शनिवार, 29 अक्टूबर 2011

आखिर सन्यास की घोषणा क्यों नहीं कर रहे आड़वाणी


उत्तराधिकारी हेतु रथ यात्रा . . . 6

आखिर सन्यास की घोषणा क्यों नहीं कर रहे आड़वाणी

सरकार बनी तो पीएम नहीं तो बेटी को राजपाट सोंपने की तैयारी में आड़वाणी

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और लौह पुरूष का अघोषित खिताब पाने वाले लाल कृष्ण आड़वाणी के मन में प्रधानमंत्री बनने की तमन्ना अभी भी कुलाचें मार रही हैं। रथ यात्रा के बहाने समूचे देश की नब्ज टटोलने निकले आड़वाणी एक तीर से कई निशाने साध रहे हैं। अगर सरकार बनी तो वजीरे आजम का पद हथिया लेंगे और अगर औंधे मुंह गिरी भाजपा तब भी आड़वाणी के हाथों में लड्डू ही होगा। वे रथ यात्रा के बहाने अपनी पुत्री को राजनैतिक तौर पर स्थापित कर चुकेंगे।

भारतीय जनता पार्टी के अंदर ही अंदर एक बात खदबदा रही है कि आखिर उमर के इस पड़ाव में आड़वाणी सन्यास की घोषणा क्यों नहीं कर रहे हैं। भाजपा के अंदरखाते से छन छन कर बाहर आ रही खबरों पर अगर यकीन किया जाए तो आड़वाणी राजनीति के चतुर सुजान हैं और वे एक तीर से अनेक निशाने साधने में महारथ हासिल करते हैं।

आड़वाणी जुंडाली में चल रही चर्चाओं के अनुसार रथ यात्रा के उपरांत आड़वाणी इसका आंकलन करेंगे कि अगली बार भाजपा की सरकार बन पाएगी कि नहीं। अगर उन्हें यकीन हुआ कि सरकार राजग की बैसाखी पर खड़ी हो सकती है तो वे प्रधानमंत्री बनने की अपनी महात्वाकांक्षा को फिर दुहरा देंगे। यही कारण है कि आड़वाणी अपने राजनैतिक वनवास की आधिकारिक घोषणा करने से हिचक रहे हैं।

वहीं दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि अगर राजग की सरकार नहीं भी बनती है तो भी आड़वाणी अपनी पुत्री प्रतिभा को अपनी राजनैतिक विरासत सौंपकर प्रतिभा का राजतिलक कर देंगे। आड़वाणी के करीबी सूत्रों का कहना है कि आड़वाणी ने अभी यह तय नहीं किया है कि वे गुजरात के गांधी नगर की अपनी लोकसभा सीट पर 2014 में लोकसभा चुनाव खुद लड़ेंगे या फिर अपनी पुत्री को यह सीट सौंप देंगे।

(क्रमशः जारी)

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