शुक्रवार, 14 सितंबर 2012

राज्यपाल ने नव नियुक्त चार मंत्रियों को शपथ दिलाई

राज्यपाल ने नव नियुक्त चार मंत्रियों को शपथ दिलाई

(नंद किशोर) 

 भोपाल (साई)।  राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने आज यहाँ राजभवन में चार नये मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण करवाई। श्री अनूप मिश्रा, श्री पारस जैन, श्रीमती रंजना बघेल और श्री राजेन्द्र शुक्ल ने मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
श्री पारस जैन, श्रीमती रंजना बघेल और श्री राजेन्द्र शुक्ल राज्य मंत्री से मंत्री बनाये गये हैं। राज्यपाल ने इन्हें मंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। नवनियुक्त मंत्रियों ने ईश्वर के नाम पर हिन्दी में शपथ ग्रहण की। मुख्य सचिव श्री आर. परशुराम ने शपथ ग्रहण समारोह का संचालन किया।
शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अनंत कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री श्री सुन्दरलाल पटवा, भाजपा संगठन मंत्री श्री अरविन्द मेनन, सांसद श्री कैलाश जोशी और श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, विधानसभा उपाध्यक्ष श्री हरवंश सिंह, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष श्री प्रभात झा, मंत्री परिषद के वरिष्ठ सदस्य, निगम मंडल के अध्यक्ष, विधायक, पुलिस महानिदेशक श्री नंदन दुबे, पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी तथा पत्रकार भी उपस्थित थे।

अमर की जमानत पर भाजपा में जाएंगी जया


अमर की जमानत पर भाजपा में जाएंगी जया

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। गुजरे जमाने की सिने अभिनेत्री जया प्रदा पर भाजपा का दिल आ गया है। जया प्रदा अनेक साथियों सहित भारतीय जनता पार्टी की सदस्य बन सकती हैं। भाजपा तो जया प्रदा के लिए पलक पांवड़े बिछाए बैठी है, पर जया प्रदा हैं कि अपने पुराने साथी अमर सिंह के बिना भाजपा की देहरी पर जाने को राजी नहीं हैं। उधर देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी किरण बेदी पर भी भाजपा डोरे डाल रही है।
भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गड़करी ने अब मिशन 2014 का रोड मेप बनाना आरंभ कर दिया है। इसके प्रथम चरण में गड़करी द्वारा भाजपा को नुकसान पहुंचाने वाले भाजपा से टूटकर गए क्षत्रपों की घरवापसी कर उनके धारदार हथियारों को बोथरा कर दिया है। उमा भारती इसका साक्षात उदहारण हैं जो भाजपा में वापस आने के बाद से ही खामोशी का चोला ओढ़े हुए हैं।
इसके अलावा गड़करी अब अन्य दलों के उपेक्षित नेताओं को भी टटोल रहे हैं। भाजपा में दूसरी पारी पाने वाले गड़करी ने अपने पितृ संगठन की हिदायतों को ध्यान में रखकर अब अपनी टीम और क्षेत्रीय राजनीति में संभावनाओं को जमकर टटोला जा रहा है। गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि भाजपा की नजरें अब मुलायम सिंह यादव से टूटकर अलग हुए और कांग्रेस के द्वारा बुरी तरह दुत्कारे अमर सिंह पर हैं।
सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि भाजपा चाह रही है कि गुजरे जमाने की सिने अभिनेत्री जया प्रदा को भाजपा में शामिल करवाकर उन्हें यूपी के रामनगर से ही मैदान में उतारा जाए ताकि रामनगर के आसपास के क्षेत्रों में भाजपा उनकी छवि को भुना सके। उधर, जया के करीबी सूत्रों ने दावा किया है कि जया प्रदा किसी भी कीमत पर अमर सिंह को छोड़कर जाने को तैयार नहीं हैं।
गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव को भ्रात प्रेम या अमर प्रेम में से किसी एक को चुनना था, अंतः में घुटना पेट की ओर ही मुड़ा और अमर सिंह को बेआबरू होकर सपा के कूचे से बाहर निकलना पड़ा। इसके बाद अमर सिंह ने सूबाई राजनीति में अपनी प्रथक पार्टी बनाई पर कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाए।
वहीं दूसरी ओर सोनिया गांधी पर व्यक्तिगत आरोप लगाने के चलते कांग्रेस ने भी अमर सिंह से पर्याप्त दूरी बना ही ली है। सोनिया के करीबी सूत्रों का कहना है कि अमर सिंह ने सोनिया के खिलाफ इसलिए मुंह खोला था, क्योंकि अहमद पटेल के प्रयासों के चलते अमर सिंह कांग्रेस में प्रवेश नहीं पा सके थे।
जब कांग्रेस से अमर सिंह की दूरी बन गई तब चतुर सुजान अमर सिंह ने गड़करी को साधा। गड़करी और अमर सिंह की अदृश्य जुगलबंदी भी यूपी में चमत्कार नहीं कर सकी। उत्तर प्रदेश में अमर सिंह को नहीं पचाने वाली इकलौती नेता हैं उमा भारती। उमा भारती के वीटो वाले विरोध के चलते अमर सिंह का भाजपा प्रवेश रूका हुआ बताया जाता है।
सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश चुनावों में औंधे मुंह गिरने के बाद अपनी ताजपोशी तक गड़करी ने अमर सिंह को खामोश रहने को कहा। कहा जा रहा है कि अब जबकि गड़करी की दूसरी पारी पर मुहर लग गई है तब किसी भी समय गड़करी अमर सिंह और जयाप्रदा को भाजपा में प्रवेश दे सकते हैं। इसके लिए शर्त रखी गई है कि अमर सिंह अपनी पार्टी का भाजपा में विलय करें।
गड़करी के करीबी सूत्रों का कहना है कि अमर सिंह और जयाप्रदा के भाजपा में प्रवेश पर मुख्तार अब्बस नकवी का भारी विरोध सामने आ रहा है। एक तरफ तो गड़करी ने अमर सिंह को आश्वासन दिया है कि जया प्रदा को अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा की टिकिट पर रामपुर से ही चुनाव लड़वाया जाएगा, वहीं दूसरी ओर गड़करी अब नकवी को मनाने में जुट गए हैं।
इसके साथ ही साथ गड़करी के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान यह भी संकेत दिए कि समाजसेवी अन्ना हजारे की सिपहसालार रहीं पूर्व आईपीएस किरण बेदी भी जल्दी ही भगवा रंग में रंगने जा रही हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा उन्हें दक्षिण दिल्ली से मैदान में उतार सकती है। सूत्रों के अनुसार सब कुछ योजना के अनुसार चला तो भाजपा की इसी माह होने जा रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी व परिषद की बैठक से पहले इन दोनों महिला नेताओं को लेकर पार्टी ऐलान कर सकती है। किरण बेदी भले ही इन बातों को अफवाह करार दे रही हों, किन्तु अंदरखाने से छन छन कर बाहर आने वाली खबरों पर अगर यकीन करें तो किरण बेदी को कहा गया है कि अगर भाजपा की सरकार दिल्ली में बनी तो वे ही अगली मुख्यमंत्री होंगीं।
जयाप्रदा को भाजपा में शामिल होने के लिए बहुत पहले ही हरी झंडी दिखाई जा चुकी है। सूत्रों का कहना है कि वह अपने साथ सपा से बाहर हो चुके नेताओं के लिए भी भाजपा के दरवाजे खुलवाने की कोशिश में लगी हैं। इनमें अमर सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश के और भी कई नेता शामिल हैं। हालांकि भाजपा नेतृत्व ने उन्हें दो टूक कह दिया है कि वह चाहें तो खुद भाजपा में शामिल हो सकती हैं, लेकिन अमर सिंह समेत बाकी नेताओं को भगवा पार्टी में शामिल नहीं किया जाएगा।

