मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

सरकार को जेब में रखती गुटखा लाबी


सरकार को जेब में रखती गुटखा लाबी

(लिमटी खरे)

‘‘भारत गणराज्य में गुटखा लाबी इस कदर हावी है कि उस पर पार पाना ना तो केंद्र सरकार के बूते की ही बात है और ना ही राज्यों की सरकारों के। देश की सबसे बड़ी अदालत की सख्ती के बाद भी केंद्र सरकार गुटखापान मसाला लाबी के आगे घुटने टेकती नजर आ रही है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के नए नियमों के बाद भी देश भर में गुटखा पान मसाला धडल्ले से बिक रहा हैऔर तो और शिक्षण संस्थाएं भी इसकी जद से परे नहीं हैं। जब सरकार ने इसकी बिक्री पर पाबंदी लगा दी है तो आखिर गुटखा बनाने वाली कंपनियां इसका निर्माण किसके लिए कर रही हैं। जाहिर है इस कदर का जहर आम लोगों के बीच में कहर बरपाने के लिए ही बनाया जा रहा है। सरकार के नुमाईंदे सब कुछ जानते बूझते भी खामोशी अख्तियार किए हुए हैं। वैसे देश के हृदय प्रदेश में एक पुराने तेजी से बढ़ते‘ और एक नए अखबार के बीच वर्चस्व के युद्ध की तरह देखा जा रहा है गुटखा प्रतिबंध का अखबार का अभियान!‘‘

देश भर में पाउच में बिकने वाला तंबाखू युक्त और बिना तंबाखू वाला गुटखा लगभग साठ फीसदी लोगों को अपनी जद में ले चुका है। गुटखा खाने वाले लोग इसकी तलब के गजब के दीवाने हैं। मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्यों से प्रकाशित एक समाचार पत्र ने तो बाकायदा गुटखे के खिलाफ एक अभियान छेड़ा हुआ है। वहीं दूसरी ओर गुटखा निर्माता भी अब मीडिया के क्षेत्र में अवतरित हो चुके हैं।
अनेक सूबों में गुटखा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। बावजूद इसके सरेराह पान या किराने की दुकानों पर प्रतिबंधित गुटखों के पाउच की लडी टंगी देखी जा सकती है। दरअसलइसे रोकने वाले खुद ही पाउच फांकते नजर आते हैं तो भला इस पर प्रतिबंध लगे तो कैसेबस अंतर सिर्फ इतना आ गया है कि एक रूपए के पाउच पर अब एक रूपए पचास पैसा प्रिंट होकर आ गया है और यह ढाई से तीन रूपए में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
इस मामले का सबसे दुखदायी और आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि जब गुटखे पर प्रतिबंध है तो भला फिर राज्यों में गुटखा निर्माताओं के कारखाने आखिर किसके लिए इसका उत्पादन कर रहे हैं। जाहिर है इसको बेचा जरूर चोरी छिपे जा रहा होगा पर इसका उत्पादन तो सरेआम ही हो रहा है। इसके साथ ही साथ जिन राज्यों में यह प्रतिबंधित है उन राज्यों में यह वाणिज्य कर विभागपुलिस आदि की नजर से बचकर आखिर कैसे पहुंच रहा है?
ज्ञातव्य है कि राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अस्थमा केयर सोसायटी द्वारा दायर याचिका पर फैसला देते हुए प्लास्टिक पाउच के विषैलेपन के मद्देनजर इस पर पाबंदी लगा दी थी। इसके बाद पान मसाला उत्पादकों ने सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटाए थे। सर्वोच्च न्यायलय की जस्टिस जी.एस.सिंघवी और अशोक कुमार गांगुली की बैंच ने सरकार को आड़े हाथों लेते हुए इसमें रियायत देने से साफ इंकार कर दिया था।
आरोपित है कि मेग्नीशियम कार्बोनेट युक्त जहरीले गुटखा और पान मसालों की गिरफ्त में आज देश के अस्सी फीसदी लोग आ चुके हैं। वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों का दावा है कि देश में गुटखा व्यवसाय हर साल दस हजार करोड़ से ज्यादा का करोबार करता है। वैसे भी प्लास्टिक के पाउच में इनका विक्रय स्वास्थ्य के साथ ही साथ पर्यावरण पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के भरोसेमंद सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार ने इस साल चार फरवरी को प्लास्टिक के कचरे से निपटने के लिए नए नियम बनाए हैं। इन नियम कायदों के तहत प्लास्टिक के पाउच में बिकने वाले गुटखों और पान मसालों का विक्रय प्रतिबंधित किया गया है।
देश के हर राज्य मेें जहरीले पान मसाले सरेआम बिकते नजर आ रहे हैं। हद तो तब हो जाती है जब ये पाउच शिक्षण संस्थानों के इर्द गिर्द सरेआम बिकते नजर आते हैं। अनेक शैक्षणिक स्थलों के परिसर में बने काम्पलेक्स में पान परचून की दुकानों में इनका विक्रय सरेराह किया जाता है।
केंद्र सरकार ने प्रदूषण पर रोक लगाने की गरज से पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम 1986में अनेक महत्वपूर्ण तब्दीली करते हुए प्लास्टिक वेस्ट अधिनियम 2011बनाया है। नई गाईडलाईन में प्लास्टिक की पूर्व की निर्धारित मोटाई 20माईक्रोन को दुगना कर अब 40कर दिया गया हैजिससे अब इससे पतले प्लास्टिक का विक्रय प्रतिबंधित कर दिया है। सरकार ने इसके लिए प्लास्टिक मैन्यूफेक्चर एण्ड यूजेस अधिनियम 1999में 2003वर्ष में किए गए बदलावों में पुनः तब्दीली कर अब कड़ा कर दिया हैजिसके तहत प्लास्टिक निर्माताओं को ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टेंडर्ड का पालन करना आवश्यक होगा। इसके साथ ही साथ अब चुनिंदा रंग या पारदर्शी प्लास्टिक का उपयोग ही किया जा सकेगा।
केंद्र सरकार के इस दिशा निर्देश से सूबों की सरकारें भी बेखबर ही हैं। फारेस्ट इन्वायरमेंट मिनिस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि मध्य प्रदेश सहित समस्त प्रदेशों को दिशा निर्देश फरवरी में ही भेज दिए गए थेकिन्तु राज्यों की सरकारें भी गुटखा लाबी के आगे बेबस ही नजर रही हैयही कारण है कि देश भर में गुटखा का व्यवसाय धड़ल्ले से चल रहा है।
पान मसाला उद्योग की एक विशेषता यह है कि 1989में एक रूपए मंे बिकने वाला पाउच आज भी एक रूपए में ही बिक रहा है। बीस साल में मंहगाई चरम पर पहुंच गई है। चालीस रूपए किलो वाली सुपारी अब दो सौ तो केवड़ा साठ हजार रूपए किलो से तीन लाख रूपए किलो और चंदन के तेल ने पांच हजार रूपए प्रति लिटर से सत्तर हजार की तेजी दर्ज करा ली है। मजे की बात है कि इस पर मंहगाई का कोई असर नहीं पड़ा है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की अनदेखी से बढ़ रही पाउच के उपयोग की आदत से ओरल सबम्यूकल फायब्रोसिस यानी मुंह के केंसर का खतरा चार सौ गुना बढ़ जाता है। इसमें शुरूआत में मुंह खुलना कम होता हैफिर एकदम ही बंद हो जाता है। गुटखा खाने से अनेक तरह की मुंह की बीमारियों का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
गुटखा कारोबारियों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए बाकायदा अपना एक संगठन भी खड़ा कर रखा है। ‘‘जी 10‘‘ नामक यह संगठन आयकरकेंद्रीय उत्पाद शुल्क और अन्य महकमों से निपटने के लिए बनाया गया है। इस संगठन का मूल काम केंद्र सरकार में अपने कारोबार के लिए लाबिंग और अफसरान को नियम कायदों के पेंच में उलझाना है। कर चोरी करने वाले इन कारोबारियों ने इस संगठन को खुले हाथ से चंदा देकर आर्थिक तौर पर सुद्रढ़ बना दिया है।
देश के हर सूबे के जिलों में जिला प्रशासन के आला अफसरान भी बात बात पर गुटखा पाउच फांकते नजर आते हैं। जांच में इस बात का खुलासा हो चुका है कि मैग्नीशियम कार्बोनेट नाम का तत्व गुटखा पान मसाला पाउच के अंदर मिलाकर बेचा जाता हैजबकि खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम के तहत खाद्य पदार्थ में निकोटिन अथवा तम्बाखू का प्रयोग कतई नहीं किया जाना चाहिए। (साई फीचर्स)

शिव के राज में पुलिस की दबंगई


शिव के राज में पुलिस की दबंगई

दस साल पुराने मामले में गौतम को उठाया, न्यायालय ने लगाई लताड़!

