शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

गैस सिलेण्डर के लिए देना होगा सौ का पत्ता ज्यादा!


गैस सिलेण्डर के लिए देना होगा सौ का पत्ता ज्यादा!

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। आसमान छूती मंहगाई में कोढ में खाज जैसे ही अब रसोई गैस के सिलेण्डर पर एक सौ का पत्ता ज्यादा देना पड़ सकता है। नई कीमतें रियायती सब्सीडाईज्ड गैस सिलेण्डर पर लागू होंगीं। ये दरें गुजरात चुनावों के एन बाद लागू हो सकती हैं। ये कीमतें सब्सीडाईज्ड गैस के सिलेण्डर की तादाद बढ़ाने के एवज में लागू होंगी।
आर.के.पुरम स्थित गैस अथारिटी आफ इंडिया लिमिटेड के मुख्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि गुजरात चुनाव के बाद सब्सिडी वाले सिलिंडर की संख्या 6 से 9 होगी। सिलिंडरों की संख्या 6 से 9 करने से सरकार पर 9,000 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ेगा। लिहाजा 9,000 करोड़ रुपये का बोझ खत्म करने के लिए ही दाम बढ़ाने की तैयारी की जा रही है।
उधर, 24 अकबर रोड़ स्थित कांग्रेस मुख्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इसी हफ्ते कांग्रेस की कोर कमेटी में रसोई गैस सिलिंडर के दाम बढ़ाये जाने पर राजनीतिक फैसला लिये जाने की संभावना है। कांग्रेस कोर कमेटी में फैसला लेने के बाद रसोई गैस सिलिंडर के दाम बढ़ाये जाने पर अंतिम फैसला कैबिनेट में लिया जायेगा। आचार संहिता के कारण गुजरात चुनाव के बाद ही रसोई गैस सिलिंडर के दाम बढ़ाये जाने पर फैसला होगा।

एसएससी निकालेगा लाखों वैकेंसी


एसएससी निकालेगा लाखों वैकेंसी

(ज़ाकिया ज़रीन)

हैदराबाद (साई)। स्टाफ सेलेक्शन कमिशन (एसएससी) साल 2013-14 में करीब एक लाख भर्तियों के लिए विज्ञापन निकाल सकता है। एसएससी के चेयरमैन एन. के. रघुपति ने हैदराबाद में कहा कि अभी हम जिन भी नौकरियों के लिए विज्ञापन दे रहे हैं उन सभी पर भर्तियां हो रही हैं। हमें उम्मीद है कि अगले साल हम एक लाख भर्तियां करेंगे। कंपिटिशन बढ़ रहा है और इसलिए हमें उम्मीद है कि नौकरी के आवेदनों की संख्या भी 1.5 करोड़ तक पहुंच जाएगी।
भारत सरकार की भर्तियों के अलावा एसएससी सरकारी संगठनों जैसे कि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और प्रसार भारती के लिए भी भर्तियां करवा रहा है। रघुपति के मुताबिक, एक लाख नौकरियों के आंकड़े में ऐसे संस्थानों की भर्तियां भी शामिल होंगी। अगर पूरे देश के स्तर पर भर्ती के आंकड़े को देखें तो हर 102 आवेदनों पर एक भर्ती हो रही है। फिलहाल 15 दिसंबर को एसएससी देश भर में 22,000 पदों के लिए आवेदन मांगेगा। 

ओलावृष्टि:पात्रों को मिलेगा मुआवजा


ओलावृष्टि:पात्रों को मिलेगा मुआवजा

(एस.के.खरे)

सिवनी (साई)। जिले के कुछ अंचलों में गत ११ दिसंबर को अचानक हुई ओला वृष्टि से प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे कराया जा रहा है। यह सर्वे राजस्व एवं कृषि विभाग के मैदानी अमले द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। नुकसान का आंकलन कर किसानों को मुआवजा दिलाने के लिये राजस्व पुस्तक परिपत्र ६(४) के तहत राहत प्रकरण तैयार कर पात्र किसानों/व्यक्तियों को राहत दिलाई जायेगी।
 कलेक्टर अजीत कुमार ने यह जानकारी देते हुए यहां बताया कि ओला वृष्टि के कारण फसल हानि (खडी या कटी रखी फसल दोनों), पशु हानि, जन हानि या किसी प्रकार की रिहायशी संपत्ति की हानि होने का पटवारियों एवं कृषि विभाग के आर।ए।ई।ओ। व अन्य मैदानी अमले से संयुक्त मुआयना कराया जा रहा है। उन्होंने ओला वृष्टि से पीडितों के प्रति अपनी संवदेनाएं व्यक्त करते हुए कहा है कि जिला प्रशासन किसानों के साथ है। मुआयने के पश्चात जिस किसी प्रकार की भी हानि चिन्हित होगी, पीडित किसानों या व्यक्तियों को राजस्व पुस्तक परिपत्र ६ (४) में उल्लेखित प्रावधानों के अनुरूप राहत प्रकरण तैयार कर उन्हें पात्रतानुसार राहत राशि दी जायेगी। उन्होंने बताया कि राजस्व एवं कृषि अमले की कमी के कारण सर्वे में कुछ वक्त लग सकता है, परन्तु जल्द से जल्द सर्वे का कार्य पूरा कर लिया जायेगा। इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए अधीक्षक भू-अभिलेख मिश्रा ने बताया कि केवलारी, धनौरा एवं छपारा तहसील क्षेत्र के करीब ८६ गांव ओलावृष्टि से प्रभावित हुए हैं, जिनमें तुअर व धान की खडी फसलों में आंशिक नुकसान होने की सूचना मिली है।

