बुधवार, 7 अगस्त 2013

नासूर बना खवासा बार्डर का जाम!

नासूर बना खवासा बार्डर का जाम!

चेम्बर ऑफ कामर्स ने खवासा बार्डर में ट्रेफिक जाम को लेकर सौंपा ज्ञापन

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश महाराष्ट्र सीमा पर खवासा बार्डर में वाहनों की अनावश्यक कतार से लगने वाले जाम से सभी परेशान हो चुके हैं। इस जाम में नेता, पत्रकार, व्यवसाई, आम आदमी सभी फंसकर हलाकान हो जाते हैं। मजे की बात तो यह है कि खवासा बार्डर से महज दस किलोमीटर दूर महाराष्ट्र की मानेगांव टेक परिवहन जांच चौकी में एक भी वाहन खड़ा नहीं दिखता।
लोगों का कहना है कि खवासा की जांच चौकियों में वाहन चालकों से सौदेबाजी के चलते वाहनों का जाम लगता है, वरना क्या कारण है कि मानेगांव टेक में रास्ता पूरी तरह साफ ही नजर आता है। कहा जा रहा है कि खवासा में होने वाली अवैध वूसली का हिस्सा प्रदेश सरकार के आला नेताओं, अधिकारियों सहित जिले में समान रूप से बांटा जाता है इसीलिए इस दिशा में अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
यहां यह उल्लेखनीय होगा कि अप्रेल माह में समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा जिला कलेक्टर भरत यादव एवं जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला के अलग अलग लिए गए साक्षात्कार में खवासा के जाम को प्रमुख रूप से उठाया था। अधिकारी द्वय ने अपने अपने जवाब में कहा था कि वे एक पखवाड़े के अंदर ही इस जाम से लोगों को निजात दिलवा देंगे। जिला कलेक्टर ने कहा था कि वे इसके लिए छापामार दल भी गठित करेंगे जो खवासा चौकी पर जाकर छापे मारेगा, ताकि वहां भ्रष्टाचार ना हो सके।
वहीं, एनएच पर स्थित खवासा बार्डर पर ट्रेफिक व्यवस्था सुचारू रूप से किये जाने हेतु सिवनी चेम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के द्वारा एक ज्ञापन आज जिला कलेक्टर, एसपी एवं विक्रय कर विभाग को सौंपा गया।
सौपें गये ज्ञापन में मुख्य रूप से खवासा बार्ड पर छोटे वाहन, एम्बूलेंस आदि को बार्डर की ट्रेफिक व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं होने के कारण होने वाली परेशानियों से जिले के कलेक्टर को अवगत कराते हुए जनहित में शीघ्र अतिशीघ्र उक्त व्यवस्था को ठीक कराये जाने का निवेदन किया गया है, जिसमें प्रतिनिधिमंडल ने अपनी ओर से कुछ सुझाव भी प्रेषित किये हैं।

प्रतिनिधि मंडल में चेंबर के संरक्षक अनिल सिंघानिया, चेंबर के उपाध्यक्ष उधवदास आसवानी, सचिव संतोष अग्रवाल, कोषाध्यक्ष विनोद अग्रवाल, सराफा एसो. के अध्यक्ष अतुल मालू, प्रकाश टेंभरे, सुनील नाहर, प्रवेश भालोटिया आदि का समावेश था।

थम नहीं रहा डेंगू के लार्वा मिलने का सिलसिला!

थम नहीं रहा डेंगू के लार्वा मिलने का सिलसिला!

स्वास्थ्य विभाग ने अब तक नहीं जारी की जानलेवा डेंगू, मलेरिया की एडवाईज़री

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। मच्छर जनित जानलेवा डेंगू के लार्वा मिलने का सिलसिला थम ही नहीं पा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अनेक दल द्वारा सतत् रूप से विवेकानंद और शहीद वार्ड में घरों में एकत्र पानी में मच्छरों के लार्वा की खोज कर उन्हें नष्ट किए जाने का काम किया जा रहा है। नगर पालिका की अकर्मण्यता के चलते सिवनी जिला मुख्यालय डेंगू की चपेट में आ चुका है। अब तक डेंगू के प्रभावित सात मरीजों के मिलने की खबर है।

