सोमवार, 20 मई 2013

अवैध पैथालाजी लेब्स के मामले में प्रशासन मौन!


अवैध पैथालाजी लेब्स के मामले में प्रशासन मौन!

(शरद खरे)

सिवनी (साई)। जिला मुख्यालय में अवैध रूप से खून का करोबार जमकर चल रहा है। सिवनी में गैर कानूनी तरीके से संचालित होने वाले पैथॉलाजी लेब्स के मामले में जिला प्रशासन का मौन संदेहों को जन्म दे रहा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पाश इलाके बारापत्थर में डीसीएच और एमडी चिकित्सक डॉ.ए.के.तिवारी के निवास पर, कृष्णा अस्पताल, थायरो केयर बसस्टेंड, दुर्गा चौक में डॉ.साहू, छिंदवाड़ा चौक में राजेंद्र चौधरी, लाईफ पैथोलाजी, बारापत्थर में रेड क्रास की दुकानों में पैथॉलॉजी लेब संचालित हो रहे हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सालों से पैथॉलॉजी लेब्स के दस्तावेजों की जांच नहीं की गई है। यही कारण है कि शहर भर में कुकुरमुत्ते की तरह पैथॉलॉजी लेब खुल गए हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि इन लेब्स का काम सिर्फ और सिर्फ सैंपल एकत्र कर उसे मुंबई जांच के लिए भेजना है। बजाए इसके ये स्थानीय स्तर पर भी जांच कर रहे हैं जो अवैध ही है।

कांग्रेस, भाजपा के दरवाजे दिनेश राय के लिए बन्द


कांग्रेस, भाजपा के दरवाजे दिनेश राय के लिए बन्द!

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। वर्ष 2008 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी प्रसन्न चंद मालू की जमानत जप्त करवाकर दूसरी पायदान पर रहने वाले दिनेश राय उर्फ मुनमुन के लिए प्रमुख राजनैतिक दल कांग्र्रेस और भाजपा के दरवाजे पूरी तरह बंद होते दिख रहे हैं। दोनों ही पार्टियों के अंदर दिनेश के प्रवेश की खबर ने तूफान खड़ा कर दिया था।
दिनेश राय उर्फ मुनमुन के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि उनके हित चिंतकों ने उन्हें मशविरा दिया है कि अगर सिवनी से विधानसभा चुनाव जीतना है तो किसी पार्टी से टिकिट लेना आवश्यक है। सूत्रों ने आगे बताया कि दिनेश राय उर्फ मुनमुन ने स्व.हरवंश सिंह के माध्यम से कांग्रेस के आला नेताओं को साधने का प्रयास किया था।
सूत्रों की मानें तो दिनेश राय उर्फ मुनमुन चाहते थे कि कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के सिवनी दौरे के दौरान वे कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर लें। वहीं दूसरी और जिला कांग्रेस कमेटी में जब इस संभावना के बारे में पतासाजी की गई तो कांग्रेस के अंदर दिनेश राय उर्फ मुनमुन की स्वीकार्यता नहीं के बराबर ही मिली।
कांग्रेस के अनेक सदस्यों ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर एक ही बात जोर देकर कही कि सिवनी को अगर बिहार बनाना हो तो दिनेश राय उर्फ मुनमुन को कांग्रेस में प्रवेश दिया जाए। वहीं अनेक कांग्रेसी दिनेश राय उर्फ मुनमुन के पूर्ववर्ती शराब के कथित कारोबार से नाराज बताए जा रहे हैं।
अचानक ही दिनेश राय उर्फ मुनमुन के भाजपा में जाने की बात सियासी फिजां में उभरी। जैसे ही यह बात सार्वजनिक हुई वैसे ही भाजपा का एक धड़ा दिनेश राय उर्फ मुनमुन की छवि को उकेरते हुए आला नेताओं के सामने इसका विरोध दर्ज करवाने लगा। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि जिला भाजपा के नेताओं ने संगठन मंत्री के सामने दिनेश राय उर्फ मुनमुन के भाजपा में प्रवेश होने की स्थिति में अपना आक्रेाश जताया।
सूत्रों ने साई न्यूज को बताया कि भाजपा के संगठन मंत्री के समक्ष जब दिनेश राय उर्फ मुनमुन के भाजपा में प्रवेश की खबरों की बात रखी गई तो उन्होंने मौन रहकर इस बात का समर्थन किया। जिससे स्पष्ट हो रहा था कि भाजपा के आला नेताओं को भी इन्होंने सैट कर लिया था।
सूत्रों के अनुसार जब संगठन मंत्री मौन रहे तब जिला भाजपा के नेताओं ने अपना अपना विरोध दर्ज करवाना आरंभ किया। एक के बाद एक पदाधिकारियों द्वारा दिनेश राय उर्फ मुनमुन के खिलाफ जिस तरह से जहर उगला गया तब जाकर संगठन मंत्री के समक्ष यह बात स्पष्ट हो सकी कि वास्तव में दिनेश राय उर्फ मुनमुन की छवि क्या है?
 सिवनी में चल रही चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह के आकस्मिक निधन से अब समीकरण एकदम उलट पुलट गए हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस और भाजपा के दरवाजे अब दिनेश राय उर्फ मुनमुन के लिए पूरी तरह से बंद हो चुके हैं।
दिनेश राय उर्फ मुनमुन के करीबी सूत्रों ने आगे कहा कि अब इन परिस्थितियों में दिनेश राय को यह मशविरा दिया गया है कि वे सार्वजनिक रूप से यह बयान देना आरंभ करें कि वे अपने प्रति समर्पित मतदाताओं (संभवतः उनके पास कार्यकर्ता नहीं हैं अतः कार्यकर्ताओं से पूछकर नहीं) की इच्छा का सम्मान करते हुए उनकी इच्छा के बिना किसी भी राजनैतिक दल में नहीं जाएंगे।

