ये है दिल्ली मेरी जान
(लिमटी खरे)
आज भी ताकतवर हैं नितिन गड़करी
नितिन गड़करी को भले ही आरोपों के
चलते भाजपाध्यक्ष की कुर्सी से हाथ धोना पड़ा हो, पर संगठन के अंदर उनकी तूती आज भी
बोल रही है। भाजपा के नए निजाम राजनाथ सिंह हर मामले में गड़करी की राय को पूरा पूरा
तवज्जो दे रहे हैं। भाजपाई सूत्रों का कहना है कि गड़करी के आज भी भैय्यू जी जोशी और
मोहन भागवत से जीवंत संपर्क है। हाल ही में राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा
राजे सिंधिया ने राजनाथ से मिलकर राजस्थान का प्रभार नितिन गड़करी के हवाले करने का
आग्रह किया है। भाजपा के मुख्यमंत्रियों में शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र मोदी, रमन सिंह आदि के भी गड़करी
से खासे रिश्ते थे जो अब भी चल रहे हैं। सूत्रों की मानें तो गड़करी पदच्युत जरूर हो
गए हैं, पर वे कहीं भीतराघात कर कोई बखेड़ा ना खड़ा कर दें इसलिए राजनाथ सिंह उन्हें कदम
कदम पर साधे हुए हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि संघ मुख्यालय में गड़करी आज भी वहां
की हर वस्तु का भोगमान भोग रहे हैं।
आरोपियों के लिए रेड कारपेट बिछाती
कांग्रेस!
क्या आज आप आजाद भारत गणराज्य में
सांसें ले रहे हैं? इस देश में कानून व्यवस्था नाम की चीज बची है? क्या इंटरनेशनल ट्रीटी के
नाम पर कुछ भी किया जा सकता है? इस तरह के प्रश्न कमोबेश हर भारतीय के दिल दिमाग में
घुमड़ रहे होंगे। मछुआरों के हत्यारे कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी के पीहर
के सैनिकों पर जिस तरह लाड़ प्यार लुटाया जा रहा है उससे लगता है मानो इटली शिशुपाल
और भारत भगवान श्रीकृष्ण हो गया है। बोफोर्स से लेकर हर मामले में इटली के नागरिकों
का हर अपराध क्षम्य है। इन सैनिकों को मौत की सजा ना देने का वायदा भी कर दिया गया
है। अब यह बात भी सुनाई देने लगी है कि पुरूलिया में हथियार गिराने वाले डेनमार्क के
आरोपी किम डेवी को भी भारत लाकर पांच सितारा होटल में ठहराने की बात सीबीआई ने की थी।
आखिर क्या वजह है कि इंटरनेशनल आरोपियों के लिए कांग्रेस द्वारा आवभगत में रेड कारपेट
बिछाया जा रहा है।
राहुल के सामने बगलें झांकते भूरिया!
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी
अब सख्ती के मूड में दिख रहे हैं। प्रदेशों के अध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारियों से भेंट
के दौरान उनसे की जाने वाली पूछताछ लोगों की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलका देती है।
अमूमन अब तक नेहरू गांधी परिवार के नाम पर सियासी बियावान में अपनी धाक जमाने वाले
पुराने कांग्रेसी राहुल के नए अवतार से परेशान नजर आ रहे हैं। राहुल से जब भी कोई मिलने
जाता है वे फौरन उनके प्रदेश की गतिविधियों की जानकारी तफसील से लिया करते हैं। राहुल
गांधी के जासूस देश के कोने कोने में फैले हुए हैं। टीम राहुल का एक विंग सोशल नेटवर्किंग
वेबसाईट्स पर भी सक्रिय है। दिन भर की गतिविधियों की जानकारी तीन चार बार राहुल को
ईमेल से भेजी जाती है, ताकि वे कहीं भी रहें अपडेटेड रहें। पिछले दिनों एमपीसीसी चेयरमेन
कांतिलाल भूरिया राहुल से मिले तो राहुल के प्रश्नों का वे उत्तर देते समय काफी असहज
दिखे और राहुल की भुकटी तनी दिखीं।
दूरदर्शन का कांग्रेसीकरण!
