सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

. . . तो इतिहास में शामिल हो जाएगी जबलपुर का मार्बल राक


0 घंसौर को झुलसाने की तैयारी पूरी . . .  72

. . . तो इतिहास में शामिल हो जाएगी जबलपुर का मार्बल राक

धवल संगमरमर पर चढ़ जाएगी राख की काली परत

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। देश के मशहूर दौलतमंद उद्योगपति गौतम थापर के स्वामित्व वाले अवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा मध्य प्रदेश के सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य विकास खण्ड घंसौर में स्थापित किए जाने वाले 1200 मेगावाट के कोल आधारित पावर प्लांट से न केवल पर्यावरणीय खतरा पैदा होने की आशंका है वरन् पुण्य सलिला नर्मदा के विषैले होने और खेतों की उर्वरक क्षमता कम होने की आशंकाओं के साथ ही साथ विश्व प्रसिद्ध जबलपुर के साफ्ट मार्बल पर भी खतरा मण्डाराता दिख रहा है।
गौतम थापर के स्वामित्व वाले 1200 या 1260 मेगावाट के इस पावर प्लांट में 275 मीटर की दो चिमनियां प्रस्तावित बताई जा रही हैं। इन दोनों ही चिमनियों से प्रति घंटा 285 टन राख हवा में उड़ेगी। यह बात ओर कोई नहीं वरन् मेसर्स झाबुआ पावर लिमिटेड के दो चरणों में लगने वाले कोल आधारित पावर प्लांट के कार्यकारी सारांश में संयंत्र प्रबंधन ने ही स्वीकार की है। संयंत्र प्रबंधन की इस स्पष्ट स्वीकारोक्ति के बाद भी गौतम थापर के इशारों पर अवंथा समूह की देहरी पर मुजरा करने वाले मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के कारिंदों ने इस बात को दरकिनार रख थापर के हितों को ही साधने में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई है।
लगभग एक हजार फिट उंची चिमनी से उड़ने वाली राख की मारक क्षमता कितने किलोमीटर होगी यह बात तो हवा की दिशा और बहाव पर ही निर्भर करता है, किन्तु संयंत्र प्रबंधन द्वारा जो सर्वेक्षण करवाकर प्रतिवेदन मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल के माध्यम से केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा है उसमें हवा की दिशा उत्तर पूर्व और उत्तर दर्शाई गई है। इसके साथ ही साथ वायू की गति 29.8 प्रतिशत स्थिर तौर पर बताई गई है।
गौरतलब है कि संयंत्र से उत्तर पूर्व और उत्तर दिशा में ही बरगी बांध का रिजर्वेवायर क्षेत्र गाढाघाट और पायली है। अपने अंदर अकूल जल संपदा सहेजने वाले रानी अवंती बाई सागर परियोजना के बरगी बांध का सर्वाधिक जल भराव क्षेत्र इसी दिशा में है। अब सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक हजार फिट उंची चिमनी से उड़ने वाली राख बांध में क्या कहर बरपाएगी?
इतना ही नहीं हवा में राख के कण उड़कर भेड़ाघाट के इर्दगिर्द नैसर्गिक छटा बिखेरने वाले मार्बल राक को भी श्वेत धवल से स्याह रंग में तब्दील करने के लिए पर्याप्त माने जा रहे हैं। गौरतलब है कि संस्कारधानी जबलपुर के मार्बल राक्स को देखने देश विदेश से हर साल लाखों की तादाद में सैलानी आते हैं। मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा मिलकर जबलपुर से पर्यटन की संभावनाओं का गला घोंटने का ताना बाना बुना जा रहा है। अगर आलम यही रहा तो संसकारधानी की शान समझा जाने वाला संगमरमर इतिहास की वस्तु हो जाएगा।
आश्चर्य तो इस बात पर हो रहा है कि सारी स्थितियां सांसद विधायकों के सामने होने के बावजूद भी न तो कांग्रेस और न ही भाजपा के जनसेवकों के कानों में जूं रेंग रही है। कुल मिलाकर केंद्र सरकार की छटवीं अनुसूची में अधिसूचित सिवनी जिले के घंसौर विकासखण्ड के आदिवासियों, जल जंगल और जमीन को परोक्ष तौर पर दौलतमंद गौतम थापर के पास रहन रख दिया गया है और बावजूद इसके केंद्र सरकार का वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, मध्य प्रदेश सरकार, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण मण्डल, जिला प्रशासन सिवनी सहित भाजपा के सांसद के.डी.देशमुख विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, एवं क्षेत्रीय विधायक जो स्वयं भी आदिवासी समुदाय से हैं श्रीमति शशि ठाकुर, कांग्रेस के क्षेत्रीय सांसद बसोरी सिंह मसराम एवं सिवनी जिले के हितचिंतक माने जाने वाले केवलारी विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर चुपचाप नियम कायदों का माखौल सरेआम उड़ते देख रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

