कुंभ के माध्यम से राजनीति क्या बुरी है?
मंडला में आयोजित नर्मदा सामाजिक कुंभ को लेकर प्रदेश की सत्ताधारी सरकार के विरूद्ध विपक्षी पार्टी के नेताओं ने जहर उगलना चालू कर दिया है। राजनैतिक दल के साथ ही कुंभ आयोजक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरूद्ध भी मनमाने बयान जारी किये जा रहे हैं। बयान जारी करने वाले नेताओं की बुद्धि पर तरस आता है कि इन्होने धर्म के नाम पर राजनीति करने को इतना अधिक घिनौना कृत्य जैसा बना दिया है कि धर्म और राजनीति का कोई जैसे बड़ा अशोभनीय संबंध है। जबकि धार्मिक,सामाजिक आयोजनों के माध्यम और पवित्र कार्य के माध्यम से यदि राजनीति करता है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिये। विरोध इस बात का होना चाहिये कि राजनैतिक सत्ता का उपयोग करते हुए बड़े-बड़े अपराधियों को बचाने के जो प्रयास होते हैं,सारा विश्व अफजल गुरू और कसाब को फांसी पर लटका हुआ देखना चाहता है। उन्हे चंद लोगों की नाराजगी के चलते फांसी के फंदे से बचाने का घटिया प्रयास गंदी राजनीति का हिस्सा है। निंदा इसकी होना चाहिये। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नर्मदा सामाजिक कुंभ जैसे आयोजनों के माध्यम से यदि राजनीति करती है तो इसमें बुरा मानने जैसा कोई कारण नहीं है। ऐंसे धार्मिक आयोजन और कुंभ स्थल पर किसी भी पार्टी के पहुंचने पर कोई मनाही नहीं है और न ही कोई प्रतिबंध। हर राजनैतिक दल इस आयोजन में शामिल हो सकता है और पवित्र कार्य है सभी को बढ-चढ कर हिस्सा लेना चाहिये। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को नर्मदा कुंभ के आयोजन से आपत्ति है और उन्होने इसे राजनैतिक कुंभ भी कहा है। प्रदेश सरकार नर्मदा के धार्मिक और मंडला के ऐतिहासिक तथा यहां के सामाजिक गौरव को महिमा मंडित करने का जो प्रयास कर रही है उसे स्वागतयोग्य पहल माना जाना चाहिये और ऐंसी पहल के माध्यम से यदि भारतीय जनता पार्टी राजनीति करती है तो यह भी कोई बुरा नहीं है। सफल राजनैतिक व्यक्तियों को ऐंसे ही आयोजनों के माध्यम से अपनी राजनैतिक जमीन तैयार करना चाहिये। मंडला के स्थानीयजन बहुत बहुत सौहर्दपूर्ण हैं,वहां मुस्लिम समाज भी नर्मदा कुंभ में पहुंचने वालों का स्वागत कर रहा है और खबर यह भी है कि युवक कांगे्रस द्वारा भी कुंभ में पहुंचने वालों का स्वागत किया जा रहा है। निश्चित तौर पर ऐंसे युवा कांगे्रसियों की प्रशंसा की जानी चाहिये। मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष को भी कुंभ में राजनैतिक लाभ की बू आ रही है जिसे उन्होने बू कहा है,यदि उन्हे सुगंधित खुश्बू अच्छी नहीं लग रही है तो ऐंसे दुर्भाग्य पर क्या कहा जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भारत को सबल बनाने के लिए जिस तरह के कार्य संपूर्ण भारत में किये जा रहे हैं उसकी कोई मिशाल नहीं है। जिन्हे केवल सत्ता का दुरूपयोग कर अपनी तिजोरियां भरने से फु र्सत न हो वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे पवित्र संगठन के बारे में विषवमन कर अपने पापों पर पर्दा डालते हैं। कोरी भाषणबाजी कम से कम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में दिखायी नहीं देती,उसके लाखों प्रकल्प ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आमजनता के बीच विश्वास बनकर बोल रहे हैं। स्वार्थ की राजनीति करने वालों की सत्ता हिलने का भय उनके अनर्गल प्रलाप का कारण हैं। नर्मदा सामाजिक कुंभ पवित्र भावना और सामाजिक जागृति के साथ राष्ट्रीय एकता के उद्देश्य से आयोजित है। सामाजिक समरसता,राष्ट्रीय एकता जैसे उद्देश्यों के आयोजन माध्यम से राजनीति करना सर्वथा उपयुक्त है। भौंडे आयोजन और गुण्डों को संरक्षण समाज को तोडऩे वाले प्रयास निंदनीय हो सकते हैं,जो इस आयोजन में कहीं दिखायी नहीं देता। जो कांगे्रसी और अन्य इस आयोजन पर विषवमन कर रहे हैं उन्हे समाज भली भांति जानता है और उनके विषवमन के कारण को भी।
