शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

मीनाक्षी से बड़ा याराना लगता है जनमंच का?: एड.सोनकेशरिया


मीनाक्षी से बड़ा याराना लगता है जनमंच का?: एड.सोनकेशरिया

वाहवाही लूटने के बजाए बताएं सड़क क्यों नहीं बनी चार सालों में

(ब्यूरो)

सिवनी (साई)। सिवनी जिले से होकर गुजरने वाले फोरलेन को बनवाने के लिए गठित जनमंच द्वारा इस सड़क का निर्माण नहीं करवाया जा सका है, अपने मूल काम को आधे अधूरे में छोड़कर ही जनमंच कभी हज के मामले में तो कभी पेंच परियोजना के मामले में कूदकर आखिर क्या साबित करना चाह रहा है? आखिर क्या कारण है कि 2009 में गठित जनमंच में अब ना प्रवक्ता बचा है और ना ही अन्य कोई कार्यकर्ता। सिवनी के हजारों लोगों के साथ आरंभ हुआ जनमंच अब महज गिनती के लोगों में तब्दील क्यों हो चुका है इस बात पर विचार अवश्य करें जनमंच के कथित शिरोमणि। क्या कारण है कि जनमंच सिर्फ सद्भाव कंपनी के ही कारनामे उजागर कर रहा है, क्या मीनाक्षी कंस्ट्रक्शन कंपनी से जनमंच की खासी दोस्ती हो चुकी है? उक्ताशय की बात अधिवक्ता वीरेंद्र सोनकेशरिया ने आज यहां जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कही है।
अडव्होकेट वीरेंद्र सोनकेशरिया ने कहा कि 2009 में गठित जनमंच को कितना चंदा मिला उस चंदे का उसने क्या किया इस बारे में जनमंच खामोश है? एक बार पत्रकार वार्ता में जनमंच द्वारा दिए गए हिसाब में भी अनेक विसंगतियां हैं, यथा - अगर कोई अपने पैसों से दिल्ली यात्रा पर गया तो वह उसका निजी खर्च माना जाएगा या फिर जनमंच के खाते में जुडेगा, अगर जनमंच के खाते में जुडेगा तो उस रकम को शामिल कर कुल कितना चंदा हुआ और कितना खर्च यह बात भी जनता के सामने लाई जाए। अधिवक्ता सोनकेशरिया ने साफ कहा कि जब वाहवाही लूटने के चक्कर में शुरूआत में यह बात प्रचारित कर प्रकाशित करवाई गई थी कि दिल्ली के अधिवक्ता अपनी फीस नहीं लेंगे तब लाखों रूपए चंदे की राशि आखिर कहां गई?
उन्होंने कहा कि इस चंदे के धंधे में हैं अनेक फंदे, उन्होंने कहा कि इस चंदे से ही अगर फोटोकापी और सूचना के अधिकार में प्रपत्र एकत्र किए गए हैं तो वे आखिर हैं कहां? जनमंच का कार्यालय है कहां जहां ये सब रखे हुए हैं? क्यों पत्रकारों को इनकी एक एक प्रति फोटोकापी करवाकर नहीं दी जा रही है? सिवनी में विध्न संतोषी होने का दावा करने वाले जनमंच शिरोमणि यह बताएंगे कि क्या ये सार्वजनिक धन से एकत्र ये सारे प्रपत्र किसी व्यक्ति विशेष की प्रापर्टी है? जनमंच के आंदोलन का खर्च आखिर कैसे चल रहा है इस बात को सार्वजनिक करने से क्यों डर रहे हैं जनमंच के शिरोमणि? अण्णा हजारे और अरविंद केजरीवाल तक अपने अंदोलन के बारे में सब कुछ सार्वजनिक कर रहे हैं। कहते हैं जनमंच के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता भी केजरीवाल के एक आला नेता से भोपाल में जाकर भेंट कर चुके हैं।
आखिर क्या कारण है कि पिछली पत्रकार वार्ता में जनमंच के कथित शिरोमणि द्वारा एक विशेष बस आपरेटर का नाम इंगित कर उसके द्वारा सहयोग ना देने की बात कही जाती है? क्या सिवनी में सिर्फ और सिर्फ नंदन ट्रेवल्स की बस ही संचालित हो रही हैं, जिस पर जनमंच के शिरोमणि द्वारा साथ ना देने के आरोप लगे? आखिर क्या वजह है कि अन्य किसी बस आपरेटर के पास जनमंच के शिरोमणि नहीं गए? इन बातों का जवाब है क्या जनमंच के शिरोमणि के पास।
