गुरुवार, 26 अप्रैल 2012

हार ने लाया युवराज को धरातल पर!


हार ने लाया युवराज को धरातल पर!

जमीनी संपर्क की कवायद में राहुल

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। उत्तर प्रदेश में बड़े नेताओं के कांधों पर बैठकर सत्ता हासिल करने का सपना देखने वाले कांग्रेस के युवराज जब अपने ही संसदीय क्षेत्र वाले सूबे उत्तर प्रदेश में औंधे मुंह गिरे तो हाथ पैर झटककर वे मंथन में लग गए। राहुल के करीबी सूत्रों का कहना है कि यूपी चुनाव में हार के गमजेसे अब युवराज उबर आए हैं और नई पारी खेलने की तैयारी में जुट गए हैं।
टीम राहुल के एक सदस्य ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर राहुल की कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पहले राहुल गांधी से मिलना बेहद कठिन काम था। इसका कारण राहुल का चाटुकारों से घिरा होना ही था। टीम राहुल में कथित तौर पर सियासी धुरंधर समझे जाने वाले सुधा और जोया नामक चेहरों का जबर्दस्त प्रभाव था।
इक्कीसवीं सदी के हिसाब से कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी सारे डाटा को कलेक्ट कर उसे कंप्यूटर में डालकर मथते फिर उस पर विचार विमर्श होता। राहुल से मिलना आसान नहीं था। राहुल से जो भी बात कहना करना हो उसका बाकायदा नोट तैयार कर सौंपना होता था, जिसे कंप्यूटर में डाल दिया जाता। बाद में इसके प्वाईंट बनाकर राजनैतिक विश्लेषक इस पर मंथन कर उससे निकला अमृत राहुल के सामने परोस देते थे।
टीम राहुल के उक्त सदस्य ने बताया कि यह सब एक नेता विशेष के इशारे पर विशेष रणनीति के तहत हो रहा था, जिससे राहुल के सामने निचोड़ के रूप में अमृत के बजाए विष ही जा रहा था, जिसकी परणीति उत्तर प्रदेश चुनाव में साफ दिख रही है। उत्तर प्रदेश में सूपड़ा साफ होने के बाद राहुल की तंद्रा टूटी है और उन्होंने जमीन पर रहने का फैसला किया है।
कहा जा रहा है कि पहले जिन नेताओं को राहुल गांधी तो क्या टीम राहुल से मिलने का मौका नहीं मिल पाता था आज उन्हें ढूंढ ढूंढ कर बुलाया जा रहा है। नेता विशेष के इशारे पर राजीव सोनिया के विशेष और सलाहकारों को दूर रखा गया था, उनकी भी पूछ परख अब बढ़ गई है। राहुल उनकी बातों को भी तरजीह दे रहे हैं।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की टीम ने मीडिया में इस बात को बो दिया था कि राजा दिग्विजय सिंह ही राहुल गांधी के राजनैतिक गुरू हैं। यही कारण है कि राजा दिग्विजय सिंह की तूती जमकर बोल रही थी। सितारों की उल्टी चाल ने राजा साहेब को भी हाशिए में जाने पर मजबूर कर दिया। अब राजा दिग्विजय सिंह की पूछ परख राहुल के दरबार में समाप्त हो चुकी है।
राजा दिग्विजय सिंह की भूमिका अब दूसरी पारी में सोनिया गांधी के राजनैतिक सचिव अहमद पटेल को सौंपी जा चुकी है। अहमद पटेल भले ही जमीनी राजनीति करने के बजाए पिछले दरवाजे अर्थात राज्यसभा के रास्ते राजनीति कर रहे हों, उन पर बिना रीढ़ का होने का आरोप लग रहा हो पर पिछले दिनों राहुल गांधी के साथ अहमद पटेल की तीन लंबी बैठकों की सीरिज ने कांग्रेस के अंदर की फिजां को गरमा दिया है। कहा जा रहा है कि यूपी की हार से युवराज राहुल गांधी जमीन पर आ चुके हैं। अब देखना यह है कि कितने दिनों तक यह समीकरण बना रहता है।

अब आदिवासी महामहिम की मांग!


