंगी राजमाता अपने पत्ते
कांग्रेस में संगठन स्तर पर फेरबदल की चर्चाएं गाहे बगाहे चल ही पडती हैं। एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर चलने वाली कांग्रेस में अनेक एसे नेता मौजूद है, जो संगठन में भी महत्वपूर्ण पद पर हैं, और सरकार में मलाईदार पद पर। कांग्रेस में फेरबदल की सुगबुगाहट एक बार फिर आरंभ हो गई है। पूर्व मे जब कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी ने मंत्री पद को ठोकर मार दी थी, तब माना जा रहा था कि सरकार में शामिल अनेक मंत्रियों को सत्ता या संगठन में से किसी एक को चुनना पडेगा, वस्तुत: एसा हुआ नहीं। मजे की बात तो यह है कि राहुल गांधी के इस फैसले को सभी से मुक्त कंठ से सराहा पर अमली जामा पहनाने की जब बात आई तो सभी ने चुप्पी साध ली। अगले माह 9 तारीख को कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी अपना जन्मदिन मनाने जा रहीं हैं। कांग्रेस की मितव्ययता की नौटंकी में मीडिया की निगाहें उनके जन्म दिन पर भी हैं। हाल ही में कांग्रेस के एक शक्तिशाली मंत्री ने अपना जन्म दिन धूमधाम से मनाकर मितव्ययता का माखौल उडाया है। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी अपने ताश के पत्ते जन्म दिन के उपरांत ही फेंट पाएंगी।



प्रचार से दूर रहेंगी महारानी
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को नाकों चने चबवाने वाली राजस्थान की महारानी वसुंधरा राजे की नाराजगी अभी दूर नहीं हुई है। बयानबाजी से खफा वसुंधरा ने अब सूबे के स्थानीय निकायों के चुनावों से खुद को अलग थलग रखने का फैसला कर लिया है। राजे के इन तेवरों से भाजपा नेतृत्व सकते में है। गौरतलब होगा कि पूर्व में टोडाभीम उपचुनावों में राजे ने नादौती क्षेत्र का दौरा किया था जहां से भाजपा को खासी बढत मिली थी। राजस्थान की सत्ता से राजे अवश्य उतर गईं हों पर सूबे में उनकी पूछ परख में कमी नहीं आई है। टोडाभीम चुनावों में भाजपा की जीत का सेहरा बांधने को लेकर प्रदेश भाजपा और राजे खेमे में ठन गई है। प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी संकेत दिए थे, कि यहां की भाजपा की जीत किसी बडे नेता के कारण नहीं हुई है। राजे के करीबी सूत्रों का कहना है कि अनर्गल बयानबाजी और जीत के श्रेय को लेकर मची जंग से बुरी तरह आहत हैं, राजस्थान की महारानी।



बढ रहा है युवा तुर्क का ग्राफ
कांग्रेस में युवा तुर्क के नाम से पहचान बनाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की लोकप्रियता का ग्राफ दिनों दिन बढता ही जा रहा है। अस्सी के दशक में मध्य प्रदेश में कुंवर अर्जुन सिंह की लोकप्रियता चरम पर थी तो नब्बे के दशक में कमल नाथ ने अपना सिक्का चलाया। अब दोनों ही नेता उमर दराज होने जा रहे हैं, तब मध्य प्रदेश में कांग्रेसियों की निगाहें केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को ताक रहीं हैं। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की तर्ज पर अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गांव में रात बिताना आरंभ कर दिया है। राहुल गांधी से एक कदम आगे बढकर महलों में बडे ही लाड प्यार से पले बढे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने न केवल झोपडी में रात बिताई वरन् रोटी भी पकाई और बच्चों को पढाया भी। इतना ही नहीं किसानों को बिठाकर खुद ही ट्रेक्टर चला गांव वालों के दिलों में जगह बना ली सो अलग। सिंधिया का पीआर सिस्टम भी जबर्दस्त है, तभी तो उनके इस कदम को नेशनल लेबल पर मीडिया ने हाथों हाथ लिया।



शिवराज, रमन की राह पर मुंडा
छत्तीसगढ में सुसाशन आया हो या नहीं पर ढाई रूपए किलो चावल की घोषणा ने रमन सिंह को दुबारा मुख्यमंत्री बना दिया। अब झारखण्ड में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मण्डा भी रमन सिंह की राह पर चल दिए हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लाडली लक्ष्मी की तर्ज पर झारखण्ड में भी लाडली लक्ष्मी को लागू करने का एलान किया है। मुंडा ने दावा किया है कि अगर राज्य में भाजपा सत्ता में आई तो लोगों को एक रूपए किलो चावल और चार आने किलो में नमक मिलेगा। अपना घोषणा पत्र जारी करते समय राज्य की भाजपा ने छत्तीसगढ के निजाम रमन सिंह को तो आमंत्रित कर लिया किन्तु मध्य प्रदेश की लाडली लक्ष्मी योजना के जनक शिवराज सिंह चौहान से पर्याप्त दूरी बनाकर रखी है, जिसे लेकर सियासी गलियारों में अब तरह तरह की चर्चाएं आम हो गईं हैं।



