शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

हृदय प्रदेश में घट गई औसत आयु


हृदय प्रदेश में घट गई औसत आयु

केरल है औसत आयु के मामले में शिखर पर

एमपी में स्वास्थ्य सुविधाएं बुरी तरह लड़खड़ाईं

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। यूं तो स्वस्थ्य व्यक्ति की आयु एक सौ बरस से ज्यादा हो सकती है किन्तु रहन सहन और खान पान के चलते भारत गणराज्य में औसत आयु कम होती ही जा रही है। औसत आयु के मामले में भारत में यह आंकड़ा 63 साल पांच माह का मना गया है। देश में सबसे अधिक औसत आयु सत्तर के साथ केरल पहली पायदान पर है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड में औसत आयु का आंकड़ा महज 58 साल पर ही आकर अटक गया है।

दीर्घायु हो, शतायु होजैसे आर्शीवाद भी अब कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। देश के हृदय प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाएं बुरी तरह लड़खड़ा चुकी हैं। मध्य प्रदेश के जिला, संभागीय मुख्यालयों मे चिकित्सक सरकारी अस्पातालों से गायब हैं। जो थोड़े बहुत पदस्थ भी हैं वे भी अस्पताल के आसपास ही अपनी दुकानचला रहे हैं। सांसद विधायकों के नाक के नीचे यह सब हो रहा है और वे खामोशी के साथ सब कुछ देख सुन रहे हैं।

देश में औसत आयु साढ़े तिरेसठ साल की आंकी गई है। केरल में 70 तो पंजाब में 69 साल 4 माह, महाराष्ट्र में यह 67 साल दो माह, हिमाचल में 67 साल, हरियाणा और हरियाणा में छियासठ साल दो माह, कर्नाटक में 65 साल तीन माह, उत्तर प्रदेश और बंगाल में 65 साल नौ माह, आंध्र प्रदेश में 64 साल चार माह, गुजरात में 64 साल एक माह, राजस्थान में 62 साल, उड़ीसा में 59 साल 9 माह औसत आयु आंकी गई है। औसत आयु के मामले में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखण्ड फिसड्डी हैं, जहां औसत आयु महज 58 साल ही आंकी गई है।

मनमोहन और शिवराज में समानता!


मनमोहन और शिवराज में समानता!

सियासी हल्कों में दोनों को भ्रष्टाचार का ईमानदार संरक्षण किया जा रहा निरूपति

भ्रष्टाचार की गंगा के भागीरथी बने सिंहद्वय

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश के अर्थशास्त्री और ईमानदार छवि के वजीरे आजम कांग्रेस के राज्य सभा सांसद डॉक्टर मनमोहन सिंह और हृदय प्रदेश के निजाम किसान पुत्र भाजपा के विधायक शिवराज सिंह चौहान के बीच असमानताएं तो सैकड़ों हैं किन्तु अब सियासी गलियारों में उनमें समानताएं खोजी जा रही हैं। एक समानता जो प्रमुखता के साथ सामने आई है वह है दोनों ही भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक के बतौर।

मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में जितने भ्रष्ट लोगों को संरक्षण दिया वह किसी से छिपा नहीं है। मनमोहन सिंह की ईमानदार छवि का लाभ उठाकर उनके सहायोगियों चाहे वे कांग्रेस के रहे हों या फिर सहयोगी दलों के, सभी ने तबियत से भ्रष्टाचार की गंगा बहाई। इस गंगा में सभी ने नहाया। इस गंगा को भ्रष्टाचार की धरती पर लाने वाले भागीरथी और कोई नहीं वरन् खुद वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह ही साबित हुए हैं।

उधर डम्पर कांड में अपनी साख पर बट्टा लगवा चुके शिवराज सिंह चौहान के सहयोगियों ने भी मध्य प्रदेश को खगल (जानवर जिस तरह हड्डी को चबा चबा कर खाता है) के खाया है। भ्रष्टाचार के सारे कीर्तिमान मध्य प्रदेश में टूटे हैं। लोकतंत्र के लुटेरे के बतौर आईएएस जोशी दंपत्ति ने शिवराज सिंह चौहान का सर नीचा करने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी। कांग्रेस की कथित तौर पर रहस्यमयी चुप्पी (कांग्रेस भाजपा की नूरा कुश्ती) के चलते भ्रष्टाचार के न जाने कितने मामले दफन हो गए।

मध्य प्रदेश राज्य स्थापना दिवस 1 नवंबर पर प्रदेश भर में लगवाए गए होर्डिंग्स में निलंबित टीनू जोशी के चित्र चस्पा कर शिवराज सिंह सरकार ने साबित कर दिया है कि वह भ्रष्टाचार की ईमानदार संरक्षक है। गौरतलब है कि टीनू जोशी और उनके आईएएस पति अरविंद जोशी के पास अनुपात हीन आकूत दौलत मिली है। इसी भ्रष्ट जोशी दंपत्ति में टीनू जोशी को प्रदेश की गौरवशाली बेटी बताने की हिमाकत की है, शिवराज सिंह चौहान ने।