अब आदिवासी महामहिम की मांग!

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के पहले नागरिक के लिए 2007 में जहां पहली महिला श्रीमति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल को रायसीना हिल्स तक पहुंचाया गया था, वहीं अब इस पद के लिए देश के आदिवासियों में से किसी को चुनने की बात चल पड़ी है। सियासी हल्कों में इस बात को पुरजोर तरीके से उठाया जा रहा है कि इस साल जुलाई में होने वाले महामहिम राष्ट्रपति के चुनावों में किसी आदिवासी को इस पद पर बिठाया जाए।
आदिवासी समुदाय के नेताओं का आरोप है कि आदिवासियों के बल पर सदा ही सत्ता की मलाई चखने वाली कांग्रेस ने आदिवासियों को हमेशा ही छला है। देश की आजादी में आदिवासी योद्धाओं के बलिदान को भी कांग्रेस और भाजपा ने भुला ही दिया है। आदिवासियों के हित संवंर्धन की बातें अब महज भाषणों तक ही सीमित होकर रह गई हैं।
महामहिम की इस दौड़ में पी.ए.संगमा अब कूद चुके हैं। अपने आप को रायसीना हिल्स में स्थापित करने के लिए संगमा ने मुलायम सिंह यादव के साथ हाथ मिला लिया बताया जाता है। संगमा के पुराने हमदर्द शरद पवार ने अभी अपना मुंह सिला हुआ है। पवार के करीबी लोगों का कहना है कि पंवार अपने पत्ते बाद में खोलेंगे।
संगमा ने अपनी उम्मीदवारी को पुख्ता करने के लिए 9 मई को मावलंकर हाल में एक सम्मेलन का आगाज भी किया है। यद्यपि यह सम्मेलन दलगत राजनीति से उपर उठकर आदिवासी संगठनों का आयोजन है पर कहा जा रहा है कि इसकी पृष्ठभूमि में संगमा ही छवि ही नजर आ रही है। इस सम्मेलन में भी आदिवासी व्यक्ति को ही देश का पहला नागरिक बनाने की मांग को रखा जाएगा।
संगमा द्वारा परोक्ष तौर पर फेंके गए आदिवासी कार्ड ने कांग्रेस और भाजपा को सकते में डाल दिया है क्योंकि आदिवासी नेतृत्व के मामले में दोनों ही दल बहुत ज्यादा गंभीर नजर नहीं आ रहे थे। केंद्र में दो चार लाल बत्ती और राज्यों में भी लाल बत्ती देकर अब तक आदिवासियों को भरमाया जाता रहा है पर पहली बार आदिवासियों से दोनों ही दलोें को कुछ चुनौति मिलने की उम्मीद दिख रही है।

रिसेट वन का सफल प्रक्षेपण


रिसेट वन का सफल प्रक्षेपण

(प्रियंका श्रीवास्वत)