(दिलीप गुप्ता)

धार (साई)। देश के हृदय प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के राज में झाबुआ और धार पुलिस की दबंगई के चलते पूर्व विधानसभा प्रत्याशी बाल मुकुंद गौतम को रातों रात पुलिस ने अपना मेहमान बना लिया। आधी रात को की गई इस कार्यवाही की सर्वत्र निंदा की जा रही है। गौतम को रात तीन बजे के लगभग पीथमपुर में एक होटल का ताला तोड़कर अपने कब्जे में लिया है पुलिस ने।
बाल मुकुंद गौतम के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि रात में जब पीथमपुर में बाल मुकुंद गौतम होटल कोणार्क में विश्राम कर रहे थे तभी पुलिस ने वहां दबिश देकर होटल का ताला तोड़कर बाल मुकुंद गौतम को पकड़ लिया। अगले दिन जब उन्हें न्यायालय में पेश किया तब माननीय न्यायालय ने पुलिस से पूछा कि मामला राजस्थान के भलवाड़ा का है तो भीलवाड़ा पुलिस आखिर कहां है?
सूत्रों ने कहा कि दरअसल, 2003 में शराब के एक टेंकर का मामला भीलवाड़ा पुलिस ने पकड़ा था, इस मामले में आरोपियों में बाल मुकुंद गौतम का नाम भी फेहरिस्त में थे। विधि विशेषज्ञों का कहना है कि इस मामले में बाल मुकुंद गौतम की अगर गिरफ्तारी हुई भी है तो उन्हें भीलवाड़ा पुलिस को करना चाहिए था।
बताया जाता है कि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक भीलवाड़ा पुलिस पीथमपुर नहीं पहुंची है। आधी रात को होटल का ताला तोड़कर पीथमपुर सीएसपी के नेतृत्व में की गई इस कार्यवाही की सर्वत्र निंदा की जा रही है। गौतम के पारिवारिक सूत्रों का यह भी कहना है कि बाल मुकुंद गौतम के विधानसभा चुनाव का फैसला 17 को संभावित है संभवतः इसी के मद्देनजर भाजपा सरकार द्वारा कांग्रेस के उम्मीदवार रहे गौतम को परेशान करने की नियत से यह किया जा रहा है।
इस संबंध में जब पीथमपुर के अनुविभागीय अधिकारी पुलिस से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया द्वारा पुलिस का पक्ष जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने यह कहकर बात को टाल दिया कि वे अभी एक बेहद इंपार्टेंट काम में मशरूफ हैं अतः इस संबंध में वे बाद में ही पुलिस का पक्ष बताने की स्थिति में आ पाएंगे।

जनसंपर्क मंत्री के बॉस हैं बिसेन


लाजपत ने लूट लिया जनसंपर्क ------------------ 23

जनसंपर्क मंत्री के बॉस हैं बिसेन

(विनय डेविड)

भोपाल (साई)। आखिर मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन की एक दैनिक समाचार पत्र से क्या अदावत है कि उन्होंने उस दैनिक अखबार को मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग की विज्ञापन सूची में शामिल होने से ही रूकवा दिया। मध्य प्रदेश के जनसंपर्क मंत्री हैं लक्ष्मी कांत शर्मा, फिर भी जनसंपर्क विभाग द्वारा सहकारिता मंत्री के इशारे पर दैनिक समाचार पत्र को विज्ञापन सूची से बाहर रखने का ओचित्य ही समझ से परे है।
उक्ताशय की बात मध्य प्रदेश जनसंपर्क संचालनालय में पदस्थ एक अधिकारी ने नाम उजागर ना करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कही। उक्त अधिकारी ने कहा कि मध्य प्रदेश के एक जिला मुख्यालय से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र द्वारा सारी अहर्ताएं पूरी करने के उपरांत खुद को एमपी के जनसंपर्क विभाग द्वारा जारी होने वाले सरकारी विज्ञापनों में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था।
उक्त अधिकारी ने बताया कि जांच के उपरांत इस अखबार के सारे दस्तावेज एवं अन्य चीजें विज्ञापन प्रदाय करने के लिए निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप ही पाए गए थे। इस समाचार पत्र को विज्ञापन सूची में शामिल ही किया जाने वाला था कि अचानक ही सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन ने जनसंपर्क के एक उच्चाधिकारी को निर्देशित किया कि -श्श्इस अखबार को फिलहाल सूची में शामिल करने से रोक दो।श्श्
अब इस अखबार को सूची में शामिल करने से क्यों रोका गया है, इस बारे में वास्तविकता या तो जनसंपर्क महकमे के आला अधिकारी ही बता पाएंगे या फिर सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन, किन्तु इस बात में सच्चाई इसलिए भी नजर आती है, क्योंकि इस मसले की तह में जनसंपर्क विभाग के एक आला अधिकारी द्वारा उक्त समाचार पत्र के मालिक संपादक को गौरी शंकर बिसेन की चिरौरी करने से संबंधित तीन एसएमएस भी चर्चाओं में हैं।
ज्ञातव्य है कि पूर्व में भी इस आशय की खबर प्रसारित हुए थी जिसमें कहा गया था कि एक अखबार मालिक को विज्ञापन ना मिलने के पीछे मध्य प्रदेश के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन का हाथ है? क्या यह सच है? हालात तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं। सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन से मिलने और उन्हें राजी करने के लिए जनसंपर्क महकमे के एक आला अधिकारी द्वारा एक अखबार के संपादक मालिक को तीन तीन एसएमएस भेजे गए हैं।
जनसंपर्क विभाग के बाणगंगा स्थित मुख्यालय से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो मध्य प्रदेश सरकार के जनसंपर्क विभाग के एक आला अधिकारी ने उक्त समाचार पत्र के मालिक संपादक को सीधे फोन करके नहीं वरन् अपने मोबाईल से एसएमएस कर यह मशविरा दिया गया है कि वे गौरी शंकर बिसेन से संपर्क करें।
बताया जाता है कि मध्य प्रदेश से प्रकाशित एक समाचार पत्र को विज्ञापन नहीं दिए जा रहे हैं। इस पर अखबार के संपादक मालिक द्वारा इस संबंध में जनसंपर्क संचालनालय के आला अधिकारियों से गुहार लगाई। पहले हीला हवाला करने के उपरांत जब मालिक को हकीकत का भान हुआ तो उसकी तह में एमपी के सहकारिता मंत्री गौरी शंकर बिसेन निकले।
जनसंपर्क विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि विभाग में इन दिनों उक्त आला अधिकारी के तीन एसएमएस चर्चाओं में हैं। पहले एसएमएस में जनसंपर्क विभाग के एक आला अधिकारी द्वारा कहा गया है कि प्लीज रिक्वेस्ट होनरेबल मिनिस्टर बिसेन। दूसरे एसएमएस में कहा गया है कि प्लीज टॉक टू श्री गौरी शंकर बिसेन जी। एवं अंतिम एसएमएस में सलाह दी गई है कि प्लीज टॉक टू द मिनिस्टर, आई केन नाट इग्नोर हिम।
इस तरह के एसएमएस 9425. . . . नंबर पर किए गए हैं, जिनका रिकार्ड आसानी से निकलवाया जा सकता है। ये तीन एसएमएस आखिर किस कारण किए गए? ऑनरेबल मिनिस्टर गौरी शंकर बिसेन की चिरौरी करने जनसंपर्क के एक आला अधिकारी ने अखबार के संपादक को क्यों मशविरा दिया? क्या जनसंपर्क विभाग का काम लक्ष्मीकांत शर्मा के स्थान पर गौरी शंकर बिसेन के पास है? इस बारे में उत्तर या तो लक्ष्मी कांत शर्मा, या गौरी शंकर बिसेन अथवा जनसंपर्क विभाग के उक्त आला अधिकारी या संपादक ही दे सकते हैं, पर इन दिनों मीडिया बिरादरी में तीन एसएमएस की चर्चाएं जोरों पर हैं।

