बुधवार, 19 जून 2013

पुलिया में गिरी कार: 2 की मौत!

पुलिया में गिरी कार: 2 की मौत!

(जुगल किशोर श्रीवास)

कुरई (साई)। कुरई से दो किलोमीटर की दरी पर ग्राम कोदाझिरी के पास एन.एच.7 में जर्जर स्थिति स्थित पुलिया जिसमें उपर दीवार भी नहीं है वाहन क्रासिंग एवं तेज रफ्तार के चलते मारूति कार क्र. एम.एच.31सी एस 6948 दोपहर लगभग 02 बजे 15 फिट नीचे पुलिया मे जा गिरी।

यह कार सिवनी से नागपुर की ओर जा रही थी। इसमें सवार दो पुरूष एवं एक महिला कार में दब गये थे। ग्रामवासियों एवं पुलिस की भारी मशक्त के बाद तीनों को निकाला गया जिसमें से सतीश पिता पदमसिंग आसर उम्र 70 वर्ष नागपुर निवासी मृत हो गया था। तथा घायल श्रीमति श्यामा बाई पति सतीश आसर उम्र 65 वर्ष एवं सिरिस पाण्डेय उम्र 45 वर्ष को तत्काल संजीवनी 108 में  सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कुरई से प्राथमिक के बाद सिवनी रिफर कर दिया गया। जहां श्रीमति श्यामा बाई आसर की मृत्यु हो गई। घायल सिरिस पाण्डेय का इलाज चल रहा है। एन.एच.7 की लापरवाही है कि ऐसी जर्जर पुलिया पर ना तो दीवार है और ना ही कोई संकेत है। भविष्य में फिर इसमें दुर्घटना हो सकती है।

शराब के पैसे से स्वागत की बात पर अण्णा नाराज

शराब के पैसे से स्वागत की बात पर अण्णा ना
राज

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। प्रख्यात समाजसेवी अण्णा हजारे का स्वागत शराब के पैसों से किया जाएगा की खबर जैसे ही सोशल मीडिया पर उछली वैसे ही देश भर में यह खबर आग की तरह फैल गई। इस संबंध में अण्णा हजारे को जब आवगत कराया गया तो उन्होंन ेअपनी तल्ख नाराजगी इस पर जाहिर की।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के महाराष्ट्र ब्यूरो से अतुल खरे ने बताया कि अण्णा के रालेगण सिद्धि स्थित गृह ग्राम में इस खबर की खासी प्रतिक्रिया रही। अण्णा के करीबी इस खबर से बेहद खफा बताए जा रहे हैं कि मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में अण्णा का स्वागत शराब के पैसे से किया जाएगा।

साई न्यूज ब्यूरो अतुल खरे ने अण्णा के करीबी सूत्रों के हवाले से बताया कि अण्णा को यह बात नागवार गुजर रही है कि शराब के करोबारियों को उनके स्वागत में आगे किया जा रहा है। सूत्रों ने कहा कि अण्णा ने देश भर में शराब बंदी का मन बनाया हुआ है और वे अगले चुनावों में शराब के कारोबारियों को अपने आप से कतई नहीं जुड़ने देंगे।

लूघरवाड़ा के लॉन बंद कराने की मांग उठी!

लूघरवाड़ा के लॉन बंद कराने की मांग उठी!

ग्राम पंचायत हुई लान के विरूद्ध: विषाक्त भोजन से पांच गौवंश के मरने की खबर

(जितेश अवधवाल)

