युवराज की ताजपोशी
में अडंगा बने पीएम
राजगद्दी छोड़ने को राजी नहीं हैं मनमोहन
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। नेहरू
गांधी परिवार की पांचवी पीढ़ी की सत्ता की मलाई चखने की तैयारी में सोनिया गांधी के
खासुलखास डॉ.मनमोहन सिंह सबसे बड़े शूल के रूम में सामने आ रहे हैं। देश का प्रथम
पुरूष बनाने की शर्त पर मनमोहन ने गद्दी छोड़ने से साफ इंकार कर दिया है, जिससे कांग्रेस के
युवराज राहुल गांधी की ताजपोशी पर ग्रहण लग गया है।
ज्ञातव्य है कि देश
की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पंडित मोतीलाल नेहरू के पुत्र
पंडित जवाहर लाल नेहरू देश के पहले वज़ीरे आज़म बने, उनके बाद उनकी
पुत्री इंदिरा जिन्होंने पारसी मूल के फिरोज गांधी से विवाह किया था देश की
प्रधानमंत्री वर्षों तक रहीं। फिरोज गांधी से विवाह के बाद इंदिरा का उपनाम
(सरनेम) नेहरू से बदलकर गांधी हो गया।
इंदिरा गांधी के
पुत्र राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री रहे। राजीव गांधी की अर्धांग्नी और इटली
मूल की सोनिया मानियो (सोनिया गांधी) डेढ़ दशक से अधिक समय से कांग्रेस अध्यक्ष हैं, और वे देश की सबसे
ताकतवर महिला बन चुकी हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि वे परोक्ष तौर पर देश को
संचालित कर रही हैं।
राजीव सोनिया की
पुत्री प्रियंका ने व्यवसाई राबर्ट वढ़ेरा से विवाह किया और वे प्रियंका वढ़ेरा हो
गईं। वहीं दूसरी ओर इनके कनिष्ठ पुत्र राहुल गांधी ने अपने खानदानी व्यवसाय
(राजनीति) को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया। वर्ष 2004 में वे पहली बार
सांसद बने और इसकी पुनर्रावृत्ति 2009 में हुई।
2009 में जब दूसरी बार संप्रग की सरकार बनने की
सुगबुगाहट हुई तब माना जा रहा था कि राहुल गांधी के हाथों कांग्रेस द्वारा देश को
सौंप दिया जाएगा, किन्तु
रणनीतिकारों ने राहुल को अपरिपक्व बताकर कुछ दिन और इस बियावान में संघर्ष करने और
तपने की हिदायद देकर उनकी ताजपोशी टाल दी थी।
2010 के आगाज के साथ ही जैसे ही संप्रग वन के
घपले घोटाले और भ्रष्टाचार की गूंज तेज हुई वैसे ही मनमोहन सिंह को हटाकर राहुल
गांधी को प्रधानमंत्री बनाने की मांग तेज हो गई। उसी वक्त सियासी फिजां में मनमोहन
सिंह के करीबियोें ने एक छुर्रा छोड़ दिया कि राहुल को सरकार का कामकाज सीखने के
लिए मनमोहन सिंह के अधीन मंत्री बन जाना चाहिए। राहुल के सलाहकारों और शिक्षकों को
यह बात नागवार गुजरी, पर बात में दम था इसलिए उन सभी ने खून का घूंट पिया और राहुल
की ताजपोशी को आगे बढ़ा दिया।
कांग्रेस के एक
वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर ना करने की शर्त पर कहा कि अब राहुल की ताजपोशी
के लिए माकूल नजर आ रहा है 2014 का आम चुनाव। पर इसके लिए वर्तमान
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कहीं एजडेस्ट करना जरूरी नजर आ रहा है।
यही कारण है कि
मनमोहन सिंह को इस साल के महामहिम राष्ट्रपति के चुनावों में कांग्रेस का
उम्मीदवार बनाने का प्रलोभन दिया गया है। डॉ.मनमोहन सिंह संभवतः इस जुगत में लगे
हैं कि वे देश के इतिहास में नेहरू गांधी परिवार से इतर एसे व्यक्ति के तौर पर
अपना नाम दर्ज करवाएं कि जो सबसे लंबे समय तक वजीरे आजम की कुर्सी पर रहा हो।
उधर, पीएमओ के सूत्रों
का कहना है कि मनमोहन सिंह भी यह जानते हैं कि संख्या के गणित के आधार पर यह कहना
मुश्किल है कि कांग्रेस समर्थित उम्मीदवार ही रायसीना हिल्स स्थित विशाल कोठी
(राष्ट्रपति भवन) को अपना आशियाना बना सके। गठबंधन की बैसाखियों के बारे में
मनमोहन सिंह से बेहतर कौन जान सकता है जो बार बार अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए
गठबंधन धर्म को राष्ट्रधर्म से उपर रखते आए हैं।
इधर, कांग्रेस के सत्ता
और शक्ति के शीर्ष केंद्र 10, जनपथ (सोनिया गांधी को आवंटित सरकारी आवास)
सूत्रों ने कहा कि मनमोहन ंिसंह ने कांग्रेस हाई कमान से दो टूक शब्दों में कह
दिया है कि वे रायसीना हिल्स के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी नहीं छोड़ने वाले।
सोनिया को मशविरा दिया गया है कि यही सही समय है जब मनमोहन सिंह से सीट खाली
करवाकर 2014 में
कांग्रेस का नेतृत्व करने राहुल गांधी को आगे लाया जाए, एवं केयर टेकर पीएम
के बतौर या तो राहुल या फिर प्रणव मुखर्जी को सामने किया जाए, पर पीएम के
नकारात्मक रूख के चलते एक बार फिर युवराज राहुल गांधी की ताजपोशी टलती नजर आ रही
है।