प्रसार भारती का दूरदर्शन अब कांग्रेस
का भोंपू साबित हो रहा है। भारतीय मछुआरों के हत्यारे इतालवी नौ सेनिकों के मामले में
एक प्रोग्राम में सांसद तरूण विजय ने सोनिया गांधी को इतालवी मूल के होने के कारण घेरे
में लिया। इसके बाद से डीडी न्यूज में मानो सांप सूंघ गया हो। प्रसार भारती में उच्च
पदस्थ नौकरशाहों ने इस मामले में गंभीर मंथन के बाद डीजी न्यूज एस.एम.खान और सीईओ जवाहर
सरकार को पाबंद किया है कि उनके ग्रीन सिग्नल के बाद ही कोई काम हो। दूरदर्शन में अब
नया फरमान जारी हो चुका है जिसमें प्राईम टाईम के सलाहकार संपादक संजीव श्रीवास्तव
के पर कतर दिए गए हैं। श्रीवास्तव सहित साभी को अतिथियों की सूची और प्रोग्राम को तय
करने के लिए खान और सरकार पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है। चर्चा है कि सोनिया के पीहर
की अगर किसी ने छिया तो अंजाम अच्छा नहीं होगा।
गांधी के मुकाबले अब और युवा गांधी!
नेहरू गांधी परिवार की विरासत यानी
वर्तमान पीढ़ी और स्वदेशी और विदेशी बहुओं को कांग्रेस और भाजपा ने बराबर बांट लिया
है। संजय की पत्नि मेनका और वरूण भाजपा में तो राजीव की पत्नि सोनिया और राहुल कांग्रेस
में हैं। कांग्रेस के गांधियों का जलजला है तो भाजपा के गांधी हाशिए पर ही रहे हैं।
अब उत्तर प्रदेश को देखकर भाजपा ने अपने गांधी को झाड़ पोंछकर सामने लाया है। 42 साल
के कुंवारे राहुल के सामने भाजपा ने 33 साल के शादी शुदा वरूण को खड़ा किया है जिसका
परिणाम आने वाले समय में ज्ञात हो सकेगा। राहुल की युवा नीति की काट भाजपा ने इस कदर
फेंकी है कि आम चुनावों में राहुल गांधी चित हो जाएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना
चाहिए, बस इसके लिए भाजपा को अपना मीडिया मैनेजमेंट तगड़ा रखना होगा। लोग तो यह भी कहने
लगे हैं कि राहुल गांधी 42 के हो गए और कुंवारे हैं अतः अब उन्हें फ्रस्टेशन होने लगा
है और यह कांग्रेस के नेताओं पर ही उतरता दिखता है।
भाई मिले पर मोहतरमाएं अलग अलग!
अंबानी बंधुओं के मिलन की खबरों से
पटा रहा मीडिया पिछले सप्ताह। मुकेश और अनिल अंबानी ने हाथ क्यों मिलाया है इस बारे
में तरह तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। एन 30 मार्च को मुकेश और अनिल के बीच सुलह की
आधिकारिक घोषणा की गई है। जानकारों का कहना है कि हो सकता है यह सब कुछ रिलायंस के
शेयर में बढोत्तरी दर्ज करने किया गया कदम हो। दोनों भाई अगर मिल जाएं तो संपत्ति आसमान
छू सकती है। वहीं दूसरी ओर अंबानीज पर केंद्र सरकार को हांकने का आरोप भी लगा है। हो
सकता है किसी मामले में सीबीआई या अन्य सरकारी एजेंसी के फेरे में पड़ चुके हों अंबानी।
सियासी फिजां में एक बात की चर्चा जोरों पर हो रही है कि अंबानीज का मिलन कागजी है,
क्योंकि आज
भी मोहतरमाएं यानी नीता और टीना अंबानी एक दूसरे से मुंह फुलाए घूम रही हैं।
ममता की नजरें तख्त पर!