भवनों में निःशक्तों के लिये रैम्प भी बनाये जायें


भवनों में निःशक्तों के लिये रैम्प भी बनाये जायें

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। केन्द्र सरकार द्वारा निरूशक्त व्यक्ति (समान अवसर अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम १९९५ की धारा ४४-४६ में राश्य सरकारों से यह अपेक्षा की गई है कि विभिन्न प्रकार के निर्माणों को निरूशक्त व्यक्तियों के लिये पूर्ण बाधारहित बनाया जायें। अधिनियम के प्रावधानों को पूरा करने के लिये शासकीय कार्यालयों एवं सार्वजनिक भवनों में रैम्प (ढलावदार रास्तों) भी बनाये जायें। शासकीय कार्यालयों में बनने वाले शौचालयों को व्हील चेयर का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के अनुरूप बनाया जायें। लिफ्ट में ब्रेल लिपि के प्रतीक तथा ध्वनिसूचक सिग्नल लगाये जायें। अस्पताल, प्रमुख स्वास्थ्य केन्द्र तथा अन्य चिकित्सीय परिसरों में भी रैम्प (ढलावदार रास्तों) का निर्माण किया जाये। सार्वजनिक स्थानों, जैसे बस स्टेण्ड आदि में भी बाधारहित आवागमन की व्यवस्था हो। स्थानीय तौर पर नगरीय निकायों को निर्माण कार्याे की अनुमति देते समय बाधारहित वातावरण के बगैर नवीन भवन का डिजाईन अनुमोदित नहीं किया जाये।
            इसी तारतम्य में सामाजिक न्याय विभाग की राश्य स्तरीय कार्यकारिणी समिति की गत ३१ अगस्त १२ को संपन्न बैठक में भी बाधारहित वातावरण के बगैर नवीन भवन का डिजाईन अनुमोदित न करने, सभी नवीन शासकीय भवनों में निरूशक्तजनों के लिये बाधारहित वातावरण उपलब्ध कराने, सभी रेल्वे स्टेशनों को भी बाधारहित बनाये जाने हेतु एवं शासकीय एवं अशासकीय भवनों, जिनमें लिफ्ट लगाई जाती है जिससे उनमें व्हील चेयर नहीं आ पाती है, ऐसी लिफ्ट को व्हील चेयर भी जाने लायक बनाने तथा निरूशक्तजनों के लिये पृथक से बाथरूम एवं टॉयलेट भी बनाये जाने का निर्णय लिया गया है।
 जिलों में निरूशक्तजनों के लिये पूर्ण बाधारहित वातावरण बनाये जाने की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर्स को दी गई है। राश्य शासन द्वारा प्रदेश के समस्त कलेक्टर्स, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों एवं सामाजिक न्याय विभाग के सभी संयुक्त संचालकों व जिलों में पदस्थ उपसंचालकों से कहा गया है कि वे निरूशक्त व्यक्ति (समान अवसर अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम १९९५ के तहत उपर उल्लेखित कार्यवाही करें।

सब्जी व्यापारियों की काली करतूस दे रही लोगों को हरा जहर


सब्जी व्यापारियों की काली करतूस दे रही लोगों को हरा जहर

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर। (साई)। बे-मौसम हरी सब्जियों के देख कर मन प्रसन्न हो जाता है। बैंगनी बैंगन और हरे मटर को देख हर किसी का जी ललचा उठता है। इनकी चमक दुकान की तरफ अपने आप बरबस खींच लेती है और इंसान के पैर भी दुकान की ओर खींचे चले जाते है और जाने अनजाने में हरा जहर खरीदकर ही अपने घरों को लौटते है। परंतु इस बात से ग्राहक अनभिज्ञ है कि हरी सब्जियों की इस चमक के पीछे कुछ लोगों की काली करतूत छिपी है जो आपको हरा जहर दे रही है। जी हां, इन रंगीन और चमकदार सब्जियों को कृत्रिम रूप से तैयार किया जाता है। जिसे सुनकर आप वास्तविक रूप से दंग रह जायेंगे और अपने दांतों तले अंगूली दबा लेंगे।
बेमौसम हरी सब्जियों को बाज़ार में खुलेआम औने-पौने दामों में बेचा जाता है। इससे जेब तो कटती ही है, स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। हरी सब्जियों को आकर्षक और चमकदार बनाने के लिए घातक रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। उसी तरह समय से समय से पहले इन्हें तैयार करने के लिए जहरीले आक्सीटोसिन इंजेक्शन को भी लगाया जाता है। जनपद की सब्जि मंडियों में रोजाना हज़ारों लोग ताज़ी सब्जियां लेने आते हैं। लेकिन रोज ही उनकी इन उम्मीद पर पानी फिर जाता है। बाहर से देखने में हरी-ताज़ी सब्जी रंग से रंगी हुई होती है। इन सब्जियों को हरा-भरा रखने के लिए इनको रंग के पानी तक में डुबो दिया जाता है। सब्जी बेचने वाले हरे रंग को पानी में मिलकर उसमे सब्जी को डालकर हरा कर रहे है।
वहीं दूसरी ओर सब्जी बेचने वाले दुकानों की माने तो उनकी दुकानों पर आने वाला प्रत्येक ग्राहक को ताजा व हरी सब्जियां चाहिए होती है जो सभी को मिलनी नामुमकिन है और यदि उनकी सब्जियां नहीं बिकती है तो उन्हें भी काफी नुकसान होता है इसलिए व कृत्रिम विधि का प्रयोग करना पडता है। क्योंकि ग्राहक हरी सब्जी ही पसंद करता है, इसलिए हरी सब्जियों को रंग में डालकर बेचा जाता है। हर आदमी सब्जियां धो कर खाता है, इसलिए कोई दिक्कत भी नहीं होती है।
इन सब्ज़ियो को हरा और चमकदार बनाने के लिए सबसे पहले इनको एक बड़े से बर्तन या फिर ड्रम मे डाला जात है। केमिकल रंगों में परवल और तरोई को अच्छी तरह से डाल कर रंगा जाता है। करीब 15 मिनट के बाद इन सब्ज़ियों को टब से बाहर निकालकर कर सुखा लिया जाता है। आधे घंटे की मसकत के बाद यह पीली और सूख चुकी सब्जी, परवल और तरोई फिर से ताजी हो जाती है।
0 हरी सब्जी नहीं हम खा रहे कैमिकल
डाक्टरों की माने तो सब्जियों में पाए जाने वाले पेस्टिसाइड और मेटल्स पर अलग-अलग  इस्तेमाल करते है और इनके इस्तेमाल से सब्जियों के साथ हम कई प्रकार के पेस्टिसाइड और मेटल खा रहे हैं। इनमें केडमियम, सीसा, कॉपर और क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं और एंडोसल्फान, एचसीएच व एल्ड्रिन जैसे घातक पेस्टीसाइड शामिल हैं। सब्जियों के साथ शरीर में जाकर ये स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। सब्जियां तो हजम हो जाती हैं लेकिन यह जहर शरीर के विभिन्न संवेदनशील अंगों में जमा होता रहता है। इससे उल्टी-दस्त, किडनी फेल, कैंसर जैसी बीमारियां सामने आती हैं। पालक, आलू, फूल गोभी, बैंगन, टमाटर आदि में इस तरह का जहर पाया गया है। शोध के अनुसार खेतों में फसलों पर रासायनिक पेस्टिसाइड का उपयोग बहुतायत में किया जा रहा है। इस रासायनिक जहर में एंडोसल्फान जैसे खतरनाक पेस्टिसाइड का उपयोग आम है।
0 फूलगोभी सबसे ज्यादा है प्रदूषित
खेतों में फसलों पर रासायनिक पेस्टिसाइड का उपयोग बहुता ज्यादा मात्रा में किया जा रहा है। इस रासायनिक जहर में एंडोसल्फान जैसे खतरनाक पेस्टिसाइड का उपयोग आम है। टमाटरों के 28 नमूनों में से 4643 प्रतिशत नमूनों में पेस्टिसाइड ज्यादा पाया गया। भिंडी के 25 में से 32, आलू के 17 में से 2353, पत्ता गोभी के 39 में से 28, बैंगन के 46 में से 50 प्रतिशत नमूने प्रदूषित पाए गए। फूल गोभी सर्वाधिक प्रदूषित पाई गई, जिसके 27 में 5185 प्रतिशत नमूनों में यह जहर था।
0 ये हो सकती हैं ये बीमारियां
सब्जियों के साथ शरीर में जाकर एंडोसल्फान, एचसीएच व एल्ड्रिन जैसे पेस्टिसाइड वसा उत्तकों में जम जाते हैं। बायोमैनीफिकेशन प्रक्रिया से शरीर में इनकी मात्रा बढ़ती रहती है। यह लंग्स, किडनी और कई बार दिल को सीधा नुकसान पहुंचाते हैं। इनकी अधिक मात्रा जानलेवा बन जाती है। इसी तरह मेटल के कारण भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। केडमियम धातु लीवर, किडनी में जमा होकर इन्हें डेमेज करती है। यह धातु प्रोटीन के साथ जुड़कर उसका असर खत्म कर देता है। इससे कैंसर का खतरा रहता है। इटाई-इटाई नामक बीमारी होने से हड्डियां मुड़ जाती हैं। इस बीमारी को ब्रिटल बोन भी कहा जाता है। जापान में सबसे पहले यह तथ्य सामने आया था, जहां इसे इटाई-इटाई नाम दिया गया।
जिंक से उल्टी-दस्त, घबराहट होना आम है। ज्यादा मात्रा में जमा होने पर लीवर पैन की शिकायत हो जाती है। ज्यादा मात्रा होने पर इसे जिंकचीली कहा जाता है। सीसा की मात्रा शरीर में ज्यादा होने पर असहनीय दर्द होता है। किडनी पर इसका असर सीधा होता है और वह फेल हो सकती है। मानसिक संतुलन भी बिगड़ सकता है। खून में इसकी मात्रा बढ़ने पर एनिमिया हो जाता है। लीवर को भी यह प्रभावित करता है। इससे लकवा होने की आशंका भी रहती है। क्रोमियम से चर्मरोग व श्वास संबंधी बीमारियों के साथ शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म होने की समस्या रहती है। कैंसर होने की संभावना भी बनती है। कॉपर से एलर्जी, चर्मरोग, आंखों के कॉर्निया का प्रभावित होना, उल्टी-दस्त, लीवर डेमेज, हाइपर टेंशन की शिकायत मिलती है। मात्रा बढ़ने पर व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है। हिमोग्लोबिन के साथ जुड़कर यह उसे कम कर देता है।