मंडला में आयोजित नर्मदा सामाजिक कुंभ को लेकर प्रदेश की सत्ताधारी सरकार के विरूद्ध विपक्षी पार्टी के नेताओं ने जहर उगलना चालू कर दिया है। राजनैतिक दल के साथ ही कुंभ आयोजक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विरूद्ध भी मनमाने बयान जारी किये जा रहे हैं। बयान जारी करने वाले नेताओं की बुद्धि पर तरस आता है कि इन्होने धर्म के नाम पर राजनीति करने को इतना अधिक घिनौना कृत्य जैसा बना दिया है कि धर्म और राजनीति का कोई जैसे बड़ा अशोभनीय संबंध है। जबकि धार्मिक,सामाजिक आयोजनों के माध्यम और पवित्र कार्य के माध्यम से यदि राजनीति करता है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिये। विरोध इस बात का होना चाहिये कि राजनैतिक सत्ता का उपयोग करते हुए बड़े-बड़े अपराधियों को बचाने के जो प्रयास होते हैं,सारा विश्व अफजल गुरू और कसाब को फांसी पर लटका हुआ देखना चाहता है। उन्हे चंद लोगों की नाराजगी के चलते फांसी के फंदे से बचाने का घटिया प्रयास गंदी राजनीति का हिस्सा है। निंदा इसकी होना चाहिये। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नर्मदा सामाजिक कुंभ जैसे आयोजनों के माध्यम से यदि राजनीति करती है तो इसमें बुरा मानने जैसा कोई कारण नहीं है। ऐंसे धार्मिक आयोजन और कुंभ स्थल पर किसी भी पार्टी के पहुंचने पर कोई मनाही नहीं है और न ही कोई प्रतिबंध। हर राजनैतिक दल इस आयोजन में शामिल हो सकता है और पवित्र कार्य है सभी को बढ-चढ कर हिस्सा लेना चाहिये। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को नर्मदा कुंभ के आयोजन से आपत्ति है और उन्होने इसे राजनैतिक कुंभ भी कहा है। प्रदेश सरकार नर्मदा के धार्मिक और मंडला के ऐतिहासिक तथा यहां के सामाजिक गौरव को महिमा मंडित करने का जो प्रयास कर रही है उसे स्वागतयोग्य पहल माना जाना चाहिये और ऐंसी पहल के माध्यम से यदि भारतीय जनता पार्टी राजनीति करती है तो यह भी कोई बुरा नहीं है। सफल राजनैतिक व्यक्तियों को ऐंसे ही आयोजनों के माध्यम से अपनी राजनैतिक जमीन तैयार करना चाहिये। मंडला के स्थानीयजन बहुत बहुत सौहर्दपूर्ण हैं,वहां मुस्लिम समाज भी नर्मदा कुंभ में पहुंचने वालों का स्वागत कर रहा है और खबर यह भी है कि युवक कांगे्रस द्वारा भी कुंभ में पहुंचने वालों का स्वागत किया जा रहा है। निश्चित तौर पर ऐंसे युवा कांगे्रसियों की प्रशंसा की जानी चाहिये। मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष को भी कुंभ में राजनैतिक लाभ की बू आ रही है जिसे उन्होने बू कहा है,यदि उन्हे सुगंधित खुश्बू अच्छी नहीं लग रही है तो ऐंसे दुर्भाग्य पर क्या कहा जा सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भारत को सबल बनाने के लिए जिस तरह के कार्य संपूर्ण भारत में किये जा रहे हैं उसकी कोई मिशाल नहीं है। जिन्हे केवल सत्ता का दुरूपयोग कर अपनी तिजोरियां भरने से फु र्सत न हो वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे पवित्र संगठन के बारे में विषवमन कर अपने पापों पर पर्दा डालते हैं। कोरी भाषणबाजी कम से कम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में दिखायी नहीं देती,उसके लाखों प्रकल्प ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आमजनता के बीच विश्वास बनकर बोल रहे हैं। स्वार्थ की राजनीति करने वालों की सत्ता हिलने का भय उनके अनर्गल प्रलाप का कारण हैं। नर्मदा सामाजिक कुंभ पवित्र भावना और सामाजिक जागृति के साथ राष्ट्रीय एकता के उद्देश्य से आयोजित है। सामाजिक समरसता,राष्ट्रीय एकता जैसे उद्देश्यों के आयोजन माध्यम से राजनीति करना सर्वथा उपयुक्त है। भौंडे आयोजन और गुण्डों को संरक्षण समाज को तोडऩे वाले प्रयास निंदनीय हो सकते हैं,जो इस आयोजन में कहीं दिखायी नहीं देता। जो कांगे्रसी और अन्य इस आयोजन पर विषवमन कर रहे हैं उन्हे समाज भली भांति जानता है और उनके विषवमन के कारण को भी।