जानिए इस वर्ष के
नवरात्र स्थापना के शुभ मुहूर्त
(पं.दयानंद शास्त्री)
नई दिल्ली (साई)।
चौत्र नवरात्रों का शुभारम्भ इस वर्ष 11 अप्रैल 2013 ( गुरुवार ) के दिन
से होगा। दिनांक 11अप्रैल 2013 से शुरू संवत -2070 के प्रारम्भ चौत्र
शुक्ल पक्ष के नवरात्रों का आरंभ वर्ष 11 अप्रैल 2013 के दिन से होगा।
ज्योतिषाचार्य पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ
मुहूर्त समय सुबह 6।22 से 7।50 तक रहेगा, उसके बाद सूर्याेदय
से सुबह 9।20 बजे तक लाभ, अमृत के चौघड़िए में
और सुबह 10।49 से दोपहर 12 बजे तक, देवी पुराण में
नवरात्र के दिन देवी का आह्वान, स्थापना व पूजन का समय प्रातरू काल माना गया
है। मगर इस दिन चित्रा नक्षत्र व वैधृति योग वर्जित बताया गया है। हालांकि इस दिन
वैधृति योग का संयोग तो नहीं हो रहा है लेकिन दोपहर 1।39 बजे चित्रा
नक्षत्र आएगा। इसलिए प्रातरूकाल देवी का आह्वान कर घट स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा।
इस वर्ष की चौत्र
नवरात्र तिथियाँ इस प्रकार होगी ------
पहला नवरात्र, प्रथमा तिथि, 11 अप्रैल 2013, दिन बृस्पतिवार
दूसरा नवरात्र, द्वितीया तिथि 12 अप्रैल
2013, दिन
शुक्रवार
तीसरा नवरात्रा, तृतीया तिथि, 13 अप्रैल 2013, दिन शनिवार
चौथा नवरात्र , चतुर्थी तिथि, 14 अप्रैल 2013 , दिन रविवार
पांचवां नवरात्र , पंचमी तिथि , 15 अप्रैल 2013, दिन सोमवार
छठा नवरात्रा, षष्ठी तिथि, 16 अप्रैल 2013, दिन मंगलवार
सातवां नवरात्र, सप्तमी तिथि , 17 अप्रैल 2013,दिन बुधवारढ
आठवां नवरात्रा , अष्टमी तिथि, 18 अप्रैल 2013, दिन बृहस्पतिवार
आठवां नवरात्रा , अष्टमी तिथि, 19 अप्रैल 2013, दिन शुक्रवार सुबह 06रू55 तक
नौवां नवरात्र,
नवमी तिथि 20 अप्रैल, दिन शनिवार सुबह 08रू15 तक
दिनांक 11अप्रैल 2013 से शुरू संवत -2070 के प्रारम्भ में
मई तक बनने वाला चार -पांच ग्रह संयोग राजनैतिक -सामाजिक -प्राकृतिक महोत्पात का
कारण बनेगा । 11 अप्रैल 2013 से शुरू होने वाला
पराभव संवत का फल शुभ होगा। संवत का वास माली के घर तथा रोहिणी का वास समुद्र में
होने से उत्तम बारिश का योग बनेगा। संवत का वाहन मृग है। मंत्री शनि होने से
सियासतदारों की अयोग्यता सिद्ध होगी।
ज्योतिषाचार्य
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार नौ दिनों तक चलने नवरात्र पर्व में माँ दुर्गा
के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और
सिद्धदात्री देवी की पूजा का विधान है। नवरात्र के इन प्रमुख नौ दिनों में लोग
नियमित रूप से पूजा पाठ और व्रत का पालन करते हैं। दुर्गा पूजा के नौ दिन तक देवी
दुर्गा का पूजन, दुर्गा
सप्तशती का पाठ इत्यादि धार्मिक किर्या
पौराणिक कथाओं में शक्ति की अराधना का महत्व व्यक्त किया गया है। इसी आधार पर आज
भी माँ दुर्गा जी की पूजा संपूर्ण भारत वर्ष में बहुत हर्षाेउल्लास के साथ की जाती
है। वर्ष में दो बार की जाने वाली दुर्गा पूजा एक चौत्र माह में और दूसरा आश्विन
माह में की जाती है।
ज्योतिषाचार्य
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार दुर्गा पूजा के साथ इन दिनों में तंत्र और मंत्र
के कार्य भी किये जाते है। बिना मंत्र के कोई भी साधाना अपूर्ण मानी जाती है।
शास्त्रों के अनुसार हर व्यक्ति को सुख -शान्ति पाने के लिये किसी न किसी ग्रह की
उपासना करनी ही चाहिए। माता के इन नौ दिनों में ग्रहों की शान्ति करना विशेष लाभ
देता है। इन दिनों में मंत्र जाप करने से मनोकामना शीघ्र पूरी होती है। नवरात्रे
के पहले दिन माता दुर्गा के कलश की स्थापना कर पूजा प्रारम्भ की जाती है।
ज्योतिषाचार्य
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के
लिये यह समय ओर भी अधिक उपयुक्त रहता है। गृहस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में माता की
पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जाग्रत करते है। इन दिनों में साधकों के
साधन का फल व्यर्थ नहीं जाता है। मां अपने भक्तों को उनकी साधना के अनुसार फल देती
है। इन दिनों में दान पुण्य का भी बहुत महत्व कहा गया है।
ज्योतिषाचार्य
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार 11 अप्रैल से पहले तक शुक्र ही राजा व मंत्री
रहेगा। यह संयोग घातक जुनून की तरफ समाज को ले जाएगा। समाज व कानून एक तरफा
महिलाओं का सहयोगी होगा। 18 साल बाद (23 दिसंबर) राहु व केतु अपनी राशि बदल कर तुला