दृष्टिहीनों ने दिखाया जौहर


दृष्टिहीनों ने दिखाया जौहर

(श्वेता यादव)

बंग्लुरू। (साई)। भारत ने पहला दृष्टिहीन ट्वेंटी-ट्वेंटी क्रिकेट विश्व कप जीत लिया है। कल बंगलुरू में भारतीय टीम ने पाकिस्तान को २९ रन से पराजित किया। केतनभाई पटेल के ९८ रन की बदौलत भारत ने निर्धारित २० ओवर में २५८ रन बनाए। जवाब में पाकिस्तान की टीम नौ विकेट पर दो सौ २९ रन ही बना सकी।
मेजबान भारत ने पाकिस्तान को 29 रन से हराकर नेत्रहीनों के लिये यहां आयोजित टी-20 विश्व कप क्रिकेट टूर्नामेंट जीत लिया। केतन भाई पटेल की 98 रन की शानदार पारी के सहयोग से भारत ने 258 रन बनाये और फिर मेजबान टीम ने पाकिस्तान को निर्धारित 20 ओवर में नौ विकेट पर 229 रन बनाने दिये।
पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत के लिये प्रकाश जयरमैया ने 42 रन बनाये जबकि उपकप्तान अली मुर्तजा ने 38 और मुहम्मद अकरम ने 32 रन का योगदान दिया। भारत ने ग्रुप मुकाबलों में लगातार आठ मुकाबले जीते। भारत की ग्रुप मुकाबलों में एकमात्र हार पाकिस्तान से हुई थी। सेमीफाइनल मुकाबलों में भारत ने श्रीलंका को और पाकिस्तान ने इंग्लैंड को हरा कर फाइनल में प्रवेश किया था।

दरोगा कहे निजाम से - चोरों करें परेशान


शिवराज से मीडिया का पंगा कराने पर अमादा जनसंपर्क

दरोगा कहे निजाम से - चोरों करें परेशान

(लिमटी खरे)

मीडिया का ग्लेमर हर किसी को अपनी ओर खींच लेता है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। मीडिया सच्चा है या फर्जी इस बारे में निर्णय कौन करे? जाहिर है राज्यों का सरकारी वजीफा पाने वाला जनसंपर्क महकमा ही बता सकता है कि कौन है सच्चा कौन है झूठादेश के हृदय प्रदेश में अजीब ही माहौल बन गया है। यहां मीडिया का एक वर्ग और जनसंपर्क विभाग आमने सामने हैं। मीडिया के इस वर्ग ने भोपाल में एक रैली निकाली और जनसंपर्क की दमनकारी नीतियों को उजागर किया तो इसके जवाब में जनसंपर्क अधिकारी संघ ने मीडिया को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री या सरकार को यह पता होगा कि कौन सा पत्रकार सही है और कौन फर्जी? जब जनसंपर्क विभाग ही फर्जी पत्रकारों से बचाने की गुहार मुख्यमंत्री से लगाने लगे तो निश्चित तौर पर यही कहा जा सकता है कि नगर दरोगा अपने निजाम से यह कहे कि नगर में चोर बहुत परेशान कर रहे हैं! अरे दरोगा का काम ही चोरी पर अंकुश लगाना है, फिर भला किसी से शिकायत का स्वांग आखिर क्यों?

