आर्थिक
राजधानी में रेल देती है वाहनों को रास्ता
(विजय
सिंह राजपूत)
इंदौर
(साई)। देश विदेश में हर जगह अमूमन देखा गया है कि सड़कों पर दौड़ने वाले वाहनों को रोककर
पातों पर दौड़ने वाली रेल को पहले रास्ता दिया जाता है, किन्तु मध्य प्रदेश की आर्थिक
राजधानी इंदौर में इससे उलट ही नजारा देखने को मिलता है। यहां लोहा मण्डी में रेल खडी
होकर आने जाने वालों को रास्ता देती है। बाद में रास्ता क्लियर होने पर रेल को निकाला
जाता है।
लोहा
मंडी रेलवे क्रॉसिंग पर दोपहर या शाम के समय ट्रेन खड़ी रहे और ठेला, ट्रक, बैलगाड़ी पहले गुजरते दिखें
तो हैरत में मत पड़िएगा। यहां यह नजारा अब आए दिन देखने को मिल रहा है। गेटमैन को ट्रेन
आने के पहले पटरी पर खड़े वाहनों को धकियाना पड़ता है। कई बार इस कदर ट्रैफिक जाम हो
जाता है ट्रेन को भी आउटर पर रोककर जाम क्लियर करना पड़ता है। गेटमैन पौने दो से शाम
सात बजे के बीच जब-जब ट्रेन गुजरने का समय होता है वह पटरियों पर पहरेदारी शुरू कर
देते हैं। गेट आधे झुक जाते हैं तब तक लोग पटरी से नहीं हटते।
लोहामंडी
में प्रवेश के लिए पहले जूनी इंदौर क्रॉसिंग के पास से रास्ता था। यहां ब्रिज बन जाने
से यह रास्ता बंद हो गया है। माल भरकर शहर में जाने के लिए ठेले, मिनी ट्रक, लोडिंग रिक्शा वालों को अब
गाड़ी अड्डा तरफ से ही जाना पड़ता है। जूनी इंदौर का पूरा लोड यहां शिफ्ट हो गया।
रोज-रोज
की परेशानी से निजात रेलवे ओवरब्रिज से मिल सकती है। रेलवे ने एक लाख रुपए टोकन के
रूप में मंजूर कर आरओबी को हरी झंडी दे दी है। शासन के पास लोक निर्माण विभाग ने प्रस्ताव
बनाकर भेजा है। वहां से मंजूरी मिले तो निर्माण शुरू होगा। दोपहर पौने एक बजे महू से
चलकर रतलाम जाने वाली, पौने तीन बजे महू जाने वाली फास्ट पैसेंजर, शाम छह बजे महू जाने वाली
फास्ट पैसेंजर और शाम सवा चार बजे खंडवा जाने वाली ट्रेन के वक्त सबसे ज्यादा परेशानी
होती है। ट्रेन क्रॉसिंग के 20 फीट दूरी तक आकर खड़ी हो जाती है, तब भी क्रॉसिंग क्लियर नहीं
होती
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