अधिवक्ता सोनकेशरिया ने कहा कि जनमंच के शिरोमणि पत्रकार वार्ता लेकर अपनी गलत बातों को सही साबित करने का प्रयास ना करें? क्या जनमंच शिरोमणि तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रमन सिंह सिकरवार के निवास पर आयोजित बैठक में जनमंच के बेनर तले नगर पालिका चुनाव लडने की बात को पत्रकार वार्ता में कहने का साहस कर पाएंगे? उन्होंने कहा कि जनमंच द्वारा सिर्फ और सिर्फ कमल नाथ और कांग्रेस को ही इस मामले में दोषी बताया जाता है, क्या कारण है कि जनमंच द्वारा सांसद के.डी.देशमुख और सांसद बसोरी सिंह मसराम के सिवनी प्रवेश पर उनका विरोध नहीं किया जाता है, क्या कारण है कि हरवंश सिंह, नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, शशि ठाकुर के सिवनी आगमन पर इनका विरोध नहीं किया जाता, क्योंकि इन्होंने विधानसभा लोकसभा में सडक की बात नहीं उठाई।
क्या कारण है कि जनमंच के शिरोमणि निर्णय लेते हैं कि किसी नेता के दरवाजे नही जाएंगे, फिर अचानक ही राहुल गांधी की जी हजूरी करने सर्किट हाउस पहुंच जाया जाता है? क्या कारण है कि दिल्ली में सर्वोच्च न्यालयालय में चलने वाले प्रकरण के बारे में आज तक गोपनीयता बरती गई, सिवनी में विध्न संतोषी होने का आरोप लगाने वाले जनमंच शिरोमणि बताएंगे कि क्या कारण हैै कि आज तक इसका केस नंबर तक किसी को नहीं बताया गया? क्या यह जनमंच शिरोमणि के घर के सामने की सडक का मामला है? या सार्वजनिक शेरशाह सूरी के जमाने की सड़क का? अधिवक्ता सोनकेशरिया ने कहा कि प्रश्न तो हजारों की तादाद में हैं सिवनी के लोगों के जेहन मेें, पर सभी शांत हैं। श्रेय चाहे जो ले पर क्या जनमंच शिरोमणि यह बताने की जुर्रत करेंगे कि सिवनी में क्या सिर्फ सदभाव कंपनी ही सडक निर्माण का काम कर रही है? क्या कारण है कि सिवनी से नरसिंहपुर तक के खण्ड को बनाने वाली मीनाक्षी कंपनी के बारे में जनमंच शिरोमणि मौन हैं? क्या इन कंपनियों से किसी के व्यवसायिक हित सध रहे हैं? अधिवक्ता वीरेंद्र सोनकेशरिया ने कहा कि जिसे जो व्यवसायिक, निजी लाभ लेना हो लेता रहे पर कम से कम यह तो बता दे कि आखिर चार सालों में यह सडक क्यों नहीं बन पाई। जब इस समय इस सडक में गडढे भरने और पेंच रिपेयर का काम हो रहा है तो यह पिछले चार सालों में क्यों नहीं हो पाया है? क्यों जनमंच द्वारा पिछले चार सालों में सिवनी में इस सडक (समूचे सिवनी जिले में) को बनवाने की बात नहीं की जाती है?
अधिवक्ता वीरेंद्र सोनकेसरिया ने कहा कि सदभाव के खिलाफ हुई बारह करोड़ 90 लाख 24 हजार रूपए के जर्माना प्रकरण में जनमंच, संजय तिवारी जी, अथवा भोजराज मदने जी द्वारा हाईकोर्ट, जिला दण्डाधिकारी अथवा अनुविभागीय दण्डाधिकारी कोर्ट में कोई आवेदन प्रस्तुत किया हो अथवा उपस्थित हुए हों तो इसका प्रमाण वाहवाही लूटने के दौरान अवश्य प्रस्तुत करें। उन्होने कहा कि उनके पास प्रमाण हैं कि जो विज्ञप्ति जनमंच की ओर से जारी हुई है उसमें उठाए गए बिन्दू पूर्व में सदभाव कंपनी द्वारा न्यायालय में उठाए गए थे, जिन्हें अनुविभागीय दण्डाधिकारी ने खारिज कर दिया। इससे क्या यह प्रतीत नहीं होता कि सिवनी में सडक नहीं बन पाने की दोषी सदभाव कंपनी की पैरवी नहीं कर रहा है जनमंच।

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