देश भर में अब प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों में मीडिया की पढाई को अहम माना जाने लगा है। पहले जनसंचार के बारे में सरकारी विश्वविद्यालयों में बहुत ही सीमित सीट्स हुआ करती थीं। लोग इस क्षेत्र में आना नहीं चाहते थे। सत्तर के दशक तक तो शहरों में पत्रकारों की तादाद गिनतियों में ही हुआ करती थी। अस्सी के दशक तक मीडिया को लोग बेहद सम्मान की नजरों से देखते थे। नब्बे के दशक के आगाज के साथ ही मीडिया में धनपतियों और घराना पत्रकारिता करने वाले सेठ साहूकारों ने कदम रखा।
मीडिया में युवाओं का आकर्षण इसलिए काफी कम होता था क्यों कि उस वक्त मीडिया में पारिश्रमिक बेहद कम हुआ करता था। उस वक्त पत्रकार को अपना घर चलाने में मशक्कत करनी होती थी, इसका कारण सिद्धांत आधारित पत्रकारिता थी। उस समय पेड न्यूज या ब्लेक मेलिंग का चलन नहीं था। कालांतर में मीडिया भी मुनाफे की दुकान में तब्दील हो गई। अपने निहित स्वार्थो के लिए मीडिया की दिशा और दशा ही बदल दी गई।
अस्सी के दशक तक पत्रकारों का काम सिर्फ खबरें भेजना होता था। इसके बाद अखबार मालिकों ने हाकर कम पत्रकार बना दिए। इन पत्रकारों पर बिजनिस का टारगेट लाद दिया गया। इतना ही नहीं अनेक संस्थानों ने तो बकायदा अधोषित तौर पर अपने समाचार पत्रों के निर्धारित पन्ने ही मासिक तौर पर बेचने आरंभ कर दिए। इस घटिया और अवैध तरीके से धन कमाने की गलत परंपरा के कारण पीत पत्रकारिता ने अपने पांव इस कदर पसारे कि गैर पत्रकार जिनका कलम से दूर दूर तक कोई नाता नहीं रहा, वे भी संपादक बन गए।
देशबन्धु के मालिक स्व.मायाराम सुरजन, राजस्थान पत्रिका के मालिक गुलाब कोठारी, पंजाब केसरी के मालिक अश्विनी कुमार जैसे गिनती के ही अखबार मालिक हैं जो अपनी कलम का उपयोग निरंतर ही करते रहे हैं या करते हैं, कमोबेश, शेष अखबार मालिक या कथित तौर पर प्रधान संपादकतो बस राज्य सरकारों या केंद्र सरकार के पत्र सूचना कार्यालय से अधिमान्यता पाने और प्रधानमंत्री या मंत्रियों के साथ विदेश यात्रा अथवा अपने व्यवसायिक हित साधने के लिए ही मीडिया का लबादा ओढ़े हुए हैं।
आज देश भर के पत्रकार संघों की हालत अत्यंत दयनीय है। अनेक स्थानों पर चाय पान ठेलों पर पत्रकार संघ का आईडी कार्ड गले में डाले लोग दिख जाते हैं। ये पत्रकार हैं या नहीं यह बात सभी जानते हैं, ये महज चंद रूपए की सदस्यता शुल्क देकर एक आईडी हासिल कर लेते हैं। शर्म तो उन पत्रकारों को आनी चाहिए जो इन गैर पत्रकारों को आईडी प्रदान कर पत्रकारिता जैसे पावन पेशे को बदनाम कर रहे हैं।
यहां गौरतलब होगा कि पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम ने कहा है कि उनकी हमेशा से धारणा रही है कि पत्रकारों की पहली निष्ठा देश की जनता के प्रति होना चाहिए। कलाम ने यह बात भोपाल के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘एक पत्रकार को स्वतंत्र होना चाहिए और उसे किन्ही भी व्यक्तियों, पार्टियों एवं संगठनों से सम्बद्ध नहीं होना चाहिए’’। इससे साफ है कि डॉ.कलाम स्वयं भी इस बात के पोषक हैं कि पत्रकार किसी भी दल का सदस्य हो सकता है या उसकी सोच किसी दल विशेष की हो सकती है, किन्तु उसकी सोच उसके अखबार या चेनल में कहीं से कहीं तक नहीं झलकनी चाहिए।
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग का काम देखा जाए तो राज्य शासन की जनकल्याणकारी नीतियों को मीडिया के माध्यम से जन जन तक पहुंचाने का है। पिछले सालों में जनसंपर्क विभाग ने यह काम बखूबी अंजाम तक पहुंचाया है। पर लगने लगा है कि 2011 से जनसंपर्क विभाग कुछ अभिमान से ग्रसित हो गया है। पहले जनसंपर्क विभाग के दिल्ली स्थित सूचना केंद्र के प्रभारी रहे एक अधिकारी सरकार के बजाए भाजपा संगठन का काम करने उसकी पत्र विज्ञप्तियों आदि को बांटने और भाजपा के सांसद विधायकों की सेवा टहल के चलते चर्चित रहे, फिर जनसंपर्क मुख्यालय ही विवादों के घेरे में आ गया।
मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग के पास एक जबर्दस्त अस्त्र है, और वह अस्त्र है विज्ञापनों का। ंअंधा बांटे रेवड़ी और चीन्ह चीन्ह कर देयकी कहावत चरितार्थ करते हुए जनसंपर्क विभाग द्वारा विज्ञापनों में भी भाई भतीजावाद जमकर किया गया। सूचना के अधिकार में जब जानकारी मांगी जाती है तब विभाग बगलें झाकने लगता है। एक वेब साईट को पंद्रह लाख रूपए का विज्ञापन और एडवांस चेक देकर जनसंपर्क विभाग विवादों में आ गया वहीं जनसंपर्क मंत्री की विज्ञापन देने की अनुशंसा को कचरे की टोकरी में ही डाल दिया गया। यही आलम प्रदेश सरकार की अधिमान्यता का है। अधिमान्यता में भी जमकर गफलत की जाती है। संभवतः यही कारण है कि मध्य प्रदेश जनसंपर्क की आधिकारिक वेब साईट जो भगवा रंग में रंग चुकी है, में से अधिमान्य पत्रकारों की सूची को ही हटा दिया गया है।
मध्य प्रदेश में जनसंपर्क विभाग की गलत नीतियों का विरोध करते हुए पत्रकार बचाओ आंदोलन समिति द्वारा दस दिसंबर को राजधानी भोपाल में एक विशाल रैली निकाली गई। इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम अनेक मांगों का एक ज्ञापन भी सौंपा गया। रेली के संयोजक डेविड विनय का आरोप था कि जबसे जनसंपर्क विभाग की धुरी अतिरिक्त संचालक लाजपत आहूजा के इर्दगिर्द आकर सिमटी है तबसे पत्रकारों का शोषण आरंभ हुआ है।
