गुरुवार, 27 जून 2013

आईएमए क्यों नहीं कर रहा ब्लेकमेलर पत्रकारों का नाम उजागर?

आईएमए क्यों नहीं कर रहा ब्लेकमेलर पत्रकारों का नाम उजागर?

(ब्यूरो कार्यालय)

सिवनी (साई)। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी डॉ. एम.एन. त्रिवेदी और दीपक अग्रिहोत्री ने कुछ डॉक्टर के कहने पर विज्ञप्ति तो जारी कर दी, जो एक लोकल पेपर में प्रकाशित भी हुई। अब यही विज्ञप्ति उनके गले की फांस बनने लगी है, क्योंकि उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है कि कतिपय समाचार पत्र और इलेक्ट्रानिक मीडिया के लोग कुछ चिकित्सकों को ब्लेकमेल करते हुए उनके विरूद्ध समाचार प्रकाशित कर रहे हैं।
इसी बात को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारी जिला कलेक्टर से भी मिले। वैसे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के इस कदम के विरोध में कुछ पत्रकारों ने जिला कलेक्टर भरत यादव से मांग की है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन उन पत्रकारों का नाम और नंबर क्यों उजागर नहीं कर रहा, जो उन्हें ब्लेकमेल कर रहे हैं।
वैसे सूत्रों की माने तो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने महाकौशल एक्सप्रेस और हंटर समाचार पत्र की शिकायत की है, जो नैतिकता के आधार पर और आमजन की समस्याओं को लेकर अपना कर्तव्य निभा रहे हैं। समाचार पत्रों का यही कर्तव्य अब उन चिकित्सकों को बैचेन कर रही है, जो अपना ईमान बेचकर मरीजों को लूटने में लगे हैं।

बहरहाल ऐसे चिकित्सक जो अपना ईमान बेचकर आम मरीजों को लूट रहे हैं, उन्हें हम हमेशा बेनकाब करने का प्रयास करेंगे।

मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा क्रिकेट: कलाम

मूलभूत सुविधाओं को तरस रहा क्रिकेट: कलाम

(दादू अखिलेंद्र नाथ सिंह)

सिवनी (साई)। हिन्दुस्तान का राष्ट्रीय खेल हॉकी होने के बाद भी क्रिकेट सबसे ज्यादा खेले जाने वाला खेल है। सिवनी के कई खिलाड़ी मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। लेकिन सिवनी में क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिये, यहां मूलभूत सुविधाओं का सर्वत्र अभाव है। सबसे आश्चर्यजनक पहलू यह है कि क्रिकेट के लिये कोई मैदान ही नहीं है।
जिला क्रिकेट संघ सिवनी के उपाध्यक्ष कलाम खान ने बताया है कि डी.सी.ए. द्वारा लगातार खिलाड़ियों के लिये, मैदान की व्यवस्था की दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं। शासन-प्रशासन के साथ ही साथ जन-प्रतिनिधियों से अपेक्षित सहयोग न मिलने के कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है। मजबूरी में खिलाड़ियों को उधार के मैदानों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
उपाध्यक्ष कलाम खान ने बताया कि डी.सी.ए. के पास मैदानों के सीमित विकल्प ही हैं। इन मैदानों में से ज्यादातर पॉलीटेक्निक मैदान पर ही निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन इस मैदान पर अन्य गतिविधियों के संचालन के दौरान, क्रिकेट पूरी तरह से बाधित हो जाता है। सिवनी में बने एकमात्र स्टेडियम से क्रिकेट को कोई उम्मीद ही नहीं है। यह बात समझ से परे है कि जब भी स्टेडियम में क्रिकेट के लिये अनुमति मांगी जाती है, तो स्पष्ट मना कर दिया जाता है। इस स्टेडियम में आश्चर्यजनक रूप से, क्रिकेट की गतिविधियां शून्य ही हैं।
कलाम खान ने बताया कि सिवनी में क्रिकेट की कई प्रतिभाएं मौजूद हैं। इनका भविष्य उज्जवल हो सकता है। क्रिकेट के मैदान के अभाव में इन खिलाड़ियों का अभ्यास बुरी तरह प्रभावित होता है। नतीजतन ये खिलाड़ी अपनी प्रतिभा के साथ न्याय ही नहीं कर पाते हैं।