अस्पताल भरा, मरीज जमीन पर
जिला चिकित्सालय इन दिनों मरीजों से ओवर फ्लो चल रहे हैं। अस्पताल में मरीजों के लिए पलंग खाली नहीं है। आलम यह है कि मरीज जमीन पर पड़े कराह रहे हैं। कहा जा रहा है कि जबसे जिला चिकित्सालय की कमान सिविल सर्जन डॉ.सत्यनारायण सोनी के हाथों में आई है तबसे जिला चिकित्सालय खुद ही आईसीयू में भर्ती हो गया है। जिला चिकित्सालय में बुखार, सर्दी खांसी के मरीजों की हालत देखकर लग रहा है मानो बारिश अपना असर दिखा रही है।

यही है मलेरिया जागरूकता रैली का परिणाम
कुछ दिनों पूर्व जिला मलेरिया अधिकारी के निर्देशन में मलेरिया विभाग द्वारा एक जन जागरूकता रैली का आयोजन किया गया था। इस रैली में मच्छर जनित रोगों के बारे में उनके प्रभाव, लक्षण, होने के कारण, बचाव के उपाय आदि के बारे में विस्तार से बताए जाने की बात जिला मलेरिया अधिकारी कार्यालय द्वारा जारी विज्ञप्ति में कही गई थी।
बताया जाता है कि इससे उलट यह रैली शहर के विभिन्न भागों में भ्रमण करने के बजाए जिला चिकित्सालय में अवस्थित जिला मलेरिया कार्यालय से निकलकर महज बाहुबली चौक तक आकर वापस लौट गई थी। इस जन जागरूकता रैली में स्वास्थ्य विभाग के मुट्ठी भर लोगों ने शिरकत की थी।

कागजों में चल रही योजनाएं
मच्छर जनित रोगों के लिए केंद्र सरकार द्वारा पूर्व में राष्ट्रीय मलेरिया उन्नमूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा था। इसके तहत जिलों में मलेरिया के यूनिट स्थापित थे। बाद में मलेरिया के कर्मचारियों को परिवार नियोजन आदि के काम में संलग्न कर दिया गया। आज भी मलेरिया विभाग में पंप मैकेनिक, लेब टेक्निशियन आदि के पदों के एवज में वेतन निकल रहा है।

बाकी वार्ड में नहीं है ध्यान!
स्वास्थ्य विभाग के डेंगू एवं मलेरिया के विनिष्टीकरण अभियान का पूरा जोर जिला मुख्यालय में महज विवेकानन्द वार्ड और शहीद वार्ड में ही है। इन दोनों वार्ड के अलावा भी अन्य वार्ड में डेंगू या मलेरिया के लिए जिम्मेदार मच्छरों के लार्वा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है, पर स्वास्थ्य विभाग का ध्यान इस ओर ना होना आश्चर्यजनक है।

नहीं जारी हुई एडवाईज़री!
स्वास्थ्य विभाग द्वारा 30 जुलाई को जनसंपर्क विभाग के माध्यम से विज्ञप्ति जारी कर स्वीकार किया गया था कि शहर में दो मरीज डेंगू प्रभावित हैं। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा अब तक डेंगू और मलेरिया के लिए एडवाईज़री जारी ना करना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है। लगता है स्वास्थ्य विभाग यह मानकर चल रहा है कि सिवनी जिला मुख्यालय के सारे लोग डेंगू और मलेरिया के कारण, लक्षण, बचाव के उपाय आदि से भली भांति परिचित हैं।

ठण्ड में कहर बरपाएगा डेंगू!
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली ब्यूरो से मणिका सोनल ने भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सूत्रों के हवाले से बताया कि डेंगू के लिए जवाबदेह मच्छर का कहर ठण्ड के बढ़ते ही तेज हो जाता है। ठण्ड के मौसम में डेंगू का मच्छर अपने पूरे शवाब पर होता है। चूंकि ठण्ड के मौसम में पंखे आदि नहीं चलते इसलिए मच्छर के काटने की संभावनाएं और अधिक बढ़ जाती हैं।