व मेष में आए हैं। राहु व केतु अब अप्रैल 2014 तक शनि के साथ साथ चलेंगे।
संवत 2070 में उत्साहजनक
प्रदर्शन करेगा। विश्व के अन्य देशों के साथ इसके संबंध प्रगाढ़ होंगे तथा तकनीकी
क्षेत्र में भारत का प्रभाव बढ़ेगा। सुरक्षा से जुड़े मामलों में विश्व स्तर पर भारत
को सहयोग प्राप्त होगा। देश में धन-धान्य की वृद्धि होगी, खाद्य वस्तुओं में
वृद्धि की संभावना बन रही है। राजनैतिक क्षेत्र में लगनस्थ राहु के कारण सत्तापक्ष
व विपक्ष में मतभेद बने रहने की संभावना है।
ज्योतिषाचार्य
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार सत्ता के विरुद्ध जनता में विद्वेष बढ़ेगा।
आंतरिक कलह एवं कुछ राज्यों में सत्ता के विरुद्ध जनता सड़क पर उतर सकती है। धर्मेश
वृहस्पति होने के कारण देश में धार्मिक लोगों, संतों, महात्माओं का
सम्मान बढ़ेगा। धर्म आधारित राजनीति में वृद्धि की पूर्ण संभावना है। आतंकवाद एवं
सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। पड़ोसी राष्ट्रों से
जुड़े शत्रु वर्ग पराजित होंगे। लग्न कुण्डली में शत्रु स्थान स्थित वृहस्पति
शत्रुहंता योग उत्पन्न करेगा।
ज्योतिषाचार्य
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार 11 अप्रैल 2013 से अगस्त 2013 के मध्य देश के कई
राज्यों में दैवीय प्रकोप व किसी भीषण दुर्घटना की संभावना बन रही है। नवम्बर 2013 से जनवरी 2014 के मध्य किसी बड़ी
रेल दुर्घटना, भूकंप या
समुद्र तटीय क्षेत्रों में जन-धन की हानि संभावित है। जून 2013 से दिसम्बर 2013 के मध्य कुछ
आर्थिक सुधार होने की संभावना है। देश में धार्मिक कृत्य बढ़ेंगे। पापाचार करने
वाले सावधान रहें,
उन्हें कठोर दंड मिल सकता है।
ज्योतिषाचार्य
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार जुलाई के प्रथम सप्ताह तक अन्तरिक्ष में गुरु
अतिचारी तो शनि वक्री गमन करेगा ,तब तो अंतर्राष्ट्रीय जगत में तहलका
मचवायेगा ----
ष्ष्ष्अतिचारी गते
जीवे वक्री भूते शनैश्वरे ।हा !हा !भूतं जगत्सर्वं रुण्डमाला महीतले ष्ष्ष्ष्
अमेरिका आदि देश
तथा खाड़ी के देश त्रस्त रहेंगें ।युद्धोत्पाति भयान्तक से हा हाकार मचेगा ।किन्हीं
देशों में रक्त की धारा वहेगी ।प्रजाजन दुखी होंगें ।शांति के सभी प्रयास निष्फल
होंगें ।--
----जून -जुलाई 15 तक भयानक गर्मी
पड़ेगी ।शनि के वक्रत्व काल में यातायात से सम्बंधित दुर्घटनाएँ बहुत होंगीं
।सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव बढ़ता है ।सक्रीय आंतंकवादी प्रबल होती
ज्योतिषाचार्य
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार नव वर्ष का प्रारम्भ हिन्दू, चौत्र शुक्ल
प्रतिपदा से मानते हैं क्योंकि
ऽ इस तिथि से
ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण प्रारम्भ किया।
ऽ
मर्यादापुर्षाेत्तम भगवान रामचन्द्र जी का इस दिन राज्याभिषेक हुआ।
ऽ इस दिन नवरात्रों
का महान पर्व आरम्भ होता है।
ऽ देव भगवान झूले
लाल जी का जन्म दिवस ।
ऽ महाराजा
विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत का शुभारम्भ ।
ऽ राष्ट्रीय
स्वंयसेवक संघ के संस्थापक डा। केशव बलिराम हेडगेवार जी का जन्म दिवस।
ऽ महर्षि दयानन्द
जी द्वारा आर्य समाज का स्थापना दिवस।
ज्योतिषाचार्य
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार चौत्र शुक्ल पक्ष के नवरात्रों का आरंभ वर्ष 11 अप्रैल 2013 के दिन से होगा।
इसी दिन से हिंदु नवसंवत्सर का आरंभ भी होता है। चौत्र मास के नवरात्र को ‘वार्षिक नवरात्र’ कहा जाता है। इन
दिनों नवरात्र में शास्त्रों के अनुसार कन्या या कुमारी पूजन किया जाता है। कुमारी
पूजन में दस वर्ष तक की कन्याओं का विधान है। नवरात्रि के पावन अवसर पर अष्टमी तथा
नवमी के दिन कुमारी कन्याओं का पूजन किया जाता है।
ज्योतिषाचार्य
पण्डित दयानंद शास्त्री के अनुसार चौत्र नवरात्र
पूजन का आरंभ घट स्थापना से शुरू हो जाता है। शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि
के दिन प्रातरू स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प किया जाता है। व्रत का संकल्प लेने
के पश्चात मिटटी की वेदी बनाकर जौ बौया जाता है। इसी वेदी पर घट स्थापित किया जाता
है। घट के ऊपर कुल देवी की प्रतिमा स्थापित कर उसका पूजन किया जाता है। तथा
ष्दुर्गा सप्तशतीष् का पाठ किया जाता है। पाठ पूजन के समय दीप अखंड जलता रहना
चाहिए।