मंगलवार, 23 अगस्त 2011

नेता नहीं जनता के सिर पर खिल रही है गांधी टोपी

नेता नहीं जनता के सिर पर खिल रही है गांधी टोपी

(लिमटी खरे)

नेहरू गांधी परिवार के नाम पर सत्ता की मलाई सालों साल से चखने वाली कांग्रेस के नेताओं द्वारा असली गांधी यानी महात्मा गांधी के नाम पर पहचानी जाने वाली गांधी टोपी को साल में एकाध मर्तबा ही इस्तेमाल किया जाता है। 15 अगस्त और 26 जनवरी को भी सलामी लेते वक्त नेताओं या अधिकारियों द्वारा गांधी टोपी के स्थान पर फर वाली काली टोपी का इस्तेमाल करना ज्यादा मुनासिब लगता है। एक समय था जब भारत सरकार या सूबाई सरकार के कारिंदों की यूनिफार्म में गांधी टोपी को अनिवार्य अंग माना जाता था, विडम्बना है कि वर्तमान में गांधी टोपी सभी के सर से नदारत ही दिखती है। 16 अगस्त के बाद समूचे भारत में मैं अण्णा हूंके जुमलों से युक्त गांधी टोपी लोगों के कपाल की शोभा बढ़ा रही है। लगता है गांधी टोपी के मायने महज लड़ाई के दौरान सरकार के विरोध प्रदर्शन का अनिवार्य हिस्सा बनकर रह गई है, जो निश्चित तौर पर चिंता का विषय ही माना जा सकता है।
 
एक लोकपाल हजारों लाखों करोड़ांे अण्णा। जहां देखो वहां अण्णा। गांधी टोपी लगाए सादगी की प्रतिमूर्ति नजर आने वाले अण्णा से प्रभावित होने वालों में युवाओं की खासी तादाद नजर आ रही है। अण्णा की सादगी पर मर मिटने वाले युवाओं ने गांधी टोपी की मांग को अचानक ही बढ़ा दिया है। अब तो सफेद गांधी टोपी जिस पर मैं अण्णा हूं लिखा है हर किसी के सर का ताज बनी हुई है। कल तक मारी मारी फिरने वाली यह टोपी आज सवा सौ रूपए में भी नसीब नहीं हो पा रही है। सर पर गांधी टोपी लगाए भारत वासियों का जुनून देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनकी पुरानी पीढ़ी ने जब गोरे ब्रितानियों से संघर्ष किया होगा तब उनके अंदर क्या जज़्बा रहा होगा।

कहने को तो कांग्रेस द्वारा गांधी नेहरू परिवारों का गुणगान किया जाता है, किन्तु इसमें राष्ट्रपिता मोहन दास करमचंद गांधी का शुमार है या नहीं यह कहा नहीं जा सकता है। जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, के बाद अब सोनिया गांधी और राहुल गांधी के इर्द गिर्द ही कांग्रेस की सत्ता की धुरी घूमती महसूस होती है। सच भी है आधी सदी से ज्यादा देश पर राज करने वाली कांग्रेस को पता है कि नेहरू गांधी परिवार का नाम ही करिश्माई है। इस परिवार की वर्तमान पीढ़ी को मुगालते मंे रखकर नेता अपना स्वार्थ सिद्ध करने पर आमदा हैं।

वैसे तो महात्मा गांधी और उनकी अपनाई गई खादी को भी अपनी विरासत मानती आई है कांग्रेस। पर अब लगता है कि वह इन दोनों ही चीजों से दूर होती चली जा रही है। अधिवेशन, चुनाव, मेले ठेलों में तो कांग्रेसी खादी के वस्त्रों का उपयोग जमकर करते हैं, किन्तु उनके सर से गांधी टोपी नदारत ही रहा करती है। बापू की सूत कती खादी अब भूले बिसरे गीतों की तरह गुजरे जमाने की बात हो गई है। अब तो नेताओं द्वारा सफेद धवल खादी जो उम्दा क्वालिटी की और मंहगी मिलों में तैयार होती है को अंगीकार किया जाता है। एक बड़े मंत्री के सफेद कुर्ते पायजामे तो एक विशेष कंपनी द्वारा तैयार करवाए जाते हैं जिनकी कीमत पचास हजार रूपए मीटर से अधिक की बताई जाती है।