वहीं दूसरी ओर जनसंपर्क अधिकारी संघ ने मुख्यंत्री, मुख्य सचिव और जनसंपर्क मंत्री को ज्ञापन भेजकर पत्रकारिता के क्षेत्र में फर्जी लोगों के प्रवेश और सरकारी विज्ञापनों पर दबिश देने की बढती प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए कहा कि जनसंपर्क अधिकारियों का ऐसे माहौल में काम करना दूभर होता जा रहा है। इस तरह के तत्वों और फर्जी संगठनों की जांच करना चाहिए।
मध्य प्रदेश जनसंपर्क अधिकारी संघ के अनुसार इनमें से अधिकांश ऐसे फर्जी पत्रकार हैं जिन्हें पत्रकारिता का अनुभव ही नहीं है। सिर्फ सरकारी विज्ञापनों को अतिरिक्त आय का साधन समझने वाले एसे पत्रकारों की मश्कें कसना चाहिए। संघ ने कहा है कि प्रदेश के करीब 27 हजार से अधिक पत्र पत्रिकाएं आरएनआई में रजिस्टर्ड हैं, अनियमितताओं की वजह से लगभग 18 हजार पत्र पत्रिकाओं को आरएनआई द्वारा डी ब्लाक की सूची में डालना पड़ा है।
यक्ष प्रश्न तो यह है कि पत्र पत्रिकाओं या पत्रकारों का जिला स्तर से संभाग और प्रदेश स्तर तक लेखा जोखा रखने की जिम्मेदारी आखिर किसकी है? जिला कलेक्टर की, संभागायुक्त की, मंत्री, मुख्य सचिव या मुख्यमंत्री की? उत्तर होगा जिला जनसंपर्क अधिकारी से लेकर जनसंपर्क आयुक्त तक के आला अफसरान की! जब जवाबदेही ही आपकी है तो आप फिर अपनी जवाबदेही को पूरा ना करके शासन से क्या अपेक्षा करते हो, क्या मुख्मंत्री शिवराज सिंह चौहान या जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा मीडिया या कथित मीडिया से पंगा लें?
जनसंपर्क अधिकारी संघ की अखबारों में प्रकाशित विज्ञप्ति से साबित हो रहा है कि जिन भी मीडिया संस्थानों को अभी विज्ञापन जारी किया जा रहा है और जो पत्रकार मध्य प्रदेश सरकार से वर्तमान में अधिमान्य हैं वे सभी वास्तविक और सही है, अन्य जो भी विज्ञापन या अधिमान्यता चाह रहे हैं वे सभी फर्जी की श्रेणी में हैं। क्या जनसंपर्क महकमा यही कहना चाह रहा है? जनसंपर्क महकमा पहले अपने दामन में झांककर देखे और इस बात का ही जवाब दे कि काफी पीछे रेंकिंग वाली एक वेब साईट को आखिर पंद्रह लाख रूपए का विज्ञापन किस आधार पर जारी किया जाता है?
जनसंपर्क विभाग एमपीइंफो डॉट ओआरजी वाली अपनी वेब साईट पर पडी जनसंपर्क नीति और अधिमान्यता नियम का अध्ययन अवश्य कर ले। क्या सारे अधिमान्य पत्रकार इन नियम कायदों में सही बैठ रहे हैं? क्या जनसंपर्क द्वारा जारी विज्ञापन सही नीति के तहत दिए जा रहे हैं? क्या एक भी अधिमान्य पत्रकार या विज्ञापन जारी किए जाने वाले अखबारों के मालिकों पर कोई प्रकरण दर्ज नहीं है? अगर है तो जनसंपर्क विभाग की इस दोषपूर्ण नीति के लिए क्या सजा तय की जाए यह आला अधिकारी खुद ही तय कर लें?
हर मामले में पेंच इतने हैं कि गिनाते गिनाते सारी उमर ही बीत जाएगी? एक पत्रकार सम्मेलन में हमने अपने उद्बोधन में इस बात को रेखांकित किया था कि हर जिले में वही नीति अपनाई जानी चाहिए जो जनसंपर्क विभाग या पत्र सूचना कार्यालय द्वारा अधिमान्यता देने या नवीनीकरण के समय अपनाई जाती है। अगर उसी नीति का पालन सुनिश्चित हो गया तो आने वाले समय में जिलों में फर्जी पत्रकारों पर अंकुश अपने आप ही लग जाएगा? पर सवाल वही है कि बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे।
जनसंपर्क विभाग के शातिर दिमाग रणनीतिकारों ने जनसंपर्क अधिकारी संघ के कंधे पर बंदूक रखकर गेंद को शिवराज सिंह चौहान के पाले में फेंक दिया है। फर्जी और सही पत्रकार को चिन्हित करने की जवाबदेही जनसंपर्क विभाग की है ना कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की! सूबे के लोकप्रिय निजाम शिवराज सिंह चौहान से यही अपेक्षा की जा सकती है कि जनसंपर्क विभाग के इन शातिर आकाओं से सावधान रहकर जनसंपर्क विभाग को यही नसीहत दें कि वे अपना काम खुद ही करें। आखिर क्या वजह है कि असली और फर्जी पत्रकारों में जनसंपर्क विभाग भेद नहीं कर पा रहा है? क्यों जनसंपर्क मंत्री की अनुशंसाओं को दबाकर रख दिया जाता है और मनमर्जी से लाखों करोड़ों रूपयों के विज्ञापन जारी कर दिए जाते हैं?
जनसंपर्क विभाग द्वारा पत्रकारों की सेवा टहल पर किए जाने वाले भारी भरकम खर्च को पत्रकार के नाम से प्रदर्शित कर अपनी वेब साईट पर क्यों नहीं डाला जाता? ताकि पता तो चल सके कि किस असली या किस फर्जी पत्रकार की सेवा टहल में जनसंपर्क विभाग ने जनता के खून पसीने की कमाई को उड़ाया है? क्यों जनसंपर्क विभाग द्वारा अपनी वेब साईट पर मीडिया को जारी विज्ञापनो के बारे में उनकी दरें और राशि के साथ विज्ञापन देने के आधार सहित सूचना नहीं डाली जाती? जाहिर है जनसंपर्क विभाग अपने बजाए शिवराज सिंह चौहान के सर पर ठीकरा जो फोड़ना चाह रहा है? यहां एक बात और शोध का विषय है कि आखिर किसके इशारे पर या कहने पर मीडिया और शिवराज सिंह चौहान के बीच खाई खोदने का काम कर रहा है मध्य प्रदेश का जनसंपर्क महकमा? (साई फीचर्स)