सांसद बताएं कैसे बनेगा खाना


सांसद बताएं कैसे बनेगा खाना

(शरद खरे)

नई दिल्ली (साई)। सरकार ने प्रति लीटर डीजल की कीमत पांच रूपये बढा दी है। हालांकि पेट्रोल और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत मिटटी के तेल की कीमत में कोई बढोतरी नहीं की गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में यह फैसला किया गया। इसमें यह भी तय किया गया कि प्रत्येक उपभोक्ता को साल में छह सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलेंडर दिये जायेंगे। नई दरें कल आधी रात से लागू हो गई हैं। दिल्ली में प्रति लीटर डीजल की कीमत अब ४७ रूपये हो गई है।
कांग्रेस ने कहा है कि सरकार ने डीजल की कीमत बढ़ाने का फैसला अनिच्छा से किया है। पार्टी प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा कि डीजल तथा अन्य पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजारों पर निर्भर करती है जहां ये कीमतें बढ़ ंरही हैं। उन्होंने कहा कि हम ७० फीसदी से भी ज्यादा कच्चा तेल आयात करते हैं। कच्चे तेल की कीमत पूरी तरह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत बढ़ रही है। यही कारण है कि सरकार को मजबूरी में डीजल की कीमत बढ़ानी पड़ी।
तृणमूल कांग्रेस ने डीजल की कीमत में बढ़ोतरी पर नाराजगी जाहिर की है। समाजवादी पार्टी ने डीजल की कीमत में बढ़ोतरी तुरंत वापस लेने की मांग की है। उधर, भारतीय जनता पार्टी ने डीजल की कीमत में बढ़ोतरी को क्रूर मजाक बताते हुए इसे आम आदमी और किसानों पर हमला बताया है। पार्टी नेता अनंत कुमार ने कहा है कि इसका सीधा असर आम आदमी पर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि डीजल का दाम और ५ रूपये से केंद्र के कांग्रेस, यूपीए सरकार ने बढ़ाई हैं। इसका घोर विरोद्ध और निंदा करना चाहेंगे। जो पूरा देश में कोयला घोटाले का आग लगी हुई है उसमें केंद्र सरकार ने डीजल डाल दिया है। इसका कड़ी निंदा हम करते हैं।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और एआईएडीएमके ने भी डीजल की कीमत में बढ़ोतरी की आलोचना की है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता अतुल अंजान ने कहा है कि डीजल की कीमत बढ़ने से कई अन्य चीजों की कीमत भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार मंहगाई कम करने का दावा कर रही है लेकिन अब डीजल के दाम बढ़ जाने से मंहगाई विकराल हो जायेगी। सब्जियों के दाम, दूध के दाम, बसों के किराये में वृद्धि ये सब एक तरीके से गरीब आदमी को जिस देश के अंदर ७७ फीसदी लोग रोज की आमदनी २० रूपये से कम हो तबाही के रास्ते पर पंहुच जायेगी।
देश भर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से इसकी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। देश भर में लोगों का कहना है कि चार से छः लोगों के परिवार में आखिर छः सिलेण्डर में कैसे गुजारा हो पाएगा। कम खर्च के बाद भी हर घर में कम से कम एक गैस का सिलेण्डर की खपत हो ही जाती है। इन परिस्थितियों में टाटा बिड़ला से लेकर एक गरीब रिक्शेवाले को भी साल में कम से कम छः सिलेण्डर सात सौ रूपयों की दरों से खरीदना मजबूरी ही होगा।

चार कोल ब्लाक निरस्त


चार कोल ब्लाक निरस्त

(प्रियंका)

नई दिल्ली (साई)। सरकार ने चार कोयला खंडों का आवंटन रद्द करने और तीन अन्य निजी कंपनियों की बैंक गारंटी भुनाने की अंतरमंत्रालय समूह की सिफारिशें मंजूर कर ली है। ये कंपनियां निर्धारित समय-सीमा के भीतर उत्पादन और कोयला खानों को विकसित करने में विफल रही। इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि उनके मंत्रालय को अंतरमंत्रालय समूह की सिफारिशों पर फैसला लेने का अधिकार है।
श्री प्रकाश जायस्वाल ने कहा कि चार लोगों के डिलोकेट करने के लिए, तीन लोगों की गांरटी कट करने के लिए मैैं यह मानता हूँ जिन्होंने नोट्स का पालन नहीं किया है। जो गवरमेंट्स की कसौटी पर खरे नहीं उतरे हैं ब्लॉक होल्डर्स, उनको जो सजा मिलनी चाहिए वो मिनिस्ट्री दे।
कोयला मंत्रालय के वक्तव्य में कहा गया है कि अंतरमंत्रालय समूह ने जिन चार कोयला खंडों का आवंटन रद्द करने की सिफारिश की है वे हैं-मैसर्स कैस्ट्रॉन माइनिंग लिमिटेट को आवंटित ब्रहमाडीह खंड, मैसर्स-फील्डमाइनिंग एण्ड इस्पात लिमिटेड को आवंटित चिनोरा और वरोरा दक्षिण खंड और मैसर्स-डोमको स्मोकलैस फ्घ्यूल्स प्राइवेट लिमिटेड को आंवटित लालगढ़ उत्तर खंड। इसके अलावा मैसर्स-श्री वीरांगना स्टील्स लिमिटेड को आवंटित मर्की मंगली दो, तीन और चार खंड के मामले में आवंटन रद्द करने और बैंक गारंटी में से राशि काटने की सिफारिश भी की गई है।

सुलग रहा है लखनादौन प्रकरण!


सुलग रहा है लखनादौन प्रकरण!

भूरिया हरिप्रसाद को नहीं नेहरू गांधी परिवार की इज्जत की चिंता!