सुपर पीएम बन गए हैं पुलक चटर्जी!


बजट तक शायद चलें मनमोहन. . . 94

सुपर पीएम बन गए हैं पुलक चटर्जी!

चावला की राह पर चल पड़े चटर्जी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली (साई)। प्रधानमंत्री कार्यालय में इन दिनों सभी की भाव भंगिमाएं बदली सी दिख रही हैं। दबी जुबान से पीएमओ में यह चर्चा चल पड़ी है कि पीएमओ को अब नया बॉस मिल गया है। जिस तरह आपात काल के दौरान दिल्ली में एलजी (उपराज्यपाल) के सचिव नवीन चावला और 1993 से 2003 तक मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के सचिव डॉ.अमर सिंह की और मायावती के राज में सतीश मिश्र की तूती बोला करती थी, उसी तरह अब देश में पुलक चटर्जी की हैसियत सुपर पीएम की आंकी जाने लगी है।
मीडिया में चल रही चर्चाओं के अनुसार इस बात पर शोध अत्यावश्यक है कि मीडिया का एक बड़ा तबका प्रधानमंत्री के बजाए अब उनके प्रधान सचिव पुलक चटर्जी की छवि निर्माण का काम क्यों कर रहा है? जब से तीक्ष्ण बुद्धि के धनी पीएम के मीडिया एडवाईजर हरीश खरे ने पीएमओ में आमद देना बंद किया है तबसे पुलक चटर्जी काफी पुलकित नजर आ रहे हैं। पीएम के (अस्थाई) मीडिया एडवाईजर पंकज पचौरी भी चटर्जी के सुर में सुर मिलाकर राग मल्हार गाने में लगे हुए हैं।
सियासी हल्कों में इस बात को लेकर कानाफूसी आरंभ हो गई है कि पुलक चटर्जी अब पीएमओ की अंतिम शक्ति बनकर उभर रहे हैं। गौरतलब है कि पुलक इसके पहले भी सरकार में अपने जलवे दिखा चुके हैं। कांग्रेस के सत्ता और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि यह सब इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि चटर्जी के प्रभुत्व का लट्टू दरअसल, 10, जनपथ की बेटरी से उर्जा पा रहा है। यही कारण है कि उन्हें किसी की परवाह नहीं है, और वे नित नए प्रयोग करने में लगे हुए हैं।
सूत्रों ने आगे कहा कि वैसे भी प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह प्रतिरोध का रास्ता ही नहीं अख्तियार करते हैं और वे सरकार के औपचारिक मुखिया बनकर ही प्रसन्न और संतुष्ट हैं। वे पुलक चटर्जी या अन्य किसी के बढ़ते प्रभुत्व से कतई विचलित नहीं होंगे। साथ ही साथ वे किसी भी बात या समीकरण का बुरा नहीं मानेंगे।
यहां एक बात का उल्लेख करना लाजिमी होगा कि जिस तरह आपात काल में 1975 से 1977 तक हुई ज्यादती के लिए जस्टिस जे.सी.शाह की अध्यक्षता वाले आयोग में दिल्ली सरकार के खिलाफ लगे संगीन आरोपों जिनमें हत्याओं के आरोप भी थे, में अपना पक्ष रखते हुए दिल्ली के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर किशन चंद ने सभी निर्णयों से पल्ला झाड़ते हुए अपने आप को बेदाग बताते हुए सभी निर्णयों के लिए अपने सचिव नवीन चावला को ही जवाबदार बताया था।
उस वक्त जस्टिस शाह ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि हालात देखकर लगता है कि आप महज लेफ्टिनेंट थे और चावला गवर्नर। कहने का तात्पर्य यह कि कहीं इतिहास फिर से न दुहरा जाए। जिस तरह दिल्ली के एलजी किशन चंद की आसनी बाद में नवीन चावला ने ले ली थी उसी तरह कहीं मनमोहन सिंह की गद्दी पर पुलक चटर्जी विराजमान न हो जाएं।
पुलक चटर्जी की हैसियत का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अब तक उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा नहीं मिला है और कबीना मंत्री, राज्य मंत्री और दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री उनकी चौखट पर उसी तरह लाईन लगाकर खड़े हुए हैं जिस तरह तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के समय विसेंट जार्ज की देहरी पर मंत्री खड़े रहा करते थे।
पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि टी.के.नायर को राज्यमंत्री का दर्जा बरकरार ही रहेगा। नायर राज्य मंत्री का दर्जा लेने के बाद भी गैर दर्जा प्राप्त पुलक चटर्जी को रिपोर्ट करेंगे। पीएमओ असमंजस में है कि चटर्जी को एमओएस का दर्जा दें या नहीं। यही कारण है कि चटर्जी का वेतन अभी निर्धारित नहीं हो सका है। कहा जा रहा है कि चटर्जी वर्तमान में अस्सी हजार रूपए प्रतिमाह पगार पा रहे हैं।

