सुलग रहा है
लखनादौन प्रकरण!
भूरिया हरिप्रसाद को नहीं नेहरू गांधी
परिवार की इज्जत की चिंता!
(नन्द किशोर)
नई दिल्ली (साई)।
मध्य प्रदेश में एक समय में कांग्रेस के गढ़ रहे सिवनी जिले में कांग्रेस के किले
के ढहने को लेकर तरह तरह की अफवाहों अटकलों का बाजार गर्मा गया है। पिछले दिनों
हुए नगर पंचायत लखनादौन के चुनावों में कांग्रेस द्वारा तलवारें रेत में गड़ाने के
मामले को कांग्रेस के आला नेता विदिशा के राज कुमार पटेल के प्रकरण की संज्ञा दे
रहे हैं। इस संबंध में प्रदेश प्रभारी बी.के.हरिप्रसाद का चेहरा अभी भी तमतमाया
हुआ ही है। मामले में सूबाई स्तर के नेताओं को नापने की कवायद तेज हो गई है।
देश के हृदय प्रदेश
के सिवनी जिले में लखन कुंवर की नगरी लखनादौन में नगर पंचायत अध्यक्ष पद के
चुनावों में कांग्रेस की ओर से अधिकृत की गई रोशनी मंद्रेला ने नामांकन वापसी के
अंतिम दिन अपना नामांकन वापस ले लिया था। हद तो उस वक्त हो गई थी जब जिला कंाग्रेस
कमेटी के अध्यक्ष मंद्रेला का बी फार्म लेकर लखनादौन गए तब उन्हें रिटर्निंग आफीसर
द्वारा इस बात की सूचना दी गई कि कांग्रेस की उक्त उम्मीदवार ने तो अपना नामांकन
ही वापस ले लिया।
प्रदेश कांग्रेस
कमेटी के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि नगर पंचायत
लखनादौन में प्रत्याशी बड़ी ही मुश्किल से मिलने की बात कही जाकर दो बिना नामों
वाले बी फार्म लिए गए थे। इन दोनों बी फार्म में भरे गए नामों वाले प्रत्याशियों ने
कांग्रेस को ठेंगा दिखाते हुए अपने नाम वापस ले लिए थे।
उधर, लखनादौन ब्लाक
कांग्रेस कमेटी के सूत्रों का कहना है कि अगर आला नेता चाहते तो लखनादौन में
अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए कतार लगी हुई थी। और जिसे भी टिकिट दी जाती वह
निश्चित तौर पर विजयश्री का ही वरण करता। ब्लाक कांग्रेस कमेटी के एक पदाधिकारी ने
पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि इस प्रकरण से समूची जिला कांग्रेस शर्मसार
है क्योंकि यह बस नाटक सिर्फ और सिर्फ दिनेश राय को फायदा पहुंचाने के लिए रचा गया
था।
उक्त नेता ने कहा
कि इसके पहले दिनेश राय द्वारा केवलारी से चुनाव लड़ने की हुंकार भरी गई थी। गौरतलब
है कि केवलारी में हैहय कलचुरी समाज के मतदाताओं की तादाद बेहद ज्यादा है और इसके
पहले पानी को लेकर हुए आंदोलन में भी कांग्रेस के शासनकाल में हैहय कलचुरी समाज की
रीढ़ माने जाने वाले एक युवा की गोली लगने से हुई मौत (पलारी गोलीकाण्ड) के कारण
समाज के लोग कांग्रेस से खफा भी थे।
इसके बाद नाटकीय
घटनाक्रम आरंभ हुए। पर्यावेक्षकों की कथित रिपोर्ट के अधार पर एमपीसीसी के अध्यक्ष
कांति लाल भूरिया ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के साथ चर्चा के दौरान कहा था कि
कांग्रेस के प्रत्याशी के नामांकन वापस लेने से कोई अंतर नहीं पड़ने वाला है।
कांग्रेस जल्द ही एक शक्तिशाली निर्दलीय को अपना समर्थन दे देगी। इस संबंध में जब
भूरिया के संज्ञान में यह बात लाई गई कि निर्दलीय का पुत्र दिनेश राय ही पिछले
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के सिवनी के प्रत्याशी प्रसन्न मालू की जमानत जप्त
कराने का कारक बना था, तब वे अचंभित रह गए।
इसी दौरान मध्य
प्रदेश के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद ने भी उस समय समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
से चर्चा के दौरान कांतिलाल भूरिया की ही तरह निर्दलीय को समर्थन देने की बात कही
थी। इसके उपरांत जब उनके संज्ञान में दिनेश राय वाली बात लाई गई तो वे भी हत्प्रभ
ही रह गए। हरिप्रसाद के करीबी सूत्रों का कहना है कि फील्डिंग कुछ इस तरह की गई थी
कि दिनेश राय की माता श्रीमति सुधा राय को कांग्रेस का समर्थन दिलवाकर दिनेश राय
के कांग्रेस में प्रवेश के मार्ग प्रशस्त कर दिए जाएं। बाद में दिनेश राय को
कांग्रेस की टिकिट पर सिवनी विधानसभा से मैदान में उतार दिया जाए। कहा तो यहां तक
भी जा रहा है कि वर्तमान में दिनेश राय द्वारा कथित तौर पर स्वप्रायोजित कार्यक्रम
सिवनी विधानसभा क्षेत्र में रखकर अपनी तैयारियों तो आरंभ कर ही दी गईं हैं।