फिर बोले थुरूर साहेब
केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री शशि थुरूर और विवादों का अच्छा खासा नाता है। पांच सितारा होटल में रूककर चर्चाओं में आए थुरूर ने होटल का लाखों का बिल अब तक सार्वजनिक नहीं किया है। फिर सोशल नेटवकिंग वेवसाईट पर सेलीब्रिटीज की तरह लोगों से सवाल जवाब के चलते उनकी किरकिरी हुई। अब वन्दे मातरम विवाद पर उन्होंने अपनी राय भी व्यक्त कर दी है। तिरूवनंतपुरम में सीएसआई चर्च में लोगों से रूबरू थुरूर का मानना था कि वन्देमातरम को वेकल्पिक बना देना चाहिए। पिछले दिनों जमात ए उलेमा हिन्द में वन्दे मातरम को लेकर एक फतवे के बाद उपजे विवाद में थुरूर की मंशा निश्चित तौर पर आग में घी का ही काम करेगी। बार बार नसीहतों के बाद भी विवाद थुरूर का पीछा नहीं छोड रहा है। वैसे भी थुरूर कह ही चुके हैं कि उनके उपर काम का खासा बोझ है। प्रधानमंत्री एम.एम.सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी हैं, कि उनका बोझ कम करने को तैयार ही नहीं।



साजन संग जाएंगी प्रतिभा
देश की पहली महामहिम राष्ट्रपति श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल 25 नवंबर को सुखोई 30 की सवारी करने वालीं हैं। प्रतिभा पाटिल को लेकर उडने वाले पायलट का नाम है साजन सिंह। साजन के साथ प्रतिभा ताई आसमान का सीना चीरकर भारतीय सेना की पहली महिला सर्वोच्च कमांडर बन जाएंगी। प्रतिभा ताई की इस यात्रा के चलते 24 नवंबर से 16 नवंबर तक पूना का लेहगांव स्थित हवाई अड्डा सामान्य उडानों के लिए बंद कर दिया जाएगा। गौरतलब होगा कि पूना में रोजाना 38 विमान आते जाते हैं। इस दौरान हवाई यात्रा करने वालों को अब रेल या सडक मार्ग से ही पूना जाना होगा।



सोशल नेटविर्कंग बनी अनैतिक व्यापार का साधन
इंटरनेट की सोशल नेटविर्कंग वेवसाईट्स इन दिनों अनैतिक व्यापार का अड्डा बनती जा रहीं हैं। इन वेव साईट्स पर गर्म गोश्त (देह व्यापार) की कम्यूनिटीज की न जाने कितनी शिकायतें हैं। अब दिल्ली के आबकारी महकमे ने ``विस्की ऑन व्हील्स`` नामक कम्यूनिटी से शराब के अवैध कारोबार का पर्दाफाश किया है। इस कम्यूनिटी में लिखा था कि वे लोग निजी या पार्टी में उपयोग के लिए किसी भी समय कहीं भी शराब मुहैया करवाते हैं। इसके जरिए तस्करों द्वारा महंगी अवैध शराब घरों घर तक पहुंचाने का काम किया जाता था। मजे की बात तो यह है कि यह सब कुछ ``फेसबुक`` और ``आरकुट`` जैसी वेव साईट पर हो रहा था, फेसबुक में कथित प्रशंसकों से सवाल जवाब के चलते विदेश राज्य मंत्री शशि थुरूर विवादों में घिरे थे।



ठाकरे के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा
महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार और केंद्र में कांग्रेसनीत संप्रग सरकार मनसे चीफ राज ठाकरे के भडकाउ रवैए को लेकर उनके खिलाफ मुकदमा कायम करने से हिचक रही हो पर उत्तर प्रदेश के हरदोई की एक अदालत में राज ठाकरे और मनसे के चार विधायकों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हो गया है। इस अदालत में सपा विधायक अबू आजमी के द्वारा हिन्दी में शपथ लेने पर हुई मारपीट के चलते मनसे चीफ राज ठाकरे, विधायक रमेश बांजले, राम कदम, बसंत गीते एवं शिशिर शिंदे पर हरदोई के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा कायम किया गया है। माना जा रहा है कि इसमें साक्ष्य के दौरान राज सहित चारों विधायकों को हरदोई में उपस्थिति देनी पड सकती है।