मुख्यमंत्री निवास के करीब अतिव्यस्ततम चौराहे पर लगे सरकारी होर्डिंग में महान कवियत्रि सुभद्रा कुमारी चौहान, कांग्रेस की वरिष्ठ नेत्री स्व.जमुना देवी, भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, के साथ ही साथ टीनू जोशी को भी प्रदेश की गौरवशाली पुत्री का दर्जा दिया गया है। इससे साफ जाहिर है कि शिवराज सिंह चौहान द्वारा भ्रष्टों की सरगना टीनू जोशी को रोल माडल बनाकर अधिकारियों को भ्रष्टाचार करने की नसीहत दी जा रही है।

प्रतिवर्ष 32 लाख टन कोयला जलेगा पावर प्लांट में


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . . 6

प्रतिवर्ष 32 लाख टन कोयला जलेगा पावर प्लांट में

थापर ग्रुप के लिए सजेगा रीवा लखनादौन राजमार्ग

रेल्वे में लोडिंग अनलोडिंग की है समस्या

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। देश की ख्यातिलब्ध थापर गु्रप की सहयोगी कंपनी झाबुआ पावर लिमिटेड द्वारा सिवनी जिले की आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील के बरेला में डाले जा रहे पावर प्लांट में अनूपपुर से प्रतिवर्ष 32 लाख टन कोयला आपूर्ति किया जाएगा। वैसे तो कोलकता के दसवीं ओसी गांगुली सारनी, के मेकमेट हाउस की सातवीं मंजिल में मूल कार्यालय वाले झाबुआ पावर प्लांट ने अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट में कोयले का परिवहन रेल मार्ग से होना दर्शाया है किन्तु कोयला ब्राडगेज से जबलपुर आकर फिर नेरो गेज से घंसौर पहंुचता है तो जबलपुर में लोडिंग अनलोडिंग में कंपनी की जेब ढीली हो जाएगी।

कंपनी की इस प्रोजेक्ट रिपोर्ट में अनेक तकनीकि पेंच हैं, जिन्हें पूरी तरह से नज़र अन्दाज ही किया गया है। अव्वल तो यह कि अगर ब्राड गेज से कोयला अनूपपुर से ढुलकर जबलपुर आ भी गया तो जबलपुर के ब्राड गेज के यार्ड से उसे नेरो गेज के यार्ड तक कैसे लाया जाएगा। या तो उन्हें ब्राड गेज के यार्ड से नैरो गेज के यार्ड तक लाईन बिछानी पडेगी या फिर ट्रक के माध्यम स ेनैरो गेज तक ढोना पडेगा। इतना ही नहीं आने वाले समय में जब बालाघाट से जबलपुर अमान परिवर्तन का काम आरम्भ हो जाएगा तब नैरो गेज की पटरियां उखाड दी जाएंगी, एसी परिस्थिति में फिर कोयला परिवहन का वैकल्पिक साधन बच जाएगा सडक मार्ग। वैसे भी लोडिंग अनलोडिंग की प्रक्रिया झाबुआ पावर लिमिटेड के लिए काफी खर्चीली और समय की बरबादी वाली ही होगी।

उधर रेल्वे के सूत्रों का दावा है कि थापर गु्रप द्वारा अपने एक व्यसायी कम राजनेता मित्र के माध्यम से रेल्वे पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि जबलपुर से बालाघाट बरास्ता नैनपुर के रेल खण्ड का अमान परिवर्तन तत्काल जबलपुर के सिरे से आरंभ करवा दिया जाए ताकि झाबुआ पावर के कोयले के रेक सीधे घंसौर तक पहुंच सकें जिसमें उनका परिवहन व्यय कम हो सके। इसके लिए जबलपुर से घंसौर तक लाईन तुरंत ही डालने का काम भी आरंभ किया जाने वाला है।

घंसौर से जबलपुर के बीच जगह जगह पर स्लीपर भी गिरा दिए गए हैं। रेल्वे बोर्ड की हरी झंडी मिलते ही यह काम युद्ध स्तर पर जारी हो जाएगा। घंसौर से नैनुपर और बालाघाट तक का काम किस सन तक पूरा किया जा सकेगा इस मामले मं रेल्वे बोर्ड के सूत्र मौन हैं पर उनका कहना है कि थापर गु्रप के राजनैतिक और व्यवसायी मित्र ने रेल मंत्री पर इस काम को तत्काल अंजाम देने के लिए दबाव बना दिया है।

सूत्रों ने तो यहां तक कहा कि इस मामले में मण्डला सिवनी संसदीय क्षेत्र के सांसद बसोरी सिंह मसराम से भी रेल मंत्री पर दबाव बनवाया गया है, कि उनके संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले आदिवासी विकासखण्ड मुख्यालय घंसौर को तत्काल ही संभागीय मुख्यालय जबलपुर से रेल से जोड़ा जाए। घंसौर से नैनपुर तक का रेलखण्ड भी मसराम के संसदीय क्षेत्र का ही हिस्सा है पर उसके लिए सांसद मसराम ने मौन ही साध रखा है। मसराम ने इस काम को नैनपुर वाले सिरे से आरंभ करवाने की बात पर भी जोर न दिया जाना आश्चर्यजनक ही माना जाएगा।