कांग्रेस सेवादल के ड्रेस कोड में शामिल है गांधी टोपी। जब भी किसी बड़े नेता या मंत्री को कांग्रेस सेवादल की सलामी लेनी होती है तो उनके लिए चंद लम्हों के लिए ही सही गांधी टोपी की व्यवस्था की जाती है। सलमी लेने के तुरंत बाद नेता टोपी उतारकर अपने अंगरक्षक की ओर बढ़ा देते हैं, और अपने बाल काढ़ते नजर आते हैं, ताकि फोटोग्राफर अगर उनका फोटो लें तो उनका चेहरा बिगड़े बालों के चलते भद्दा न लगे।

इतिहास गवाह है कि गांधी टोपी कांग्रेस विचारधारा से जुड़े लोगों के पहनावे का हिस्सा रही है। अस्सी के दशक के आरंभ तक नेताओं के सिर की शान हुआ करती थी गांधी टोपी। पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू हों या मोरारजी देसाई, किसी ने शायद ही इनकी कोई तस्वीर बिना गांधी टोपी के देखी हो।

लगता है कि वक्त बदलने के साथ ही साथ इस विचारधारा के लोगों के पहनावे में भी अंतर आ चुका है। अस्सी के दशक के उपरांत गांधी टोपी धारण किए गए नेताओं के चित्र दुर्लभ ही देखने को मिलते हैं। करीने से काढे गए बालों और पोज देते नेता मंत्री अवश्य ही दिख जाया करते हैं। यहां तक कि पंडित नेहरू के उपरांत उनके नवासे राजीव गांधी और पड़पोते राहुल गांधी के भी गांधी टोपी के साथ चित्र दुर्लभ ही हैं। देश के मंत्रियों ने तो गांधी टोपी को मानो तिरस्कृत ही कर रखा है।

आधुनिकता के इस युग में महात्मा गांधी के नाम से पहचानी जाने वाली गांधी टोपी अब नेताओं के सर का ताज नहीं बन पा रही है। इसका स्थान ले लिया है कांग्रेस के ध्वज के समान ही तिरंगे दुपट्टे (गमछे) ने। उधर भाजपा भी कहां पीछे रहने वाली थी, भाजपा ने भी भगवा दुपट्टे को अपना ड्रेस कोड अघोषित तौर पर बना लिया है। जब नेता ही गांधी टोपी का परित्याग कर चुके हों तो उनका अनुसरण करने वाले कार्यकर्ता भला कहां पीछे रहने वाले हैं।

एसा नहीं कि गांधी टोपी आजाद भारत के लोगों के सिरों का ताज न हो। आज भी महाराष्ट्र में अनेक गांव एसे हैं, जहां बिना इस टोपी के कोई भी सिर दिखाई दे जाए। इसके साथ ही साथ कर्नाटक और तमिलनाडू के लोगों ने भी गांधी टोपी को अंगीकार कर रखा है। अण्णा हजारे जैसे गांधी वादी आज भी गांधी टोपी को सर की शान ही समझते हैं।

अस्सी के दशक के आरंभ तक अनेक प्रदेशों में चतुर्थ श्रेणी के सरकारी नुमाईंदों के ड्रेस कोड में शामिल थी गांधी टोपी पहनकर सरकारी कर्मचारी अपने आप को गोरवांन्वित महसूस भी किया करते थे। कालांतर में गांधी टोपी ‘‘आउट ऑफ फैशन‘‘ हो गई। यहां तक कि जिस शख्सियत को पूरा देश राष्ट्रपिता के नाम से बुलाता है, उसी के नाम की टोपी को कम से कम सरकारी कर्मचारियों के सर की शान बनाने मंे भी देश और प्रदेशों की सरकरों को जिल्लत महसूस होती है। यही कारण है कि इस टोपी को पहनने के लिए सरकारें अपने मातहतों को पाबंद भी नहीं कर पाईं हैं।

यह सच है कि नेताओं की भाव भंगिमओं, उनके आचार विचार, पहनावे को उनके कार्यकर्ता अपनाते हैं। जब नेताओं के सर का ताज ही यह टोपी नहीं बन पाई हो तो औरों की कौन कहे। यहां तक कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की वर्किंग कमेटी में उपसिथत होने वाले नेताओं के सर से भी यह टोपी उस वक्त भी नदारत ही मिलती है।

मर्द के सर पर टोपी और औरत के सर पर पल्लू, अच्छे संस्करों की निशानी मानी जाती है। फिर आधी सदी से अधिक देश पर राज करने वाली लगभग सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस के नेताओं को इसे पहनने से गुरेज कैसा। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू रहे हों या महामहिम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, किसी ने कभी भी इनकी बिना टोपी वाले छायाचित्र नहीं देखे होंगे। आधुनिकता और पश्चिमी फैशन की चकाचौंध में हम अपने मूल संस्कार ही खोते जा रहे हैं, जो निश्चित तौर पर चिंताजनक कहा जा सकता है।

वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने एक सूबे में तो वन्दे मातरम को सरकारी कार्यालयों मंे अनिवार्य कर दिया है। यह सच है कि भाजपा का जन्म राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के आचार विचारों से ही हुआ है। क्या संघ के पूर्व संस्थापकों ने कभी गांधी टोपी को नहीं अपनाया? अगर अपनाया है तो फिर आज की भाजपा की पीढ़ी इससे गुरेज क्यों कर रही है?