दिन में काटता है डेंगू का मच्छर
डेंगू के लिए जवाबदेह मच्छर, दिन में ही लोगों को अपना शिकार बनाता है। इस लिहाज से दिन में संचालित होने वाली शिक्षण संस्थाओं और कार्यालयों में भी मच्छर को भगाने के पर्याप्त उपाय करना जरूरी हो गया है। जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि वह नगर पालिका प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को यह निर्देश दे कि सभी वार्ड में जांच दल बनवाकर घरों घर मच्छरों के लार्वा की जांच और विनिष्टीकरण की कार्यवाही करने के निर्देश दे।

सुनिश्चित की जाए जनभागीदारी

जानलेवा डेंगू के सातवें मरीज मिलने के बाद अब इसका कहर बढ़ने की उम्मीद से इंकार नही किया जा सकता है। अब इससे निपटने के लिए जनभागीदारी सुनिश्चित किया जाना आवश्यक हो गया है। जिला प्रशासन को चाहिए कि इसके लिए गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की मदद ली जाकर, घरों घर अनेक प्रचार माध्यमों से जनजागरूकता फैलाएं।

स्कूल बस, फायदे का धंधा

स्कूल बस, फायदे का धंधा

(शरद खरे)

स्कूल बस का संचालन वाकई एक फायदे का सौदा साबित हो रहा है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय, केंद्र सरकार, प्रदेश सरकार, जिला प्रशासन, परिवहन विभाग चाहे जो निर्देश जारी करें पर स्कूल बस संचालकों की मोटी खाल पर इसका कोई असर नहीं होता है। लगता है उपर से नीचे तक कड़े निर्देश जारी करना उसी तरह की एक परंपरा बन चुका है जिस तरह कि इन निर्देशों को हवा में उड़ाने की परंपरा बन चुकी है।
स्कूल बस संचालन के लिए न्यायालयों के साथ ही साथ केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा समय समय पर कड़े दिशा निर्देश जारी किए जाते रहे हैं। निहित स्वार्थ और पैसा कमाने की अंधी प्रतिस्पर्धा में उलझे परिवहन विभाग और यातायात पुलिस को इन स्कूल बस संचालकों की मश्कें कसने की फुर्सत शायद नहीं है। कभी कभार निरीह आटो चालकों पर अवश्य ही यातायात पुलिस की सख्ती दिख जाती है।
देखा जाए तो स्कूल बस संचालन के नियम कायदे बेहद कड़े हैं। चूंकि इसमें देश के नौनिहाल और भविष्य, घरों से शाला तक का सफर तय करते हैं इसलिए इनकी सुरक्षा चाक चौबंद होना जरूरी ही है। दिल्ली सहित महानगरों में आए दिन स्कूल बस के हादसे, बसों में बच्चों के साथ यौन छेड़छाड़ आदि की शिकायतें मीडिया में पटी पड़ी हैं। बावजूद इसके सिवनी जिले मंें ना तो जिला प्रशासन ही इसके लिए संजीदा दिख रहा है ना ही शाला प्रबंधन।
ज्ञातव्य है कि पिछले साल मार्च में प्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग के लोक शिक्षण संचालनालय ने स्कूल बसों के लिए एक नई गाइड लाइन तय की थी। दरअसल, स्कूल बसों के लगातार हादसों ने स्कूल शिक्षा विभाग के मोटी चमड़ी वाले आला अफसरान को जगाया था। 2012 में मार्च माह मेें ही प्रदेश शासन ने मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों का पालन कराने के लिए उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को अमल में लाने के लिए स्कूल बस के लिए जो दिशा निर्देश जारी किए हैं, उसमें इस बात का विशेष ख्याल रखा गया था कि जिस स्कूल बस में बच्चों को स्कूल तक लाने ले जाने का काम किया जाएगा वह बस कितनी महफूज होगी? उस बस में हर उस परिस्थिति से निपटने की तैयारी रहेगी जो रास्ते में किसी भी वक्त किसी के भी साथ घटित हो सकती है। किसी भी परिस्थिति से निपटने के सारे इंतजाम बस में उपलब्ध रहेंगे ताकि हर परिस्थिति से स्कूल बस में बैठे बच्चों को सुरक्षित बचाया जा सके।