शेरशाह सूरी के जमाने की सड़क आज भी है खतरे में


शेरशाह सूरी के जमाने की सड़क आज भी है खतरे में

(शिवेश नामदेव)

सिवनी (साई)। मुगल शासक शेरशाह सूरी के जमाने में बनाई गई देश की सबसे लंबी और व्यस्ततम सड़क पर से अब भी संकट के बादल छट नहीं पाए हैं। इस मार्ग में दिसंबर 2008 की 18 तारीख को एक षणयंत्र के ताना बाना का आगाज किया गया था। इस दिन तत्कालीन जिला कलेक्टर पिरकीपण्डला नरहरि द्वारा एक अजीबोगरीब आदेश जारी कर इस सड़क के निर्माण में अनेक अवरोध खड़े कर दिए थे।
ज्ञातव्य है कि जून 2009 के उपरांत भगवान शिव की सिवनी नगरी में हर किसी की जुबान पर बस एक ही बात है, कि फोरलेन को सिवनी से छिंदवाडा ले जाने के षणयंत्र का ताना बाना बुना जा रहा है। आखिर क्या विवाद है फोरलेन का कि सारा का सारा जिला इससे व्यथित है। बार बार बंद का आव्हान किया जाता रहा फिर यह प्रयास भी सामाप्त हो गया।
इस मार्ग का निर्माण मुगल शासक शेरशाह सूरी के शासनकाल में व्यापार एवं आवागमन के उद्देश्य से जिस सडक का निर्माण किया गया था, कालांतर में वह सडक देश का सबसे व्यस्ततम राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक सात में तब्दील हो गया। इस मार्ग पर यातायात का दवाब सर्वाधिक महसूस किया जाता रहा है। इस सड़क के जर्जर होने से अब आधे से ज्यादा यातायात का दबाव सिवनी से छिंदवाड़ा होकर नागपुर के मार्ग पर बढ गया है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजयेयी के शासनकाल में दो परियोजनाओं का खाका प्रमुख तौर पर तैयार किया गया था। इसमें नदी जोडने और देश के चारों महानगरों को सडक मार्ग से जोडने की कार्ययोजना पर काम आरंभ हुआ था। नदी जोडना तो संभव नहीं हो पाया किन्तु दिल्ली, कोलकता, चेन्नई और मुंबई को आपस में जोडने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज मार्ग की कल्पना को साकार करना आरंभ कर दिया गया था।
समय गुजरने के साथ ही दिल्ली से चेन्नई और मुंबई सेे कोलकता जाने वाले लोगों को लंबे चक्कर से बचाने की बात भी सरकार के ध्यान में लाई गई, जिसके परिणाम स्वरूप उत्तर दक्षिण और पूर्व पश्चिम गलियारे की कल्पना हुई जिसे मूर्त रूप देना आरंभ किया गया। जैसे ही उत्तर दक्षिण गलियारे के मानचित्र पर मध्य प्रदेश उभरा वैसे ही मध्य प्रदेश के अनेक क्षत्रप इस दिशा में प्रयासरत हो गए कि यह गलियारा उनके कार्य क्षेत्र से होकर गुजरे। चूंकि मामला राष्ट्रीय स्तर पर था और इसमें मध्य प्रदेश के क्षत्रपांे की मंशा भी स्पष्ट होती जा रही थी, अतः देश के बाकी क्षत्रपों ने इस उत्तर दक्षिण गलियारे के एलाईनमंेट से छेडछाड करने का पुरजोर विरोध किया। यही कारण था कि मध्य प्रदेश के स्वयंभू क्षत्रपों की मंशा के बावजूद यह सिवनी जिले से होकर गुजरना प्रस्तावित किया गया।
केंद्र में डॉ.मनमोहन सिंह जब दूसरी मर्तबा प्रधानमंत्री बने तब भूतल परिवहन मंत्रालय की महती जवाबदारी सिवनी के पडोसी जिले छिंदवाडा के सांसद कमल नाथ को सौंपी गई। राज्य सभा में कमल नाथ ने अपनी मंशा स्पष्ट कर दी कि वे चाहते थे कि यह गलियारा उनके संसदीय क्षेत्र छिंदवाडा से होकर जाए, किन्तु जब उन्हें बताया गया कि नरसिंहपुर से बरास्ता ंिछंदवाडा, नागपुर चूंकि नेशनल हाईवे नहीं है, अतः इसे छिंदवाडा से होकर गुजारा नहीं जा सकता है, तब वे शांत हो गए।
इसी बीच मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार ने चंद सडकों को राज्य के मार्ग के स्थान पर नेशनल हाईवे में तब्दील करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा। इन प्रस्तावों में नरसिंहपुर से छिंदवाडा होकर नागपुर मार्ग भी शामिल किया गया था। बताते हैं कि इस मार्ग पर वैसे तो इतना यातायात नहीं है कि इस मार्ग का उन्नयन कर इसे नेशनल हाईवे बनाया जाए, किन्तु किसी ‘‘खास रणनीति या जुगलबंदी‘‘ के तहत इसे प्रस्ताव में शामिल करवा दिया गया।
संयोग से यह नेशनल हाईवे भी फोरलेन में बनना प्रस्तावित किया गया। चूंकि उत्तर दक्षिण गलियारे को फोरलेन की संज्ञा दी जा चुकी थी अतः लोगों के मानस पटल पर यह बात घर कर गई कि यही गलियारा अब नेशनल हाईवे जो नरसिंहपुर से नागपुर प्रस्तावित है, में तब्दील हो जाएगा। यही कारण है कि सिवनी वासियों ने भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ को पानी पी पी कर कोसना आरंभ कर दिया। विडम्बना तो यह थी कि कमल नाथ के नाम पर देश प्रदेश में राजनीति करने वाले और उनका झंडा उठाकर ‘‘जय जय कमल नाथ‘‘ के नारे बुलंद करने वालों ने भी कमल नाथ की खाल बचाने की जहमत नहीं उठाई, और न ही वास्तविकता ही सामने लाने का प्रयास किया गया कि आखिर फोरलेन विवाद है क्या? और किसके कहने या रोकने अथवा अनुमति न देने के कारण इस गलियारे का काम रूका हुआ है।

गुजरात में आज होंगे प्रथम चरण के ढोल मंजीरे शांत


गुजरात में आज होंगे प्रथम चरण के ढोल मंजीरे शांत

(जलपन पटेल)