सिवनी (साई)। शहरी सीमा से लगे ग्राम लूघरवाड़ा में संचालित होने वाले तीन लॉन्स को बंद कराने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। ग्राम पंचायत लूघरवाड़ा के पंच और स्थानीय निवासियों के पुरजोर विरोध को देखकर लग रहा है कि जिला प्रशासन इस दिशा में जल्द ही कोई कदम उठा सकता है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले दिनों इन लॉन में आयोजित समारोहों में जूठन को बाहर फेंक दिया जाता है। पिछले दिनों सुदर्शन बघेल की तीन गाय, ईमान सिंह की एक और मेहतर यादव की एक गाय काल कलवित हो चुकी है। जिससे ग्राम में लान संचालकों के प्रति रोष और असंतोष का वातावरण बनने लगा है।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में लूघरवाड़ा ग्राम के अनेक नागरिकों के हस्ताक्षर से युक्त एक लिखित शिकायत लूघरवाड़ा ग्राम पंचायत के सरपंच और सचिव को 17 जनवरी को प्रेषित की गई थी। प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत लूघरवाड़ा द्वारा भी इन लान को बंद कराने हेतु कलेक्टर को पत्र लिखा गया था।
हिन्द गजट कार्यालय को लूघरवाड़ा ग्राम पंचायत के लोगों द्वारा उपलब्ध कराई गई शिकायत की प्रति में लूघरवाड़ा ग्राम पंचायत द्वारा जिला कलेक्टर को 25 अप्रेल को लिखे पत्र क्रमांक 11 / ग्रा.पंचा. / लूघरवाड़ा / 2013 में साफ तौर पर इस बात का उल्लेख किया गया है कि 14 अप्रेल को ग्राम सभा की बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया है कि लूघरवाड़ा में संचालित रजवाड़ा लान, गुरू कृपा लान औश्र दादा वाड़ी लान को बंद किया जाए।
लूघरवाड़ा की सरपंच श्रीमति सावित्री विश्वकर्मा एवं सचिव के हस्ताक्षरों से जारी इस पत्र में कहा गया है कि वैधानिक तरीके से प्रक्रिया पूर्ण किए बिना तीनों लान का संचालन किया जा रहा है। पत्र में आरोप लगाए गए हैं कि इससे ग्राम की शांति व्यवस्था भंग हो रही है साथ ही साथ समारोहों के दौरान आवागमन भी पूरी तरह बाधित हो जाता है।
समारोहों में बजने वाले साउंड सिस्टम के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई में खलल उतपन्न होता है और गांव के पशु खराब भोजन, पालीथिन, डिस्पोजेबल आदि खाकर बीमार पड़ रहे हैं, एवं कुछ की तो मृत्यु तक हो जाती है। सरपंच सचिव के हस्ताक्षरों से युक्त इस पत्र में जिला कलेक्टर के संज्ञान में यह बात भी लाई गई है कि आए दिन विवाह एवं अन्य समारोहों में उपस्थित लोगों और असमाजिक तत्वों द्वारा शराब पीकर झगड़े झांसे, गाली गलौच, मारपीट कर गांव का वातावरण दूषित किया जा रहा है, जिससे महिलाओं के साथ कभी भी किसी गलत घटना के घटने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
इस आवेदन की प्रति ग्राम पंचायत लूघरवाड़ा द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सिवनी शहर एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को भी प्रेषित की गई थी।

(क्रमशः जारी)

ठेकेदारों, शराब व्यवसाईयों के कारिंदों के चरित्र सत्यापन की मांग की प्रदीप ने

ठेकेदारों, शराब व्यवसाईयों के कारिंदों के चरित्र सत्यापन की मांग की प्रदीप ने

(गोपाल शर्मा)

