शनिवार, 29 अक्टूबर 2011
घपलों घोटालों से आहत हैं राजमाता
बजट तक शायद चलें मनमोहन . . . 12
घपलों घोटालों से आहत हैं राजमाता
भ्रष्टाचार से कांग्रेस की छवि तार तार
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की दूसरी पारी में न केवल अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह वरन् कांग्रेस की छवि तार तार हो चुकी है। कांग्रेस की हाईकमान को अब चिंता इस बात की सता रही है कि आने वाले समय में कहीं देश भर में कांग्रेस का नामलेवा ही न बचे। इससे बचने के लिए सबसे अहम बात मनमोहन सिंह से छुटकारा पाना ही है, जिसके लिए रोड़मेप तैयार किया जा रहा है कि किस तरह मनमोहन से पिंड छुड़ाया जाए।
कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि मनमोहन सिंह को बदलने से चंद दिनों में ही लोग भ्रष्टाचार घपले घोटालों को भूल जाएंगे। इसके अलावा मनमोहन को हटाने से जनता में यह संदेश भी चला जाएगा कि भ्रष्टाचार के ईमानदार संरक्षक मनमोहन सिंह को कांग्रेस ने हटा दिया है, इससे साफ है कि कांग्रेस भ्रष्टाचार की पोषक नहीं है।
कांग्रेस आलाकमान को चह चिंता खाए जा रही है कि 2जी स्पेक्ट्रम, इसरो के एस.बेण्ड, कामन वेल्थ, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त के पद पर थॉमस की नियुक्ति प्रकरण, बीस हजार करोड़ का अनाज घोटाला, पेंतीस हजार करोड़ रूपए का सरकारी बैंकों के आवास ऋण का महाघोटाला, आदर्श हाउसिंग घोटाला, हसन अली का प्रकरण, स्विस बैंक का काले धन का मामला आदि ने कांग्रेस की छवि को बुरी तरह प्रभावित किया है उससे उबरा कैसे जाए?
विपक्ष को लगे हाथ एक बेहतरीन मौका मिला है। कांग्रेस से पूरी तरह ‘सेट‘ विपक्ष ने इस मामले में अपनी धार बोथरी कर रखी है फिर भी बाबा रामदेव और अण्णा हजारे के कारण कांग्रेस को बुरी तरह नुकसान उठाना पड़ रहा है। इन दोनों ही के कारण विपक्ष को भी तल्ख तेवर अपनाने पड़े और भाजपा, वामदलों को मजबूरी में कांग्रेस और संप्रग सरकार को भ्रष्टचार की गंगोत्री की उपाधि भी देना पड़ा।
(क्रमशः जारी)
आखिर सन्यास की घोषणा क्यों नहीं कर रहे आड़वाणी
उत्तराधिकारी हेतु रथ यात्रा . . . 6
आखिर सन्यास की घोषणा क्यों नहीं कर रहे आड़वाणी
सरकार बनी तो पीएम नहीं तो बेटी को राजपाट सोंपने की तैयारी में आड़वाणी
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और लौह पुरूष का अघोषित खिताब पाने वाले लाल कृष्ण आड़वाणी के मन में प्रधानमंत्री बनने की तमन्ना अभी भी कुलाचें मार रही हैं। रथ यात्रा के बहाने समूचे देश की नब्ज टटोलने निकले आड़वाणी एक तीर से कई निशाने साध रहे हैं। अगर सरकार बनी तो वजीरे आजम का पद हथिया लेंगे और अगर औंधे मुंह गिरी भाजपा तब भी आड़वाणी के हाथों में लड्डू ही होगा। वे रथ यात्रा के बहाने अपनी पुत्री को राजनैतिक तौर पर स्थापित कर चुकेंगे।
भारतीय जनता पार्टी के अंदर ही अंदर एक बात खदबदा रही है कि आखिर उमर के इस पड़ाव में आड़वाणी सन्यास की घोषणा क्यों नहीं कर रहे हैं। भाजपा के अंदरखाते से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो आड़वाणी राजनीति के चतुर सुजान हैं और वे एक तीर से अनेक निशाने साधने में महारथ हासिल करते हैं।