मीनाक्षी से बड़ा याराना लगता है जनमंच का?: एड.सोनकेशरिया


मीनाक्षी से बड़ा याराना लगता है जनमंच का?: एड.सोनकेशरिया

वाहवाही लूटने के बजाए बताएं सड़क क्यों नहीं बनी चार सालों में

(ब्यूरो)

सिवनी (साई)। सिवनी जिले से होकर गुजरने वाले फोरलेन को बनवाने के लिए गठित जनमंच द्वारा इस सड़क का निर्माण नहीं करवाया जा सका है, अपने मूल काम को आधे अधूरे में छोड़कर ही जनमंच कभी हज के मामले में तो कभी पेंच परियोजना के मामले में कूदकर आखिर क्या साबित करना चाह रहा है? आखिर क्या कारण है कि 2009 में गठित जनमंच में अब ना प्रवक्ता बचा है और ना ही अन्य कोई कार्यकर्ता। सिवनी के हजारों लोगों के साथ आरंभ हुआ जनमंच अब महज गिनती के लोगों में तब्दील क्यों हो चुका है इस बात पर विचार अवश्य करें जनमंच के कथित शिरोमणि। क्या कारण है कि जनमंच सिर्फ सद्भाव कंपनी के ही कारनामे उजागर कर रहा है, क्या मीनाक्षी कंस्ट्रक्शन कंपनी से जनमंच की खासी दोस्ती हो चुकी है? उक्ताशय की बात अधिवक्ता वीरेंद्र सोनकेशरिया ने आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कही है।
अडव्होकेट वीरेंद्र सोनकेशरिया ने कहा कि 2009 में गठित जनमंच को कितना चंदा मिला उस चंदे का उसने क्या किया इस बारे में जनमंच खामोश है? एक बार पत्रकार वार्ता में जनमंच द्वारा दिए गए हिसाब में भी अनेक विसंगतियां हैं, यथा - अगर कोई अपने पैसों से दिल्ली यात्रा पर गया तो वह उसका निजी खर्च माना जाएगा या फिर जनमंच के खाते में जुडेगा, अगर जनमंच के खाते में जुडेगा तो उस रकम को शामिल कर कुल कितना चंदा हुआ और कितना खर्च यह बात भी जनता के सामने लाई जाए। अधिवक्ता सोनकेशरिया ने साफ कहा कि जब वाहवाही लूटने के चक्कर में शुरूआत में यह बात प्रचारित कर प्रकाशित करवाई गई थी कि दिल्ली के अधिवक्ता अपनी फीस नहीं लेंगे तब लाखों रूपए चंदे की राशि आखिर कहां गई?
उन्होंने कहा कि इस चंदे के धंधे में हैं अनेक फंदे, उन्होंने कहा कि इस चंदे से ही अगर फोटोकापी और सूचना के अधिकार में प्रपत्र एकत्र किए गए हैं तो वे आखिर हैं कहां? जनमंच का कार्यालय है कहां जहां ये सब रखे हुए हैं? क्यों पत्रकारों को इनकी एक एक प्रति फोटोकापी करवाकर नहीं दी जा रही है? सिवनी में विध्न संतोषी होने का दावा करने वाले जनमंच शिरोमणि यह बताएंगे कि क्या ये सार्वजनिक धन से एकत्र ये सारे प्रपत्र किसी व्यक्ति विशेष की प्रापर्टी है? जनमंच के आंदोलन का खर्च आखिर कैसे चल रहा है इस बात को सार्वजनिक करने से क्यों डर रहे हैं जनमंच के शिरोमणि? अण्णा हजारे और अरविंद केजरीवाल तक अपने अंदोलन के बारे में सब कुछ सार्वजनिक कर रहे हैं। कहते हैं जनमंच के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता भी केजरीवाल के एक आला नेता से भोपाल में जाकर भेंट कर चुके हैं।
आखिर क्या कारण है कि पिछली पत्रकार वार्ता में जनमंच के कथित शिरोमणि द्वारा एक विशेष बस आपरेटर का नाम इंगित कर उसके द्वारा सहयोग ना देने की बात कही जाती है? क्या सिवनी में सिर्फ और सिर्फ नंदन ट्रेवल्स की बस ही संचालित हो रही हैं, जिस पर जनमंच के शिरोमणि द्वारा साथ ना देने के आरोप लगे? आखिर क्या वजह है कि अन्य किसी बस आपरेटर के पास जनमंच के शिरोमणि नहीं गए? इन बातों का जवाब है क्या जनमंच के शिरोमणि के पास।
अधिवक्ता सोनकेशरिया ने कहा कि जनमंच के शिरोमणि पत्रकार वार्ता लेकर अपनी गलत बातों को सही साबित करने का प्रयास ना करें? क्या जनमंच शिरोमणि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रमन सिंह सिकरवार के निवास पर आयोजित बैठक में जनमंच के बेनर तले नगर पालिका चुनाव लडने की बात को पत्रकार वार्ता में कहने का साहस कर पाएंगे? उन्होंने कहा कि जनमंच द्वारा सिर्फ और सिर्फ कमल नाथ और कांग्रेस को ही इस मामले में दोषी बताया जाता है, क्या कारण है कि जनमंच द्वारा सांसद के.डी.देशमुख और सांसद बसोरी सिंह मसराम के सिवनी प्रवेश पर उनका विरोध नहीं किया जाता है, क्या कारण है कि हरवंश सिंह, नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, शशि ठाकुर के सिवनी आगमन पर इनका विरोध नहीं किया जाता, क्योंकि इन्होंने विधानसभा लोकसभा में सडक की बात नहीं उठाई।
क्या कारण है कि जनमंच के शिरोमणि निर्णय लेते हैं कि किसी नेता के दरवाजे नही जाएंगे, फिर अचानक ही राहुल गांधी की जी हजूरी करने सर्किट हाउस पहुंच जाया जाता है? क्या कारण है कि दिल्ली में सर्वोच्च न्यालयालय में चलने वाले प्रकरण के बारे में आज तक गोपनीयता बरती गई, सिवनी में विध्न संतोषी होने का आरोप लगाने वाले जनमंच शिरोमणि बताएंगे कि क्या कारण हैै कि आज तक इसका केस नंबर तक किसी को नहीं बताया गया? क्या यह जनमंच शिरोमणि के घर के सामने की सडक का मामला है? या सार्वजनिक शेरशाह सूरी के जमाने की सड़क का? अधिवक्ता सोनकेशरिया ने कहा कि प्रश्न तो हजारों की तादाद में हैं सिवनी के लोगों के जेहन मेें, पर सभी शांत हैं। श्रेय चाहे जो ले पर क्या जनमंच शिरोमणि यह बताने की जुर्रत करेंगे कि सिवनी में क्या सिर्फ सदभाव कंपनी ही सडक निर्माण का काम कर रही है? क्या कारण है कि सिवनी से नरसिंहपुर तक के खण्ड को बनाने वाली मीनाक्षी कंपनी के बारे में जनमंच शिरोमणि मौन हैं? क्या इन कंपनियों से किसी के व्यवसायिक हित सध रहे हैं? अधिवक्ता वीरेंद्र सोनकेशरिया ने कहा कि जिसे जो व्यवसायिक, निजी लाभ लेना हो लेता रहे पर कम से कम यह तो बता दे कि आखिर चार सालों में यह सडक क्यों नहीं बन पाई। जब इस समय इस सडक में गडढे भरने और पेंच रिपेयर का काम हो रहा है तो यह पिछले चार सालों में क्यों नहीं हो पाया है? क्यों जनमंच द्वारा पिछले चार सालों में सिवनी में इस सडक (समूचे सिवनी जिले में) को बनवाने की बात नहीं की जाती है?
अधिवक्ता वीरेंद्र सोनकेसरिया ने कहा कि सदभाव के खिलाफ हुई बारह करोड़ 90 लाख 24 हजार रूपए के जर्माना प्रकरण में जनमंच, संजय तिवारी जी, अथवा भोजराज मदने जी द्वारा हाईकोर्ट, जिला दण्डाधिकारी अथवा अनुविभागीय दण्डाधिकारी कोर्ट में कोई आवेदन प्रस्तुत किया हो अथवा उपस्थित हुए हों तो इसका प्रमाण वाहवाही लूटने के दौरान अवश्य प्रस्तुत करें। उन्होने कहा कि उनके पास प्रमाण हैं कि जो विज्ञप्ति जनमंच की ओर से जारी हुई है उसमें उठाए गए बिन्दू पूर्व में सदभाव कंपनी द्वारा न्यायालय में उठाए गए थे, जिन्हें अनुविभागीय दण्डाधिकारी ने खारिज कर दिया। इससे क्या यह प्रतीत नहीं होता कि सिवनी में सडक नहीं बन पाने की दोषी सदभाव कंपनी की पैरवी नहीं कर रहा है जनमंच।

घटेगी आकाश की कीमत


घटेगी आकाश की कीमत

(महेश)

नई दिल्ली (साई)। दूरसंचार तथा सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा है कि आकाश टेबलेट का मूल्य जल्द ही ४९ डॉलर से घटकर ३५ डॉलर या एक हजार नौ सौ रूपये हो जाएगा। सिब्बल ने बताया कि आकाश के अगले संस्करण में स्काईप सुविधा भी होगी, जिससे इंटरनेट के जरिये वॉयस कॉल की जा सकेंगी। इसके लिए सिमकार्ड की जरूरत नहीं होती।
उन्होंने यह भी बताया कि सरकार भारत में ५० लाख आकाश टेबलेट बनाने के लिए मंत्रिमण्डल की मंजूरी लेने की प्रक्रिया में है। उसके बाद आकाश के उत्पादन के लिए अंतर्राष्ट्रीय निविदाएं आमंत्रित की जाएंगी। उन्होंने कहा कि बड़ी मात्रा में इसके बनने से इसकी कीमत में और कमी आयेगी।