त्रणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता
बनर्जी इन दिनों अपना जनाधार बढ़ाने की जुगत में दिख रही हैं। दरसअल, वे दिल्ली के तख्त पर कब्जे
का सपना देख रही हैं। सूत्रों की मानें तो ममता को मशविरा दिया गया है अगर वे कम से
कम चार राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दें तो त्रणमूल को क्षेत्रीय से राष्ट्रीय
दल के बतौर मान्यता मिल जाएगी। ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के साथ अब हरियाणा,
पंजाब और हिमाचल
प्रदेश में अपने पैर पसारने आरंभ कर दिए हैं। इन राज्यों में ममता बनर्जी और त्रणमूल
सांसद के.डी.सिंह के फोटो वाले पोस्टर्स बहुतायत में देखने को मिल रहे हैं जिसमें लोगों
को त्रणमूल से जुड़ने का आमंत्रण दिया गया है। ममता बनर्जी को यह भी बताया गया है कि
राकांपा के सुप्रीमो शरद पंवार ने इसके पहले यह कोशिश की थी पर वे औंधे मुंह ही गिरे
थे। ममता की नजरें मध्य प्रदेश की ओर भी दिख रही हैं। वे एमपी में भी संभावनाएं तलाशती
नजर आ रही हैं।
नाथ की कायल हुईं सुषमा!
भाजपा की तेज तर्रार नेत्री और लोकसभा
में नेता प्रतिपक्ष श्रीमति सुषमा स्वराज इन दिनों कमल नाथ पर खासी मेहरबान दिख रही
हैं। अब तक के संसदीय कार्य मंत्रियों में कमल नाथ की टीआरपी यानी लोकप्रियता का ग्राफ
सबसे उपर ही नजर आ रहा है। विपक्षी दलों में वे खासे लोकप्रिय हैं। मीडिया और कांग्रेस
में भले ही उनकी आलोचना हो पर भाजपा उन पर मेहरबान ही नजर आती है। बजट के लिए जब विपक्षी
दलों के साथ बैठक चल रही थी तब नाथ ने सुझाव दिया कि सदन आठ घंटे चलना चाहिए। इस पर
सुषमा स्वराज बिदक गईं और बोली कि इसके पहले सदन 12 घंटे चलता था। यह सुनते ही कमल
नाथ ने अपनी चिरपरिचित अदा में आंखें मिचमिचाई और बोले आई एम स्वारी सुषमा जी,
आई एम न्यू
इन दिस मिनिस्ट्री। मुझे नहीं पता कि पहले क्या होता था। ठीक है सदन 12 घंटे ही चलेगा।
फिर क्या था, सुषमा हो गईं नाथ की कायल, पर किसी ने चुटकी ली कि 1980 से लगातार संसद सदस्य हैं
नाथ फिर भी उन्हें बजट के बारे में जानकारी नहीं, आश्चर्य है?
फेमली बिजनिस छोड़ सन्यास लेना चाहिए
युवराज को!