(नन्द किशोर)

नई दिल्ली (साई)। मध्य प्रदेश में एक समय में कांग्रेस के गढ़ रहे सिवनी जिले में कांग्रेस के किले के ढहने को लेकर तरह तरह की अफवाहों अटकलों का बाजार गर्मा गया है। पिछले दिनों हुए नगर पंचायत लखनादौन के चुनावों में कांग्रेस द्वारा तलवारें रेत में गड़ाने के मामले को कांग्रेस के आला नेता विदिशा के राज कुमार पटेल के प्रकरण की संज्ञा दे रहे हैं। इस संबंध में प्रदेश प्रभारी बी.के.हरिप्रसाद का चेहरा अभी भी तमतमाया हुआ ही है। मामले में सूबाई स्तर के नेताओं को नापने की कवायद तेज हो गई है।
देश के हृदय प्रदेश के सिवनी जिले में लखन कुंवर की नगरी लखनादौन में नगर पंचायत अध्यक्ष पद के चुनावों में कांग्रेस की ओर से अधिकृत की गई रोशनी मंद्रेला ने नामांकन वापसी के अंतिम दिन अपना नामांकन वापस ले लिया था। हद तो उस वक्त हो गई थी जब जिला कंाग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मंद्रेला का बी फार्म लेकर लखनादौन गए तब उन्हें रिटर्निंग आफीसर द्वारा इस बात की सूचना दी गई कि कांग्रेस की उक्त उम्मीदवार ने तो अपना नामांकन ही वापस ले लिया।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि नगर पंचायत लखनादौन में प्रत्याशी बड़ी ही मुश्किल से मिलने की बात कही जाकर दो बिना नामों वाले बी फार्म लिए गए थे। इन दोनों बी फार्म में भरे गए नामों वाले प्रत्याशियों ने कांग्रेस को ठेंगा दिखाते हुए अपने नाम वापस ले लिए थे।
उधर, लखनादौन ब्लाक कांग्रेस कमेटी के सूत्रों का कहना है कि अगर आला नेता चाहते तो लखनादौन में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए कतार लगी हुई थी। और जिसे भी टिकिट दी जाती वह निश्चित तौर पर विजयश्री का ही वरण करता। ब्लाक कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि इस प्रकरण से समूची जिला कांग्रेस शर्मसार है क्योंकि यह बस नाटक सिर्फ और सिर्फ दिनेश राय को फायदा पहुंचाने के लिए रचा गया था।
उक्त नेता ने कहा कि इसके पहले दिनेश राय द्वारा केवलारी से चुनाव लड़ने की हुंकार भरी गई थी। गौरतलब है कि केवलारी में हैहय कलचुरी समाज के मतदाताओं की तादाद बेहद ज्यादा है और इसके पहले पानी को लेकर हुए आंदोलन में भी कांग्रेस के शासनकाल में हैहय कलचुरी समाज की रीढ़ माने जाने वाले एक युवा की गोली लगने से हुई मौत (पलारी गोलीकाण्ड) के कारण समाज के लोग कांग्रेस से खफा भी थे।
इसके बाद नाटकीय घटनाक्रम आरंभ हुए। पर्यावेक्षकों की कथित रिपोर्ट के अधार पर एमपीसीसी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के साथ चर्चा के दौरान कहा था कि कांग्रेस के प्रत्याशी के नामांकन वापस लेने से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला है। कांग्रेस जल्द ही एक शक्तिशाली निर्दलीय को अपना समर्थन दे देगी। इस संबंध में जब भूरिया के संज्ञान में यह बात लाई गई कि निर्दलीय का पुत्र दिनेश राय ही पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के सिवनी के प्रत्याशी प्रसन्न मालू की जमानत जप्त कराने का कारक बना था, तब वे अचंभित रह गए।
इसी दौरान मध्य प्रदेश के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद ने भी उस समय समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कांतिलाल भूरिया की ही तरह निर्दलीय को समर्थन देने की बात कही थी। इसके उपरांत जब उनके संज्ञान में दिनेश राय वाली बात लाई गई तो वे भी हत्प्रभ ही रह गए। हरिप्रसाद के करीबी सूत्रों का कहना है कि फील्डिंग कुछ इस तरह की गई थी कि दिनेश राय की माता श्रीमति सुधा राय को कांग्रेस का समर्थन दिलवाकर दिनेश राय के कांग्रेस में प्रवेश के मार्ग प्रशस्त कर दिए जाएं। बाद में दिनेश राय को कांग्रेस की टिकिट पर सिवनी विधानसभा से मैदान में उतार दिया जाए। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि वर्तमान में दिनेश राय द्वारा कथित तौर पर स्वप्रायोजित कार्यक्रम सिवनी विधानसभा क्षेत्र में रखकर अपनी तैयारियों तो आरंभ कर ही दी गईं हैं।
कहा जाता है कि जागरूक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की दूरंदेशी के चलते कांग्रेस के कुछ आला नेताओं की इस कवायद पर पानी फिर गया। फिर क्या था कांग्रेस ने लखन कुंवर की नगरी में नगर पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए वोट ही नहीं मांगे।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सूत्रों का कहना है कि नगर पंचायत के लिए कांग्रेस की ओर से रोशनी मंद्रेला को टिकिट दिए जाने का निर्णय वाकई चौंकाने वाला ही था। सूत्रों की मानें तो रोशनी मंद्रेला कांग्रेस की सदस्य ही नहीं थी। सूत्रों का कहना है कि आदिवासी बाहुल्य लखनादौन विधानसभा क्षेत्र आजादी के उपरांत कांग्रेस का गढ़ रहा है। पिछले दो बारों से यहां विधानसभा में कांग्रेस मुंह की खाती आई है, किन्तु इस बार नगर पंचायत में कांग्रेस की मजबूती का अधार इस बात से मिलता है कि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने लखनादौन विधानसभा में बढ़त हासिल की थी।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि संपूर्ण महाकौशल में कांग्रेस के दो नेताओं ने कांग्रेस का नास कर दिया है। सिवनी जिले से कांग्रेस के कद्दावर नेता हरवंश सिंह चौथी बार विधायक बने हैं। उनके कद को देखकर यही कहा जा सकता है कि कम से कम सिवनी जिले में तो वे कांग्रेस को विजयी बनवा सकते हैं। बावजूद इसके पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से जिले में वे ही चुनाव जीत रहे हैं और बाकी सारी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ रही है।
बहरहाल, मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद के करीबी सूत्रों का कहना है कि इस मामले की गूंज कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और राहुल गांधी के दरबार तक हो चुकी है। कांग्रेस प्रत्याशी के रणछोड़दास बनने से कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्रों के कड़े तेवर हरीप्रसाद को परेशान किए हुए हैं। सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि हरीप्रसाद ने इस मामले को राजकुमार पटेल और सुषमा स्वराज के विदिशा लोकसभा चुनाव की संज्ञा दी है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि दरअसल, राहुल और सोनिया गांधी को यह बताया गया है कि लखनादौन से पूर्व प्रधानमंत्री प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का बड़ा ही अनुराग रहा है। इसके अलावा सोनिया भी लखनादौन को तवज्जो देती आई हैं। रही राहुल गांधी की बात तो राहुल गांधी भी लखनादौन की यात्रा कर चुके हैं। इस सारी बातों पर पानी फेरते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने लखनादौन में टिकिट बटवारा सही नहीं किया है। जाहिर है मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और प्रदेश प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद को नेहरू गांधी परिवार की इज्जत की कोई चिंता ही नहीं है।
पीसीसी सूत्रों ने यह भी बताया कि इस मामले में अब खुर्दबीनी आरंभ हो गई है कि आखिर लखनादौन नगर पंचायत अध्यक्ष पद की टिकिट किसके कोटे से जारी की गई थी? क्या लखनादौन में कांग्रेस के पास इस गुमनाम चेहरे के अलावा और कोई चेहरा नहीं था? क्या कारण है कि कांग्रेस की जमानत जप्त करवाने वाले प्रत्याशी की मां के खिलाफ कोई दमदार प्रत्याशी नहीं उतारा गया, जबकि चुनावों के आरंभ से ही कांग्रेस की जमानत जप्त करवाने वाले उक्त प्रत्याशी ने अपने आकर्षक फोटो के साथ मीडिया में विज्ञापन और लखनादौन शहर में पोस्टर्स भर दिए थे।
पीसीसी सूत्रों का कहना है कि इस मामले में अब आलाकमान ने कठोर कार्यवाही का मन बना लिया है। इस मसले में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया का ढुलमुल रवैया ही भूरिया के लिए घातक साबित हो सकता है। इससे भूरिया ही संदेह के दायरे में आ चुके हैं। लखनादौन नगर पंचायत चुनावों के दौरान मीडिया से गलत बयानी और अंतिम समय तक कांग्रेस की रणछोड़दास प्रत्याशी के खिलाफ कांग्रेस द्वारा काई अनुशासनात्मक कदम तक ना उठाए जाने से अब पूरे मामले में निर्दलीय प्रत्याशी से सांठगांठ की सुई भी जाकर कांतिलाल भूरिया पर ही जाकर टिक गई है।

