संदीप
ने झुकाया जेपी को
(आशीष
माहेश्वरी)
नई दिल्ली
(साई)। दिल्ली में भले ही कांग्रेस औंधे मुंह गिर गई हो, पर मां शीला और बेटा सांसद
संदीप दीक्षित अब भी कांग्रेस पर भारी ही पड़ रहे हैं। नगर निगम चुनाव में हारने के
बाद विपक्ष के नेता पद के चयन पर जयप्रकाश अग्रवाल को अपने ही पार्षदों के विरोध का
सामना करना पड़ा। उन्हें इस विरोध के कारण ईस्ट नगर निगम में कांग्रेस दल के नेता को
बदलना पड़ा। जेपी की पसंद पर मुख्यमंत्री के बेटे संदीप दीक्षित की पसंद भारी पड़ गई।
एमसीडी
चुनावों में प्रदेश अध्यक्ष जयप्रकाश अग्रवाल अपने संसदीय क्षेत्र नॉर्थ - ईस्ट दिल्ली
से 40 में से 12 सीटें जिता पाए हैं , जबकि संदीप दीक्षित के इलाके ईस्ट दिल्ली से कांग्रेस ने 15 सीटें जीती हैं।
प्रदेश कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी ने साउथ नगर निगम के फरहाद सूरी , नॉर्थ के लिए मुकेश गोयल
व ईस्ट नगर निगम के लिए सविता शर्मा का नाम तय कर लिया था। इनमें से मुकेश लगातार चौथी
बार चुनकर आए हैं , जबकि फरहाद व सविता गुप्ता लगातार तीसरी बार जीते हैं।
सूत्र
बताते हैं कि शनिवार को इनके आधिकारिक चयन को लेकर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में विशेष
बैठकें आयोजित की गई , जिसमें तीनों निगमों के हिसाब से उनके पार्षदों को बुलाकर उनसे अपने नेता के
चयन की मंजूरी पर मुहर लगवाई गई। बताते हैं कि साउथ में फरहाद सूरी और नॉर्थ में मुकेश
शर्मा को सर्वसम्मति से निगम में पार्टी का नेता चुन लिया गया। लेकिन जैसे ही ईस्ट
नगर निगम की बारी आई , संदीप के इलाके से चुने गए पार्षदों ने सविता शर्मा को चुनने का विरोध किया।
उनका
कहना था कि हमसे कोई सलाह नहीं ली गई। उन्होंने वरयाम कौर को नेता बनाने की मांग की।
वरयाम कौर भी तीसरी बार जीती हैं। प्रदेश प्रवक्ता जितेंद्र जीतू के साथ पार्षदों की
नोक - झोंक भी हुई। जब इस मामले में जेपी ने उन्हें समझाने का प्रयास किया तो वे वॉकआउट
कर गए। बाद में जेपी ने उन सभी को बुलाया और वरयाम को ही नेता बनाने पर सहमति दे दी।
सूत्र
बताते हैं कि ईस्ट दिल्ली से पार्टी के चुने गए पार्षदों ने अपने सांसद संदीप दीक्षित
से मुलाकात कर सविता को पार्टी का नेता बनाने का विरोध किया था , जिसके बाद वरयाम को नेता
बनाने पर सहमति हुई। उसके बाद ही वहां रणनीति के तहत हंगामा किया गया।
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