अहमदाबाद (साई)। गुजरात विधानसभा चुनाव में पहले चरण के लिए प्रचार अपने चरम पर है। प्रचार-कार्य आज शाम समाप्त हो जाएगा। सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात तथा अहमदाबाद जिले के कुछ हिस्सों में  ८७ निर्वाचन क्षेत्रों में १३ दिसम्बर को वोट डाले जाएंगे। हमारे संवाददाता ने खबर दी है कि सभी राजनीतिक दलों के नेता जोरशोर से प्रचार में जुटे हैं।
गौरतलब है कि कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने संभाली जबकि पार्टी के युवा नेता राहुल गांधी आज राज्य में तीन जनसभाएं कर रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा की तरफ से पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ अनेक राष्ट्रीय और प्रदेश नेता चुनाव प्रचार में उतरे, लेकिन जनसभाओं में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी छाए रहे।
भाजपा ने राज्य में विकास और केंद्र की तरफ से राज्य के अन्याय को मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया। जबकि कांग्रेस ने भाजपा के विकास के दावे को भ्रामक बताकर राज्य में विकास के फल, गांव और समाज के सभी वर्गों तक नहीं पंहुचाने का आरोप लगाया। राज्य में दूसरे चरण में ९५ निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान १७ दिसम्बर को होगा। वोटों की गिनती बीस दिसम्बर को की जायेगी।
गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए प्रचार आज शाम समाप्त हो जाएगा। गुजरात के सौराष्ट्र और दक्षिणी क्षेत्र के १५ जिलों की ८७ सीटों पर १३ दिसम्बर को मतदान होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसर इन सभी विधानसभा क्षेत्रों में मतदानकर्मी आज से फोटो मतदाता पर्चियां बांटना शुरू कर देंगे।
राज्य के विभिन्न अंचलों से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से मिली जानकारी के अनुसार प्रथम चरण के चुनाव वाले क्षेत्रों में फोटोयुक्त मतदान पहचान पर्ची का वितरण आज से शुरू हो रहा है। संबंधित मतदान केन्द्र के बूथ लेवल अधिकारी इस हेतु लगाए हैं जो मतदाताओं को घर-घर जाकर यह पर्ची उपलब्ध कराएंगे। राज्य में ऐसा पहली बार हो रहा है। इस पर्ची में मतदान केन्द्र का ब्यौरा भी दर्ज है। राज्य में ९९ प्रतिशत से ज्$यादा मतदाताओं को फोटोयुक्त पहचान पत्र वितरित किया जा चुका है।
इस बीच, गांधीनगर जिले में निर्वाचन अधिकारियों ने राजस्व मंत्री आनन्दीबेन पटेल को प्रचार के दौरान हुआ खर्च कम करके बताने के लिए नोटिस जारी किया। निर्वाचन अधिकारियों ने कांग्रेस उम्मीदवार रमेश दूधवाला और बहुजन समाज पार्टी के गोघा राजू को भी नोटिस जारी किया। उनसे नोटिस जारी करने के तीन दिन के भीतर खर्च पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। आणन्द जिले में निगरानी दल ने बीजेपी के नेता और पूर्व विधायक से डेढ़ लाख रूपये बरामद किये।

मनरेगा में होगा वृक्षारोपण


मनरेगा में होगा वृक्षारोपण

(एस.के.शर्मा)

भुवनेश्वर (साई)। ओड़िशा सरकार अगले वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण करेगी। इस योजना के तहत करीब ९३ हजार ५०० हैक्टेयर भूमि पर वृक्षारोपण कराने की तैयारी की जा रही है। हमारे संवाददाता ने खबर दी है कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़कों के तीन हजार किलोमीटर क्षेत्र में भी वृक्षारोपण किया जाएगा।
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि अगले साल वृक्षारोपण के तहत मुख्य रूप से काजू, आम, नीम्बू, संतरा, केले जैसे फलदार वृक्षों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके तहत ये भी निर्णय लिया गया है कि ऐसे वृक्षारोपण सिर्फ वर्षा के दिनों में ही नहीं, बल्कि सालभर किया जाएगा। इसके साथ ग्राम पंचायत वन संरक्षण समिति जैसे जन भागीदारी में होने वाला यह वृक्षारोपण की योजना अगर सही तरह से लागू किया गया तो आने वाले दिनों में ओडिशा का भविष्य और भी ज्यादा हरा नजर आएगा।

2010 में थे 1706 बाघ


2010 में थे 1706 बाघ

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। देश में बाघों की संख्या 2010 में 1706 आंकी गयी। पर्यावरण एवं वन मंत्री जयंती नटराजन ने आज लोकसभा को बताया कि बाघों की अनुमानित संख्या 2006 में 1411 थी जो 2010 में बढकर 1706 हो गयी है।
उन्होंने जफर अली नकवी के सवालों के लिखित जवाब में बताया कि देश में इस समय 102 राष्ट्रीय पार्क और पक्षी अभयारण्यों सहित 516 वन्यजीव अभयारण्य हैं।
मंत्री ने बताया कि बाघ परियोजना की चालू केंद्र प्रायोजित स्कीम के तहत बाघ संरक्षण में तेजी लाने के लिए दुधवा बाघ रिजर्व सहित देश के विभिन्न बाघ रिजवोको वित्तीय सहायता प्रदान की गयी है।

एनआरएचएम ममाले में पूछताछ जारी


एनआरएचएम ममाले में पूछताछ जारी

(दीपांकर श्रीवास्तव)

लखनऊ (साई)। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो-सीबीआई ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन - एनआरएचएम के तहत उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने के लिए मोबाइल चिकित्सा इकाइयों की आपूर्ति में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में एक निजी कंपनी के अधिकारियों से पूछताछ की है।
सीबीआई के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि लगभग चालीस करोड़ रुपये का ठेका हासिल करने में कथित भूमिका के लिए दो प्राइवेट कंपनियों और उत्तर प्रदेश के एक गैर-सरकारी संगठन की जांच की जा रही है। इस मामले में राजकोष को बीस करोड़ से ज्यादा का नुकसान होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
उधर, स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑॅफ इंडिया को बताया कि सरकारी निजी भागीदारी के तहत यह योजना पिछले वर्ष उन १५ जिलों के १३३ ब्लॉकों में ग्रामीण लोगों को चिकित्सा सहायता मुहैया कराने के लिए शुरू की गई थी, जहां पहुंचना या तो मुश्किल है या फिर जो इलाके माओवाद से प्रभावित हैं। केन्द्र द्वारा ४२ करोड़ ६८ लाख रुपये का बजट मंजूर किया गया था।

शहडोल में धरे गए बाघ के शिकारी


शहडोल में धरे गए बाघ के शिकारी

(सोनल सूर्यवंशी)

भोपाल (साई)। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के मझगवां गांव में बाघ के शिकार के आरोप में पिछले दिनों तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्य वन संरक्षक कार्यालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस मामले में बाघ के पंजे लेकर फरार होने वाले दो आरोपियों की तलाश की जा रही है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार वन विभाग के दल ने आरोपियों के पास से बाघ की खाल और नाखून बरामद किया है। यह बाघ १३ वर्ष की आयु का था जो उमरिया जिले में स्थित बाधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से भटककर घुनघुटी वन परिक्षेत्र में आ गया था। इसके बाद हाईटेंशन बिजली के करेंट से इसका शिकार कर लिया गया। मुख्य वन संरक्षक के अनुसार शिकारियों का एक गिरोह इस क्षेत्र में सक्रिय है जिसकी सूचना पुलिस को दे दी गई है।

वैष्णो देवी के रास्ते में लगी आग


वैष्णो देवी के रास्ते में लगी आग

(विनोद नेगी)