भोपाल गैस हादसे को विस्मृत किया मनमोहन ने
लगता है कि अमेरिका के दबाव में आकर केंद्र की मनमोहन सिंह सराकर ने भोपाल गैस त्रासदी जैसे अविस्मरणीय हादसे को भूल गई है। हाल ही में केबनेट (मंत्रीमण्डल की बैठक) में वजीरे आजम एम.एम.सिंह ने सिविल न्यूिक्लयर लाईबिलटी विधेयक को मंजूरी दे दी है। इसे अगर संसद ने पास कर दिया तो किसी भी परमाणु दुघZटना की स्थिति में मुजावजा 25 सौ करोड से अधिक नहीं होगा। इसके बाद अमेरिकी कंपनियों को भारत में रिएक्टर निर्माण और स्थिापित करने के मार्ग भारत में प्रशस्त हो जाएंगे। इसमें होने वाली दुघZटना की क्षतिपूर्ति में उन कंपनियों को बडी रियायत हो जाएगी। 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी में डाव कंपनी को जो मुआवजा देना पड रहा है वह 25 सौ करोड से कहीं अधिक है। माना जा रहा है कि मनमोहन की अमेरिका यात्रा के पहले अमेरिकी रिएक्टर सप्लाई लाबी के लिए मनमोहन सिंह ने यह तोहफा दिया है। गौरतलब बात तो यह है कि परमाणु हादसे के दुष्प्रभाव दूरगामी होते हैं।



आशाराम बापू फिर सुर्खियों में
केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ की कर्मस्थली मध्य प्रदेश के छिंदवाडा जिले में आशाराम बापू एक बार फिर सुर्खियों में आ गए हैं। स्वयंभू आध्याित्मक गुरू आशाराम बापू के छिंदवाडा स्थिति आश्रम के गुरूकुल में एक शिक्षिका की रहस्यमय हालत में मौत हो गई है। पुलिस के अनुसार उक्त शिक्षिका संध्या चौरसिया के शव पर कोई चोट के निशान नहीं थे, वहीं पीएम रिपोर्ट बयां कर रही है कि उसकी मौत आंतरिक चोटों के कारण हुई। उसके कपडे भी जगह जगह से फटे हुए थे। गौरतलब होगा कि इसके पूर्व इसी गुयकुल में पढने वाले दो बच्चों की पिछले साल संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। एक के बाद एक रहस्यमय मौत से चर्चाओं में आए आशाराम बापू के आश्रम में इस घटना को लेकर तरह तरह की चर्चाएं व्याप्त हो गईं हैं।



थपडयाए आजमी अब सीख रहे मराठी!
मराठी में शपथ न लेने के कारण मनसे विधायकों की गुण्डा गदीZ का शिकार हुए समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी अब मराठी सीखने का जतन कर रहे हैं। पूर्व सांसद आजमी यह पहली बार मराठी सीखने का प्रयास नहीं कर रहे हैं, इसके पूर्व उन्होंने पांच साल पहले भी एक मराठी शिक्षक रखकर मराठी जुबान सीखने की नाकाम कोशिश की थी। आजमी भले ही अगले साल टीवी पर राज ठाकरे से मराठी जुबान में परिचर्चा के कारण मराठी सीखने की बात कह रहे हों पर सियासी गलियारों में चर्चा है कि राज ठाकरे के आतंक से अबू आजमी भयाक्रांत हैं, और मराठी सीखकर वे राज ठाकरे को प्रसन्न करने का प्रयास कर रहे हैं।



गन्ना विवाद ने उडाई सोनिया की नींद
गन्ना के मूल्य विवाद का मुद्दा विपक्ष के हाथों में जाने से कांग्रेस की सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10 जनपथ में अफरा तफरी का आलम है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी इसके लिए प्रधानमंत्री एम.एम.सिंह से खासी नाराज बताई जा रहीं हैं। दिल्ली को हिला देने वाले विशाल प्रदर्शन से सोनिया गांधी खुद भी हिल गईं हैं। बताया जाता है कि इसके लिए उन्होंने पीएम को वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, गृह मंत्री पी.चिदम्बरम और कानून मंत्री वीरप्पा माईली के साथ बैठकर बात करने को कहा। सूत्रों के अनुसार पीएम के साथ जब ये नेता सर जोडकर बैठे तब पीएम ने कहा कि जब हम किसानों का 70 हजार करोड माफ कर सकते हैं, तो गन्ना अधिक मूल्य पर क्यों नहीं खरीद सकते। इस पर वित्त मंत्री ने शुगर लाबी के कथित संरक्षक केंद्रीय कृषि मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि इस मसले में शरद पवार के मंत्रालय को एहतियात बरतते हुए कदम उठाने चाहिए। कुल मिलाकर शरद पवार की कूटनीतिक चाल के चलते इस मुद्दे पर बिखरे विपक्ष को एक होने का मौका मिला जो सोनिया गांधी को गवारा नहीं गुजर रहा है।



पुच्छल तारा
दिल्ली में अतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले के चलते चहुं ओर जाम ही जाम है। सडकों पर फर्राटे भरने वाली गाडियां चीटियों के मानिंद रेंग रहीं हैं। किसी ने सच ही कहा है कि मयखाने के ``जाम`` से मदहोशी छाती है, और दिल्ली के ट्रेफिक ``जाम`` से बेहोशी।