सिवनी (साई)। जिले में चल रहे निर्माण कार्यों, झाबुआ पावर प्लांट में कार्यरत कर्मचारियों, शराब व्यवसाईयों के पास काम करने वालों और सड़क किनारे जहां तहां बैठकर पंचर सुधारने वाले कारिंदों का चरित्र सत्यापन प्राथमिकता के आधार पर कराया जाए।
जिला कलेक्टरेट के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि उक्ताशय की मांग जिला सतर्कता एवं मानिटरिंग समिति की बैठक में युवा नेता प्रदीप पटेल द्वारा की गई। 29 मई को जिला कलेक्टरेट में संपन्न बैठक जिसकी अध्यक्षता जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा की गई थी में जिला कलेक्टर द्वारा समिति के सदस्यों से सुझाव चाले जाने पर समिति के सदस्य और लखनादौन विधायक के प्रतिनिधि प्रदीप पटेल द्वारा झाबुआ पावर प्लांट कार्यों से जुड़ी संस्थाएं (टीसीआईएल), एनएच सात के निर्माण कार्यों में लगी एजेंसी, शराब व्यापारियों के यहां कार्यरत कर्मचारियों का चरित्र सत्यापन किया जाए।
सूत्रों ने आगे कहा कि इसके साथ ही साथ लखनादौन विधायक प्रतिनिधि प्रदीप पटेल द्वारा सिवनी जिले से होकर गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग एवं राज्य मार्गों पर टायर वर्क्स की दुकानें संचालित करने वाले व्यक्तियों जो विशेषकर अन्य राज्यों से आते हैं का चरित्र सत्यापन की मांग की गई।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि श्री पटेल की इस मांग का समिति के अन्य सदस्य तेईसिंह उइके एवं बिसन सिंह परतेती द्वारा किया जाकर बताया गया कि धनोरा, घंसौर एवं केवलारी में शराब व्यापारियों द्वारा गाड़ियों में शराब की पेटियां भरकर गांव में बेची जा रही हैं। ज्ञातव्य है कि घंसौर में मासूम गुडिया के साथ हाल ही में दुष्कर्म हुआ था और दुष्कर्म का आरोपी झाबुआ पावर प्लांट का कर्मचारी था, जिसका पुलिस वेरीफिकेशन नहीं किया गया था।
सूत्रों के अनुसार जिला कलेक्टर ने समिति के सदस्यों के सुझावों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि जिले भर में विशेषकर लखनादौन, धूमा, कुरई, घंसौर एवं धनोरा से जुड़े ठेकेदारों के स्टाफ का चारित्रिक रिकार्ड संबंधित थाना स्तर पर संधारित किया जाए।

सूत्रों का कहना है कि अवैध शराब के बिकने पर जिला कलेक्टर भरत यादव काफी नाराज हुए और जिला कलेक्टर ने यह आदेश दिया कि जिले के सभी अंचलों में अवैध रूप से शराब बेचने वालों पर दबिश डालकर इनको घेरने के लिए पुलिस एवं आबकारी विभाग संयुक्त अभियान चलाए और धरपकड़ की कार्यवाही करे।

नकली खाद बीज और किसान!

नकली खाद बीज और किसान!

(शरद खरे)