गिर रही है राहुल की टीआरपी


गिर रही है राहुल की टीआरपी

(महेश रावलानी)

नई दिल्ली (साई)। कांग्रेस की नजर में देश के भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ दिनों दिन गिरता ही जा रहा है, जिससे सोनिया गांधी और प्रियंका वढ़ेरा चिंतित नजर आ रहे हैं। इंग्लैंड की मशहूर पत्रिका द इकोनॉमिस्टमें राहुल गांधी पर छपी एक टिप्पणी से कांग्रेस सकते में है। पार्टी ने लेख को सिरे से खारिज करते हुए राहुल के प्रति अपनी आस्था दोहराई है।
वहीं, दूसरी ओर विपक्ष को राहुल पर हमले का एक और मौका मिल गया है। सपा ने राहुल को पीएम पद के अयोग्य बताया तो बीजेपी ने ब्रांड राहुल अस्तित्व में न होने की बात कही। दरअसल, ‘डिकोडिंग राहुल गांधी, नाम की किताब के आधार पर द इकोनॉमिस्टमें छपा है कि राहुल बड़ी जिम्मेदारी से बचते हैं, क्योंकि उनमें जिम्मेदारी निभाने की भूख ही नहीं है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर नकारात्मक टिप्पणी के बाद विदेशी मीडिया के निशाने पर अब हैं कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी। एक भारतीय लेखिका की किताब श्डिकोडिंग राहुल गांधीश् के आधार पर श्द इकोनॉमिस्टश् के एक ब्लॉग में लिखा गया है कि राहुल बड़ी जिम्मेदारी से बचते हैं, क्योंकि उनमें जिम्मेदारी निभाने की भूख ही नहीं है।
अपने युवराज पर हुए इस हमले से कांग्रेस तिलमिला गई है। पार्टी ने विदेशी मीडिया की टिप्पणियों को तूल देने की पद्धति को मानसिक गुलामी बता डाला। द इकोनॉमिस्ट के ब्लॉग को सिरे से खारिज करते हुए पार्टी ने ऐलान किया कि गुजरात चुनाव में राहुल ही पार्टी का नेतृत्व करेंगे।
कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक मंच से चुनावों पर ज़ोर इसलिए दिया गया क्योंकि द इकोनॉमिस्ट ने लिखा है कि राहुल को 2014 के चुनावों के लिए अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। राहुल गांधी के साथ बड़ी समस्या यह है कि उन्होंने न तो अभी तक एक नेता के तौर पर अपनी योग्यता दिखाई है, और न ही बड़ी जिम्मेदारी के लिए उनके भीतर कोई तत्परता दिखती है। वो शर्मीले हैं। पत्रिका के अनुसार राहुल गांधी संसद में भी अपनी आवाज़ नहीं बुलंद करना चाहते, और कोई नहीं जानता है कि वो कितने काबिल हैं या फिर सत्ता और जिम्मेदारी मिलने के बाद वो आखिर क्या करेंगे।
भाजपा के साथ ही साथ शिवसेना भी राहुल के खिलाफ तलवार पजाती नजर आ रही है। उधर, विदेशी मीडिया में सवाल उठे तो समाजवादी पार्टी ने राहुल गांधी पर हमला बोला। पार्टी नेता मोहन सिंह ने कहा कि पिछले डेढ़ दो सालों में राहुल गांधी का ऐसा कोई बयान सुनने में नहीं आया जिससे पता चले कि वो किसी मसले पर गंभीर राय रखते हैं।

हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी की सुध ली सरकार ने


हिंदी दिवस के मौके पर हिंदी की सुध ली सरकार ने

(महेंद्र देशमुख)

नई दिल्ली (साई)। कार्मिक विभाग ने हिन्दी दिवस के अवसर पर हिन्दी की सुध लेना आरंभ किया है।  हिंदी दिवस के मौके पर सरकार ने अपने अधिकारियों से पूछा है कि जब हिंदी सॉफ्टवेयर की सुविधा तमाम दफ्तरों में कर दी गई है तो अब हिंदी से परहेज क्यों किया जा रहा है।
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने सभी अधिकारियों को भेजे संदेश में कहा कि उन्हें अब कोई भी सरकारी निदेर्श हिंदी में ही निकालनी चाहिए और ऐसा महज अनुवाद तक सीमित नहीं हो। अभी अधिकतर आदेश अंग्रेजी में निकलते हैं और बाद में इसका हिंदी अनुवाद किया जाता है। डीओपीटी ने अगले एक साल में सभी आदेश हर हाल में हिंदी में ही देने को कहा है।
डीओपीटी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि पहले हिंदी सॉफ्टवेयर की परेशानी होती थी। पिछले छह महीने के दौरान अभियान चलाकर इसे ठीक किया गया। डीओपीटी से मिली जानकारी के अनुसार महज एक साल में एक हजार से अधिक ऐसी शिकायतें मिली थी जिसमें हिंदी में काम करने में तकनीकी परेशानी आ रही थी।
हिंदी दिवस से ठीक पहले एक बार फिर अधिकारियों को हिदायत दी गई कि वे बहुत कठिन हिंदी का इस्तेमाल नहीं करें। ऐसी भाषा का उपयोग करने की हिदायत दी गई है जो आम लोगों को आसानी से समझ में आ सके। इस तरह का निदेर्श पिछले साल भी दिया गया था।

सर्वोच्च न्यायालय के नियमों की परवाह नहीं एचएम को भी

सर्वोच्च न्यायालय के नियमों की परवाह नहीं एचएम को भी

(राजेश शर्मा)

भोपाल (साई)। कार के कांच पर किसी भी प्रकार की फिल्म लगाना प्रतिबंधित है- ये निर्देश सुप्रीम कोर्ट के हैं। इसी का हवाला देकर ट्रैफिक पुलिस नौ दिन से चार पहिया वाहन चालकों को पकड़कर चालान बना रही है लेकिन मामला एमपी के होम मिनिस्टर का हो तब क्या कहा जाएगा? एमपी के होम मिनिस्टर उमा शंकर गुप्त की भारी भरकम सरकारी गाड़ी में काले शीशे लगे हुए हैं।
उधर, इंदौर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो ने बताया कि इंदौर संभाग की पुलिस महानिरीक्षक की कार में भी काले शीशे लगेए हैं। फिल्म लगी होने को लेकर सवाल किया तो उन्होंने नियम का पालन करने के बजाय जुर्माना भरने के नियम को ही शिथिल करवा दिया।
आईजी अनुराधा शंकर पुलिस कंट्रोल रूम में मातहतों की बैठक लेने आई थीं। काली फिल्म चढ़ी उनकी कार जीरो टॉलरेंस जोन से गुजरी लेकिन उसे रोकने की हिम्मत किसी जवान या अधिकारी में नहीं हुई जबकि ट्रैफिक पुलिस ने एएसपी क्राइम व विधायक का चालान बनाया था। मीडिया ने आईजी से काली फिल्म को लेकर सवाल किए तो वे बोलीं कि कार पुलिस मुख्यालय से आई है। उस पर नियमानुसार फिल्म चढ़ी है। इस पर मीडियाकर्मियों ने उन्हें बताया ट्रैफिक पुलिस पिछले दिनों से जो कारों के चालान बना रही है उसमें तो सभी प्रकार की फिल्में उतरवाई जा रही हैं।
आईजी से मीडियाकर्मियों ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को लेकर सवाल किया तो उन्होंने कहा ऐसा नहीं है। पारदर्शिता का प्रतिशत तय है। उसके हिसाब से ही चालान बनाए जा सकते हैं। इस पर मीडिया ने पूछा पुलिस कैसे नापेगी कि किसका प्रतिशत सही है या गलत तो उन्होंने एसपी ट्रैफिक डॉ. आशीष को निर्देश दिए हैं कि पुलिस पारदर्शिता मापने वाले यंत्र के साथ ही कार्रवाई करे।
एसपी डॉ. आशीष ने बताया पुलिस पारदर्शिता मापने वाले यंत्र बुलवाए जा रहे हैं। तब तक सिर्फ उन कारों पर कार्रवाई होगी जिनमें बिलकुल काली फिल्म लगी है और आर-पार देखना मुश्किल है। डीएसपी ट्रैफिक से जब लोगों ने कहा उनकी कारों में आरटीओ से अनुमति प्राप्त पारदर्शिता की फिल्में चढ़ी हैं तो किसी की नहीं सुनी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का निर्देश वाहन चालकों को पढ़वाया जिसमें लिखा था कि कार पर कोई भी फिल्म चिपकाने की अनुमति नहीं है। सिर्फ कंपनी फिटेड टिंटेड ग्लास (वो ग्लास जिसे कार निर्माता कंपनी लगाकर देती है) की अनुमति है।

मनमोहन मथ रहे अपने मंत्रिमण्डल को


मनमोहन मथ रहे अपने मंत्रिमण्डल को

(विपिन सिंह राजपूत)

नई दिल्ली (साई)। वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह अपनी और कांग्रेस की छवि को चमकाने के लिए अब जल्द ही सत्ता का चेहरा मोहरा बदलने की जुगत में दिख रहे हैं। घोटालों और कुशासन के आरोपों से परेशान यूपीए-2 सरकार चेहरा बदल कर छवि चमकाने में जुट गयी है. इसी कवायद के तहत कुछ मंत्रियों की छुट्टी होने और कुछ नये चेहरों को सरकार में शामिल किये जाने की संभावना है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी विदेश से लौट आयी हैं और उम्मीद जतायी जा रही है कि इस महीने के अंत में पितृपक्ष शुरू होने से पहले मंत्रिमंडल में बड़ा फेरबदल होगा. सरकार से कुछ दागी मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है. वहीं, प्रणब मुखर्जी, वीरभद्र सिंह और विलासराव देशमुख की जगह भी भरी जानी है.
प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद पश्चिम बंगाल से कांग्रेस का कोई मंत्री नहीं है. दीपादास मुंशी या अधीर चौधरी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य और बेनजीर मौसम नूर का नाम भी सामने आ रहा है. पंचायत चुनाव के पहले कांग्रेस नेतृत्व चाहता है कि राज्य के कांग्रेस नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाये, ताकि वे तृणमूल कांग्रेस का सामना कर सकें. फिलहाल केंद्रीय मंत्रिमंडल में तृणमूल के एक कैबिनेट मंत्री व छह राज्य मंत्री शामिल हैं.
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आला कमान मंत्रिमंडल में उन नेताओं को शामिल करने को प्राथमिकता देगा जो पहले मंत्री नहीं बने हों यानी नया चेहरा हो. अधीर रंजन चौधरी के मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने की चर्चा पहले से ही है, क्योंकि मुर्शिदाबाद जिले की बहरमपुर लोकसभा सीट को उन्होंने वाम मोरचे के कब्जे से छीनकर कांग्रेस की झोली में डाल दिया था.
वह भी उस वक्त जब राज्य में वाम मोरचा की सरकार थी. इलाके में कांग्रेस का वर्चस्व बढ़ाने में चौधरी की अहम भूमिका रही है. दूसरी ओर दीपा दासमुंशी की पृष्ठभूमि भी काफी मजबूत है. मंत्रिमंडल में शामिल किये जाने की संभावना को लेकर पूछने पर चौधरी ने कहा कि यह फैसला कांग्रेस आला कमान को करना है. वैसे उनका लक्ष्य तो विकास ही है. मंत्रिमंडल में शामिल होने का यदि मौका मिला तो आम लोगों से जुड़ने व विकास कार्य करने का ज्यादा मौका मिल पायेगा. इधर सांसद व कांग्रेस प्रमुख नेता दीपा दासमुंशी का इस बारे में कहना है कि आला कमान जो भी फैसला लेगा उन्हें मंजूर होगा. बंगाल से मंत्रिमंडल में यदि किसी सांसद को शामिल किया जायेगा तो यह राज्य के लिए अच्छा और गौरव की बात होगी.
उधर, शशि थरूर फिर मंत्री बनने की कोशिश में हैं. आइपीएल में अनियमितता के मामले को लेकर उन्हें मंत्री पद छोड़ना पड़ा था. वह विदेश राज्य मंत्री थे. कहा जा रहा है कि मनीष तिवारी, मीनाक्षी नटराजन, ज्योति मिर्धा और मनिका टैगोर को राज्यमंत्री बनाया जा सकता है, जबकि वरिष्ठ नेता जनार्दन द्विवेदी को कैबिनेट मंत्री का पद मिल सकता है. कैबिनेट में चिरंजीवी का आना भी लगभग तय माना जा रहा है और रेणुका चौधरी को भी मंत्री बनाये जाने की अटकलें हैं. वहीं, राज्य मंत्री ऑस्कर फर्नांडीस और के रहमान खान प्रमोट करके कैबिनेट मंत्री बनाये जा सकते हैं.
सलमान खुर्शीद और कपिल सिब्बल से एक-एक मंत्रालय का कार्यभार वापस लिया जा सकता है. खुर्शीद के पास फिलहाल अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय और कानून मंत्रालय हैं, जबकि सिब्बल के पास टेलिकॉम और मानव संसाधन विकास मंत्रालय हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, खुर्शीद से अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय और सिब्बल से मानव संसाधन विकास मंत्रालय वापस लिये जा सकते हैं.
कैबिनेट में फिलहाल कम से कम आठ मंत्रियों के पास एक से ज्यादा विभाग हैं और कई मंत्री तो ऐसे हैं जिनके पास पार्टी में भी पद हैं. खुर्शीद और सिब्बल के अलावा वायलर रवि (लघु उद्योग मंत्रालय, साइंस ऐंड टेक्नॉलजी, अर्थ साइंस और प्रवासी भारतीयों का मंत्रालय), वीरप्पा मोइली (पावर और कॉर्पाेरेट अफेयर्स), आनंद शर्मा (कॉमर्स के साथ-साथ इंडस्ट्री एंड टेक्सटाइल), पवन कुमार बंसल (संसदीय कार्य और जल संसाधन) और कुमारी शैलजा (हाउसिंग ऐंड अर्बन पॉवर्टी एलिवेशन और कल्चर) इनमें प्रमुख हैं.