युवाओं के पायोनियर (अगुआ) बन चुके कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी किसी कार्यक्रम में अगर जरूरत पड़ती है तो गांधी टोपी को सर पर महज औपचारिकता के लिए पहन लेते हैं, फिर मनमोहक मुस्कान देकर इसे उतारकर अपने पीछे वाली कतार में बैठे किसी नेता को पकड़ा देते हैं। देश में अण्णा की आंधी के उपरांत गांधी टोपी एक बार फिर प्रासंगिक हो चुकी है, किन्तु यह जनता जनार्दन की नजरों में ही प्रासंगिक है। देश के नेताओं की आंखों का पानी मर चुका है। वे गांधी के नाम पर सत्ता की मलाई तो चखना चाहते हैं पर उनके आदर्शों और सिद्धांतों के बिना।

अगर देश के नेता गांधी टोपी को ही एक वजनयुक्त औपचारिकता समझकर इसे धारण करेंगे तो फिर उनसे गांधी के सिद्धांतें पर चलने की आशा करना बेमानी ही होगा। यही कारण है कि हाल ही के संसद के सत्र में कांग्रेस के शांताराम लक्ष्मण नाइक ने सवाल पूछा था कि क्या महात्मा गांधी को उनके गुणो, ईमानदारी, प्रतिबद्धता, विचारों और सादगी के साथ दोबारा पैदा किया जा सकता है। इस समय उनकी बहुत जरूरत है। हम सब अपने उद्देश्य से भटक गए हैं और हमें महात्मा गांधी के मार्गदर्शन की जरूरत है। भले ही यह महात्मा गांधी के क्लोन से ही मिले।

अण्णा के बहाने राहुल के महिमा मण्डन का प्रयास

अण्णा के बहाने राहुल के महिमा मण्डन का प्रयास

टीम राहुल के प्रबंधकों ने फेंके पांसे

लगातार खामोश राहुल से बातचीत को अण्णा तैयार!

केजरीवाल ने किया खण्डन

मीडिया मैनेजमेंट में जुटी राहुल जुंडाली

मनमोहन की बिदाई चाहते हैं भ्रष्ट कांग्रेसी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। लगता है प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह की चला चली की बेला करीब आ ही गई है। टीम राहुल ने अब सधे कदमों से उनके प्रधानमंत्री बनने के मार्ग प्रशस्त कर दिए हैं। राहुल के मीडिया प्रबंधक अब ज्योतिषियांे द्वारा राहुल के बारे में की गई भविष्यवाणियों को मीडिया में उछलवा रहे हैं ताकि युवराज की ताजपोशी की जा सके। मीडिया में सोमवार को यह बात जमकर उछली कि अण्णा या तो पीएमओ या राहुल गांधी से बातचीत को तैयार हैं।

रामलीला मैदान पर जब यह खबर फैली तो अण्णा के एक समर्थक का कहना था -‘‘कौन है राहुल! दो बार का सांसद, बस। क्या वह प्रधानमंत्री या मंत्री है, या कांग्रेस का अध्यक्ष जो अण्णा उससे बातचीत को तैयार हो गए? यह तो राहुल गांधी को स्थापित करना हुआ। 16 अगस्त से लगातार खामोश राहुल गांधी से अण्णा को बात कतई नहीं करना चाहिए? अगर अण्णा एसा करते हैं तो माना जाएगा कि यह सब कुछ राहुल गांधी के महिमा मण्डन के लिए किया गया है।‘‘

उधर राजनैतिक विश्लेषक इस तीर को कांग्रेस के इक्कीसवीं सदी के चाणक्य दिग्विजय सिंह के जहर बुझे तीरों के तौर पर ले रहे हैं। उनका मानना है कि कुछ माह पहले परोक्ष तौर पर मनमोहन सिंह के उपर दिग्गी राजा ने प्रहार किए थे। इतना ही नहीं दिग्विजय ंिसंह ने तो साफ तौर पर कहा था कि अब वक्त आ गया है कि राहुल को शादी कर लेना चाहिए और देश संभालना चाहिए। अर्थात मनमोहन सिंह आप सिंहासन खाली करें युवराज अब राजकाज संभालने योग्य हो चुके हैं।

यूपीए की दूसरी पारी में जिस तरह लाखों करोड़ों रूपयों के घपले और घोटाले सामने आए इसके बाद जिन भ्रष्ट नेताआंे पर गाज गिरी इससे कांग्रेस के भ्रष्टों की फौज मनमोहन सिंह की बिदाई में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रही है। कांग्रेस के अंदरखाने से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो दिल्ली की निजाम शीला दीक्षित की गरदन पर कामन वेल्थ गेम्स की तलवार लटक रही है, इसलिए उन्होंने भी अण्णा के अनशन को हवा देने का काम किया है, ताकि कुछ समय के लिए ही सही लोगों का ध्यान उनकी ओर से हट जाए।

कांग्रेस के शातिर मीडिया प्रबंधकों ने सोमवार को एक खबर प्लांट की कि अण्णा सिर्फ पीएमओ या राहुल गांधी से बातचीत को ही तैयार हैं। इस खबर ने कांग्रेस विशेषकर मनमोहन सिंह खेमे में खलबली मचा दी। पीएमओ के सूत्रों का कहना है कि यह खबर पीएम को भी नागवार गुजर रही है कि राहुल का इस तरह से महिमा मण्डन किया जा रहा है। पीएमओ के सूत्र हैरान है कि राहुल और आजाद भारत की कुंडली सालों से ज्योतिषियों के पास होने के बाद अचानक अण्णा के अनशन के दौरान राहुल के पीएम बनने की बात उठाना किस रणनीति का हिस्सा है? सूत्रों ने कहा कि रामदेव प्रकरण और इस बार 16 अगस्त से लगातार खामोश राहुल से बातचीत की पेशकश अवश्य की गई होगी किन्तु जनता इसे पचा नहीं पाएगी।

उधर अण्णा के अर्जुन की अघोषित उपाधि पाने वाले अरविंद केजरीवाल ने इस बात का खण्डन किया है कि अण्णा सिर्फ पीएमओ या राहुल से बात करने को राजी है। केजरीवाल ने थोडा डिप्लोमेटिक होते हुए कहा कि जो जिम्मेदार होंगे उनसे ही अण्णा बात करने पर विचार कर सकते हैं।

Aravind Kejrival Vs Rahul Gandhi


Aravind Kejrival Vs Rahul Gandhi


The Government has put condition to get 25 crore people to support JanLokPal. To give your support just give missed call to 02261550789 (as given by Kiran Bedi) from your mobile no. Your Call will disconnect after 1 ring and your no registered automatically. You will get an SMS confirming this. Do it along to all your friends. Forward to as many people as you know .. verbally, by mails, by messages. Support Anti-corruption campaign lead by Anna Hazare ...Jai Hind.

Who is the leader of youth of INDIA .....................

ARVIND KEJRIVAL:-


Mechanical Engineer -IIT Kharagpur


Job :-Tata Steel
Former IRS resigned from the Govt job(posted IT Commisioner's office)

Social Activist:-
Man behind (Right to Information Act).
LokPal bill


Awards Various Ashoka Fellow, Civic Engagement.
2005: 'Satyendra Dubey Memorial Award', IIT Kanpur for his campaign for bringing transparency in Government
2006: Ramon Magsaysay Award for Emergent Leadership.
2006: CNN-IBN, 'Indian of the Year' in Public Service
2009: Distinguished Alumnus Award, IIT Kharagpur for Emergent Leadership.
2010: Policy Change Agent of the Year, Economic Times Corporate Excellence Award along with Aruna Roy.
Fighting against corruption

.............He left his job in IRS to fight against corruption.




RAHUL GANDHI
:-
Education- failed to secure passing grades in National Economic Planning and Policy graduated by any how
job: Got ancestral political power and running through it
Award: he is making awards not getting it
Fight against Indians sentiments

For him Terror attacks are common thing...
we should not be worried of that.....let it happen(since they have z class security)

he will never talk about Govt. policies....and planning....since he
is not intelligent enough to grasp that.(claimed to be most eligible to be PM)

Won't talk about black money and corruption.

will never talk in Parliament.

No political vision and goals for nation .

Trained well to fool poor villagers with safed kurta ..nd khadhi(doing same in UP and other places.)



Achievements:-
Grandson OF Nehru,
Grandson of Indira Gandhi....
Son Of Rajiv gandhi....
FRom Gandhi Family.....
till now zero...



..............Claimed to be nxt PM of INDIA ..Future face of congress.

जिला चिकित्सालय सिवनी के प्रांगण में आवारा मवेशियों का राज




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