जम्मू (साई)।  रविवार की रात वैष्णो देवी के रास्ते में आग लगने से अचानक अफरातफरी मच गई। इस आग में किसी श्रद्धालु के घायल होने की खबर नहीं है। आग कटरा से तीन किलोमीटर दूर चरण पादुका में लगी। आग ने देखते ही देखते करीब 20 दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया। भीषण आग के चलते स्थानीय प्रशासन को कुछ देर के लिए यात्रा रोकनी पड़ी। लेकिन कुछ देर पहले यात्रा फिर से बहाल कर दी गई।
पुलिस के मुताबिक ये आग रात करीब 9 बजे लगी। आग ने इस कदर विकराल रूप धारण किया था कि उस पर काबू पाने में करीब 8 घंटे लग गए। पुलिस की माने तो आग शॉट सर्किट से लगी थी। आग बुझाने में स्थानीय लोगों ने प्रशासन की खूब मदद की।

आधा घंटे पहले खुलेंगे कार्यालय और आधा घंटे पहले होंगे बंद


आधा घंटे पहले खुलेंगे कार्यालय और आधा घंटे पहले होंगे बंद

(राजीव सक्सेना)

ग्वालियर (साई)। शीत ऋतु को ध्यान में रखकर कलेक्टर पी नरहरि ने शासकीय कार्यालयों के समय में आंशिक बदलाव करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने शासकीय कार्यालय प्रातः 10 बजे खोलने और सायंकाल 5 बजे बंद करने को कहा है। विदित हो सामान्य दिवसों में कार्यालयों का समय प्रातः 1030 बजे से अपरान्ह 530 बजे तक निर्धारित है। 

पुर्नवास एवं अन्य समस्याओं के निराकरण हेतु बैठक 13 को आहूत


पुर्नवास एवं अन्य समस्याओं के निराकरण हेतु बैठक 13 को आहूत

(जया श्रीवास्तव)

विदिशा (साई)। संजय सागर, सगड़ मध्यम सिंचाई परियोजना, बाह्य नदी संभाग बासौदा के लिए भू-अर्जन में विस्थापित लोगों के पुर्नवास तथा इससे संबंधित अन्य समस्याओं के निराकरण के उद्धेश्य से 13 दिसम्बर को एक बैठक आहूत की गई है यह बैठक कलेक्टेªट सभाकक्ष में प्रातः 11 बजे से प्रारंभ होगी। अपर कलेक्टर नरेन्द्र कुमार त्रिवेदी ने संबंधितों को आवश्यक जानकारी के साथ बैठक में उपस्थित होने के निर्देश प्रसारित किए है।

तिरंगे के अपमान का मामला गर्माया


तिरंगे के अपमान का मामला गर्माया

(मनोज मर्दन त्रिवेदी)

सिवनी (साई)। सिवनी, पिछले दिनो छपारा मे आयोजित भारत निर्माण जनसूचना अभियान के दौरान मध्यप्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंश सिंह बतौर मुख्य अतिथि कार्यक्रम मे पहुंचे थे परंतु वे जिस वाहन से पहुंचे उस वाहन मे लगा हुआ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा उलटा लगा होने से वहां उपस्थित मीडिया कर्मी और प्रशासनिक तंत्र मे हलचल मच गई। ठाकुर हरवंश सिंह ने तिरंगा उलटा लगा होने को मानवीय भूल के रूप मे स्वीकार किया और उन्होने तत्काल ही इस बात के लिये खेद प्रकट किया तथा तिरंगे को तत्काल सीधा किया गया।
मिली जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष ठाकुर हरवंशङ्क्षसह को यह वाहन जिला प्रशासन ने उपलब्ध कराया था जिसमे वे सासंद बसौरी सिंह मसराम के साथ छपारा मे भारत निर्माण जनसूचना अभियान द्वारा आयोजित कार्यक्रम मे शामिल होने पहुंचे थे। जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराये वाहन के संबंध मे सत्कार अधिकारी सी.एस. शुक्ला ने एक अखबार को दिये बयान मे यह स्वीकार किया है कि वे केवल फॉलो उपलब्ध कराते हैं तो वहीं दूसरी ओर ठाकुर हरवंश ङ्क्षसह द्वारा यह कहा गया कि वाहन चालक ने गलती से तिरंगा झंडा उलटा लगा दिया जबकि वाहन चालक का कहना है कि एसडीएम कार्यालय से वाहन मे झंडा लगा मिला था।
राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान का ध्यान रखना जिस संवैधानिक व्यक्ति को सम्मान स्वरूप इसके उपयोग करने का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है उसकी स्वयं की होती है इसके साथ ही संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज को सुबह एवं शाम को सलामी देते हैं सत्कार अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराये गये वाहन मे तिरंगा लगाते समय इस बात का ध्यान न दिया जाना भी राष्ट्रीय अपमान की श्रेणी मे आता है तिरंगा वाहन मे लगाने की जिम्मेदारी यदि वाहनचालक को ही होती तो सत्कार अधिकारी के रूप मे एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी को जिम्मेदारी देने की कोई आवश्यकता ही नही है। परंतु इस पूरेप्रकरण मे जो राष्ट्रीय स्वाभिमान से जुड़ा हुआ है विपक्षी दलो की रहस्यमयी चुप्पी का कारण व्यापक चर्चा का विषय बना हुआ है।
जहां छोटे-छोटे हास्य परिहास की बातो को ओछी बयानबाजी कर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित कर दिया जाता है। उसी जिले मे मध्यप्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष के वाहन मे राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक तिरंगे झंडे का उलटा लगे होने पर विरोधी दलों की चुप्पी समझ से परे है। देश के किसी कोने मे इस प्रकार की घटना घटित होती है तो राजनैतिक दलों के प्रवक्ताओं द्वारा राष्ट्र के सम्मान और अपमान से इसी बात को जोड़कर तीखी विज्ञप्तियां जारी कर अपनी-अपनी कलम का जौहर दिखाया जाता है परंतु जिले मे ही इस प्रकार की घटना पर इनकी कलम बोथली दिखाई देना दाल मे कुछ काला होने की और राजनैतिक ईमानदारी को शंकित करता है तथा राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रति भी चुप्पी साध लेना अच्छी मानसिकता का प्रमाण नही कहा जा सकता।
राष्ट्रीय ध्वज उलटे लगे होने का यह दुर्भाग्य पूर्ण घटना क्रम किसी सरपंच या किसी मास्टर द्वारा किया जाता तो उसे थाने मे बुलाकर उसे राष्ट्रीय अपमान का दोषी बना दिया जाता है, परंतु यही कृत्य उच्च पदो पर बैठे हुये व्यक्तियों द्वारा किया गया तो राजनैतिक, सामाजिक और समाज के ठेकेदारों की चुप्पी दर्शाती है कि नियम कानून केवल असमर्थ व्यक्तियों के लिये ही होते हैं और कहा भी गया है कि समरथ को नही दोष गोसांई।

जिला स्तरीय वृहत कॅरियर अवसर मेला का आयोजन


जिला स्तरीय वृहत कॅरियर अवसर मेला का आयोजन

(एम.देशमुख)