(क्रमशः जारी)

नेता ने कहा नेता चोर, जनता ने कहा वन्स मोर


नेता ने कहा नेता चोर, जनता ने कहा वन्स मोर

(संजय तिवारी)

उत्तर प्रदेश में महाचुनाव के छठे चरण के लिए चुनाव प्रचार चरम पर पहुंचा या चरमराकर गिर गया कहना मुश्किल है लेकिन चुनाव आयोग की नियमावली के तहत आज शाम समाप्त जरूर हो गया. अंधाधुंध सभाओं और हडहड़ाते हेलिकॉप्टरों का शोर थम गया. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 13 जिलों की 68 सीटों के लिए मंगलवार को मतदान होगा. प्रचार और मतदान के बीच चुनाव आयोग एक दिन का अंतराल क्यों देता है यह तो नहीं पता लेकिन यह एक दिन हर उम्मीदवार के लिए उन तैयारियों को अंजाम देने के लिए किया जाता है जो आमतौर पर स्वस्थ चुनाव प्रणाली में निषिद्ध कार्य समझा जाता है.
अगले पूरे दिन राजनीतिक दल और उनके उम्मीदवार इसी निषिद्ध कार्य को संपन्न करेंगे और उसके बाद आखिरी चरण के लिए बची खुची सीटों पर प्रचार के लिए कूच कर जाएंगे. उत्तर प्रदेश के इस छठे चरण सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा के अलावा एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी भी है इंडियन नेशनल लोकदल. बुढ़ाने के बाद भी छोटे चौधरी बड़े नहीं हुए हैं इसलिए पल पल में दल बदलने की उनकी पुरानी रवायत कायम है. इस दफा वे कांग्रेस के साथ मिलकर मैदान में उतरे हैं और जाटों के पहरुआ बनकर प्रचार कर रहे हैं.
मायावती और मुलायम के लिए भी यह इलाका महत्वपूर्ण है. मायावती का मायका गौतमबुद्ध नगर इसी इलाके में है तो मौलाना मुलायम की अलीगढ़ में स्वीकार्यता का औपचारिक परीक्षण भी इसी दौर में हो जाएगा. देवबंद से लेकर अलीगढ़ तक मौलाना मुलायम की स्वीकार्यता का ही सवाल था कि नेता जी आगरा से लेकर अलीगढ़ तक दौड़ लगाते रहे और खुद को छोड़कर बाकियों को चोर ठहराते रहे. मायावती मायके में आईं तो उन्होंने भी यही किया. बसपा को छोड़कर बाकी सभी दल या तो चौर और भ्रष्टाचारी हैं या फिर सांप्रदायिकता फैलाते हैं.
कांग्रेस के आलाकमान की आलाकमान सोनिया गांधी मयपुत्र राहुल गांधी के साथ हरवाहों चरवाहों के बीच जाने से खुद को रोक नहीं पाई और कांग्रेस को छोड़कर बाकी दलों को चोर ठहराती रहीं. मीडिया के जरिए शायद उन्होंने जान लिया था कि काले धन की जो बहस चल रही है उसमें उनका भी नाम घसीटा जाता है इसलिए कालेधन पर बहस शुरू करनेवाले राजनीतिक प्राणी आडवाणी को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें काले धन की इतनी ही चिन्ता है तो अपने शासनकाल में उन्होंने काला धन वापस लाने की पहल क्यों नहीं की. चुनाव प्रचार के आखिरी दिन भी वे साहरनपुर में जनता को बताने से बाज नहीं आई कि तीनों दलों (सपा, बसपा और भाजपा) ने आपको लूटा है इसलिए आप उनको वोट न करें. भैया राहुल तो चार कदम आगे जाकर चौंका देते हैं. चुनाव प्रचार में धूल फांककर काले पड़ चुके गोरे राहुल की नजर में माया मुलायम दोनों लुटेरे हैं सिर्फ अजीत सिंह सबसे ईमानदार नेता और लोकदल सबसे सही दल है.
भारतीय जनता पार्टी ने तो मानों कसम खा ली है कि कुछ भी हो जाए वह अच्छा परिणाम लाकर रहेगी. छठे चरण के लिए थोक में नेताओं ने चुनाव प्रचार किया जिसमें नितिन गडकरी से लेकर नकवी तक शामिल हैं. पार्टी के हर छोटे बड़े नेता को गाजियाबाद में स्थापित किये गये अस्थाई मुख्यालय से जोड़ दिया गया है और सारे हवाई साधनों और हवाई नेताओं को कहा गया कि जहां मौका मिल जाए कूदकर सभा कर आयें. भाजपा वाले एक सुर में नहीं बोल रहे हैं. सपा और बसपा को केन्द्र की राजनीति से कुछ लेना देना नहीं है इसलिए उनके लिए सुभीता है कि वे प्रदेश को ही प्लेग्राउण्ड बनाकर खेल रहे हैं लेकिन भाजपा को सेन्टर की पॉलिटिक्स भी हैंडल करनी है इसलिए कहीं माया निशाने पर हैं तो कहीं कांग्रेस और सोनिया गांधी.
अगर पहले चरण से छठे चरण तक के चुनाव प्रचार का याद करें तो पायेंगे कि पूरे चुनाव प्रचार के दौरान हर नेता दूसरे नेता को चोर ठहरा रहा है. उत्तर प्रदेश बदहाल है इसे तो सभी मान रहे हैं लेकिन मायावती इसके लिए कांग्रेस के 22 साल पहले के शासन को जिम्मेदार बता रहीं हैं तो कांग्रेस को सारा कोढ़ पिछले पांच साल में पैदा हुआ नजर आ रहा है. भाजपा और सपा को तो दोनों ही दल भ्रष्ट नजर आ रहे हैं क्योंकि ये दोनों दल न इधर न उधर, कहीं भी सत्ता में नहीं हैं.
तो फिर जनता किसकी सुन रही है? यह जानने के लिए हम 6 मार्च का इंतजार करेंगे लेकिन मौका मुआइना यह है कि जनता जमकर तमाशा देख रही है. प्रदेश के चुनावी दंगल में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में हैलिकॉप्टर उतारे गये हैं जो पहले कभी नहीं उतारे गये थे. हर नेता हवा से हरहराता हुआ जमीन पर आता है और जमीन चूमकर फिर हवा हो जाता है. जनता उन आते जाते नेताओं को बड़े चाव से देख रही है और उनके हैलिकॉप्टरों की उड़ती धूल के आंख में पड़ने से पहले ही अपनी आंख बंद कर लेती है. हैलिकॉप्टर के हवा में गायब हो जाने के बाद आंख खोलती है और बड़े चाव से बोल पड़ती है- वन्स मोर।

(लेखक विस्फोट डॉट काम के संपादक हैं)

निःशक्त जनों को पदोन्नति में मिले आरक्षण का लाभ!