केबीसी में हारे एक लाख!


केबीसी में हारे एक लाख!

(दीपक अग्रवाल)

मुंबई (साई)। कौन बनेगा करोडपति को सदी के महानायक अमिताभ बच्चन द्वारा होस्ट किया जा रहा है. अब तक के सारे केबीसी शो में किसी भी प्रत्याशी ने रकम भले ही ना जीती हो पर हारी भी नहीं है। यह पहला मौका था जब केबीसी के नाम पर एक महिला ने एक लाख रूपए गंवा दिए.
केबीसी में चयन और मुंबई में शूटिंग का झांसा देकर यहां एक महिला से एक लाख रुपये की ठगी की गयी. पुलिस ने बताया कि ठगी का शिकार शास्त्रीनगर सेक्टर छह निवासी महिला बबीता गुप्ता की तहरीर में आज बताया कि 11 से 16 जून तक प्रतिभागियों के लिए लाइन खुली थी. इसमें बबीता ने भी प्रयास किया. 21 जून को उनके पास फोन आया कि उसका चयन केबीसी के लिए हो गया है और फोटो वेबसाइट पर भेज दो.
यह बताने पर कि उसके परिवार के चार सदस्य आयेंगे, तो फोन आया कि केबीसी में पहुंचने के लिए 25 हजार रुपये प्रति सदस्य के हिसाब से एक लाख रुपये जमानत राशि जमा कराने होंगे. यह रकम बैंक खाता नंबर देकर जमा करा ली गई. रुपया जमा होने के बाद फोन आया कि आपकी 19 जुलाई को फ्लाइट है और 20 जुलाई को शूटिंग है, लेकिन टिकट नहीं भेजा गया. ठगी की शिकार महिला के अनुसार उसने जब पता किया तो उसका नाम केबीसी में शामिल ही नहीं था.

एआईसीसी बनाम आल इंडिया कोल कांग्रेस: मोदी


एआईसीसी बनाम आल इंडिया कोल कांग्रेस: मोदी

(जलपन पटेल)

अहमदाबाद (साई)। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले महीने भर की अपनी यात्रा के दूसरे दिन गुरुवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा और एआईसीसी को ऑल इंडिया कोल कांग्रेसकह डाला. किसानों की खुदकुशी के मामले में कदम नहीं उठाने के आरोपों के बीच मोदी ने सूखे की मार झेलने वाले किसानों के लिए कृषि ऋण पर 300 करोड़ रुपये के ब्याज की छूट और बिजली बिल पर राहत देने की लुभावनी घोषणाएं भी कीं.
गुजरात विधानसभा चुनाव में मोदी और नीतीश के बीच टकराव का नया मैदान बनने की संभावनाओं के बीच मोदी ने राजग के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर अपने नाम से आपत्ति रखने वाले नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि जब बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दल ओसामा बिन लादेन जैसे लगने वाले लोगों का इस्तेमाल करते हैं तो कोई शिकायत नहीं करता लेकिन अगर वह रैली निकालते हैं तो दिक्कत हो जाती है.
अपनी स्वामी विवेकानंद युवा विकास यात्राके दूसरे दिन मोदी ने कहा, ‘पार्टियों ने बिहार में चुनाव प्रचार के दौरान ओसामा बिन लादेन के एक डुप्लीकेट का इस्तेमाल किया और सब चुप रहे. अब जब मैं विवेकानंद के नाम पर रैली निकाल रहा हूं तो क्या समस्या है?’ कांग्रेस (एआईसीसी) को ऑल इंडिया कोल कांग्रेसकहते हुए मोदी बोले, ‘आपने हीरा, सोना, चांदी की चोरी सुनी होगी लेकिन क्या कभी कोयला चोरी होने के बारे में सुना है? कांग्रेस के लोगों ने 2 लाख करोड़ रुपये का कोयला चंपत कर दिया.
मोदी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में गांधी परिवार पर भी निशाना साधा और कांग्रेस के दशा बदलने के लिए दिशा बदलोनारे की आलोचना करते हुए कहा कि कांग्रेस की दिशा वंशवाद के शासनकी है. उन्होंने कहा, ‘केवल एक परिवार को तवज्जो मिलती है. अगर वे किसी को प्रधानमंत्री बनाते हैं तो उसे कोई निर्णय लेने से पहले परिवार के पास जाना पड़ता है.
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘कांग्रेस की दिशा भाई-भतीजावाद की, सांप्रदायिकता फैलाने की, विभाजन की राजनीति की और वादों को पूरा नहीं करने की है.मोदी ने कहा, ‘हम गुजरात में यह सब नहीं चाहते.किसानों के लिए घोषणाएं करते हुए मोदी ने कहा, ‘यह निर्णय लिया गया है कि सूखे जैसी स्थिति से प्रभावित किसानों के कृषि ऋण पर ब्याज के रूप में 300 करोड़ रुपये की धनराशि का भार राज्य सरकार वहन करेगी.

