गिर रही है राहुल
की टीआरपी
(महेश रावलानी)
नई दिल्ली (साई)।
कांग्रेस की नजर में देश के भावी प्रधानमंत्री राहुल गांधी की लोकप्रियता का ग्राफ
दिनों दिन गिरता ही जा रहा है, जिससे सोनिया गांधी और प्रियंका वढ़ेरा
चिंतित नजर आ रहे हैं। इंग्लैंड की मशहूर पत्रिका ‘द इकोनॉमिस्ट‘ में राहुल गांधी पर
छपी एक टिप्पणी से कांग्रेस सकते में है। पार्टी ने लेख को सिरे से खारिज करते हुए
राहुल के प्रति अपनी आस्था दोहराई है।
वहीं, दूसरी ओर विपक्ष को
राहुल पर हमले का एक और मौका मिल गया है। सपा ने राहुल को पीएम पद के अयोग्य बताया
तो बीजेपी ने ब्रांड राहुल अस्तित्व में न होने की बात कही। दरअसल, ‘डिकोडिंग राहुल
गांधी, नाम की
किताब के आधार पर ‘द
इकोनॉमिस्ट‘ में छपा है
कि राहुल बड़ी जिम्मेदारी से बचते हैं, क्योंकि उनमें जिम्मेदारी निभाने की भूख ही
नहीं है।
प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह पर नकारात्मक टिप्पणी के बाद विदेशी मीडिया के निशाने पर अब हैं
कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी। एक भारतीय लेखिका की किताब श्डिकोडिंग राहुल
गांधीश् के आधार पर श्द इकोनॉमिस्टश् के एक ब्लॉग में लिखा गया है कि राहुल बड़ी
जिम्मेदारी से बचते हैं, क्योंकि उनमें जिम्मेदारी निभाने की भूख ही नहीं है।
अपने युवराज पर हुए
इस हमले से कांग्रेस तिलमिला गई है। पार्टी ने विदेशी मीडिया की टिप्पणियों को तूल
देने की पद्धति को मानसिक गुलामी बता डाला। द इकोनॉमिस्ट के ब्लॉग को सिरे से
खारिज करते हुए पार्टी ने ऐलान किया कि गुजरात चुनाव में राहुल ही पार्टी का
नेतृत्व करेंगे।
कांग्रेस पार्टी के
आधिकारिक मंच से चुनावों पर ज़ोर इसलिए दिया गया क्योंकि द इकोनॉमिस्ट ने लिखा है
कि राहुल को 2014 के
चुनावों के लिए अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। राहुल गांधी के साथ बड़ी समस्या
यह है कि उन्होंने न तो अभी तक एक नेता के तौर पर अपनी योग्यता दिखाई है, और न ही बड़ी
जिम्मेदारी के लिए उनके भीतर कोई तत्परता दिखती है। वो शर्मीले हैं। पत्रिका के
अनुसार राहुल गांधी संसद में भी अपनी आवाज़ नहीं बुलंद करना चाहते, और कोई नहीं जानता
है कि वो कितने काबिल हैं या फिर सत्ता और जिम्मेदारी मिलने के बाद वो आखिर क्या
करेंगे।
भाजपा के साथ ही
साथ शिवसेना भी राहुल के खिलाफ तलवार पजाती नजर आ रही है। उधर, विदेशी मीडिया में
सवाल उठे तो समाजवादी पार्टी ने राहुल गांधी पर हमला बोला। पार्टी नेता मोहन सिंह
ने कहा कि पिछले डेढ़ दो सालों में राहुल गांधी का ऐसा कोई बयान सुनने में नहीं आया
जिससे पता चले कि वो किसी मसले पर गंभीर राय रखते हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें