शुक्रवार, 17 मई 2013

कौन ना फिदा हो जाए शिव की इस सादगी पर


कौन ना फिदा हो जाए शिव की इस सादगी पर

(शरद खरे)

सिवनी (साई)। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वाकई एक सीधे सादे इंसान हैं। यह बात गत दिवस केवलारी विधायक हरवंश सिंह ठाकुर की अंतिम यात्रा में देखने को मिली।
एक ओर कांग्रेस के हाई प्रोफाईल नेता जहां अपने अपने समर्थकों से घिरे हरवंश सिंह ठाकुर के गृह ग्राम बर्रा में उपस्थित थे वहीं, प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान जब वाहनों की रेलमपेल और जाम में फंसे तो वे बिना किसी लाव लश्कर के पैदल ही अकेले सुरक्षा कर्मियों के साथ वहां पहुंच गए।
इसके उपरांत जब अंतिम यात्रा आगे बढ़ी तो शिवराज सिंह चौहान ने सहृदयता और सादगी का परिचय देते हुए, गर्मी की तपन में भी पुलिस के वाहन जिसमें हरवंश सिंह की अंतिम यात्रा निकाली जा रही थी, पर फर्श पर ही जा बैठे।
बाद में जब बैनगंगा के तट पर वे पंडाल में जाकर बैठे तो कबीना मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने उन्हें मशविरा दिया कि सरकारी उड़न खटोला यानी हेलीकाप्टर वहीं बुलवा लिया जाए और सूर्यास्त के पूर्व ही वे जबलपुर के लिए उड़ जाएं जहां राज्य शासन का विमान बुलवाकर वे उससे भोपाल के लिए प्रस्थान कर जाएं।
इस पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सदगी के साथ कहा कि वे तब तक वहां रूकेंगे जब तक सारी रस्में पूरी नहीं हो जाती। उसके बाद वे सिवनी में भी रात्रि विश्राम कर सकते हैं। साथ ही साथ उन्होंने यह भी कहा कि अगर जरूरी हुआ तो वे सड़क मार्ग से जबलपुर चले जाएंगे और देर होने पर रात्रि विश्राम वहां भी कर सकते हैं। शिवराज सिंह चौहान की इस सादगी की सर्वत्र चर्चा है।

दिनेश के खिलाफ समाचार छापने की जुर्रत कैसे की: झारिया


दिनेश के खिलाफ समाचार छापने की जुर्रत कैसे की: झारिया

(संजीव प्रताप सिंह)

सिवनी (साई)। ‘‘दिनेश राय मुनमुन के खिलाफ समाचार प्रकाशन करने की जुर्रत कैसे की? हम एसडीएम और तहसीलदार को घेरना चाह रहे हैं, दिनेश राय को नहीं। लखनादौन में गरीबी रेखा के नीचे के राशन कार्ड अगर नहीं बन पा रहे हैं तो इसमें दिनेश राय का क्या कसूर?‘‘ उक्ताशय की धमकी भरा फोन आज दैनिक हिन्द गजट के कार्यालय के नंबर 225225 पर अपरान्ह आया।
अपरान्ह लगभग बारह बजे से चार बजे के दर्मयान आए तीन चार फोन में फोन करने वाले ने अपना नाम लखनादौन नगर पंचायत के पार्षद प्रमोद झारिया बताया। दूरभाष के कालर आई डी पर पहला फोन नो सीएलआई अर्थात बिना नंबर का आया फिर बाद में मोबाईल नंबर 9893647367 से लगातार इस नंबर पर फोन आते रहे।
फोन करने वाले ने धमकाने वाले अंदाज में कहा कि दिनेश राय मुनमुन के खिलाफ समाचार अगर छापा तो देख लिया जाएगा। जिस तरह बाकी के पत्रकार दिनेश राय से विज्ञापन लेकर शांत रहते हैं वैसे ही तुम भी दरबारके पास आओ और विज्ञापन ले लो। (यहां पाठकों को बताना चाहेंगे कि हिन्द गजट की नीतियों के मुताबिक हिन्द गजट पेड न्यूज की पत्रकारिता पर विश्वास नहीं रखता है)
फोनकर्ता ने कहा कि 12 मई को ‘‘विकास पुरूष की छत्रछाया में राशन कार्ड को भटकते गरीब‘‘ शीर्षक से प्रकाशित समाचार का खण्डन प्रकाशित किया जाए। इस समाचार से दिनेश राय की छवि प्रभावित हो रही है। ज्ञातव्य है कि पिछले कुछ दिनों से दिनेश राय अचानक ही सक्रिय हुए हैं और उनकी फोटो मीडिया में छाई हुई हैं।
कुछ माहों से नगर पंचायत लखनादौन के अंदर की लगभग हर गतिविधि में दिनेश राय की फोटो के साथ सोशल और प्रिंट मीडिया पटा पड़ा हुआ है, जिसमें नगर पंचायत के कामों में उनकी भागीदारी होना दर्शाया जा रहा है। दिनेश राय द्वारा सिवनी विधानसभा का चुनाव तब लड़ा था जब बतौर नगर पंचायत लखनादौन के अध्यक्ष उनका कार्यकाल एक साल का बचा था। उस समय भी यह बात सामने आ रही थी कि आखिर क्या वजह थी कि दिनेश राय लखनादौन से विमुख होकर सिवनी विधानसभा से चुनावी समर में कूद गए।
अब विधानसभा की आहट के साथ ही दिनेश राय एक बार फिर सक्रिय होते दिख रहे हैं। सिवनी नगर पालिका सीमा को छोड़कर शेष सिवनी विधानसभा में उनके द्वारा गर्मी के मौसम में प्याऊ खुलवाने का काम भी किया गया है। दिनेश राय की अचानक सिवनी विधानसभा में बढ़ी सक्रियता से आभास हो रहा है मानो वे सिवनी विधानसभा से इस साल के अंत में भी किस्मत आजमा सकते हैं।
ज्ञातव्य है कि दैनिक हिन्द गजट के 13 मई के अंक में ‘‘विकासपुरूष की छत्रछाया में राशन कार्ड को भटकते गरीब‘‘ शीर्षक से यह समाचार प्रकाशित हुआ था।
सिवनी (साई)। विकास पुरूष के रूप में अपने आपको महिमा मण्डित करने वाले, नगर पंचायत लखनादौन के हर कार्यक्रम में अध्यक्ष श्रीमति सुधा राय के स्थान पर अपनी फोटो छपवाने वाले दिनेश राय उर्फ मुनमुन के राज में लखनादौन में ही नागरिक राशनकार्ड के लिए भटक रहे हैं।
तहसील लखनादौन के अंतर्गत वर्तमान समय में ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों के गरीब मजदूर व्यक्तियों के, गरीबी रेखा सूची में नाम दर्ज कर राशन कार्ड जारी किया जाना है जिस हेतु गरीब मजदूर वर्ग दर-दर भटक रहा है। उनकी शिकायत यह है कि जिन हितग्राहियों के कार्ड बने हैं वे इस योग्य हैं ही नहीं परंतु जो योग्य हैं उनके राशन कार्ड बनाने हेतु किये गये सर्वे में नाम काट दिया गया वे भी पटवारी के बिना सर्वे किये हुये।
इस संबंध में जब लोक सेवा केन्द्र से जानकारी लेने पर लोक सेवा केन्द्र प्रबंधक द्वारा लिखित पावती देकर बताया गया कि आपकी जांच कराई गई किन्तु आप गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वालों की सूची में नहीं आते। तब मजदूरों ने केन्द्र प्रबंधक से कहा कि वार्ड में किसी भी तरह का सर्वे कार्य हुआ ही नहीं। जवाब में केन्द्र प्रभारी ने संबंधित हल्का पटवारी से जानकारी प्राप्त करने की सलाह दी।
पटवारी से मिलने वार्ड क्रं.07 के पार्षद हितग्राहियों के साथ पहंुचे और उनसे इस संबंध में बात की तो उनका कहना था कि कुछ खर्चा पानी करना पड़ेगा तभी कार्ड बनेंगें। चूंकि नगर पंचायत लखनादौन के अंतर्गत दूसरे वार्डों में गरीबी रेखा के राशन कार्ड जारी किये गये हैं जबकि वास्तविक रूप से गरीब आवासहीन मजदूर व्यक्ति राशन कार्ड बनवाने के लिए महिनों से चक्कर काट रहा है जिससे उसकी मजदूरी का भी नुकसान हो रहा है यदि मजदूर काम न करे तो खुद क्या खायेगा और बच्चों को क्या खिलायेगा।
समस्त हितग्राहियों द्वारा इस संबंध में मुख्यमंत्री के नाम एक शिकायत जिला कलेक्टर के माध्यम से भेजी गई है इस संबंध में जब शिकायत लखनादौन एसडीएम को देने लोग पहुंचे तो मैडम ने दूसरे दिन आने का समय दे दिया, परंतु दूसरे दिन भी मेडम का पता नहीं रहा। यह शिकायत नामे में सारी व्यथा दर्ज है अब देखना यह है कि जिला कलेक्टर इस संबंध में लखनादौन के अधिकारियों एवं पटवारी के विरूद्ध क्या कार्यवाही करते हैं।
इस पूरे मामले से स्पष्ट हो जाता है कि लखनादौन नगर पंचायत के छपास के रोगी पूर्व अध्यक्ष दिनेश राय उर्फ मुनमुन द्वारा यहां की समस्याओं के बारे में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। रही बात असलियत की तो लखनादौन नगर पंचायत में लोग छोटी मोटी समस्याओं के लिए ही दर दर भटकने पर मजबूर हैं।
(क्रमशः जारी)

सड़कों पर लगते जाम, यात्री हलाकान!


सड़कों पर लगते जाम, यात्री हलाकान!

(लिमटी खरे)

दुर्भाग्य घोर दुर्भाग्य! सिवनी जिले की जीवन रेखा मानी जाने वाली जबलपुर नागपुर सड़क पर आए दिन जाम लगा करते हैं। जाम कोई आज कल से नहीं लग रहे हैं। जाम पिछले लगभग पांच छः सालों से अधिक लग रहे हैं, इसके पहले जाम बारिश में ही लगा करते थे। वर्तमान में जाम लगने का कारण सिर्फ और सिर्फ सांसद विधायकों की उदासीनता के चलते सड़क का हुआ बंटाधार ही प्रमुख कारण है।
देश की जीवन रेखा अगर एनएच 7 जिसका अधिकांश हिस्सा अब एनएचएआई में तब्दील हो चुका है को मान लिया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगा। इस सड़क का हिस्सा सिवनी जिले से होकर भी गुजरता है। इस सड़क को सिवनी वासी अपनी आन बान शान समझते थे, अब लोग इस सड़क के बारे में चर्चा करने में कतराने लगे हैं। इसका प्रमुख कारण इस सड़क की जर्जर हालत और इस सड़क पर लगने वाले जाम हैं।
कुछ माहों पूर्व आलम यह था कि सिवनी से नागपुर जाने वाले बरास्ता कुरई के स्थान पर छिंदवाड़ा जाना ही पसंद किया करते थे। इसका कारण मोहगांव से खवासा के 22 किलोमीटर हिस्से का मोटरेबल ना होना था। इस सड़क पर पर्यावरण विभाग का फच्चर फंसा हुआ था। इस बारे में अनेक आंदोलन हुए, सिवनी बंद का आव्हान कई मर्तबा हुआ पर सांसद विधायकों की तंद्रा नहीं टूटी। नतीजतन इस सड़क पर चलना मुहाल हो गया।
बताते हैं कि एक वरिष्ठ अधिकारी जो जबलपुर में पदस्थ हैं का घर महाराष्ट्र के नागपुर में है। वे अक्सर इस मार्ग से जबलपुर से नागपुर जाया आया करते थे। सड़क की हालत देखकर उन्हें बहुत पीड़ा हुई। चर्चा है कि एक बार सिवनी से गुजरते समय उन्होंने सिवनी के तत्कालीन जिला कलेक्टर अजीत कुमार को बुलाया और इस सड़क को दुरूस्त करवाने के कड़े निर्देश दिए। उनके तल्ख तेवरों को देखकर कुछ अफसरान इस सड़क के लिए आंदोलन करने वालों के पास तक गए, किन्तु नतीजा कुछ नहीं निकला।
अंततः भला हो उन अधिकारी महोदय का कि इस सड़क पर डामरीकरण करवा दिया गया। अब डामरीकरण हुआ अर्थात 2008 में भी डामरीकरण हो सकता था, जो नहीं करवाया गया, या होने नहीं दिया गया, या निर्माण एजेंसी ने नहीं किया और इसमें आने वाले खर्च को अपनी और कुछ अन्य लोगों की जेब का हिस्सा बना दिया।
इस सड़क पर से उत्तर और दक्षिण भारत से आने वाले वाहन गुजरते हैं। इनमें निर्धारित से अधिक क्षमता भरे हुए वाहनों की तादाद बहुत ही ज्यादा होती है। सिवनी को एक तरह से देखा जाए तो नागपुर, छिंदवाड़ा, बालाघाट दिशा से आने वाले यातायात का गेटवे माना जा सकता है। इस लिहाज से सिवनी में इस सड़क पर यातायात का दबाव बहुत ही ज्यादा होना स्वाभाविक ही है।
सिवनी जिले में खवासा में आरटीओ की जांच चौकी है। सिवनी जिला पुलिस के पास हाईवे मोबाईल है, कुरई, लखनवाड़ा थाने की चौकी गोपालगंज में, सिवनी कोतवाली पुलिस, यातायात पुलिस, बंडोल, छपारा, लखनादौन और धूमा पुलिस के पास अमला है जो इन वाहनों को चेक कर सकता है कि इनमें लोड कितना भरा है। विडम्बना ही कही जाएगी कि ये सिर्फ और सिर्फ चौथ वसूलने के काम तक अपने आपको सीमित कर रखे हुए हैं।
नागपुर रोड़ पर घंटो जाम लगना स्वाभाविक प्रकृति बनकर रह गई है। सिवनी में चिकित्सा के क्षेत्र में सुविधाएं नहीं के बराबर ही हैं। कमोबेश संभागीय मुख्यालय जबलपुर का भी यही हाल है। यही कारण है कि सिवनी के मरीज हर समय हर बीमारी के लिए नागपुर के अस्पतालो ंपर ही निर्भर हैं। इन मरीजों को सिवनी से कुरई खवासा होकर ही नागपुर जाना आना पड़ता है। पहले बदहाल सड़क में इनकी जान सांसत में होती थी और अब जाम से इनके प्राण अटके होते हैं।
सिवनी से नागपुर की ओर के सड़क के हिस्से का निर्माण करा रही सदभाव कंस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही से अब तक ना जाने कितनी जाने जा चुकी हैं। देखा जाए तो सदभाव कंपनी के मालिकान पर गैर इरादतन हत्या का मामला पेश किया जाना चाहिए। सड़क के लिए आंदोलन करने आगे आए लोगों ने भी इस दिशा में शायद सोचा नहीं।
अभी हाल ही में धूमा के पास दो वाहनों के कारण लंबे समय तक जाम लगा रहा। इसी बीच केवलारी विधायक और मध्य प्रदेश विधान सभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर का अवसान हो गया। उनकी अंतिम यात्रा में प्रदेश सरकार के अनेक मंत्री, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी आए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी वहां पहुंचे।
कांग्रेस के हाई प्रोफाईल नेता तो छिंदवाड़ा की हवाई पट्टी का उपयोग कर आए और आसानी से वापस उड़ लिए। इसी तरह प्रदेश सरकार के मंत्री भी इसी रास्ते को अपना लिए। जब बारी आई मुख्यमंत्री की तो मुख्यमंत्री ने इच्छा जतला दी कि वे अंतिम क्रिया होने तक बैनगंगा के तट पर रूकेंगे।
सीएम शिवराज सिंह चौहान की मंशा ने पुलिस और प्रशासन के हाथ पांव फुला दिए। इसका कारण यह था कि उन्हें डर था कि कहीं धूमा के आसपास फिर से जाम लग गया तो सीएम का नजला उन पर फट सकता है। धूमा और लखनादौन पुलिस की जान तब तक अटकी रही जब तक शिवराज सिंह चौहान वहां से विदा नहीं हो गए। अगर आम आदमी होता तो वह जाम में फसे, गर्मी में हलाकान हो, पानी को तरसे इस बात से किसी को कुछ लेना देना नहीं है। जिले के सांसद विधायक तो अपने दायित्वों की तरफ से मुंह मोड़कर बैठ चुके हैं, अब जिला वासियों की अपेक्षाएं यहां पदस्थ अफसरों से ही शेष बची हैं।