बालाघाट (साई)। मध्यप्रदेश शासन की स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना के अंतर्गत कलेक्टर विवेक कुमार पोरवाल के मार्गदर्शन में शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी स्नातकोŸाार महाविद्यालय बालाघाट के प्रांगण में आगामी 23 एवं 24 दिसम्बर 2012 को प्रातः 11 से शाम 6 बजे तक विशाल जिला स्तरीय कॅरियर अवसर मेले का आयोजन किया जा रहा है। इसमें जिले के सभी महाविद्यालयों के छात्र-छात्राओं से उपस्थित होने की अपील की गई है।
महाविद्यालय के प्राचार्य स्वर्णकार ने बताया कि इस मेले में कृषि, उद्योग, वानिकी, उद्यानिकी, मत्स्य, सुरक्षा एवं पुलिस बल व स्थानीय उद्योगपतियों द्वारा चलाए जा रहे उद्योग जैसे: कवेलू, पोहा, चांवल, बांस, कोसा, डिटर्जेन्ट, बैंक एवं बीमा कंपनी, प्लास्टिक एवं सीमेंट के स्टाल रहेगें। इन सबके द्वारा जिले के शिक्षित बेरोजगारों को सीधे रोजगार संबंधी सूचना एवं जानकारी संबंधित निकायो के प्रतिनिधि उपलब्ध कराई जायेगी।
इस शिविर में जिले के समस्त शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों के छात्र/छात्राओं से भी पंहुचने की अपील की गई है। जिससे वे रोजगारों के विभिन्न एवं नवीनतम अवसरों की जानकारी से लाभान्वित हो सकें। साथ ही वर्तमान सेमेस्टर प्रणाली के अन्तर्गत इंटर्नशिप के लिए विभिन्न संस्थानो से सीधे परिचय कर सकें।
समस्त शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को भी छात्र/छात्राओं के साथ अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने की अपील की गर्द है। जिले में स्थानीय स्तर पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के रोजगारों की सीधी जानकारी बेरोजगार युवाओं को प्रदान करने की दृष्टि से आयोजित इस शिविर में अधिकाधिक तादात में पंहुचकर युवा वर्ग इसका लाभ उठाएं इस मंशा के तहत् उच्च शिक्षा, स्कूल शिक्षा, तकनिकी शिक्षा विभिन्न सरकारी, गैर सरकारी संस्थानों का यह संयुक्त प्रयास युवाओं को एक नई दिशा देने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।

कुम्हारी में दिया गया शुतुरमुर्ग पालन का प्रशिक्षण


कुम्हारी में दिया गया शुतुरमुर्ग पालन का प्रशिक्षण

(एम.गुप्ता)

बालाघाट (साई)। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में आने वाले विदेशी पर्यटकों द्वारा शुतुरमुर्ग के अंडों की मांग की जाती है। शुतुरमुर्ग के अंडे एवं मांस की भारी मांग को देखते हुए इसके पालन में अच्छी खासी आय की संभावना को दृष्टिगत रखते हुए उघमिता विकास केन्द्र बालाघाट एवं जन अभियान परिषद बालाघाट के तत्वाधान में सतपुड़ाचंल कृषक विकास सोसायटी बालाघाट के सहयोग से शुतुरमुर्ग पालन पर कुम्हारी बालाघाट में प्रषिक्षण का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हेमन्त खरे मुख्य प्रशिक्षक शुतूरमुर्ग (इमू )छतरपुर ने इमू पालन के बारे में किसानों को बताया की कृषि के साथ इमू पालन कर किसान भाई अपने आय में बढोŸारी कर सकते है। उन्होने इमू पालन में आने वाली कठिनाई, बैंक ऋण, रखरखाव एवं इमू पालन से होने वाले लाभ एवं देष मे पाये जाने वाले इमू की प्रजातियों के बारे मे बताया।
इस प्रशिक्षण में आइएलएण्ड़एफएस से विमलेश दुबे यूनिट मैनेजर ने बेरोजगार यूवको के लिये चल रहे प्रशिक्षण के बारे मे जानकारी दी एवं रोजगार प्राप्त करने हेतू उघमिता विकास केन्द्र में सम्पर्क करने को कहा। इस अवसर पर अमित बहेकार कार्यक्रम सहायक उघमिता विकास केन्द्र में चल रही गतिविधि एवं प्रषिक्षण के संबंध में जानकारी दी और कहां कि इमू पालन एक अच्छा व्यवसाय है। इस व्यवसाय से जुड़कर किसान बेरोजगार युवक जुड़ सकते है। पूर्व में खरगोश पालन मे प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी प्रशिक्षणार्थी एवं समूहो को खरगोश पालन केन्द्र शुरू करने हेतू उघमिता विकास केन्द्र बालाघाट में सम्पर्क साधने को कहा गया।
इस प्रशिक्षण में प्रशिक्षक नगपूरे ने इमू प्रशिक्षण के बारे मे जानकारी दी एवं पशु पालन के तरीक बताये। कार्यक्रम का संचालन अजय ठाकुर एवं आभार प्रदर्शन धर्मपाल नगपूरे सतपुड़ांचल कृषक विकास सोसायटी जन अभियान परिषद ने किया। इस प्रषिक्षण में सतपुड़ांचल कृषक विकास सोसायटी प्रयास युवा मंडल, प्रस्फुटन समिति भटेरा के सदस्य ग्रामीण जन उपस्थित थे। 

शिक्षा ऋण शिविर 27 को दमोह में


शिक्षा ऋण शिविर 27 को दमोह में

(वैभव खरे)

दमोह (साई)। जिले में विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु ऋण देने के मद्देनजर दमोह जिला मुख्यालय पर 27 दिसम्बर 2012 को शिक्षा ऋण शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इस संबंध में कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक पी।डी। श्रीवास्तव और जिला शिक्षा अधिकारी एसकेनेमा को निर्देश दिये है कि शिविर आयोजन के लिए समुचित प्रचार-प्रसार कराये ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी शिविर में उपस्थित होकर ऋण आवेदन प्रस्तुत कर सके। बैंको में लंबित प्रकरणों की स्वीकृति और वितरण की भी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार शिक्षा ऋण प्रकरणों में बैंक शाखा हेतु निर्धारित सर्विस एरिया एप्रोच के प्रावधान लागू नहीं है। अतः किसी भी विद्यार्थी का प्रकरण इस आधार पर अमान्य नहीं किया जाना चाहिए। शिविर में सभी बैंको के प्रतिनिधियों की अनिवार्य रूप से उपस्थिति सुनिश्चित कराये।
उन्होंने निर्देश दिये कि जिला अग्रणी बैंक प्रबंधक का दायित्व होगा कि शिविर सम्पन्न होने के पश्चात विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत आवेदनों की स्वीकृति एवं वितरण की साप्ताहिक समीक्षा की जाए तथा प्रगति से कलेक्टर को भी अवगत कराये।