उक्त समस्याओं पर विचार कर स्कूल बसों के लिए नियम-कायदों की गाइड लाइन तैयार की गई एवं इसे नवीन शिक्षण सत्र में समस्त स्कूल संचालकों के लिए जारी किया गया है। इसके अनुसार बस के आगे और पीछे बड़े अक्षरों में, सुवाच्य अक्षरों में स्कूल बस लिखा जाए। यदि बस किराये की है तो उस पर आगे एवं पीछे विद्यालयीन सेवा लिखा जाए। विद्यालय के लिए उपयोग में लायी जाने वाली किसी भी बस में निर्धारित सीटों से अधिक संख्या में बच्चे नहीं बैठाए जाएं। प्रत्येक बस में अनिवार्य रूप से फर्स्ट एड् बाक्स की व्यवस्था हो। बस की खिड़कियों में आधी पट्टियां अनिवार्य रूप से फिट कराई जाएं। प्रत्येक बस में अग्नि शमन यंत्र की व्यवस्था हो। बस में स्कूल का नाम और टेलीफोन नंबर चस्पा हांे। बस के दरवाजे पर सुरक्षित चिटकनी लगी हो। वाहन चालक को भारी वाहन चलाने का न्यूनतम पांच वर्ष का अनुभव होना चाहिए तथा पूर्व में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन का दोषी नहीं ठहराया गया होना चाहिए। मोटर वाहन नियम 17 के अनुसार प्रत्येक बस में बस चालक के अतिरिक्त एक अन्य योग्य व्यक्ति की व्यवस्था की जाए। बच्चों के बस्ते रखने के लिए सीटों के नीचे जगह की व्यवस्था की जानी चाहिये। सुरक्षा की दृष्टि से बच्चों को लाते-ले जाते समय बस में एक व्यक्ति यथासंभव स्कूल के एक शिक्षक की व्यवस्था की जाए।
वहीं, सीबीएसई (सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंड्री एजुकेशन) स्कूलों की बसों में अनपढ़ चालक-परिचालकों के हाथों में स्टेयरिंग नहीं थमाए जाने के निर्देश जारी किए गए थे। ड्राइवर 12 वीं व कंडक्टर के लिए 10 वीं पास होना अनिवार्य कर दिया है। कोई स्कूल संचालक या बस मालिक नियमों का उल्लंघन करता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। बोर्ड सचिव विनीत जोशी द्वारा स्कूलों को इस संबंध में अवगत कराया जा चुका है। स्कूलों को निर्देश जारी किए गए हैं कि यदि ड्राइवर तेज गति से गाड़ी चलाने, शराब पीकर गाड़ी चलाने व खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाने को लेकर एक भी बार परिवहन विभाग की ओर से हुई चालान की कार्रवाई का दोषी होगा तो उसे काम पर नहीं रखा जाएगा। इसके साथ ही साथ सागर जिला कलेक्टर ने तो स्कूल बस में सीसीटीवी कैमरे लगाने की अनिवार्यता कर दी है।

इन दिशा निर्देशों का कितना पालन सिवनी में हो रहा है यह बात वाकई देखने योग्य है। सिवनी में सुबह सुबह बच्चों को लेकर शाला जाने वाली स्कूल बस या आटो चालकों का अगर यातायात पुलिस या आरटीओ विभाग ब्रीदिंग एनलाईजर लगाकर टेस्ट करें तो नब्बे फीसदी चालकों के मुंह से वैसे ही शराब का भपका आता मिलेगा, वह भी ब्रीदिंग एनलाईजर्स के बिना। यातायात पुलिस और आरटीओ से अपेक्षा है कि वे पैसा कमाने की अंधी दौड़ में अपने आप को इतना मशगूल ना कर लें कि देश के नौनिहालों के परिवहन की व्यवस्था को ही भूल जाएं। जिला कलेक्टर भरत यादव और जिला पुलिस अधीक्षक मिथलेश शुक्ला से भी इस संवेदनशील मामले में ध्यानाकर्षण की अपेक्षा की जा रही है।