कहा जाता है कि
जागरूक कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की दूरंदेशी के चलते कांग्रेस के कुछ आला नेताओं
की इस कवायद पर पानी फिर गया। फिर क्या था कांग्रेस ने लखन कुंवर की नगरी में नगर
पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए वोट ही नहीं मांगे।
प्रदेश कांग्रेस
कमेटी के सूत्रों का कहना है कि नगर पंचायत के लिए कांग्रेस की ओर से रोशनी
मंद्रेला को टिकिट दिए जाने का निर्णय वाकई चौंकाने वाला ही था। सूत्रों की मानें
तो रोशनी मंद्रेला कांग्रेस की सदस्य ही नहीं थी। सूत्रों का कहना है कि आदिवासी
बाहुल्य लखनादौन विधानसभा क्षेत्र आजादी के उपरांत कांग्रेस का गढ़ रहा है। पिछले
दो बारों से यहां विधानसभा में कांग्रेस मुंह की खाती आई है, किन्तु इस बार नगर
पंचायत में कांग्रेस की मजबूती का अधार इस बात से मिलता है कि लोकसभा चुनावों में
कांग्रेस ने लखनादौन विधानसभा में बढ़त हासिल की थी।
प्रदेश कांग्रेस
कमेटी के एक पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि संपूर्ण महाकौशल
में कांग्रेस के दो नेताओं ने कांग्रेस का नास कर दिया है। सिवनी जिले से कांग्रेस
के कद्दावर नेता हरवंश सिंह चौथी बार विधायक बने हैं। उनके कद को देखकर यही कहा जा
सकता है कि कम से कम सिवनी जिले में तो वे कांग्रेस को विजयी बनवा सकते हैं।
बावजूद इसके पिछले डेढ़ दशक से ज्यादा समय से जिले में वे ही चुनाव जीत रहे हैं और
बाकी सारी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को मुंह की खानी पड़ रही है।
बहरहाल, मध्य प्रदेश
कांग्रेस के प्रभारी महासचिव बी.के.हरिप्रसाद के करीबी सूत्रों का कहना है कि इस
मामले की गूंज कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी और राहुल गांधी के दरबार तक
हो चुकी है। कांग्रेस प्रत्याशी के रणछोड़दास बनने से कांग्रेस के सत्ता और शक्ति
के शीर्ष केंद्रों के कड़े तेवर हरीप्रसाद को परेशान किए हुए हैं। सूत्रों ने
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि हरीप्रसाद ने इस मामले को राजकुमार पटेल और
सुषमा स्वराज के विदिशा लोकसभा चुनाव की संज्ञा दी है।
सूत्रों ने यह भी
बताया कि दरअसल, राहुल और
सोनिया गांधी को यह बताया गया है कि लखनादौन से पूर्व प्रधानमंत्री प्रियदर्शनी
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी का बड़ा ही अनुराग रहा है। इसके अलावा सोनिया भी
लखनादौन को तवज्जो देती आई हैं। रही राहुल गांधी की बात तो राहुल गांधी भी लखनादौन
की यात्रा कर चुके हैं। इस सारी बातों पर पानी फेरते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस
कमेटी ने लखनादौन में टिकिट बटवारा सही नहीं किया है। जाहिर है मध्य प्रदेश
कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और प्रदेश प्रभारी महासचिव
बी.के.हरिप्रसाद को नेहरू गांधी परिवार की इज्जत की कोई चिंता ही नहीं है।
पीसीसी सूत्रों ने
यह भी बताया कि इस मामले में अब खुर्दबीनी आरंभ हो गई है कि आखिर लखनादौन नगर
पंचायत अध्यक्ष पद की टिकिट किसके कोटे से जारी की गई थी? क्या लखनादौन में
कांग्रेस के पास इस गुमनाम चेहरे के अलावा और कोई चेहरा नहीं था? क्या कारण है कि
कांग्रेस की जमानत जप्त करवाने वाले प्रत्याशी की मां के खिलाफ कोई दमदार
प्रत्याशी नहीं उतारा गया, जबकि चुनावों के आरंभ से ही कांग्रेस की जमानत जप्त करवाने
वाले उक्त प्रत्याशी ने अपने आकर्षक फोटो के साथ मीडिया में विज्ञापन और लखनादौन
शहर में पोस्टर्स भर दिए थे।
पीसीसी सूत्रों का कहना
है कि इस मामले में अब आलाकमान ने कठोर कार्यवाही का मन बना लिया है। इस मसले में
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कांति लाल भूरिया का ढुलमुल रवैया ही भूरिया के
लिए घातक साबित हो सकता है। इससे भूरिया ही संदेह के दायरे में आ चुके हैं।
लखनादौन नगर पंचायत चुनावों के दौरान मीडिया से गलत बयानी और अंतिम समय तक
कांग्रेस की रणछोड़दास प्रत्याशी के खिलाफ कांग्रेस द्वारा काई अनुशासनात्मक कदम तक
ना उठाए जाने से अब पूरे मामले में निर्दलीय प्रत्याशी से सांठगांठ की सुई भी जाकर
कांतिलाल भूरिया पर ही जाकर टिक गई है।