फर्नीचर दुकान से
शास्त्री वार्डवासी परेशान
एस.डी.एम.न्यायालय के आदेश की
अवहेलना
कोलाहल व बुरादे से लागों का जीना मुहाल
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। जिले में प्रशासन की उदासीनता और ढुलमुल कायर््ाप्रणाली के चलते सरकारी आदेश की धज्जिय्ाां किस तरह उडाई जा रही हैं इस बात अंदाजा इसी से लगाय्ाा जा सकता है कि न्य्ााय्ाालय्ा अनुविभागीय्ा दण्डाधिकारी के आदेश को भी दरकिनार कर अपने कायर््ा को खुले आम अंजाम दिय्ाा जा रहा है। इस दुकान से महज सौ मीटर की परिधि में विधायक श्रीमति नीता पटेरिया, कमल मस्कोले, हरवंश सिंह, पूर्व विधायक डॉ.ढाल सिंह बिसेन, नरेश दिवाकर, टक्कन सिंह मरकाम सहित विधानसभा प्रत्याशी रहे आशुतोष वर्मा, राजकुमार खुराना और प्रसन्न चंद मालू का निवास है।
जी हाँ अपर बेनगंगा कालोनी रोड स्थित शास्त्र्ाी वार्ड क्रं . 4 बारापत्थर में जहां पर रिहाय्ासी इलाके के बीच स्थित फर्नीचर की दुकान के कोलाहल से आसपडोस के लोग काफी परेशान हो रहे हैं, जहां काम कारीगरों, कारपेंटरों के हाथों से होना चाहिए वहां मशीन के उपय्ाोग से लकडी की छिलाई, कटाई व चिराई खुलेआम दिनरात हो रही है बीच मोहल्ले में स्थित इस फर्नीचर दुकान से निकलने वाली ध्वनि व बुरादे से आसपास पडोस के लोग तथा वहां से गुजरने वाले लोग खासे परेशान हो रहे हैं बार बार दुकान के संचालक को कहने के बाबजूद भी अपनी दादागिरी व दुकान मालिक के नाम का डर बताकर उक्त दुकान का संचालन बेखौफ किय्ाा जा रहा है। एस.डी.एम. न्य्ााय्ाालय्ा के आदेश अवहेलना करते हुय्ो फर्नीचर दुकान के संचालक द्वारा सुबह से देर रात तक ग्राइंडर मशीन, खरात मशीन, मिनी आरा मशीन के कान फोडू कोलाहल से आसपास के लागों का जीना मुहाल हो रहा है, फर्नीचर दुकान की इन मशीनों से निकलने वाली बारीक डस्ट से लोगों के स्वास्थ्य्ा पर बुरा प्रभाव पड रहा है।
ज्ञातव्य है कि उक्त फर्नीचर दुकान के संबध में पूर्व में भी वार्ड वासिय्ाों द्वारा अनेकों बार शिकाय्ातें दर्ज की जा चुकी हैं परन्तु उक्त दुकान के संचालक द्वारा स्थान बदल कर अपने धंधे को ठीक उसी तरह से अंजाम दिय्ाा जा रहा है जिससे आसपडोस के लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड रहा है। विश्वस्त सूत्र्ा बताते हैं कि उक्त दुकान के संचालक के पास ना तो लाइसेंस है और ना ही वन संपदा को स्टाक रखने के कागजात फिर भी वन विभाग के अधिकारिय्ाों और कर्मचारिय्ाों से अपने खास संबंध को बताकर मेरा कौन क्य्ाा कर लेगा की बात कहते हुय्ो आय्ो दिन नम्बर दो का माल य्ाहां पहुंचता है तथा उक्त मशीन से कटाई, छिलाई होने के पश्चात माल क ो ठिकाने लगा दिय्ाा जाता है। उक्त फर्नीचर दुकान का मामला पूर्व में न्य्ााय्ाालय्ा अनुविभागीय्ा दण्डाधिकारी के समक्ष पहुंच चुका है जहां से दिनांक 02/फरवरी/2011 को पारित आदेश को अगर देेेखा जाय्ा तो स्पष्ट हो जाता है कि इस तरह की फर्नीचर दुकानांे को रिहाय्ाशी इलाकों से दूर होना चाहिए। रिहाय्ाशी इलाकों में इस तरह की फर्नीचर दुकानों का संचालन द.प्र.सं.1973 की धारा 133 जा.फौ. तथा म.प्र. विधि संहिता की धारा तीन की कंडिका (22) के अंतर्गत पब्लिक न्य्ाूसेंस की श्रेणी मेें आता है। परन्तु जंहा प्रशासन ही सुस्त हो, जनप्रतिनिधि ही उदासीन हों तो वहां न्य्ााय्ाालय्ा तक के आदेश की इसी तरह से धज्जिय्ाां उडती रहें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें