पिछले दरवाजे से प्रवेश के लिए रस्साकशी
सोनिया के सिपाहसलारों में गलाकाट स्पर्धा आरंभ
शर्मा पचोरी आमने सामने
(लिमटी खरे)
सोनिया के सिपाहसलारों में गलाकाट स्पर्धा आरंभ
शर्मा पचोरी आमने सामने
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली 19 मई। सत्ता की मालई खाने के बाद जनसेवक दुबारा उसे पाने किस कदर आतुर रहते हैं, इसकी बानगी है मध्य प्रदेश और हरियाणा में रिक्त होने वाली राज्य सभा सीटों के लिए मचा घमासान। दोनों ही सीटों पर दावेदारों की संख्या देखकर कहा जा सकता है कि एक अनार सौ बीमार। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा हरियाणा तो पूर्व केंद्रीय मंत्री और मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सुरेश पचौरी मध्य प्रदेश से रिक्त होने वाली सीट पर काबिज होकर पिछले दरवाजे (राज्यसभा) से संसदीय सौंध तक पहुंचने का जतन कर रहे हैं। पचौरी और शर्मा दोनों ही दस जनपथ (सोनिया गांधी का सरकारी आवास) के नौ रत्नों में समझे जाते हैं।
मध्य प्रदेश और हरियाणा से रिक्त होने वाली एक एक राज्य सभा सीट से किसकी लाटरी निकलेगी इसके लिए सोनिया गांधी के सिपाहसलारों में छिडी जंग देखते ही बन रही है। एक ओर वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा के लिए राज्य सभा से भेजने के लिए सूबे की तलाश तेजी से की जा रही है तो दूसरी ओर सोनिया के नाक कान समझे जाने वाले पूर्व कार्मिक मंत्री सुरेश पचौरी को पुनः संसद में लाने की तैयारियों की बिसात बिछाई जा रही है। आनंद शर्मा का कार्यकाल इसी साल दो अप्रेल को समाप्त हुआ है तो सुरेश पचौरी का कार्यकाल 2008 में अप्रेल में समाप्त हुआ था, इसके बाद उन्हें मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी का प्रमुख बनाकर भेज दिया गया था।
आनंद शर्मा का नाम हरियाणा से रिक्त होने वाली सीट के लिए चल पडा है। वहीं दूसरी ओर शर्मा विरोधियों ने एक समय मुख्यमंत्री पद के दावेदार रहे चौधरी वीरेंद्र सिंह का नाम आगे कर दिया है। वीरेंद्र के नाम पर आलाकमान असमंजस में पड गया है, क्योंकि चौधरी वीरेंद्र सिंह एक तरह से दस जनपथ की पसंद माने जाते हैं, पर आनंद शर्मा को दुबारा चुनकर लाना सरकार और कांग्रेस के लिए प्राथमिकता बन गई है। अगर हरियाण में शर्मा की दाल नहीं गली तो उन्हें भेजने के लिए महाराष्ट्र पर विचार किया जा सकता है। पर हरियाणा शर्मा को सूट करेगा, क्योंकि भले ही वे हिमाचल में जाकर बस गए हों पर उनके पिता हरियाणा में रहे हैं, इसलिए बाहरी का ठप्पा उन पर नहीं लग सकेगा।
रही बात मध्य प्रदेश की तो यहां प्यारे लाल खंडेलवाल और लक्ष्मीनारायण शर्मा के निधन के कारण दो सीट रिक्त हैं, साथ ही साथ अनिल माधव दुबे का कार्यकाल जून महीने में समाप्त हो रहा है। इन परिस्थितियों में रिक्त होने वाली तीन सीटों में से दो पर भाजपा का कब्जा होगा और एक कांग्रेस के खाते में जा सकती है। मध्य प्रदेश में सूबे के कांग्रेसी मुखिया सुरेश पचौरी की नजरें इस सीट पर हैं। पचौरी विरोधियों ने सूबे की वयोवद्ध तर्जुबेकार आदिवासी बेबाक नेता जमुना देवी का नाम आगे कर पचौरी की मुश्किलें काफी हद तक बढा दी हैं। जमुना देवी वर्तमान में मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, और महिला होने के साथ ही साथ आदिवासी समुदाय से हैं। जमुना देवी के ब्रम्हास्त्र के आगे पचौरी के पास कोई काट दूर दूर तक दिखाई ही नहीं पड रही है।