देश की सियासी फिजां में एक बात तेजी
से उभर रही है कि नेहरू गांधी परिवार की वर्तमान पीढ़ी के सदस्य राहुल गांधी को अब फैमली
बिजनिस त्यागकर सन्यास लेने की बात सोचना चाहिए। हो सकता है यह बात नरेंद्र मोदी केंप
से उछाली गई हो पर लोग गंभीरता से इस बारे में चर्चा करने लगे हैं। लोगों का कहना है
कि कांग्रेस में आंतरिक लोकतंत्र की स्थापना के लिए राहुल का सन्यास अत्यावश्यक है।
हर फैसले के लिए मां बेटे पर निर्भरता के बजाए आम कांग्रेसी को ही निर्णय के लिए बाध्य
होना चाहिए। अगर एसा नहीं हुआ तो जल्द ही कांग्रेस का नामलेवा भी नहीं बचने वाला है।
कांग्रेस में भाटचारण और गणेश परिक्रमा का आलम चरम पर है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया
जा सकता है कि मणिशंकर अय्यर को राज्य सभा के लिए ग्रीन सिग्नल इसलिए मिला क्योंकि
मनी लांड्रिग मामले में उन्होंने राबर्ट वढ़ेरा को बचाया।
लाल बत्ती हूटर का कहर
देश भर में लाल बत्तियों और बिना
लाल बत्तियों वालों के हूटर्स की चांव चांव ने आम आदमी का जीना मुहाल कर रखा है। जनता
के बीच में जाकर अपना रोब झाड़ने के लिए शहरों के भीड़ भाड़ वाले इलाकों में हूटर्स जबरन
ही बजाए जाते हैं। इसी तरह लाल बत्ती भी नेताओं का प्रिय शगल बन गया है। देश की शीर्ष
अदालत ने इस पर संज्ञान लिया है। इसके गलत प्रयोग के लिए देश की शीर्ष अदालत काफी सख्त
नजर आ रही है। लाल बत्ती वाली गाड़ियों पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमाम राज्य सरकारों
को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि गाड़ियों पर रेड लाइट लगाना और सायरन बजाना स्टेटस सिंबल
बन गया है। इसका गलत इस्तेमाल करने वालों पर 10 हजार रुपये फाइन लगाया जाए। न मानने
वालों की गाड़ियां जब्त की जाएं। कोर्ट ने कहा कि वीआईपी के नाम पर लाल बत्ती वाली गाड़ियों
में कमी लाई जाए। अगर 2 जुलाई तक कोई पहल नहीं हुई तो कोर्ट ने खुद इस मामले में आदेश
जारी करने का कहा है।
अब सरकारी मीडिया में यौन शोषण
सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी
की नाक के नीचे प्रसार भारती में यौन शौषण के गंभीर आरोप से कांग्रेस सकते में है।
सरकारी रेडियो एफ एम गोल्ड में महिलाओं के यौन शोषण को लेकर दायर याचिका के बाद देश
भर में सरकारी भर्राशाही पर बहस शुरु हो गई है। प्रसार भारती के उपक्रमों में अनुबंध
के आधार पर काम करने वाली महिलाओं के यौन शोषण की बात सामने आने के बाद प्रसार भारती
के नियम-कायदों को भी सवालों के घेरे में लाया जा रहा है। गौरतलब है कि सामाजिक कार्यकर्ता
मीरा मिश्रा ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि एफएम गोल्ड में
कार्यरत महिलाओं का यौन उत्पीड़न हो रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें मीडिया रिपोर्टाे
के माध्यम से कथित तौर पर एफएम चौनल की महिला कर्मचारियों के यौन उत्पीड़न के बारे में
पता चला था। इन रिपोर्टाे के अनुसार ये लोग पिछले कई वर्षाे से चौनल में काम करती थी।
उनकी सेवाओं को बिना कोई कारण बताए समाप्त किया कर दिया गया। दायर याचिका में प्रसार
भारती के एफएम गोल्ड तथा ऑल इंडिया रेडियो में महिला रेडियो प्रस्तोताओं का यौन उत्पीड़न
एवं शोषण रोकने के निर्देश देने की मांग की गई है।
पुच्छल तारा
कहते हैं अगर नौकरशाह शीर्ष पर है
तो वह कभी रिटायर नहीं होता। अगर वह रिटायर होता भी है तो अपनी सेवानिवृति के छः महीने
पहले ही वह अपने लिए नई मुकम्मल व्यवस्था सुनिश्चित कर लेता है। यही हाल देश के शीर्ष
नौकरशाहों का हो रहा है। कोई कहीं महामहिम राज्य पाल बना बैठा है तो कोई कहीं। अब जम्मू
काश्मीर के राज्यपाल बनने के लिए लाबिंग जारी है। पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि टी.के.नायर,
दुल्लत,
संधु जैसे माननीय
जेएण्डके में लाट साहब बनने को आतुर दिख रहे हैं। (साई फीचर्स)
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