निःशक्त जनों को पदोन्नति में मिले आरक्षण का लाभ!

(नन्द किशोर)

भोपाल (साई)। केंद्र सरकार की तरह ही मध्य प्रदेश सरकार में भी शारीरिक और मानसिक तौर पर विकलांग सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण का पूरा पूरा लाभ मिलना चाहिए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्य सचिव, सामाजिक न्याय विभाग, समान्य प्रशासन विभाग मंत्री सहित समस्त प्रमुख सचिवों को भेजे गए ज्ञापन में उक्ताशय की बात कही गई है।
ज्ञापन में म.प्र. शासन, समान्य प्रशासन विभाग का आदेश क्रमांक एफ. 8-5/2004/आ.प्र./एक , भोपाल दिनांक 31/03/2005. का हवाला देते हुए कहा गया है कि म.प्र. शासन, समान्य प्रशासन विभाग के उक्त सन्दर्भित आदेश के द्वारा निःशक्त के लिये निर्धारित 6 प्रतिशत होरिजोण्टल आरक्षण सुनिश्चित करने हेतु भारत सरकार की सेवाओं मे लागु तीन खण्ड स्तरीय व्यवस्था राज्य शासन की सेवाओं में भी लागू की गई है। इस हेतु निरूशक्त शासकीय कर्मचारियों हेतु 100 बिन्दु आरक्षण् रोस्टर मे प्रथम खण्ड रोस्टर बिन्दु क्रमांक 1 से 33 तक द्वितिय खण्ड रोस्टर बिन्दु क्रमांक 34  से 6 7 तक तथा तृतिय खण्ड रोस्टर बिन्दु क्रमांक 6 8   से 1 00  तक निर्धरित किया गया है।
भारत शासन के कार्मिक जनशिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के आदेश क्रमांक 36035/7/95- 1997 के द्वारा समस्त शासकीय सेवाओं मे निःशक्त शासकिय कर्मचारियों हेतु पदोन्नती मे आरक्षण्  का प्रावधान किया गया है एवं म.प्र. शासन, समान्य प्रशासन विभाग के उक्त सन्दर्भित आदेश के द्वारा भी भारत शासन की शासकीय सेवाओ मे निरूशक्त शासकिय कर्मचारियों हेतु लागु आरक्षण व्यवस्थाओं को ही म.प्र. शासन मे लागु किया गया है अतः प्रदेश की शासकीय सेवाओं मे भी निरूशक्त शासकीय कर्मचारियों हेतु पदोन्नती मै आरक्षण् लागु होना चाहिये, परंतु प्रदेश के किसी भी शासकीय विभाग द्वारा विगत वर्षाे मे की गई पदोन्नतियो मे न तो निःशक्त शासकिय कर्मचारियों हेतु आरक्षण का प्रावधान किया गया है एवं न ही रोस्टर सन्धारित किया गया है।
 निःशक्तजन मानसिक रूप से सामन्य व्यक्तियो के समान सक्षम होने के बाद भी  शाररिक रुप से समर्थ नही होने के कारण सामन्य व्यक्तियो के समतुल्य स्पर्धा नही कर पाते है अतः उन्हे प्रोत्सहान देने हेतु शासकिय सेवाऑं मे पदोन्नतियो मे आरक्षण् दिया जाना मानवीय द्रष्टिकोण से आवश्यक है। ज्ञापन में आग्रह किया गया है कि म.प्र. शासन के उक्त सन्दर्भित आदेश मे निःशक्त शासकीय कर्मचारियों हेतु पदोन्नती मै आरक्षण् के आशय को स्पष्ट करने हेतु प्रथक से निर्देश जारी कए जाएं।

अवैध कमाई का अड्डा बना खवासा चौकपोस्ट


अवैध कमाई का अड्डा बना खवासा चौकपोस्ट

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सिवनी नगर से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम खवासा भ्रष्ट अधिकारियों का चहेता ग्राम है, क्योंकि यहां स्थापित जांच चौकियां भ्रष्ट अधिकारियों को चंद महिने में ही करोड़ों का आसामी बना देती है और यहां के भ्रष्टाचार पर किसी की नजर भी नही होती। क्योंकि यहां हो रहे भ्रष्टाचार पर नेता भी नजर नहीं डालते, चाहे वह किसी भी पार्टी के हों। खवासा चौक पोस्ट में सभी नेताओं एवं अधिकारियों को मैनेज करने की परंपरा है, जिसे बड़ी ईमानदारी से इन भ्रष्ट अधिकारियों को निभाना पड़ता है, क्योंकि यह बहुत अच्छी तरह जानते है कि अगर यहां ईमानदारी नहीं दिखाई गई तो इनके भी मंसूबों पर पानी फिर सकता है।
खवासा चौक पोस्ट पर स्थापित कृषि उपज, वाणिज्य कर एवं परिवहन जांच चौकी, जिन्हें सरकार ने अपने राज्य के सुरक्षा और आयात- निर्यात कर की देखरेख के लिए स्थापित की थी, लेकिन अब यह मूल उद्देश्य से भटक चुकी हैं। यहां पदस्थ अधिकारी- कर्मचारी सिर्फ पैसे की भूख रखता है। नोटों की चमक के आगे ये यह भूल चुके हैं कि यह स्वार्थ भावना पूरी करने के लिए राज्य को प्रतिमाह करोड़ों की चपत लगा रहे हैं। खवासा जांच चौकियों पर बरसने वाले धन का कोई भी अनुमान नहीं लगा सकता। अगर इसका अनुमान हमें लगाना है तो पूर्व में रहे त्रिविभागीय मंत्री की आर्थिक उन्नति देखकर बड़ी आसानी से यहां की कमाई का अनुमान लगाया जा सकता है और अब तक यहां पदस्थ रहे आरटीआई की स्थिति भी देखें तो यही समझ में आएगा कि खवासा में बेशुमार धन बरसता है।
सूत्र बताते हैं कि  खवासा में पोस्टिंग के लिए ये अधिकारी अपने मुख्यालय पर लाखों की चढ़ोत्तरी चढ़ाकर खवासा पर पदस्थापना पाते हैं और वह लाखों की चढ़ौत्तरी को सूद समेत वसूल करने के लिए भ्रष्टाचार की परकाष्ठा को भी पार कर जाते हैं। खवासा पर चल रहे भ्रष्टाचार के खुले खेल पर हमारे जिले के जनप्रतिनिधि भी हरी झंडी दे रहे हैं। न तो कांग्रेस, भाजपा, सपा, राकांपा, बसपा जैसे प्रमुख राजनैतिक दल भी यहां के भ्रष्टाचार को लेकर मौन साधे बैठे हैं।
विगत वर्ष राकांपा युवा मोर्चा के एक नेता ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए यहां हो रहे भ्रष्टाचार पर माननीय मुख्यमंत्री को पत्र से अवगत कराया, जिसकी जांच के आदेश भी दिए गए और जांच अधिकारी के रूप में कुरई थाना प्रभारी को नियुक्त किया गया, लेकिन यह जांच ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है, जिससे यह प्रतीत होता है कि संभवतः दोनों के बीच में सेटिंग हो गई है और अगर नहीं तो फिर नेता का शांत बैठना समझ से परे है। कहते हैं गधे की लात और नेता की बात का कभी भरोसा नहीं करना चाहिए, क्योंकि जहां से पैसा मिले नेता उसी पक्ष को सही ठहराते हैं और जहां से न मिले उस पक्ष को गलत ठहरा देते हैं, लेकिन खवासा चौकपोस्ट एक ऐसा स्थान है, जिसके खिलाफ में कोई भी नेता और तो और कोई भी राजनीतिक दल यहां हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर अपनी आवाज बुलंद करने के लिए तैयार नहीं है।
