निवेश को बढ़ावा
देने हर संभव प्रयास: पीएम
(प्रियंका श्रीवास्तव)
नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने देश में नौ प्रतिशत की विकास दर फिर हासिल
करने के लिए इस वित्तीय वर्ष में प्रमुख क्षेत्र की परियोजनाओं में उच्च निवेश का
लक्ष्य निर्धारित किया है। वर्ष २०१२-१३ के लिए बुनियादी ढांचा लक्ष्यों को अंतिम
रूप देने के लिए कल हुई बैठक में डॉक्टर सिंह ने कहा कि सरकार मौजूदा स्थिति को
बदलने और भारत के विकास परिदृश्य को और सुदृढ़ करने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री ने लक्ष्यों की समीक्षा की और उन्हें मंजूरी दी।
उन्होंने कहा कि
ऐसे कठिन समय में देश को कारोबार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए हर मुमकिन प्रयास
करने चाहिए। उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसा माहौल बनाना चाहिए जो निवेश के लिए
अनुकूल हो। मौजूदा स्थिति में सुधार लाने तथा भारत की वृद्धि दर को फिर से पटरी पर
लाने के वास्ते सरकार आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है।
डॉक्टर मनमोहन सिंह
ने कहा कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र की जरूरतें काफी व्यापक हैं और इसके लिए अगले
पांच वर्षों में दस खरब अमरीकी डॉलर की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि १२वीं
पंचवर्षीय योजना में बुनियादी ढांचे में दस खरब डॉलर से अधिक निवेश की जरूरत है।
सरकार अकेले इतनी बड़ी राशि निवेश नहीं कर सकती है। इसलिए सार्वजनिक निजी भागीदारी
के प्रयासों में निजी क्षेत्र को शामिल करना महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने
कहा कि नई प्रणाली के तहत इस वर्ष साढ़े नौ हजार किलोमीटर सड़कों के निर्माण और चार
हजार किलोमीटर से अधिक के रखरखाव की योजना है। डॉ० सिंह ने कहा कि रेल क्षेत्र में
सरकार की योजना मुंबई में ऐलिवेटिड रेल गलियारे का निर्माण, दो नई लोको इंजन
निर्माण इकाईयां लगाना और सार्वजनिक निजी भागीदारी से माल भाड़ा गलियारा बनाना है।
उन्होंने कहा कि जहाजरानी क्षेत्र में सरकार को सार्वजनिक निजी भागीदारी से दो
प्रमुख बंदरगाह बनाने का चुनौतीपूर्ण काम पूरा करना है।
डॉक्टर सिंह ने कहा
कि उड्डयन क्षेत्र में नवी मुंबई, गोआ और कन्नूर में तीन बंदरगाह तथा लखनऊ, वाराणसी, कोयम्बतूर, त्रिची और गया में
अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे बनाये जाने हैं। प्रधानमत्री ने कहा कि बिजली क्षेत्र
में १८ हजार मेगावाट क्षमता बढ़ाने की योजना है। इस बैठक में बिजली, सड़क, जहाजरानी, नागरिक उड्डयन और
कोयला मंत्री भी शामिल हुए।
उधर, वित्तमंत्री प्रणब
मुखर्जी ने कहा है कि आर्थिक गिरावट चिंता का विषय है लेकिन घबराने की जरूरत नहीं
है। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारक मजबूत हैं इसलिए उच्च
वृद्धि दर फिर से हासिल की जा सकेगी। श्री मुखर्जी के हवाले से कल नई दिल्ली में
जारी सरकारी बयान में यह बात कही गयी है। श्री मुखर्जी ने कहा कि पूरी दुनिया कीं
आर्थिक अनिश्चितता विशेषकर यूरो जोन संकट की वजह से देश कई चुनौतियों का सामना कर
रहा है। ऐसे समय में उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन पर पूरा विश्वास है।
उन्हें विश्वास है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इन चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर
पाएगी।
इसके साथ ही साथ
भारत ने जोर देकर कहा है कि अमरीका के साथ रक्षा व्यापार में उसकी प्राथमिकता
खरीदने-बेचने के सौदों से आगे बढ़ने की है। नई दिल्ली में अमरीका के रक्षा मंत्री
लिओन पेनेटा के साथ शिष्टमंडल स्तर की वार्ता के बाद रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने
कहा कि भारत, स्वदेशी
क्षमता विकसित करने के लिए तकनीक के हस्तांतरण और साझेदारी पर ध्यान देना चाहता
है।
श्री पेनेटा ने
आश्वासन दिया कि अमेरीकी सरकार प्रौद्योगिकी देने के उपाय करेगी। २१वीं शताब्दी
में अमरीका और भारत की भागीदारी काफी महत्वपूर्ण रहेगी। आज हमारे आर्थिक, सामाजिक और राजनयिक
संबंध बढ़ रहे हैं जिनसे दोनों देश फायदा उठा रहे हैं। लेकिन इस संबंध से इस
क्षेत्र और यहां तक कि विश्व के लिये सही रूप में सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिये
जरूरी है कि हम अपने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करें।
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