संदिग्ध नक्सली धराया


संदिग्ध नक्सली धराया

(प्रतिभा सिंह)

पटना (साई)। बिहार के रोहतास जिले के चुटिया थाना क्षेत्र से पुलिस ने गुरूवार को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के एक संदिग्ध नक्सली को गिरफ्तार किया है. इस नक्सली पर 30 से अधिक मामलों में शामिल होने का आरोप है.
रोहतास जिले के पुलिस अधीक्षक मनु महराज ने बताया कि गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने चुटिया क्षेत्र से खतरनाक नक्सली सीताराम नुनिया उर्फ गब्बर को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने बताया कि जिले के विभिन्न थाने में इस नक्सली के खिलाफ 30 से ज्यादा मामले दर्ज हैं.
गब्बर से पुलिस से लूट की एक राइफल और कई गोलियां बरामद की गई हैं. महाराज ने कहा कि नक्सली से पूछताछ की जा रही है तथा नक्सलियों के खिलाफ छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है.

भाषा सिर्फ शब्दकोष नहीं


भाषा सिर्फ शब्दकोष नहीं

(दिव्या शर्मा)

नई दिल्ली (साई)। कोई भी भाषा सिर्फ शब्दकोष नहीं है. भाषा हमारी भावनाओं को व्यक्त करने का सबसे मज़बूत जरिया होता है. हिंदी को सवैधानिक  तौर पर भारत की राजभाषा घोषित किया गया है, जिसे देश की जनता राष्ट्रभाषा का सम्मान देती है. भारत सहित पुरे विश्व में करीब ६०  करोड़ लोग हिंदी बोलते और लिखते है, जिनमे फिजी, मोरिशियस, गयाना, नेपाल जैसे देश शामिल है. भाषा विशेषज्ञों के अनुसार भविष्य में अन्तराष्ट्रीय महत्व मिलने वाली चाँद भाषाओँ में हिंदी प्रमुख रहेगी. पौराणिक भाषा संस्कृत से निकले शब्द हिंदी को १८ वीं शताब्दी में साहित्यिक भाषा का गौरव भी प्राप्त हो चूका है. सबसे सरल, लचीली और व्यवस्थित भाषा मानी जाने वाली हिंदी भाषा को हमारी न सिर्फ राष्ट्रभाषा बल्कि संपर्क भाषा भी बनाया गया. इसके बावजूद यह विडम्बना ही है की आज हमारी राष्ट्रभाषा का अस्तित्व खतरे में है. दिमागी तौर पर हम आज भी गुलाम ही है, शायद इसीलिए हिंदी भाषी राष्ट्र में  अंग्रेजी बोलने वालों को ज्यादा सम्मान प्राप्त है. औपचारिक तौर पर संपर्क भाषा कहे जाने वाली हिंदी में संपर्क करने पर आज हमारे ही देश में हीन द्रष्टि का सामना करना पड़ता है. अपना महत्व और काबिलियत साबित करने के लिए भी आज  अंग्रेजी का सहारा लेने को लोग मजबूर है.
जितनी हिंदी उपयोग की जा रही है, वह भी अशुद्ध या फिर अंग्रेजी आदि का मिश्रण ही होती है. पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव हमेशा से ही हमारे दिमाग पर हावी रहा है, जिसकी आग को मनोरंजक चौनलों और फिल्मों ने और हवा देने का काम किया है. फिल्मों में लगातार बढती  पाश्चात्य संस्कृति और हिंदी का घटता स्तर इसके लिए सबसे ज़यादा जवाबदार है.
भारत में हिंदी पत्रकारिता का आरम्भ आज़ादी से पहले कोलकत्ता और लाहोरे जैसे शहरों में हुआ था जो हिंदी भाषी शेत्र नहीं है, लेकिन तब भी हिंदी का निरादर नहीं हुआ करता था, जो आज की  औद्योगिक पत्रकारिता के दौर में हो रहा है. खुद को बेहतरीन हिंदी न्यूज़ चौनल कहने वाले भी आज राष्ट्रभाषा की दुर्गति करने में अग्रसर है. अशुद्ध व्याकरण, गलत शब्दों का चयन, यहाँ तक की स्त्रीलिंग और पुरलिंग का अंतर भी कुछ चौनल भुला चुके है.
 पत्रकारिता में हिंदी के लगातार घटते स्तर पर खेद व्यक्त करते हुए आई. बी. इन. 7 के पुनीत शुक्ला का  मानना है कि पढने में रुझान बढाने  के अलावा सबसे पहले हमे अपनी मानसिकता बदलने की ज़रुरत है.  टी.आर.पी. में अव्वल आने और खबर सबसे पहले दिखने की होड़ में भाषा की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. पुनीत का कहना है की हर खबर को सनसनी बनाकर पेश करने का चलन खत्म करना होगा. हर चौनल एक ही कतार में दौड़ कर टी.आर.पी. बटोरने में लगा रहता है. उन्होंने कहा की आज देखे तो हर शब्द के आगे महा जोड़कर दिखाया  जा रहा है, जैसे महा-आन्दोलन, महा-बहस, महा-चर्चा आदि, जिनका कोई औचित्य नहीं है. उन्होंने कहा कि हम हिंदी के महत्व को बढाने के लिए कई प्रयास कर रहे है, जैसे दिग्गज कवियों ओर साहित्यकारों के द्वारा लिखी पंक्तियों का उपयोग कर रहे है, ताकि देश के युवा वर्ग को हमारा साहित्य स्मरण करवा सकें, जो आज पूरी तरह अंग्रेजी के गुलाम हो चुके है. उन्होंने बताया कि हालहि में प्रदर्शित फिल्म श्ज़िन्दगी न मिलेगी दोबाराश् में सिर्फ  अंग्रेजी,  क्लबों ओर शराब में डूबे युवाओं के जो संस्कार दिखाये है, वह केवल  फिल्म नहीं है. यह हमारे उभरते समाज की तस्वीर बन चुकी है.
 राष्ट्रभाषा का भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है, जिसे एक आशा की किरण की ज़रुरत है. अगर प्रयास किये जाए तो यह किरण समाज को हिंदी पत्रकारिता के ज़रिये मिल सकती है. हमे समाज को राष्ट्रभाषा की गुणवत्ता और क्षमता याद दिलानी होगी. दस हजार मूल शब्दों वाली अंग्रेजी भाषा के सामने अपने आप में ढाई लाख शब्दों को समेटे हुए हमारी  राष्ट्रभाषा हिंदी की भव्यता देश भूलता जा रहा है, जो हमारी संस्कृति के लिए भी खतरे की ओर एक इशारा है.