उद्यानिकी विभाग के निरीक्षक का कारनामा


उद्यानिकी विभाग के निरीक्षक का कारनामा

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। सिवनी जिले के किसानों, मजदूरों और आम आदमी के लिए चालू की गई लाभकारी और अनुदान की योजनाएं अफसरानों या उनके परिचितों की जागीर बन गई है। यहां तक कि कुछ राजनेताओं ने तो ऐसे दलालों को अपना प्रतिनिधि बनाकर भ्रष्टाचार करने के लिए खुला छोड़ दिया है।
बात की जा रही बागवानी योजना की, जिसमें गरीब और मध्यम वर्गीय किसानों के अनुदान के नाम से हो रही बंदरबांट की ओर जिला प्रशासन एवं जिला पंचायत की नजरें नहीं जा रही हैं। कृषि प्रधान योजनाएं विभाग के अफसरानों के लाडलों या मोटे कमीशन देने वाले ठेकेदारों की कारगुजारियो के कारण चौपट हो गई हैं।
कलेक्टर दरबार के सामने स्थित कंपनी गार्ड को अपनी जागीर समझने वाला उद्यानिकी विभाग अब अफसरानों के लिए चारागाह बन गया है। सरकार द्वारा भोपाल से आने वाली बड़े लाभ की योजनाएं तो इसके विभाग प्रमुख और उनके पुत्र ने लाभ की खेती बना रखा है। बेटा बिल पेश करता है और बाप उसमें स्वीकृति की सील ठप्पा लगाकर जमकर लूट मचा रेह हैं। किसानों और समाज के अन्य लोगों पर रौब जमाने के लिए एक सांसद ने तो ऐसे कारनामों को अंजाम देने वाले अफसरान के बेटे को बकायदा अपना जनप्रतिनिधि भी बना दिया है।
पानी की कमजोर व्यवस्था के लिए बागवानी में ज्यादा लाभ के लिए क्रियान्वित ड्रिप परियोजना से कमजोर और गरीब किसानों का भाग्योदय संभव है। नौकरशाहों की कारगुजारी के कारण यह योजना पूरी तरह चौपट होती नजर आ रही है। अंधा बांटे रेबड़ी चीन्ह- चीन्ह को देय की कहावत को चरितार्थ कर रही यह योजना आज तक कोई कीर्तिमान नहीं रचा पाई है। शायद यही कारण है कि यह योजना कागजी साबित हो चली है। किसानों से ज्यादा योजना का लाभ इसे लागू करने वाले अफसरान ही ले रहे हैं।
अजूड और आकाश कंपनी के एजेंट रक्षा कृषि केंद्र और कासता के अधिकृत विक्रेता संाई ड्रिप के संचालकों ने उद्यानिकी अधिकारियों पर किरण एग्रो सेल्स और एमपी एग्रो प्रीमियर के संचालकों से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए सरकार की लाभप्रद योजनाओं पर पलीता लगा दिया है। पूर्व सहायक संचालक केसी मेश्राम के निधन के बाद से ही यहां किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। मंडला के जीपी परते सिवनी के अतिरिक्त प्रभार पर है। वहीं इस इस संबंध में उद्यानिकी सिवनी के निरीक्षक ज्ञानेंद्र सिंह ने अपनी सफाई पेश करते हुए कहा कि 60 एकड़ क्षेत्र में 1142 लाख की ड्रिप एरीगेशन योजना शासन से स्वीकृत है और मेरे पुत्र की किरण एग्रो सेल्स के साथ ही अन्य कंपनी द्वारा किसानों को राहत दी जा रही है। उन पर किसी कंपनी विशेष के लिए कोई दबाव नहीं डाला जाता है और किसान पूरी तरह अपनी पसंद की ड्रिप लगाने स्वतंत्र है। बहरहाल जो भी हो सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के सेवा नियमों में अपने परिजनों को लाभ पहुंचाने की मनाही के साथ कड़े दंड का प्रावधान है। किरण एग्रो सेल्स के नाम टेक्मो और होलमार्क की एजेंसी लेकर बाप की जागीर में बेटे की लूटपाट से आम किसान और जिले की उद्यानिकी योजनाएं पूरी तरह चौपट हो गई है।

भाजपा आलाकमान फिर ब्लेकमेल होगा उत्तराखण्ड में


भाजपा आलाकमान फिर ब्लेकमेल होगा उत्तराखण्ड में

(सी.एस.जोशी)