उत्तर भारत ने ओढ़ी सफेद चादर


उत्तर भारत ने ओढ़ी सफेद चादर

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। दिसंबर माह के पहले पखवाड़े में ही उत्तर भारत में बर्फबारी ने मौसम को सुहावना बना दिया है। पर्यटक अब तेजी से पूर्वोत्तर और उत्तर भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं। दिल्ली का मिजाज भी कुछ ठंडा ही लगने लगा है। देश भर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार शीतलहर के चलने से मौसम में ठंडक महसूस की जा रही है।
शिमला से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से रीता वर्मा ने खबर दी है कि हिमाचल प्रदेश में सफेद चादर पर्यटकों को खासी आकर्षित कर रही है। हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी के कारण बुधवार को लाहौल एवं स्पिति जिले के मुख्यालय केलांग में तापमान शून्य से 8.5 डिग्री सेल्सियस नीचे पहुंच गया। मौसम विभाग ने कहा है कि अगले कुछ दिनों तक मौसम सर्द रहेगा। राज्य में आगे और बर्फबारी की संभावना है।
मौसम विभाग के सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के हिमाचल ब्यूरो ने बताया कि मंगलवार को बर्फबारी और तेज बारिश के बाद राज्य में न्यूनतम तापमान एक से पांच डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। पश्चिमी विक्षोभ में मौसम के खराब हालातों की वजह से अगले दो दिनों में भारी बर्फबारी के साथ बारिश होने की आशंका है। लोकप्रिय पर्यटन स्थल मनाली में मंगलवार को मौसम की पहली बर्फबारी हुई। राजधानी शिमला में हल्की बर्फबारी देखी गई, जबकि शिमला से कुछ ही दूरी पर स्थित कुफरी, फागु और नरकंडा में भी अच्छी बर्फबारी हुई। बर्फ गिरने की सूचना मिलने के बाद बड़ी संख्या में सैलानी शिमला, मनाली और आसपास के पर्यटन स्थलों को पहुंचने लगे हैं। बुधवार को शिमला में न्यूनतम तापमान 2.6 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, जबकि मंगलवार को न्यूनतम तापमान 3.6 डिग्री सेल्सियस था।
वही उत्तर प्रदेश से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से दीपांकर श्रीवास्तव ने बताया कि राज्य में भी शीत लहर से काफी ठंडक महसूस की जा रही है। राज्य के गाजीपुर में का तेवर मंगलवार को तल्ख दिखा। सुबह देर तक वातावरण में घना कोहरा छाया रहा। ठंड से कांपते लोगों ने अलाव का सहारा लिया। भगवान भास्कर का दर्शन भी पूर्वाह्न नौ बजे हुआ। इसके बाद ही लोगों ने राहत की सांस ली ठंड के मिजाज ने पूरी तरह यह अहसास करा दिया कि अब कुछ दिनों उसका सितम जारी रहेगा।
गाजीपुर से साई ब्यूरो ने बताया कि देर रात तक मौसम सामान्य रहने के बाद सुबह तड़के कोहरे की घनी चादर छा गई। वाहन सड़कों पर रेंगते हुए दिखे। सबसे अधिक परेशानी छोटे बच्चों को स्कूल जाने में हुई। ठंड के कारण वह कांपते देखे गए। चिकित्सकों ने भी बच्चों को ठंड से बचने की हिदायत दी है। लंका के होमियोपैथ चिकित्सक डॉ. आरआर मिश्र ने बताया कि सुबह व शाम अपने को गर्म कपड़ों से ढंककर रखें। लापरवाही घातक हो सकती है। पीजी कॉलेज वेधशाला के प्रेक्षक मदन गोपाल दत्त ने बताया कि न्यूनतम 11.5 तथा अधिकतम तापमान 26.5 डिग्री सेल्सियस रहा। वहीं सुबह की आर्घ्द्रता 93 तथा शाम की 71 फीसद थी। बताया कि कुछ दिनों तक कोहरे का प्रकोप जारी रहेगा जिससे तापमान में गिरावट संभव है। सैदपुर रू क्षेत्र में सुबह तड़के घना कोहरा छाया रहा। इससे स्कूल जाने वाले बच्चों को परेशानी उठानी पड़ी।
वहीं मुरादाबाद से समाचार एजेसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो ने बताया कि कोहरे ने जहां अचानक ठंड बढ़ा दी है वहीं दलहन की खेती में लगे विशेषकर करईल के किसान इसे फसलों के लिए अमृत मान रहे हैं। करईल में लगभग छह हजार बीघा भू-भाग पर किसानों ने मसूर की खेती की है। अक्टूबर के अंत में की गई बोआई के बाद मसूर की फसल में दिसंबर के अंत तक फूल आता है और तब तक पौधा पूरी तरह से तैयार हो जाता है मगर बारिश नहीं होने और मौसम में गर्मी बने रहने से पौधों का पूरी तरह से विकास नहीं हो पाया। इसके बावजूद उसमें फूल दिखाई देने शुरू हो गए हैं। इसे लेकर किसान काफी चिंतित थे कि उनकी पैदावार प्रभावित होगी। वहीं अब कोहरा पड़ने से प्रसन्न किसान सतीश राय, रवींद्र नाथ राय, अनिल राय, बब्बन राय ने बताया कि अगर लगातार 15 दिन तक कोहरा पड़ा तो उसकी नमी से मसूर की खेती को काफी फायदा होगा।
औरिया से साई ब्यूरो ने बताया कि अचानक गिरता तापमान ऐसे किसानों के लिए आफत खड़ी कर रहा है जिन्होंने अभी तक गेहूं की बुआई नहीं की है या फिर हाल ही में बुआई की है। तापमान के गिरावट ने गेहूं के जमाव पर संकट खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञ कहते हैं कि बेहतर जमाव के लिए कम से कम 17 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए, लेकिन यहां औसतन 11 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम पारा रह रहा है। बताया गया कि इससे गेहूं का बीज अंकुरित होने में खासा समय लेगा।
जिले में सिंचाई संसाधन वैसे भी फेल हैं ऊपर से सिल्ट सफाई में हुई देरी ने गेहूं किसानों के लिए सबसे ज्यादा समस्या खड़ी की। वैसे तो 25 अक्टूबर से ही बुआई शुरू हो जानी चाहिए और अधिकतम तीस नवम्बर तक बुआई का उत्तम समय बताया जाता है, लेकिन यहां किसानों को पलेवा के लिए पानी ही नहीं मिला जिससे तकरीबन 40 फीसद क्षेत्रफल में अब तक बुआई नहीं हो पाई है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. संदीप कुमार सिंह के अनुसार गेहूं का बीज अच्छी तरह अंकुरित हो और उसका बेहतर जमाव हो इसके लिए जरूरी है कि तापमान 17 डिग्री सेल्सियस से कम न हो। यहां रविवार को अधिकतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 11 डिग्री सेल्सियस रहा। जबकि सोमवार को अधिकतम तापमान 20.8 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 14.3 डिग्री सेल्सियस रहा। मंगलवार को अधिकतम तापमान 23.2 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम 11 डिग्री सेल्सियस रहा इससे साफ जाहिर है कि जो किसान अब गेहूं की बुआई करेगा उसका जमाव न सिर्फ देर से होगा बल्कि उतना बेहतर भी नहीं होगा जितना होना चाहिए। हालांकि जो गेहूं जम चुका है उसके लिए मौसम ठीक है। बुआई में वैसे भी देरी हो रही है ऐसे में तापमान में गिरावट किसानों के लिए और मुश्किल खड़ी कर सकती है। उप कृषि निदेशक डा. बनारसी यादव कहते हैं कि जिन किसानों ने अब तक बुआई नहीं कर पाई है उनके लिए अब एचडी -2932, टीडीडब्लू -154, लोकमान्य, उन्नत हलना, गोल्डन हलना प्रजाति का गेहूं बीज उपयुक्त रहेगा। इस प्रजाति को 25 दिसंबर तक बोया जा सकता है। उनके अनुसार इन प्रजाति के बीजों के जमाव के लिए न्यूनतम तापमान 12-14 डिग्री सेल्सियस तक भी रहेगा तो ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा।
वहीं भिवानी से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो खबर दी है कि मंगलवार को हुई हल्की बूंदाबांदी ने मौसम में ठंडक घोल दी। बुधवार सुबह से ही तापमान में गिरावट आई और पारा 24 पर लूढ़क गया। न्यूनतम तापमान 12 से 15 तक दर्ज किया गया। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार गिरते तापमान से सरसों की फसल में सबसे अधिक फायदा है। इसका गेहूं की फसल पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। आने वाले दिनों में धुंध बढ़ेगी और तापमान नीचे गिरेगा। बुधवार सुबह लोग ठंड से निजात पाने के लिए अलाव का सहारा लेते दिखाई दिए। ठंड के असर से विशेषकर हृदय रोगियों को बचाव के लिए चिकित्सकों ने भी खास तौर पर हिदायतें बरतने की सलाह दी हुई है। बाजार में भी धूप खिलने के बाद ही सुबह साढ़े नौ बजे के बाद ही रौनक दिखाई पड़ी।
मौसम विभाग ने बताया कि हरियाणा में हिसार बुधवार को सबसे ठंडा स्थान रहा जहां का तापमान 5-4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। करनाल में तापमान 5-8 डिग्री सेल्सियस रहा और अंबाला में 7-9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। भिवानी और नारनौल में तापमान क्रमशरू 8-2 डिग्री और 7-5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। पंजाब में अमृतसर और लुधियाना काफी ठंडे रहे जहां तापमान 6-9 डिग्री सेल्सियस रहा। पटियाला में भी रात काफी ठंडी रही और तापमान 7-4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। मौसम विभाग ने बताया कि चंडीगढ़, अंबाला, करनाल, भिवानी, लुधियाना, मोहाली और फगवाड़ा में बुधवार को लगातार दूसरे दिन भी बारिश हुई। मौसम विभाग ने बताया कि अगले कुछ दिनों में दोनों राज्यों में तापमान में और अधिक गिरावट आने का अनुमान है।
देश के हृदय प्रदेश से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से सोनल सूर्यवंशी ने बताया कि राज्य में शीत लहर का प्रकोप जारी है। पीतांबरा माई के लिए प्रसिद्ध दतिया में मंगलवार की रात से चल रही शीतलहर ने एक दिन में जहां अधिकतम तापमान को छह डिग्री लुढ़का दिया, वहीं न्यूनतम तापमान भी तीन डिग्री लुढ़क गया। तापमान के गिरते ही लोगों को ठिठुरन का अहसास होने लगा। लोग दिन में भी गर्म कपड़ों में नजर आए। मालूम हो कि दिसंबर के शुरुआती दौर में सर्दी का प्रभाव बढ़ रहा था, लेकिन अचानक मौसम ने करवट बदली और तापमान में हुई लगातार वृद्धि तथा तेज धूप के कारण दिन में सर्दी का अहसास कम हो गया था। मंगलवार की रात से पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बर्फबारी के कारण चल रही ठंडी हवा से एक ही दिन में तापमान में खासी गिरावट हुई। आसमान में भी बादलों का डेरा नजर आया। मौसम में आए इस बदलाव के कारण लोगों को एक बार फिर से दिन में सर्दी का अहसास हुआ। घरों से निकलते वक्त लोग दिन में भी गर्म कपड़े पहन कर निकले, वहीं वाहन ड्राइवरों ने मफलर, टोपे का उपयोग किया। मौसम का दोहरा रंग लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।
वहीं सागर से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया ब्यूरो से प्राप्त जानकारी के अनुसार सर्दी के मौसम में गर्माहट का अहसास करा रही गर्म हवाएं अब जल्द विदा होंगी। इसी के साथ तापमान में गिरावट आने का दौर शुरू हो जाएगा। पिछले कई दिनों से पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से तापमान, सामान्य से? ज्यादा बना हुआ है, जिसका असर अगले एक-दो दिनों में समाप्त हो सकता है। मौसम विभाग के निदेशक डॉ. डीपी दुबे का कहना है कि उत्तर दिशा की ओर से आने वाली सर्द हवाएं जल्द ही चलेंगी। इससे वातावरण तेजी से ठंडा होगा और तापमान गिरेगा। मंगलवार को दिन का अधिकतम तापमान ३०.० एवं न्यूनतम तापमान १६.४ डिग्री सेल्सियस रहा।