0 साई बाबा को विवादित करने का कुत्सित प्रयास


0 साई बाबा को विवादित करने का कुत्सित प्रयास

साई उत्सव मेला बंद कराने का षणयंत्र बर्दाश्त नहीं: मालू

(पीयूष भार्गव)

सिवनी (साई)। जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के द्वारा बस स्टेंड स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान निर्मल बाबा पर की गई टिप्पणी और साई बाबा के हर गुरूवार होने वाले भण्डारों की आलोचना करने पर अब सोशल मीडिया में एक बहस आरंभ हो गई है। सोशल मीडिया में साई बाबा के बारे में अनर्गल टिप्पणियों से साई भक्तों में रोष व्याप्त है।
‘‘साई मंदिर ट्रस्ट को लेकर शहर के कुछ व्यापारी वर्ग के भूमाफियाओं द्वारा अनर्गल प्रचार किया जा रहा है, ताकि वे लोग मंदिर से लगी अपनी जमीन को उंची कीमतों पर बेच सकें। यह पूरा काम साई उत्सव मेलाको बंद कराने का कुत्सित षणयंत्र है।‘‘ उक्ताश की बात आज ऊॅ शिरडी साई मंदिर, नगझर के सचिव प्रसन्न चंद मालू ने आज दैनिक हिन्द गजट के कार्यालय में चर्चा के दौरान कही।
श्री मालू ने कहा कि विगत कुछ माहों से देखा जा रहा है कि कतिपय विध्न संतोषी तत्वों द्वारा हम सभी साई भक्तों के ईष्ट सच्चिदानंद सदगुरू साई नाथ महाराज से संबंधित विभिन्न प्रकार की टिप्पणियां सोशल नेटवर्किंग वेब साईट फेसबुकपर की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि साई भक्त तो बाबा के सिद्धांत सबका मालिक एकपर चलकर सभी जाति, धर्म एवं वर्ग के लोगों पर एक सा भाव रखते हैं।
उन्होंने कहा कि साई भक्तों के धेर्य को उनकी श्रृद्धा को एसे तत्वों द्वारा गलत अंदाज में देखा जा रहा है। श्री मालू ने कहा कि साई भक्त कायर कतई नहीं हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति द्वारा उनके ईष्ट देवता के संबंध में अनर्गल टिप्पणी की जाएंगी तो उसे माकूल जवाब दिया जाएगा।
श्री मालू ने कहा कि इस और अन्य मुद्दों को लेकर जल्द ही सिवनी जिले के साई भक्तों की एक बैठक का आयोजन साई मंदिर, नगझर में किया जाएगा जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। साई मंदिर समिति के सचिव प्रसन्न मालू ने कहा कि फेसबुक पर साई बाबा के नाम पर होने वाली अनर्गल टिप्पणी के बारे में आज सर्वधर्म के लगभग चालीस पचास लोगों ने कोतवाली जाकर नगर निरीक्षक को एक शिकायत पत्र भी सौंपा है।
उन्होंने बताया कि नगर निरीक्षक हरिओम शर्मा ने कहा कि वे इस मामले को पूरी गंभीरता से लेकर दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करेंगे। श्री मालू ने आगे बताया कि इस संबंध में साई भक्त जल्द ही जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक से मिलकर अपनी आपत्ति दर्ज कराएंगे।
उन्होंने हिन्द गजट को फेसबुक पर शिरडी वाले साई बाबा के बारे में की गई अश्लील और अनर्गल टिप्पणियों के बारे में प्रिंट आउट भी उपलब्ध करवाए हैं जो वाकई आपत्तिजनक कहे जा सकते हैं। इसमें साई बाबा के बारे में अनेक विध्न संतोषियों ने तरह तरह की गलत टिप्पणियों की हैं। इसमें आचार्य पंडित के के शंखधार ने बाबा के बारे में बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की है।
ज्ञातव्य है कि बस स्टेंड लक्ष्मी नारायण मंदिर में जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा साई बाबा के भण्डारों पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया था।