देहरादून (साई)। उत्तराखण्ड में आम जन चर्चा है कि भाजपा पार्टी संगठन के हित में य्ाही उचित होगा कि पदेश की विषम राजनीतिक परिस्थितिय्ाों को देखते हुए ऐसे व्य्ाक्ति को चुना जाए जिसकी पार्टी के पति निष्ठा, समर्पण और य्ाोगदान को लेकर कोई शंका न हो। और वह पार्टी के स्थापना काल से ही पार्टी में रहा हो, तो इसमें निसंदेह मोहन सिंह रावत गांववासी य्ाोग्य्ा है। उत्तराखण्ड भाजपा अध्य्ाक्ष पद अगर मोहन सिंह रावत को सौपा गय्ाा तो भाजपा उत्तराखंड में जहां एक ओर बेहद मजबूत होगी, वहीं कुमाय्ाूं, गढवाल, मैदानी वर्ग का भारी जनसमर्थन पार्टी को पाप्त होगा, क्य्ाोंकि मोहन सिंह रावत की छवि कभी भी सत्तालोलुप की नहीं रही, इसका व्य्ाापक पभाव आम जन पर पडेगा,ज्ञात हो कि उत्तराखण्ड में कांग्रेस सरकार लालबत्ती बांटने जा रही है, इससे व्य्ााप्त असंतोष को भाजपा के पक्ष में मोडने में मोहन सिंह रावत गांववासी मजबूत व सक्षम नेता साबित होगें, क्य्ाोंकि उन्होंने स्वय्ां भाजपा राज में लालबत्ती स्वीकार नहीं की थी, जिसका जनता पर असर है,
वहीं दूसरी ओर उत्तराखण्ड में भाजपा के हर छोटे से बडे नेता भी मान रहे हैं कि भाजपा में पद य्ाा तो लांबिग से य्ाा जुगाड से मिलता है, शाय्ाद तभी उत्तराखण्ड भाजपा अध्य्ाक्ष का पद हथिय्ााने के लिए कोई बीसी खण्डूडी की लाबी में स्वय्ां को दिखा रहा है तो कोई भगत सिंह कोश्य्ाारी की लॉबी में, तो कोई कह रहा है कि मैं पूर्व मंत्र्ाी रहा हूं, इस तरह अलग अलग रॉप अलाप भाजपा के नेतागण निकाल रहे हैं, जबकि भाजपा का अध्य्ाक्ष बनने के इच्छुक नेताओं ने य्ाह नहीं उचित नहीं समझ्ा रहे कि उत्तराखण्ड की सत्ता उन्होंने किस कारण गंवाय्ाी, राज्य्ा में महंगाई पर रोक लगवाने के लिए वह जनता के साथ कितनी बार संघर्ष में उतरे, नैशनल मुददो पर उन्होंने जनता को कितनी बार लामबंद किय्ाा, राज्य्ा में आपदा राहत पर उनका क्य्ाा य्ाोगदान रहा, इन सबसे दूर भाजपा के नेता य्ाह गिना रहे हैं कि वह पार्टी के कारण इन पदो पर माल काटते रहे, परन्तु पार्टी के लिए उनका क्य्ाा य्ाोगदान रहा, य्ाह बताने की सामथर््य्ा शाय्ाद किसी में नहीं रही, परन्तु इन सबसे अलग हटकर उत्तराखण्ड भाजपा में एक ऐसा भी ग्रामवासी रहा, जिसके बारे में पढ कर आप स्वय्ां अंदाजा लगा लेगें कि जनसेवा की मिसाल काय्ाम की, परन्तु कभी पार्टी से नाराजगी व पार्टी को कभी अपमानित करने का पय्ाास नहीं किय्ाा, जबकि उत्तराखण्ड में भाजपा के नेताओ ने कई बार पार्टी के सामने बडी दुविधा पूर्ण स्थिति भी खडी की, भाजपा हाईकमान के आदेश को सीधे सीधे चुनौती दे डाली, 2007 से 2012 तक उत्तराखण्ड में सत्ता में रही भाजपा सरकार को अनेक बार अपने नेताओं के कारण विषम परिस्थितिय्ाों से गुजरना पडा, भाजपा के कुछ नेता ताल ठोककर खुलकर भाजपा हाईकमान के आदेश को चुनौती दे रहे थे, क्य्ाा भाजपा आलाकमान फिर ब्लेकमेल होगा उत्तराखण्ड में, ऐसी जनचर्चा उत्तराखण्ड में है, क्य्ाोंकि उत्तराखण्ड में भाजपा जब सत्ता में थी, कभी खण्डूडी गुट के सामने तो कभी बीसी कोश्य्ाारी गुट के सामने भाजपा आलाकमान नतमस्तक होता रहा, क्य्ाा फिर वहीं इतिहास दोहराय्ोगा भाजपा आलाकमान,
वहीं आप स्वय्ां पढिय्ो, उत्तराखण्ड भाजपा के एक महान जनसेवक की जनसेवा का सफर, नाम है इनका मोहन सिंह रावत गांववासी, इनके बारे में कहा जाता है कि भारतीय्ा जनता पार्टी का अनुशासित सिपाही के रूप में विख्य्ाात हैं, 1980 में जब पार्टी बनी थी तो इन्होंने पूरे उत्तराखंड में संगठन को खडा करने में य्ाोगदान दिय्ाा। 1960 से बाल स्वय्ां सेवक के रूप में राष्ट्रीय्ा स्वय्ां सेवक संघ में सक्रिय्ा हुए। तरुणावस्था में संघ के कायर््ाों में जुटे रहे और अनेक दाय्ाित्वों का निर्वहन करते हुए जनसंघ के कायर््ाों को भी देखता रहा। आपातकाल में संघ के कायर््ाों को विस्तार देने के लिए संघर्ष किय्ाा। जनसेवा का व्रत लेते हुए इन्होंने अपने को समर्पित कर दिय्ाा।
आज इनके समक्ष सोचनीय्ा पश्न य्ाह है कि पार्टी को 80 के दशक में जीवन देने वाले कायर््ाकर्ता पार्टी में सम्मान जनक हालत में है क्य्ाा? 1980 के विधानसभा चुनावों में मैंने खुद पौडी विधानसभा क्षेत्र्ा से विधाय्ाक के लिए चुनाव लडा और लगभग सभी सीटों पर पत्य्ााशी खडे किय्ो। हालांकि हम हारे लेकिन एक विचारधारा की लडाई थी। पदेश में खूब जनांदोलन किय्ो। अन्य्ा चुनाओं में नएµनए पत्य्ााशिय्ाों को खडा कर चुनाव लडाय्ाा और संगठन का विस्तार और मजबूत किय्ाा । अपनी वांछा को दूर रखा। वरना हर बार मै ही टिकट पा सकता था और चुनाव लडता रहता, लेकिन इससे संगठन का विकास न हो पाता। जब पार्टी का आधार खडा हुआ तो बैक्डुअर से पत्य्ााशी आने लगे, हमने संगठन को मजबूत करने के इरादे से उनको भी साथ दिय्ाा। अर्थपुर्ती(धनलिप्सा) के लिए लोग पार्टी में आने लगे और य्ोनµकेन पकारेण पार्टी में शामिल होकर पार्टी की विचारधारा को धूमिल करने का काम करते रहे। आज आवश्य्ाकता इसी बात की है कि भारतीय्ा जनता पार्टी का विकास विचारधारा पर आधारित पार्टी के रूप हो और सभी कायर््ाकर्ता पूरे मनोय्ाोग से तथा सेवाभाव से जनता की सेवा करें।
मोहन सिंह रावत गांववासी ने सवाल उठाय्ाा कि कब तक उत्तराखंड के लोग आपदा के शिकार होते रहेंगे?।।।।हर साल, हरµबार दुहाई दी जाती है, लेकिन फिर वही ढाकµकेµतीन पात।।।मैंने उखीमठµआपदा का जैसे ही समाचार सुना, दौड पडा उधर।।।बाबा केदार की घाटी से मेरा अथाह प्य्ाार है।। साल में कई बार धर्म, अध्य्ाात्म और पयर््ाटन के नाते जाता हूँ।।। लेकिन इस आपदा से क्षेत्र्ा के लोगों की मुश्किलें बढ गय्ाी हैं।।जनµधन की अपार हानि हुय्ाी है।।।।घरµगाँव तबाह हो गए हैं।।। आपदाµविभाग क्य्ाा कर रहा है?।। अभी तक खतरनाक हालत में रह रहे गाँव के लोगों को सचेत नहीं कर पाय्ाा है।।।सिर्फµऔरµसिर्फ मृतकों के आंकडे बटोरने का काम कर रहा है य्ो विभाग।।।।।उजडे और तबाह लोगों के दुःख में शामिल होने की जरुरत है।।आमµआदमी का हाथ पीडितों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।।।।।
मोहन सिंह रावत उत्तरकाशी के आपदा पीडित इलाकों के लगातार दौरे करते रहे तथा कांग्रेस सरकार के आपदाµतंत्र्ा की पोल खोली और बताय्ाा कि आपदा पीडितों को त्वरित लाभ देने में य्ाह तंत्र्ा विफल रहा है। अभी भी भटवाडी और गंगोत्र्ाी राजमार्ग की ओर के पीडित परिवारों के लिए समुचित उपाय्ा नहीं किय्ो गए हैं। स्वय्ांसेवी संस्थाओं की भीड बढ रही है लेकिन उनका काम भी निय्ाोजित ढंग से नहीं है। सिर्फ पचार पाने के लिए जमघट लगा देना भी ठीक नहीं है। पशासन को चाहिए कि स्वय्ांसेवी संस्थाओं का पंजीकरण कर उनको कायर््ाक्षेत्र्ा आवंटित करे। जिससे सभी जगह मदद पहुँच सके।
मोहन सिंह रावत ने पूरे राज्य्ा में संदेश दिय्ाा कि पदेश सरकार विकास कायर््ाों की अनदेखी कर रही है । बहुगुणा सरकार को विकास कायर््ाों से कोई सरोकार नहीं है। सरकार सिर्फ अपने धंधों पर ही नजर गडाए है। सुमाडी, पौडी गढवाल में एनआइटी की स्थापना के लिए सरकार आँख बंद करके बैठी है। जनता आक्रोशित
है और सडकों पर उतर गय्ाी है। संय्ाुक्त संघर्ष समिति द्वारा सुमाडी में एनआइटी का निर्माण के लिए श्रीनगर गढवाल में चलाय्ो जा रहे आन्दोलन का मैं पुरजोर समर्थन करता हूँ। एनआइटी सुमाडी में ही बनना चाहिए । पदेश शासन य्ाह बताए कि सुमाडी में एनआइटी का निर्माण कब से शुरू होगा?
वहीं दूसरी ओर भाजपा अध्य्ाक्ष पद के लिए लांबिग व गुहार लगाने का सिलसिला भी चल रहा है, एक पत्य्ााशी ने गुहार लगाय्ाी कि विधानसभा चुनाव और टिहरी लोकसभा उपचुनाव में टिकट तो नहीं दिय्ाा अब पदेश अध्य्ाक्ष पद ही दे दो। भारतीय्ा जनता पार्टी के पदेश उपाध्य्ाक्ष लाखीराम जोशी ने पदेश अध्य्ाक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय्ा अध्य्ाक्ष नितिन गडकरी को जो पत्र्ा लिखा है। भाजपा पदेश अध्य्ाक्ष के विभिन्न दावेदारों की र्चचा के बीच भाजपा के पदेश उपाध्य्ाक्ष लाखीराम जोशी ने पदेश अध्य्ाक्ष की कुर्सी पर अपना दावा ठोक दिय्ाा है। इस तरह अब भाजपा पदेश अध्य्ाक्ष का चुनाव दिलचस्प हो सकता है। भाजपा के राष्ट्रीय्ा अध्य्ाक्ष नितिन गडकरी को लिखे पत्र्ा में लाखी राम जोशी का कहना है कि 2013µ2015 के लिए उत्तराखंड में भाजपा पदेश अध्य्ाक्ष का चुनाव होना है। अध्य्ाक्ष पद के लिए कई नेता दावा कर रहे हैं। पार्टी संगठन के हित में य्ाही उचित होगा कि पदेश की विषम राजनीतिक परिस्थितिय्ाों को देखते हुए ऐसे व्य्ाक्ति को चुना जाए जिसकी पार्टी के पति निष्ठा, समर्पण और य्ाोगदान को लेकर कोई शंका न हो।