नक्सली, आतंकी खतरा मंडरा
रहा है भीमगढ़ बांध पर!
(नन्द किशोर /
गजेंद्र ठाकुर)
भोपाल / छपारा
(साई)। संजय सरोवर परियोजना के तहत बनाए गए एशिया के सबसे बड़े मिट्टी के बांध पर
खतरा मण्डरा रहा है। यह खतरा आतंकवादियों और नक्सलवादियों का है। वैसे भी दो दशकों
से सिवनी जिला जरायमपेशा लोगों के साथ ही साथ संदिग्ध लोगों के लिए शरण स्थली बनकर
रह गया है। पुलिस के ढुल मुल रवैए के चलते सिवनी में देश के दुश्मनों की पदचाप भी
सुनाई देने लगी है। अतिसंवेदनशील जिले की फेहरिस्त में शामिल सिवनी जिले में
मिथलेश शुक्ला के रूप में तीसरे गैर आईपीएस अधिकारी की पदस्थापना और जिलाधिकारी के
पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को पहला जिला देकर कांग्रेस और भाजपा
के शासन ने अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट की जाती रही हैं।
जहांगीराबाद स्थित
पुलिस मुख्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि मध्य प्रदेश के
चुनिंदा जिले प्रतिबंधित संगठन सिमी के निशाने पर हैं। इसमें सिवनी जिला
प्राथमिकता में काफी उपर है। पुलिस सूत्रों ने बताया कि सिवनी में लचर पुलिस तंत्र
के चलते सिवनी को आतंकी, नक्सली और जरायमपेशा लोगों ने अपनी ऐशगाह और शरण स्थली के रूप
में विकसित कर लिया है। सिवनी की खुफिया रिपोर्ट देखकर पुलिस मुख्यालय में बैठे आला
अधिकारियों की पेशानी पर भी पसीने की बूंदे छलक जाती हैं।
ज्ञातव्य है कि
सिमी के अनेक गुर्गों को पुलिस ने समय समय पर धर दबोचा है। इतना ही नहीं सिवनी में
बीच बाजार में दरोगा मोहल्ला में एक घर में बारूद के चार विस्फोट से शहर दहल गया
था। घनी आबादी में हुए इस विस्फोट में एक व्यक्ति के चीथड़े तक उड़ चुके हैं। बावजूद
इसके पुलिस प्रशासन हाथ पर हाथ रखे ही बैठा रहा।
इसके उपरांत सिवनी
में हत्या बलात्कार,
डकैती आदि जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम दिया जाता रहा है और
किसी भी आला अधिकारी को सिवनी की ओर देखने की फुर्सत नहीं मिल पाई। इस साल फरवरी
में जब सिवनी का सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ा तब यहां कर्फयू लगा दिया गया था। इसके
साथ ही सिवनी में लगभग डेढ़ सौ जिंदा बम और माउजर के साथ एक शातिर सरगना भी स्पेशल
टास्क फोर्स द्वारा पकड़ा गया था।
पुलिस सूत्रों ने
साई न्यूज को बताया कि अतिसंवेदनशील सिवनी में घनी आबादी एकता कालोनी में एक शातिर
अपराधी सालों से रह रहा था और कोतवाली पुलिस को खबर तक नहीं थी। सूत्रों ने यह भी
बताया कि होली दहन के दिन भी काफी तादाद में असलाह पुलिस ने पकड़ा था।
खुफिया सूत्रो की
माने तो मध्य प्रदेश के कई शहरो के साथ-साथ सिवनी जिला भी आतंकी निशाने पर है, जबकि जिले मे सबसे
संवेदनशील क्षेत्र भीमगढ़ डेम है। अति संवेदनशील क्षेत्र होने के बाद भी डेम की
सुरक्षा के कोई उपाय आज तक नही किये जा सके है, यदि भीमगढ़ डेम को
आतंकीयों द्वारा निशाना बनाया जाता है तो हजारो लोग इस का शिकार तो होगे ही साथ ही
व्यापक रूप से जानमाल की नुकसानी होगी।
उल्लेखनीय होगा कि
छपारा नगर से 11 किलोमीटर दूर करोड़ो रूपयो की लागत से बनाया गया एशिया का सबसे बड़ा
मिटटी का बांध संजय सरोवर जिसे भीमगढ डेम भी कहा जाता है, जो ऐशिया महाद्वीप
मे अपनी एक अलग पहचान रखता है। इस मिटटी के बांध का निर्माण लगभग सत्तर के दशक से