कुशल कुम्हार के अभाव में दम तोड़ती कच्ची मिट्टी!


कुशल कुम्हार के अभाव में दम तोड़ती कच्ची मिट्टी!

(लिमटी खरे)

‘‘माटी कहे कुम्हार से तू क्या रोंदे मोहे! इक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूंगी तोहे!! कबीर का यह दोहा बचपन में कोर्स की किताब में ना जाने कितने लोागें ने पढ़ा होगा। कबीर एवं अन्य कवियों के दोहों में कम शब्दों में बहुत ज्यादा सारांश और शिक्षा होती थी। दोहों के माध्मय से ना जाने कितनी शिक्षाएं इन प्राचीन लोगों द्वारा दी गई है। प्राचीन काल से इन हिदायतों शिक्षाओं को लोग अपने जीवन में उतारते आए हैं।
कच्ची मिट्टी को एक कुम्हार बहुत ही बारीकी और जतन के साथ सुराही, घड़ा, मर्तबान, गमला, गुल्लक ना जाने क्या क्या आकार देता है। कुम्हार के द्वारा मिट्टी को गढ़ने की कला वाकई में तारीफे काबिल ही मानी जाती रही है। कहा जाता है कि मिट्टी को गूंथकर, रोंदकर उसे चिकना बनाने के उपरांत कुम्हार उसे चाक‘ (बैलगाड़ी के पहिए के आकार का चका) पर रखकर मन माफिक शक्ल देता है।
कमोबेश सिवनी में शिक्षा के क्षेत्र में कुशल कुम्हारों की कमी साफ दिखाई पड़ती है। नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट नई दिल्ली की प्रवेश परीक्षा में 48वां स्थान पाने वाली सिवनी की बेटी अपर्णा त्रिपाठी ने हिन्द गजट को दिए साक्षात्कार में इस बात को रेखांकित किया है कि सिवनी में बारहवीं तक तो बच्चा जैसे तैसे पढ़ाई कर लेता है, पर इसके उपरांत वह क्या करे कैरियर गाईडेंस के मामले में चहुंओर उसे अंधकार ही दिखाई देता है।
अपर्णा का सोचना शत प्रतिशत सच है। विदेशों में पांचवीं कक्षा से ही बच्चे की रूचि के हिसाब से उसे कैरियर चुनने में शिक्षक प्रशिक्षक मदद करते हैं। सिवनी में ना तो इंजीनियरिंग, ना ही मेडीकल, ना ही चार्टर्ड एकाउंटेंसी जैसे प्रोफेशनल कोर्स के मामलों में कोई गाईड करने वाला है।
सिवनी में पालकों की मजबूरी यह है कि वे प्रोफेशनल कोर्सेस के लिए वरिष्ठ और कार्यरत लोगों के पास जाकर ही सलाह मशविरे के लिए मजबूर हैं। डाक्टर, इंजीनियर, सीए, सीएस, वकील, पत्रकार आदि काफी हद तक व्यस्त होते हैं इन परिस्थितियों में नए विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शन हेतु उनके लिए समय निकालना कठिन होता है।
सिवनी में निजी और सरकारी तौर पर ना जाने कितनी शिक्षण संस्थाएं कार्यरत हैं। इन शिक्षण संस्थाओं में भी बच्चों के लिए कैरियर का गाईडेंस नहीं दिया जाता है। शालाओं में पढ़ाई का अभाव साफ दिखाई देता है, यही कारण है कि कोचिंग क्लासेस, ट्यूशन आदि में विद्यार्थियों की भीड़ देखते ही बनती है। इन कोचिंग या ट्यूशन में पालकों की जेब जमकर ढीली होती है।