खवासा चौकपोस्ट में आज भी टोकन सिस्टम विधिवत चल रहा है और बिना बिल बाऊचरों के कई माल सिवनी से दूसरे राज्य और दूसरे राज्यों से सिवनी लाया जा रहा है। यह बात और है कि कुछ माह से एक ईमानदार अधिकारी डी. पुरोहित की कार्यप्रणाली के चलते व्यापार जगत में हड़कंप मचा हुआ है और बिना बाऊचरों के माल के आवागमन पर रोक लगी हुई है। बताया जाता है कि किराना व्यवसायियों पर यह ईमानदारी बहुत भारी पड़ी है, जिसके कारण आज बाजार में जीरा भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, लेकिन कई ऐसी खाद्य सामग्री, कपड़ा, लोहा, गल्ला एवं जनरल सामग्री है, जो आज भी पीछे के रास्ते से जिले के बाहर दूसरे राज्यों में और दूसरे राज्यों से जिले के अंदर लाई जा रही है, जिसमें पूर्णतः खवासा चौकपोस्ट पर बैठे भ्रष्ट अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है। 
सूत्रों की माने तो यहां पर भ्रष्टाचार का जो भी खेल खेला जाता है, उसकी समस्त जानकारी उच्चाधिकारियों को भी होती है, लेकिन अधिकारी इस भ्रष्टाचार को नजर अंदाज इसीलिए करते हैं, क्योंकि यहां की काली कमाई का कुछ हिस्सा इनक ो भी दिया जाता है और इसी हिस्से के बोझ पर दबकर ये अधिकारी इस भ्रष्टाचार को लेकर कोई कार्यवाही करने की बजाय इस भ्रष्टाचार को नजर अंदाज कर देते हैं। विभागीय सूत्रों की माने तो इस काली का हिस्सा जिले के अदने से अधिकारी से लेकर प्रदेश के प्रमुख मंत्रियों तक जाता है और यही कारण माना जाता है कि खवासा चौकपोस्ट पर कोई भी ईमानदारी अधिकारी अपनी निष्पक्ष कार्यवाही का डंडा घुमाने से कतराता है।
यह बात बहुत कम लोग ही जानते हैं कि खवासा चौक पोस्ट पर एक दिन की आय लाखों पर होती है, जिसमें यह भ्रष्ट अधिकारी सभी को अपना- अपना हिस्सा पहुंचाकर खुद का हिस्सा भी मोटी रकम के रूप में बचाते हैं। बताया जाता है कि खवासा चौक पोस्ट पर रजिस्टर मेंटनेंस की परंपरा है, जिसमें दागी नेताओं के नाम के साथ- साथ बिकाऊ कलमकारों के नाम भी दर्ज है। इस रजिस्टर में इनके नाम के आगे प्रतिमाह  इन्हें दी जाने वाली रकम भी अंकित है, जो ये प्रतिमाह खवासा चौक पोस्ट में जाकर ले लेते हैं, तो कुछ रूआबदार नेता और कलमकारों को यह रकम लिफाफे में पैक करके सम्मानपूर्वक उनके निवास तक पहुंचा दी जाती है।  जब देश का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता और सच्चाई को उजागर करने वाले कलमकार ही इस भ्रष्टाचार के समुंदर में गोते लगा रहे हैं तो यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस भ्रष्टाचार की जड़े कितनी मजबूत हैं और इन भ्रष्टाचारियों के मंसूबों के आगे कोई भी ईमानदार शख्स ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकता। अब तो इस बात का इंतजार है कि कब कोई ईमानदार जनप्रतिनिधि इनके भ्रष्टाचार को लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई की नई शुरूआत करेगा...।

एम.पी. ऑनलाईन के नाम पर बेरोजगारों से लूट


एम.पी. ऑनलाईन के नाम पर बेरोजगारों से लूट

(विपिन सिंह)