(क्रमशः जारी)

पहली बार मन से दिखाए पीएम ने कड़े तेवर


बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 18

पहली बार मन से दिखाए पीएम ने कड़े तेवर

उत्तराधिकारियों को साईज में लाने की जुगत में मनमोहन

प्रणव, अंटोनी और चिदम्बरम को दी नसीहत

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। अपनी रूखसती के पहले वजीरे आजम डॉक्टर मनमोहन सिंह ने अब कड़े तेवर अपनाना आरंभ कर दिया है। मनमोहन सिंह ने वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी और गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम को साईज में लाना आरंभ कर दिया है। मनमोहन सिंह के संभावित उत्तराधिकारी के तौर पर प्रणव, अंटोनी और चिदम्बरम का नाम सामने आ रहा है। इन तीनोें को एक सर्कुलर से बांधकर मनमोहन सिंह ने बाकी मंत्रियों को कड़ा संदेश देने का प्रयास किसा है।

पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि कैबनेट सचिव के माध्यम से केंद्रीय मंत्रीमण्डल के समस्त सदस्यों को भेजे गए सर्कुलर में कहा गया है कि सीसीपीए की बैठक की अध्यक्षता अब वहां मौजूद वरिष्ठतम मंत्री ही करेंगे। वर्चस्व की लड़ाई में मनमोहन सिंह ने रार और तेल फेंकते हुए यह नई व्यवस्था दी है। मनमोहन सिंह को यह खतरा है कि कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी कभी भी उन्हें 7, रेसकोर्स रोड़ (प्रधानमंत्री का सरकारी आवास) से बाहर का रास्ता दिखा सकती है।

कहा जा रहा है कि सीसीपीए की बैठक में वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, गृह मंत्र पलनिअप्पम चिदम्बरम और रक्षा मंत्री ए.के.अंटोनी आवश्यक तौर पर उपस्थित रहेंगे। इन परिस्थितियों में वरिष्ठता की जंग में ये नेता आपस में ही लहू लुहान हो जाएंगे। इस सर्कुलर के अनुसार चिदम्बरम, अंटोनी और प्रणव मुखर्जी को समकक्ष बता दिया गया है।

(क्रमशः जारी)

रीवेरीफिकेशन में सुस्ती का है आईडिया


एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . .  14

रीवेरीफिकेशन में सुस्ती का है आईडिया

अस्सी फीसदी लोगों के दस्तावेज अधूरे!

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। आदित्य बिरला गु्रप की मोबाईल सेवा प्रदाता कंपनी आईडिया ने रीवेरीफिकेशन में बेहद सुस्ती दिखाई है। रीवेरीफिकेशन के चलते आईडिया के हजारों यहां तक कि लाखों की तादाद में मोबाईल बंद होने की आशंका के चलते मोबाईल उपभोक्ताओं पर गाज गिरना तय माना जा रहा है। दूरसंचार नियामक आयोग और दूरसंचार विभाग द्वारा रीवेरीफिकेशन में विलंब के कारण आईडिया की मुश्कें कसने का मानस बना लिया है।

देश के करोड़ों मोबाइल फोन ग्राहकों के लिए बुरी खबर है। सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि देश में करोड़ों मोबाइल फोन ग्राहकों की सर्विस कभीं भी बंद हो सकती है। ज्यादा परेशानी की बात देश के पूर्वाेत्तर राज्यों के ग्राहकों के लिए है। यहां के 1.65 करोड़ प्रीपेड मोबाइल धारकों में से करीब 80 फीसदी का कनेक्शन कभी भी कट सकता है। दरअसल री-वेरिफिकेशनप्रक्रिया के तहत प्रीपेड मोबाइल धारकों को जो दस्तावेज मोबाइल कंपनियों को मुहैया कराने थे उसकी समय सीमा समाप्त होनके के बाद भी अभी तक 80 फीसदी लोगों ने अपने दस्तावेज जमा नहीं कराए हैं।

सरकार के निर्देशों के मुताबिक री-वेरिफिकेशनके लिए जिन डॉक्यूमेंट्स की मांग की गई थी उसमें ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, शस्त्र लाइसेंस, फोटोयुक्त एवं पता के साथ डाकघर या बैंक की पासबुक शामिल हैं। लेकिन खासतौर पर पूर्वाेत्तर राज्यों के मोबाइल ग्राहक इन दस्तावेजों को जमा नहीं करवा पाए हैं। इसके साथ ही बड़ी संख्या में देश के दूसरे हिस्सों के मोबाइल ग्राहकों ने भी इन दस्तावेजों को जमा नहीं करवाया है। जिसके चलते अब इन लोगों के मोबाइल कनेक्शन कभी भी काटे जा सकते हैं।

(क्रमशः जारी)