प्रारंभ हुआ था संजय गांधी के नाम पर नामकरण कर संजय सरोबर नाम से इस बांध की नीव
रखी गई थी।
सिवनी जिले में
नक्सलवादी खतरों को देखते हुए सिवनी को नक्सल प्रभावित जिलों की फेहरिस्त में
शामिल किया जा चुका है। सिवनी जिले की केवलारी और बरघाट विधानसभाओं के अनेक
क्षेत्र नक्सल प्रभावित बताए जाते हैं। इन परिस्थितियों में अगर नक्सलवादी और
आतंकवादियों की निगाहों में विपुल जलराशि अपने अंदर समेटने वाला भीमगढ़ बांध हो तो
किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
जॉच चौकी बनी मजाक
भीमगड बांध के
प्रवेश मार्ग मुहाने पर जॉच चौकी बनायी गयी है, और बांध के दूसरे
छोर कलोनी पर अपर वैनगंगा अनुविभाग कं्र0 3 का आफिस बनाया गया है जो बांध की
निगरानी व प्रबंधन के लिये स्थापित है। लेकिन हैरान कर देने वाली बात तो यह है कि
मुहाने पर बने जॉच चौकी पर लगभग 2-3 वर्षो से कोई भी कर्मचारी तैनात नही है। साथ
ही बांध के निचले व उपरी हिस्से पर कोई चोकीदार तैनात नही है, केवल एक चोकीदार
बांध के गेट पर अपनी सेवा देते नजर आता है जबकि बांध का क्षेत्र इतना बडा है कि
कोई भी व्यक्ति बडी आसानी से बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है।
अंधेरे में डूबा
रहता है बांध!
पूरे बांध मे
रात्रि समय अधेरा छाया रहता है जबकि बांध के मेहराव मे जगह जगह खम्बे लगे हुये है
लेकिन वह केवल दिखावा सावित हो रहे है उनमे न तो वल्व जलते न कोई उजाले की सुविधा
है, इसलिये
बिजली विभाग ने बिजली सप्लाई देना भी बंद
कर दिया था जबकि गेट को खोलने व बंद करने के लिये मैनुअल आप्शन या जनरेटर का उपयोग
किया जाता है।
कंट्रोल रूम रहता
है बंद
भीमगढ बांध मे
गेटों की सुरक्षा के लिये कन्ट्रोल रूम बनाया गया है जहां एक चोकीदार रहता है और
वह भी नदारद रहता है और उसके सिवाय वहां कोई भी जबाबदार व्यक्ति सेवा नही देता आये
दिन यह रूम बंद पाया जाता है यह सब जानकारी विभागीय अधिकारियों को भी है लेकिन
उनकी लापरवाही के चलते इस बांध की सुरक्षा को लेकर कई सबाल खडे हो रहे है।
पर्यटको की कमीः
ऐशिया के इतने बडे
मिटटी के बांध को देखने के लिये पर्यटक नही आते क्योकि यहां ऐसी कोई व्यवस्था नही की गई है जिससे पर्यटको
को रिझाया जा सके साथ ही पहाडी पर एक रेस्ट हाऊस बनाया गया जो केवल अधिकारियों के
लिये सैरगाह व भोग विलास का स्थान बना हुआ है जहां कभी कभार केवल मंत्री, नेता और अधिकारी ही
नजर आते है।
भीमगढ़ डेम को खतराः
खुफिया सुत्रो के
मुताबिक सिवनी जिले को भी नक्सलवादी और आतंकी निशाने पर बताया गया है, भीमगढ़ डेम जो के
अति संवेदनशील क्षेत्र है आतंकी निशाने पर हो सकता है। जिला प्रशासन के आला
अधिकारीयों के द्वारा डेम की सुरक्षा के कोई उपाय नही करना समझ से परे है। यदि समय
रहते प्रशासन ने सुरक्षात्मक उपाय के लिये कोई योजना व प्रंबधन की व्यावस्था नही
की तो भीमगड बांध खतरे मे पड़ सकता है।
कलेक्टर ने किया
निरीक्षण
हाल ही में जिला
कलेक्टर भरत यादव ने भी रूटीन में इस बांध का निरीक्षण किया जा चुका है। संभवतः
जिला कलेक्टर के संज्ञान में भी यह बात नहीं लाई गई होगी।
कथन
एस आर भलावी कार्यपालन यंत्री तिलवारा बाई तट नहर संभाग
कैवलारी
बांध मे कर्मचारी
लगे हुये है यदि कोई कर्मचारी लापरवाही करते या डयूटि से नदारत पाया जाता है तो
उसे निलंबित करने के प्रावधान है मै स्वंय नीरिक्षण मे जा रहा हु।