औषधि से कम नहीं हल्दी


औषधि से कम नहीं हल्दी

(दीपाली सिन्हा)

नई दिल्ली (साई)। हल्दी शरीर या त्वचा पर पड़े पिगमेंटेशन को दूर करने में लाभप्रद है. थोड़ी-सी हल्दी को पीस कर उसमें नींबू की कुछ बूंदे मिलाइए. आप चाहें तो इसे खीरे के साथ भी मिक्सी में पीस कर लगा सकती हैं. चेहरे पर पिंपल आ गये हों तो हल्दी पाउडर और उसमें चंदन तथा पानी मिला कर पेस्ट तैयार करें और चेहरे पर लगाएं. इससे पिंपल जल्दी ही ठीक हो जायेंगे.
यह बॉडी स्क्रब का भी काम करती है. बस नहाने से पहले हल्दी पाउडर, पानी और आटे का पेस्ट बनाइए और इस हल्के हाथों से शरीर पर रगड़िए. ऐसा कई बार लगातार करने से आपका शरीर चमक उठेगा. अगर गर्भावस्था के दौरान आपके पेट पर स्ट्रेच मार्क्स आ गये हैं और अब जा नहीं रहे हैं तो, हल्दी को दही में मिला कर बनाये गये पेस्ट को रोज अपने पेट पर 6 मिनट तक लगाएं. धीरे-धीरे स्ट्रेच मार्क्स चले जायेंगे.
यदि आप मुंह पर अनचाहे बाल से परेशान हैं, तो चेहरे पर हल्दी लगाना आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. इसके प्रयोग से बालों की रंगत हल्की हो जाती है. अगर आपने अपने हाथों को किचन में खाना बनाते वक्त जला लिया है तो उस पर हल्दी और एलोवेरा जेल लगा लें. इससे जलन कम होगी और हाथों में दाग भी नहीं पड़ेगा.
हल्दी से दांत संबंधी बीमारी भी ठीक हो जाती है. दांतों में किसी प्रकार का संक्रमण होने पर हल्दी, सेंधा नमक और सरसों के तेल का पेस्ट बनाएं और इसको दिन में तीन बार अपने संक्रमण वाली जगह पर रखें. इसके बाद गुनगुने पानी से अपने मुंह को धो लें.
सुस्ती और थकान होने पर हल्दी और शहद को मिला कर पीने से राहत मिलती है. अगर आपके अंदर खून की कमी है तो भी यह मिश्रण आपके लिए रामबाण से कम नहीं होगा.

चला मुलायम पीएम बनने


चला मुलायम पीएम बनने

(विस्फोट डॉट काम)

नई दिल्ली (साई)। 2014 के आम चुनावों में अभी कुछ वक्त है, लेकिन सभी पार्टियों ने अभी से अपनी राजनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है। मुलायम सिंह यादव भी उन्हीं लोगों में शामिल हैं। कोलकत्ता में अपने तीन दिन के सम्मेलन में उन्होंने इस बात के संकेत दिए हैं कि जरूरी नहीं है कि चुनाव 2014 में ही हो। चुनाव उससे पहले भी हो सकते हैं। अगर ऐसा होता है कि उनकी पार्टी बड़े दल के रूप में ऊभरकर सामने आएगी। वे प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल हैं या नहीं इस सवाल का जवाब उन्होंने एक राजनीतिज्ञ की ही तरह दिया। उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल नहीं है, लेकिन मैं कोई साधु भी नहीं हूं।
इसका सीधा मतलब है कि उन्होंने इशारों ही इशारों में यह बात कह दी की भले ही वे प्रधानमंत्री की रेस में न हो लेकिन अगर समीकरण ऐसे बनते हैं या कोई उनसे कहे तो वे प्रधानमंत्री का पद संभालने को तैयार है।
उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी का प्रदर्शन देखकर उन्होंने सीधे ही कहा कि वे अकेले चुनाव लड़ेंगे। जहां तक तीसरे मोर्चे की बात है उसका फैसला चुनावों के बाद लिया जाएगा। कल ही मुलायम सिंह यादव ने कहा था कि अगले आम चुनावों में समाजवादी पार्टी के बगैर कोई भी सरकार नहीं बना सकता। जहां तक तीसरे मोर्चे की बात है पिछले चुनावों में उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर तीसरा मोर्चा चुनावों के पहले ही बनाया था। जिसके सफल होने पर मुलायम के प्रधानमंत्री बनने की बात कही जा रही था। उनके मोर्चे की हालत ऐसी हुई की उनको किसी ने मान ही नहीं दिया। लगता है मुलायम सिंह यादव इसी वजह से चुनावों के बाद तीसरे मोर्चे के समीकरण पर विचार करने की बात कर रहे हैं।
मुलायम ने पश्चिम बंगाल की राजनीति पर बोलने से परहेज करते हुए कहा कि हम सभी पार्टियों से अच्छे रिश्ते बना कर चल रहे हैं। उन्होंने ममता बनर्जी से हुई अपनी बातचीत के बारे में कहा कि हमारी बातचीत काफी अच्छी रही। इस दोनों ही दलों ने अपने राज्यों के विधानसभा चुनावों में काफी अच्छा किया है। इस बात से भी सभी अवगत है कि भले ही ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ हो लेकिन ममता और कांग्रेस का हर दूसरे मुद्दे पर छत्तीस का आंकड़ा रहा है। इसके साथ ही इन राष्ट्रपति चुनावों में भी दोनों की नजदीकियां सभी को देखने को मिली थी। इसके बाद अगर यह दोनों ही दल एक साथ आते हैं तो चुनावी समीकरण बदलने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। आडवाणी ने भी अपने ब्लाग में कहा था कि अगले आम चुनावों में प्रधानमंत्री गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई होगा। भले ही उनका इशारा मुलायम की ओर न हो, लेकिन इससे मुलायम सिंह यादव की थोड़ी राहत जरूरत मिल सकती है।
कांग्रेस को समर्थन देने पर मुलायम कड़े दिखे। उन्होंने सीथे कहा की वे संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन को समर्थन नहीं करेंगे। उनकी पार्टी सांप्रदायिकता के खिलाफ है। कांग्रेस को कभी भी सांप्रदायिकता के खिलाफ उनके समर्थन की जरूरत पड़ेगी। वे समर्थन देने के लिए तैयार है। उन्होंने महंगाई के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार महंगाई रोकने में अक्षम है। महंगाई को रोकने के लिए सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह के राजनीतिक हालात इस समय चल रहे हैं उससे 2014 से पहले ही आम चुनाव होने की संभावना दिख रही है।
यह सभी जानते हैं कि अगर 2014 से पहले चुनाव हुए तो निश्चित ही फायदा किसी को भी हो सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होगा। जिस तरह भ्रष्टाचार और महंगाई के मुद्दे पर सरकार इस समय घिरी है। उससे अगर अगले कुछ महीनों में चुनाव होते हैं तो कांग्रेस को नुकसान होना तय है। भाजपा भी यही चाहती है कि 2014 से पहले चुनाव हो। जिससे जनता जिसको भूलने की आदत है उसे कांग्रेस के भ्रष्टाचार और नाकामी को भूलने का समय न मिले और कांग्रेस सत्ता से बाहर हो जाए। बहरहाल सभी ने धीरे-धीरे अपनी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। कांग्रेस इन सभी मसलों पर चुप है। देखनेवाली बात होगी की कांग्रेस इस बार जनता को क्या जड़ी-बूटी सुंघाती है, जिससे वे अपनी इज्जत बचा सके।