सिवनी (साई)। उपनगरीय क्षेत्र भैरोगंज में एम.पी. ऑनलाईन के माध्यम से भर्ती के लिए जमा किए जा रहे फार्मों में अधिक शुल्क वसूलने की खबरें आ रही हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार शासकीय भर्तियों में अब एम.पी. ऑनलाईन के माध्यम से ही फार्म जमा हो रहे हैं।
इस माध्यम से फार्म जमा करने पर शासन की आय तो ज्यादा हो रही है किंतु वे बेरोजगार लुट रहे हैं, जो अधिक तकनीकी नही है। ऐसा ही खेल भैरोगंज क्षेत्र में खेला जा रहा है, जहां पर कुछ एम.पी. ऑनलाईन धारकों के द्वारा तय मानक से अधिक जमा शुल्क लिया जा रहा है, इतना ही नही ओपन स्कूल के परीक्षा फार्म जमा करने वाले छात्रों से भी अधिक राशि ली जाने की खबरें भी प्राप्त हुई हैं। प्रशासन को इस ओर जल्द से जल्द कार्यवाही करनी चाहिए, जिससे कल का नागरिक विद्यार्थी और आज का पढ़ा- लिखा बेरोजगार लुटने से बचे।

चर्चा का विषय बना पेट्रोल पंप आवंटन


चर्चा का विषय बना पेट्रोल पंप आवंटन

(ए.के.दुबे)

सिवनी (साई)। जिले के दो कद्दावर नेताओं को आवंटित पेट्रोल पंप की गूंज इन दिनों चौक - चौराहों में हो रही है। बताया जाता है कि ये दोनों ही नेता एक दूसरे के धुर - विरोधी भी हैं, किंतु एक साथ पेट्रोल पंप इन्हें प्राप्त होना बाकी लोगों के गले नहीं उतर रही है और इनके ही समर्थक आम जनता के बीच जाकर यह बताने से नहीं चूक रहे हैं कि इन्हें किस प्रकार से पेट्रोल पंप प्राप्त हुए हैं।
बताया जाता है कि कांग्रेस के एक कद्दवर नेता और भाजपा की चर्चित नेत्री के साथ ही साथ कांग्रेस या भाजपा में घुसने का प्रयास करने वाले शराब व्यवसाई नेता के परिजन को सिवनी जिले में पंप का आवंटन इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।


रामबाण औषधी है पूज्यनीय तुलसी


हर्बल खजाना ----------------- 32

रामबाण औषधी है पूज्यनीय तुलसी

(डॉ दीपक आचार्य)

अहमदाबाद (साई)। भारत के प्रत्येक भाग में तुलसी के पौधे पाये जाते हैं इसका पौधा बड़ा वृक्ष नहीं बनता केवल डेढ़ या दो फुट तक बढ़ता है। तुलसी का वानस्पतिक नाम ओसीमम सैन्कटम है। आदिवासी अंचलों मे पानी की शुध्दता के लिए तुलसी के पत्ते जल पात्र में डाल दिए जाते है और कम से कम एक सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा जाता है।
इसके उपरांत कपड़े से पानी को छान लिया जाता है और फ़िर यह पीने योग्य माना जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। तुलसी एक ऐसी रामबाण औषधि है जो हर प्रकार की बीमारियों में काम आती है जैसे- स्मरण शक्ति, हृदय रोग, कफ, श्वास के रोग, प्रतिश्याय, खून की कमी, खॉसी, जुकाम, दमा और दंत रोग आदि।
किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढा शहद के साथ नियमित ६ माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है। दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है क्योंकि यह खून में कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करती है।
इसकी पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलायें और रात को चेहरे पर लगाये तो झाईयां नहीं रहती, फुंसियां ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है। फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है।
पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधी मानते है, इनके अनुसार अत्यधिक थकान होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है। इसके नियमित सेवन से क्रोनिक-माइग्रेनके निवारण में मदद मिलती है।

(साई फीचर्स)