शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

भवनों में निःशक्तों के लिये रैम्प भी बनाये जायें


भवनों में निःशक्तों के लिये रैम्प भी बनाये जायें

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। केन्द्र सरकार द्वारा निरूशक्त व्यक्ति (समान अवसर अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम १९९५ की धारा ४४-४६ में राश्य सरकारों से यह अपेक्षा की गई है कि विभिन्न प्रकार के निर्माणों को निरूशक्त व्यक्तियों के लिये पूर्ण बाधारहित बनाया जायें। अधिनियम के प्रावधानों को पूरा करने के लिये शासकीय कार्यालयों एवं सार्वजनिक भवनों में रैम्प (ढलावदार रास्तों) भी बनाये जायें। शासकीय कार्यालयों में बनने वाले शौचालयों को व्हील चेयर का उपयोग करने वाले व्यक्तियों के अनुरूप बनाया जायें। लिफ्ट में ब्रेल लिपि के प्रतीक तथा ध्वनिसूचक सिग्नल लगाये जायें। अस्पताल, प्रमुख स्वास्थ्य केन्द्र तथा अन्य चिकित्सीय परिसरों में भी रैम्प (ढलावदार रास्तों) का निर्माण किया जाये। सार्वजनिक स्थानों, जैसे बस स्टेण्ड आदि में भी बाधारहित आवागमन की व्यवस्था हो। स्थानीय तौर पर नगरीय निकायों को निर्माण कार्याे की अनुमति देते समय बाधारहित वातावरण के बगैर नवीन भवन का डिजाईन अनुमोदित नहीं किया जाये।
            इसी तारतम्य में सामाजिक न्याय विभाग की राश्य स्तरीय कार्यकारिणी समिति की गत ३१ अगस्त १२ को संपन्न बैठक में भी बाधारहित वातावरण के बगैर नवीन भवन का डिजाईन अनुमोदित न करने, सभी नवीन शासकीय भवनों में निरूशक्तजनों के लिये बाधारहित वातावरण उपलब्ध कराने, सभी रेल्वे स्टेशनों को भी बाधारहित बनाये जाने हेतु एवं शासकीय एवं अशासकीय भवनों, जिनमें लिफ्ट लगाई जाती है जिससे उनमें व्हील चेयर नहीं आ पाती है, ऐसी लिफ्ट को व्हील चेयर भी जाने लायक बनाने तथा निरूशक्तजनों के लिये पृथक से बाथरूम एवं टॉयलेट भी बनाये जाने का निर्णय लिया गया है।
 जिलों में निरूशक्तजनों के लिये पूर्ण बाधारहित वातावरण बनाये जाने की जिम्मेदारी जिला कलेक्टर्स को दी गई है। राश्य शासन द्वारा प्रदेश के समस्त कलेक्टर्स, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों एवं सामाजिक न्याय विभाग के सभी संयुक्त संचालकों व जिलों में पदस्थ उपसंचालकों से कहा गया है कि वे निरूशक्त व्यक्ति (समान अवसर अधिकार संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम १९९५ के तहत उपर उल्लेखित कार्यवाही करें।

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