पालकों की मरण से ना तो प्रशासन को लेना देना है और ना ही शिक्षण संस्थाओं के संचालकों को। जब शाला में चाहे वह सरकारी हो अथवा निजी, में विद्यार्थी से एक बार शिक्षण शुल्क जिसे अंग्रेजी भाषा में ट्यूशन फीस कहा जाता है ले ली जाती है तो फिर क्या कारण है कि बच्चे को ट्यूशन या कोचिंग क्लास में भेजना पड़ता है जहां वह एक बार फिर ट्यूशन फीस देने को मजबूर होता है।
सैकड़ों की तादाद में कोचिंग क्लासेस में बच्चे पढ़ रहे हैं एवं एक एक बच्चे से पांच से पंद्रह हजार रूपए सालाना तक की ट्यूशन फीस ली जा रही है। क्या आयकर विभाग को इन कोचिंग क्लासेस के संचालकों की मोटी कमाई दिखाई नहीं दे रही है। निश्चित तौर पर आयकर विभाग और इन संस्थाओं के संचालकों के बीच सांठगांठ है तभी इन पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
बहरहाल, कैरियर गाईडेंस के लिए कुछ कोचिंग इंस्टीट्यूट्स ने एक दो दिवसीय सेमीनार का आयोजन किया है, वे बधाई की पात्र हैं। बच्चों को किस दिशा में जाना चाहिए, उसकी क्या मंशा है इस बारे में उससे चर्चा कर उसे मार्गदर्शन अगर दिया जाए तो वह काफी हद तक अपना रास्ता चुन सकता है। वस्तुतः सिवनी में ऐसा होता नहीं दिखता।
आज पालक और बच्चे दसवीं के उपरांत अपना कैरियर चुनने के लिए समाचार पत्रों के साप्ताहिक पुल आउट, के साथ ही साथ इंटरनेट पर ही भविष्य खंगालने पर मजबूर हैं। जिनके परिचित इन क्षेत्रों में हैं वे तो अपनी अपनी उत्सुक्ता की शांति इन सीनियर्स से पूछकर कर लेते हैं पर गांव के बेचारे बच्चे क्या करें, जिनके मन में कुछ करने की अभिलाषाएं होती हैं, पर सहयोग के अभाव में वे दम ही तोड़ देती हैं।
कुछ साल पहले तक आरक्षित वर्गों के बच्चों के लिए कैरियर मार्गदर्शन का काम किया जाता था, पर अब वह भी बंद हो चुका है। गैर सरकारी संगठन यानी एनजीओ के मुंह में भी खून लग चुका है। एनजीओ भी अब बिना पैसे का काम करने में हिचकिचाहट ही महसूस करते हैं।
होना यह चाहिए कि सरकारी स्तर पर कुछ इस तरह के प्रयास हों कि आठवीं कक्षा के उपरांत ही बच्चों को कैरियर बनाने के लिए समय समय पर मार्गदर्शन मिले। इसके साथ ही साथ मोटा पैसा काट रहे कोचिंग इंस्टीट्यूट के संचालकों को भी पाबंद किया जाए कि वे हर दो तीन माह में कैरियर गाईडेंस शिविर का आयोजन कर कच्ची मिट्टी को स्वरूप देने की कवायद करें।
समय रहते इस तरह के प्रयास आवश्यक हैं। सिवनी में प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं। जगतगुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, स्वामी प्रज्ञनानंद, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुश्री विमला वर्मा, भारतीय विदेश सेवा के सेवानिवृत अधिकारी शील कांत शर्मा, भारतीय पुलिस सेवा के सेवानिवृत अधिकारी ऋषभ कुमार दिवाकर आदि ना जाने कितने उदहारण हैं जो सिवनी के भाल पर तिलक के रूप में कहे जा सकते हैं। जरूरत है तो कच्ची मिट्टी को गढ़कर स्वरूप देने की।