नाबालिग की इज्जत लूटी और बना डाला एमएमएस


नाबालिग की इज्जत लूटी और बना डाला एमएमएस

(जया श्रीवास्तव)

विदिशा (साई)। समीपस्थ रायसेन जिले में नाबालिग लड़के से दुष्कर्म कर उसका अश्लील एमएमएस बनाने का मामला सामने आया है। इस मामले में तीन लोगों को दोषी पाया गया है। दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। वही एक आरोपी अब तक फरार है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार गैरतगंज थाना क्षेत्र निवासी 17 वर्षीय रजनी ( परिवर्तित नाम ) को संदीप साहू व विकास सतोरिया अपनी मोटर साइकिल से राजा ठाकुर के फोटो स्टूडियो ले गए। रजनी का आरोप है कि स्टूडियो के भीतर उसके साथ दुष्कर्म किया गया और अश्लील एमएमएस भी बनाया गया।
गैरतगंज थाना प्रभारी एस. एस. पटेल ने बुधवार को बताया कि घटना 27 नवंबर को घटी थी। पीडित द्वारा दर्ज कराई गई रपट के आधार पर संदीप और विकास को गिरफ्तार कर लिया गया है, वहीं राजा फरार है।
उन्होंने कहा कि आरोपियों के मोबाइल फोन व अन्य सामान की तलाश जारी है, इसके बाद ही एमएमएस बनाने की बात का खुलासा हो पाएगा।