आड़वाणी जुंडाली में चल रही चर्चाओं के अनुसार रथ यात्रा के उपरांत आड़वाणी इसका आंकलन करेंगे कि अगली बार भाजपा की सरकार बन पाएगी कि नहीं। अगर उन्हें यकीन हुआ कि सरकार राजग की बैसाखी पर खड़ी हो सकती है तो वे प्रधानमंत्री बनने की अपनी महात्वाकांक्षा को फिर दुहरा देंगे। यही कारण है कि आड़वाणी अपने राजनैतिक वनवास की आधिकारिक घोषणा करने से हिचक रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि अगर राजग की सरकार नहीं भी बनती है तो भी आड़वाणी अपनी पुत्री प्रतिभा को अपनी राजनैतिक विरासत सौंपकर प्रतिभा का राजतिलक कर देंगे। आड़वाणी के करीबी सूत्रों का कहना है कि आड़वाणी ने अभी यह तय नहीं किया है कि वे गुजरात के गांधी नगर की अपनी लोकसभा सीट पर 2014 में लोकसभा चुनाव खुद लड़ेंगे या फिर अपनी पुत्री को यह सीट सौंप देंगे।
(क्रमशः जारी)
कहां से दे रहा है अपने कारिंदो को आकर्षक वेतना आईडिया
एक आईडिया जो बदल दे आपकी दुनिया . . . 8
कहां से दे रहा है अपने कारिंदो को आकर्षक वेतन आईडिया
सिम का गोरखधंधा मचा है आईडिया में
(लिमटी खरे)
नई दिल्ली। निजी क्षेत्र की मोबाईल सेवा प्रदाता बिरला सेल्युलर की आईडिया कंपनी अपने मुलाजिमों को आकर्षक वेतन भत्ते, कमीशन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। महज पांच रूपए की सिम बेचकर यह कंपनी हजारों रूपए मासिक के हजारों कर्मचारी कैसे पाल रही है यह शोध का ही विषय माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि लोगों की जेब में सीधा डाका डालकर आईडिया कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को पाला जा रहा है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक आईडिया कंपनी द्वारा अपने कार्य क्षेत्र में विस्तार के लिए जिस दल का उपयोग किया जा रहा है। उस टीम के प्रबंधक याीन टीम मैनेजर को कंपनी द्वारा मोटी पगार, आकर्षक कमीशन और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। इन टीम मैनेजर्स पर महज पांच रूपए की सिम बेचने के लिए निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए कंपनी द्वारा इतना ज्यादा दबाव बनाया जाता है कि ये टीम मैनेजर्स अपने उपभोक्ताओं को मौखिक तौर पर न जाने कितने लुभावने वायदे कर देते हैं।
सेल्युलर बाजार में चल रही चर्चाओं के अनुसार पांच पांच रूपए एकत्र करने के बाद आईडिया कंपनी आखिर अपने एक टीम मैनेजर को पेंतालीस से पचास हजार रूपए का वेतन और अन्य सुविधाएं कैसे मुहाया करवाई जा रही हैं। इसका तातपर्य यह हुआ कि एक माह में एक हजार सिम बेचने पर उस टीएम का वेतन निकलेगा। समूची टीम का वेतन अगर जोड़ लिया जाए तो हर माह लगभग दस हजार सिम बेचने पर यह निकलेगा। इतनी मात्रा में सिम बेचने के बाद बिकने वाली सिम से संचित धन कंपनी के खाते में जाएगा। आईडिया की उत्तरोत्तर प्रगति लोगों के लिए शोध का विषय ही बनी हुई है।
(क्रमशः जारी)
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