देश में न्यायधीशों
का टोटा!
(शरद)
नई दिल्ली (साई)।
प्रधानमंत्री ने समुचित न्याय सुनिश्चित कराने और लंबित मुकदमों को निपटाने के लिए
न्यायधीशों की संख्या में महत्वपूर्ण वृद्धि की आवश्यता पर बल दिया है। आज नई
दिल्ली में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए डॉ मनमोहन सिंह ने कहा देश की अदालतों में ३ करोड़ से
भी ज्यादा मामले लंबित है और इनमें से २६ प्रतिशत मामले ५ वर्ष से अधिक पुराने है।
उन्होंने कहा कि
लंबित मामलों की बड़ी संख्या को निपटाने और मामलों की सुनवाई की गति बढ़ाने की
समस्या का भान सरकार को है। वर्तमान समय में १० लाख की आबादी पर लगभग १५
न्यायधीशों के अनुपात को बिल्कुल अपर्याप्त बताते हुए डॉ सिंह ने राज्यों को पूरी
केंद्रीय सहायता का आश्वासन दिया और मुख्मंत्रियों से लंबित मामलों और मुकदमों को
निपटाने में देरी की दोहरी समस्याओं से निपटने के प्रयासों में सहयोग देने की अपील
की।
उन्होंने बताया कि
सरकार १४ वें वित्त आयोग से राज्यों को, विशेषकर न्यायिक क्षेत्र के लिए, अधिक धनराशि दिए
जाने को कहेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र, आयोग से गंभीर अपराधों तथा वरिष्ठजनों ,महिलाओं और बच्चों
के प्रति अपराधों को तेजी से निपटाने के लिए त्वरित अदालतें गठित करने के लिए राशि
निश्चित करने का भी आग्रह करेगा।
डॉ सिंह ने महिलाओं
के प्रति अपराधों से निपटने के लिए और अधिक प्रयासों की अपील की। उन्होंने कहा कि
राजनीतिक हितों की तुष्टि के लिए कानून और प्राकृतिक न्याय के मौलिक सिंद्धातों के
साथ समझौता नही किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने समावेशी और
टिकाऊ वृद्धि पर आधारित विकास का पथ चुना है जिससे असमानताएं और असंतुलन में कमी
आएगी और सभी के लिए सम्मान का जीवन सुनिश्चित हो सकेगा।
वहीं, इस अवसर पर भारत के
प्रधान न्यायाधीश अल्तमश कबीर ने किशोर न्याय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता बताई।
उन्होंने कहा देश की आबादी का ४२ प्रतिशत युवाओं का है और यदि उनकी उचित देखरेख
नही की गई तो इससे अगले १५ वर्ष में काफी अव्यवस्था पैदा हो सकती है।
उन्होंने केंद्र और
राज्यों से अतिरिक्त विवाद निपटान प्रणाली लागू करने के लिए मध्यस्थता केंद्र गठित
करने में सहयोग की अपील की। उन्होंने न्यायालयों के बुनियादी ढ़ाचें में सुधार के
लिए अधीनस्थ अदालतों में न्यायिक अधिकारियों की संख्या बढ़ाने या दोगुनी किए जाने की
तरफ ध्यान देने का आग्रह किया।
कानून और न्याय
मंत्री डॉ अश्विनी कुमार ने कहा कि सरकार ने लंबित मामले निपटाने के लिए विभिन्न
योजनाओं के जरिए वैकल्पिक विवाद निपटान प्रणाली के तौर पर मध्यस्थता, सुलह-समझौता, पंच और लोकअदालतों
का समर्थन किया है।
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