नई दिल्ली (साई)। भारत ने आज देश में निर्मित सबसे भारी दूरसंवेदी उपग्रह रिसेट-वन का  सफल प्रक्षेपण किया। २१वां धु्रवीय प्रेक्षपण उपग्रह यान सी -१९ आज सुबह पांच बजकर सैंतालीस मिनट पर आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केन्द्र से रिसेट-वन के साथ रवाना हुआ। ये उपग्रह १८ मिनट में ४८० किलोमीटर की अपनी प्रारंभिक कक्षा में पहुंच गया है। भारत ने पहली बार अपना राडार इमेजिंग उपग्रह कक्षा में स्थापित किया है। भारत इससे पहले दो बार इस्राइल के रिसेट उपग्रह छोड़ चुका है।
रिसेट-वन उपग्रह छोड़े जाने के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन-इसरो के अध्यक्ष डॉक्टर के. राधाकृष्णन ने कहा कि सभी चरण निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार अलग हुए। उन्होंने कहा कि उन्हें यह बताते हुए बहुत खुशी हो रही है कि पीएसएलवी सी-१९ मिशन बहुत सफल रहा है। यह पीएसएलवी का लगातार बीसवां सफल प्रक्षेपण है और इसने भारत का पहला राडार इमेजिंग उपग्रह कक्षा में स्थापित किया है।
डॉक्टर राधाकृष्णन ने कहा कि रिसेट -वन से मिली जानकारी का खेती और आपदा प्रबंधन में व्यापक उपयोग किया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि अगले तीन दिन में उपग्रह को पांच सौ बत्तीस किलोमीटर की ऊंचाई पर कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसरो के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर यशपाल ने इसे भारत की सफलता का सुखद क्षण बताया।
आज छोड़ा गया रिसेट-वन उपग्रह विशेष ढंग से तरंगें छोड़ेगा और परावर्तित किरणों के कुछ हिस्से एकत्र करेगा जिनसे धरती की स्पष्ट तस्वीरें बनाई जा सकेंगी। रिसेट-वन एक हजार आठ सौ अ्घ्टठावन किलोग्राम वजन का सबसे भारी दूरसंवेदी उपग्रह है। ये बारिश, धूप, बादल, कोहरे और तूफान हर तरह की मौसमी परिस्थिति में धरती की तस्वीरें ले सकता है। सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस उपग्रह में सी बैंड सिन्थेटिक अपरचर राडार लगा है जो हर तरह के रेजोल्यूशन में तस्वीरें ले सकता है।
प्रत्यक्ष दर्शियों के अनुसार पीएसएलवी सी-१९ आज सुबह श्री हरिकोटा के शीतल वातावरण में रवाना हुआ। सिंदूरी और नीले आसमान में उससे प्रक्षेपित होते देख वहां मौजूद मीडिया, वैज्ञानिकों और उनके परिवारों ने पूरे जोश से अपनी खुशी जाहिर की। सफल प्रक्षेपण के बाद वैज्ञानिकों ने राहत की सांस ली। फिर गौरव का क्षण तब आया जब रिसेट वन उपग्रह अपनी कक्ष में स्थापित हो गया।
उधर, प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने पीएसएलवी के सफल प्रक्षेपण पर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है। अपने संदेश में उन्होंने कहा है कि पीएसएलवी का लगातार बीसवां सफल प्रक्षेपण देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे साबित होता है कि इसरो ने जटिल प्रक्षेपण वाहन टैक्नोलोजी में महारथ हासिल कर ली है।

संतोष के नए गीत ढूंढे तुझको ने मचाई धूम

संतोष के नए गीत ढूंढे तुझको ने मचाई धूम
(दीपक अग्रवाल)
मुंबई (साई)। कम समय में ही गीत संगीत की दुनिया में धूम मचाने वाले गायक संतोष के नए गीत ने एक बार फिर उन्हें स्थापित होने की दिशा में कदम बढ़ाया है। प्लेबैक सिंगर संतोष ने गाया एक नया गाना जिसके बोल हैं ‘‘ढूंढे तुझको‘‘ हिंदी फिल्म ‘‘२० का दम‘‘ के लिए।
इस गाने को संगीत और गीत दिया है धवल वोरा ने जो की एक गुजराती संगीतकार हैं अभी कुछ दिन पहले इस फिल्म के एक गाने की डबिंग प्लेटिनम रेकॉर्डिंग स्टूडियो गोरेगांव मुंबई में संपन्न हुई। इस मौके पर इस फिल्म के निर्माता संजय श्रीवास्तव, निर्देशक राहुल सिंह और तमाम अभिनेता, और मीडिया से जुड़े तमाम लोग मौजूद थे।
इस फिल्म के निर्देशक राहुल सिंह ने मीडिया को बताया की ये फिल्म एक कॉमेडी फिल्म है और इसके गाने धवल वोरा और स्मिता देब ने लिखे हैं। उन्होंने बताया की ढूंढे तुझको गाना प्रमोशन के लिए इंडियन मार्केट में रिलीज किया जा रहा है। ये गाना इन्टरनेट से भी डाऊनलोड कर सकते हैं।