किसान देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है इस बात को आजादी के पहले से नेता कहते आए हैं। किसान असली अन्नदाता है। अगर किसान मेहनत करना छोड़ दे तो लोग भूखे मर जाएं। किसानों की बदहाली भी आजादी के उपरांत किसी से छिपी नहीं है। किसानों की दुर्दशा पर आंसू बहाने की फुर्सत किसी को नहीं है। किसानों के हित की बातें राजनेताओं के भाषणों में तो स्थान पा जाती हैं, पर जब अमली जामा पहनाने की बारी आती है तो मामला ठंडे बस्ते के हवाले हो जाता है।
सिवनी जिले में नकली खाद बीज बिकने की खबरें सालों से सुनी जाती रही हैं। आश्चर्य तो इस बात पर होता है कि प्रदेश सरकार की ओर से नकली खाद बीज रोकने की जवाबदेही जिन सरकारी अमलों पर आहूत होती है उन्हीं के द्वारा नकली खाद बीज प्रदाय किया जाए।
पिछले दिनों छपारा में नकली खाद बीज बिकने की खबर आई वह भी सरकारी सिस्टम से। जैसे ही यह बात सामने आई वैसे ही देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ किसान की रूह कांप गई। अगर बीज ही नकली और घटिया क्वालिटी का होगा तो भला किसान को उपज का पूरा पैसा कैसे मिल सकेगा?
अधिवक्ता किसान अजय बाबा पाण्डे ने बीज विकास निगम के द्वारा बांटे जा रहे खाद के बोरों में टेग नहीं होना पाया गया। उन्होंने जब इस संबंध में वहां के प्रभारी श्री मांझी से संपर्क किया तो पता चला कि लिखा पढ़ी के लिए किसानों के खाद के बोरों से टैग निकाल लिए गए हैं।
जब अधिवक्ता किसान बाबा पाण्डे ने इस संबंध में गहरी छानबीन की और 44 बैग में टैग नहीं पाए तो उन्होंने पुनः श्री मांझी से कहा कि श्री मांझी के पास महज 12 टैग हैं और बाकी के 44 कहां गए? यह बात सच है कि अगर लिखा पढ़ी के लिए टैग निकाल लिए गए थे तो बाकी के टैग भी वहां होना चाहिए था।
इसी तरह एक अन्य किसान संतोष सिसोदिया ने बीज विकास निगम से जब 8 बोरी खरीदी और उसमें टैग नहीं पाए गए तो उन्होंने इसकी शिकायत की। कैश मेमो में भी बीज का लाट नंबर नहीं डाला गया था। इससे साफ हो जाता है कि कहीं ना कहीं दला में काला नहीं वरन यह तो दाल ही काली है।
शिकायतें यह भी हैं कि एफ वन क्वालिटी की गुणवत्ता वाले बीजों के स्थान पर एफ टू क्वालिटी की गुणवत्ता के बीच किसानों को बांटे जा रहे हैं। किसानों को बीज की क्वालिटी के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती है पर अधिकारी जो इसके विशेषज्ञ हैं वे तो हर बात से वाकिफ हैं, फिर आखिर इस धांधली को कैसे अंजाम दिया जा रहा है।
कहा जा रहा है कि सालों से किसानों को सरकारी नुमाईंदे छलते आ रहे हैं। किसानों का हक मारा जा रहा है और जिला प्रशासन भी मूक दर्शक बना ही बैठा है। वैसे यह बात संतोषजनक मानी जाएगी कि युवा एवं उर्जावान जिला कलेक्टर भरत यादव द्वारा इस संबंध में स्पष्ट आदेश जारी कर इसे रोकने की बात कही है।
जिला कलेक्टर खुद तो एक एक सौसायटी में जाकर इसे देख नहीं सकते हैं। इसे देखने का काम तो जमीनी स्तर के अधिकारी कर्मचारियों को ही करना है। पर जब सारे कुंए में ही भांग धुली हो तो किया भी क्या जा सकता है। कलेक्टर के अधीन अनुविभागीय दण्डाधिकारी होते हैं।
एसडीएम के पास काम का बोझ होता है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है, किन्तु एसडीएम के मातहत तहसीलदार, नायब तहसीलदार, पटवारी आदि तो इस काम को अंजाम दे सकते हैं, पर वे भी नीरो के मानिंद चैन की बंसी बजा रहे हैं मानो कुछ हुआ ही नहीं हो।
सुरसा की तरह बढ़ती मंहगाई के चलते किसानों की कमर पहले से ही टूटी पड़ी है। किसान किसी तरह जोड़ तगाड़ कर अपना घर चलाते हुए पैदावार बढ़ाने का जतन कर रहे हैं। किसानों को पानी के अभाव का सामना करना पड़ता है उपर से दूबरे पर दो असाढ़ की कहावत चरितार्थ कर उन्हें नकली खाद और बीज टिकाया जाए तो उनकी पैदावार कैसे बढ़ेगी?
वैसे भी किसानों का ज्यादातर पैसा साहूकारों की तिजोरियों में ही ब्याज भरते भरते चला जाता है। प्राकृतिक आपदाएं भी किसानों की रीढ़ तोड़कर रख देती हैं। आपदाओं के चलते शासन द्वारा तय की जाने वाली आनावारी भी किसानों के बीच की लागत तक नहीं निकाल पाती है। इन परिस्थितियों में किसान आखिर जाए तो जाए कहां?
एक ओर तो प्रदेश और केंद्र सरकार अपने बड़े बड़े विज्ञापनों में अपने आप को किसान हितैषी बताने से नहीं चूक रहे हैं वहीं दूसरी ओर उनके ही कारिंदे अगर थाली में छेद पर अमादा हैं तो फिर गल्ति तो निश्चित तौर पर निजामों की ही मानी जाएगी, क्योंकि उनके राज में कसावट का अभाव है।
बहरहाल, किसानों के साथ सिवनी जिले में होने वाले इस छल के लिए जवाबदेह अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ जिला प्रशासन समयसीमा में कठोर कार्यवाही करे ताकि आने वाले समय में कोई भी सरकारी नुमाईंदा किसानों को छलने की बात सपने में भी ना सोच सके।