शिव के
राज में नहीं होता मलेरिया!
मच्छरों
के प्रति बेपरवाह है ‘शिव‘ राज
(लिमटी
खरे)
नई दिल्ली
(साई)। अगर आपको मच्छर जनित बीमारी मलेरिया से बचना है तो आप बेखौफ होकर देश के हृदय
प्रदेश चले जाएं, वहां ना तो मच्छर हैं और ना ही उसके काटने से फैलने वाला मलेरिया। जी हां, केंद्र सरकार द्वारा मेडीकेटेड
मसहरियों के लिए एमपी को दिए गए दस करोड़ 68 लाख रूपए रखे रखे लेप्स हो गए हैं और शिवराज
सरकार को इसकी कतई परवाह नहीं है।
केंद्रीय
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि मार्च 2012 को समाप्त
हुए वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल जुलाई माह में 10 करोड़ 68 लाख
रूपए की रकम प्रदान की थी, ताकि राज्य में विशेष तरह की मच्छरदानी को खरीद कर उसे लोगों में बांटा जाए।
सूत्रों
की मानें तो इस तरह की विशेष मच्छरदानियों विश्व में तीन ही कंपनियां तैयार करती हैं।
इस मच्छरदानियों को एलएनआई कहा जाता है। कहा जाता है कि इसमें उपयोग किए जाने वाले
धागे से निकलने वाली गंध से ही मच्छर की इहलीला समाप्त हो जात है। इसकी सबसे बड़ी खासियत
यह है कि धोने पर भी इसका असर कम नहीं होता है।
सूत्रों
ने आगे बताया कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा महज 217 रूपए
प्रति मसहरी की दर से 100 करोड़ रूपए की लगभग पचास लाख मच्छरदानियां खरीदी थीं। नियमानुसार
मध्य प्रदेश सरकार को भी 217 रूपए प्रति मच्छरदानी की दर से लगभग पांच लाख मच्छरदानियां
खरीदना प्रस्तावित था।
उधर दिल्ली
में पदस्थ मध्य प्रदेश के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि
यह राशि इसलिए लेप्स हो गई क्योंकि कमीशनखोरी में आर्डर ही नहीं दिया जा सका। उन्होंने
कहा कि उनके पास खबरें पुख्ता हैं कि एमपी के अधिकारी 465 रूपए प्रति मसहरी की दर से
बिल बनवाकर लगभग 23 लाख मच्छरदानियां खरीदना चाह रहे थे। ज्यादा बिल बनवाने के चक्कर
में राज्य के खाते में इस मद में जमा राशि लेप्स हो गई है।
उन्होंने
कहा कि कांग्रेसनीत केंद्र सरकार भी भाजपा के चेहरे अटल बिहारी बाजपेयी का पूरा सम्मान
कर रही है, यही कारण है कि अटल बाल मिशन योजना के तहत इन मच्छरदानियों को छिंदवाड़ा, बालाघाट, डिंडोरी, मण्डला, बैतूल, रतलाम, धार, झाबुआ, बड़वानी, अलीराजपुर, शहडोल, अनूपपुर आदि पिछडे जिलों
में वितरित किया जाना था।
हो
रहे दस करोड़ मासिक खर्च
एक तरफ
तो मध्य प्रदेश के हर बच्चे के मामा शिवराज सिंह चौहान द्वारा केद्र पोषित इस योजना
की राशि लेप्स करवा दी वहीं दूसरी ओर वाणिज्यिक कर विभाग के सूत्रों का दावा है कि
मध्य प्रदेश में मच्छरों से बचाव के लिए मच्छर स्मोक क्वाईल यानी मार अगरबत्ती, स्प्रे आदि प्रोडक्ट्स पर
हर माह दस करोड़ रूपए से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। मार्च माह में ही राजधानी भोपाल
में इन उत्पादों की बिकावली पचास लाख रूपए से ज्यादा की दर्ज की गई है।