मध्यप्रदेश ग्राम
न्यायालय स्थापित करने वाला देश का पहला राज्य
(प्रदीप चौहान)
नई दिल्ली (साई)।
मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जहां सबसे पहले और सबसे अधिक ग्राम न्यायालय
स्थापित किये गये हैं और सभी 89 ग्राम न्यायालय वर्तमान में कार्यरत हैं।
मध्यप्रदेश के विधि एवं विधायी कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा आज यहां आयोजित
राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधिपतियों को
सम्बोधित कर रहे थे। केन्द्रीय विधि और न्याय मंत्रालय द्वारा आयोजित
मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधिपतियों के संयुक्त सम्मेलन की अध्यक्षता
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने की। सम्मेलन में केन्द्रीय विधि मंत्री अश्विनी
कुमार और भारत के मुख्य न्यायाधीश अल्तमश कबीर सहित विभिन्न राज्यों के
मुख्यमंत्रियों, विधि
मंत्रियों और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपतियों ने भाग लिया। मध्यप्रदेश के
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति एस.ए. बोबडे़ ने भी भाग लिया।
विधि मंत्री मिश्रा
ने न्यायिक प्रक्रिया को तहसील और ब्लॉक स्तर पर सुदृढ़ किये जाने पर जोर देते हुए
कहा कि मध्यप्रदेश में कुल 20 हजार 10 ग्राम पंचायतें
हैं और सीमित वित्तीय संसाधनों के कारण
प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर अलग से ग्राम न्यायालय स्थापित किया जाना संभव नहीं
है। इसके बावजूद राज्य सरकार ने बहुत जल्दी और बड़ी संख्या में ग्राम न्यायालय
स्थापित किये हैं। उन्होंने कहा कि अगर केन्द्र सरकार इसमें खर्च होने वाला
सम्पूर्ण भार वहन करने को तैयार हो तो राज्य में सभी ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम
न्यायालयों की स्थापना की जा सकती है। मिश्रा ने कहा कि 13वें वित्त आयोग के
अधीन राज्य में सांध्य/प्रातःकालीन विशेष न्यायालय की स्थापना के लिए 204.91 करोड़ की आवंटित
राशि राज्य में न्यायालयों की संख्या के मान से न्यायाधीशों एवं स्टाफ के पदों के
लिए पर्याप्त नहीं है। उन्होंने न्यायालयों के कम्प्यूटराइजेशन (ई-कोटर््स) के लिए
उपलब्ध कराई जा रही वित्तीय सहायता एवं सहयोग को जारी रखने का आग्रह किया। फास्ट ट्रैक न्यायालय के लिए भी मिश्रा ने
अतिरिक्त वित्तीय सहायता उपलब्ध कराये जाने की मांग की और कहा कि इससे महिलाओं के
प्रति अपराधों के विचारण कार्य में तेजी आयेगी और अपराधियों को शीघ्र दंडित किया
जा सकेगा।
श्री मिश्रा ने कहा
कि मध्यप्रदेश सरकार समाज के कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने के प्रति कृत-संकल्प
है। उन्हांेने बताया कि पिछले 5 वर्षों के दौरान जिला न्यायाधीश स्तर पर 92 पद, सिविल जज प्रवेश
स्तर के 129 पद और
न्यायालय स्टाफ के लिए 2372 पद सृजित किये हैं। उन्होंने बताया कि उच्चतम न्यायालय के
दिशा निर्देशानुसार विद्यमान कैडर के 10 प्रतिशत अतिरिक्त पदों को सृजन किया जा
चुका है। उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत अतिरिक्त पदोें का सम्पूर्ण व्यय
भार का 50 प्रतिशत
केन्द्र सरकार वहन करे।
श्री मिश्रा ने कहा
कि राज्य में न्यायिक और अधोसंरचना विकास के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत हैं और इसी
का परिणाम है कि न्यायालय एवं न्यायाधीशों के लिए भवनों का निर्माण किया जा रहा
है। इस वित्तीय वर्ष 2013-14 के लिए राज्य ने न्यायिक अधोसंरचना के विकास के लिए 30 करोड़ रुपये का
प्रावधान किया है। उन्होंने केन्द्र प्रवर्तित योजना के तहत भारत सरकार के बकाया
अंशदान की राशि 90 करोड़
रुपये प्रदेश को आवंटित करने पर बल दिया ताकि अधोसंरचना कार्यों में कोई बाधा न
हो।
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