कलाम खान ने जिला प्रशासन से अपील की है कि वह क्रिकेट के लिये स्थायी मैदान उपलब्ध कराने की दिशा में पहल करे।  कलाम खान ने जन-प्रतिनिधियों से भी अपील की है कि वे इस कार्य में रूचि लेकर खिलाड़ियों के भविष्य को उज्जवल बनाने में सहयोग करें। कलाम खान ने उम्मीद जाहिर की है कि खिलाड़ियों के लिये अभ्यास हेतु मैदान की व्यवस्था हो जाने पर, निश्चित ही सिवनी के खिलाड़ी भी हिन्दुस्तान की टीम में शामिल होकर जिले का नाम रोशन करेंगे।

कांग्रेसियों की हरकतों से अचंभित रह गए राहुल के दूत!

कांग्रेसियों की हरकतों से अचंभित रह गए राहुल के दूत!

(महेश रावलानी)

सिवनी (साई)। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक जब सिवनी पहुंचे और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए तो वे उनकी हरकतों को देखकर बुरी तरह आश्चर्यचकित रह गए।
कांग्रेस पर्यवेक्षक के सामने जिले के नेताओं ने अपनी अपनी बात कही। नेताओं ने इस बात को जमकर उछाला कि सिवनी जो कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था अब वहां कांग्रेस का नामलेवा भी नहीं बचा है। नेताओं का कहना था कि कांग्रेस में नेता तो सिवनी में पर्याप्त मात्रा में हैं पर कार्यकर्ताओं का अभाव साफ तोर पर परिलक्षित होता है।
गुटबाजी के बीच अलग अलग धड़ों के नेताओं ने इशारों ही इशारों में कांग्रेस की इस हालत के लिए एक नेता विशेष को ही दोषी ठहराया गया। सिवनी में कांग्रेस के नेताओं के रवैए से कांग्रेस पर्यवेक्षक भी बुरी तरह क्षुब्ध नजर आए। उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रदेश का माहौल अलग है और सिवनी का माहौल अलग ही प्रतीत हो रहा है।

बैठक में शहरी क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों से विधानसभा उम्मीदवारों के नाम भी सुझाए गए किन्तु किसी भी कांग्रेस के नेता ने सिवनी के जर्जर कांग्रेस के संगठन के बारे में पर्यवेक्षक को अपनी भावनाओं से आवगत नहीं कराया जाना आश्चर्यजनक ही माना जा रहा है।

जंगल होम के क्रिकेट सट्टा मामले में अब तक नहीं हुई कोई कार्यवाही

जंगल होम के क्रिकेट सट्टा मामले में अब तक नहीं हुई कोई कार्यवाही

तीन रिसोर्ट की गतिविधियां संदेह के दायरे में


(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। कुरई थाना क्षेत्रांर्गत आने वाले जंगल होम रिसोर्ट में पिछले दिनों पकड़े गए क्रिकेट के हाईटेक सट्टे में इन पंक्तियों के लिखे जाने तक कोई कार्यवाही ना होना आश्चर्य का ही विषय माना जा रहा है। इसकी जांच करने वाले विवेचना अधिकारी श्री नागोजी का एक्सीडेंट हो गया, और वे स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। कुरई पुलिस ने इसकी विवेचना किसी अन्य अधिकारी को नहीं सौंपी है।
पुलिस सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुरई क्षेत्र में पेंच क्षेत्र में जंगल होम रिसोर्ट में यह दूसरी बार क्रिकेट का हाईटेक सट्टा पकड़ाया है। इस बार सट्टा खेलने वाले पुलिस की गिरफ्त से फरार हो गए हैं। जंगल होम रिसोर्ट में दो बार सट्टा पकड़ाया जाना और रिसोर्ट के मालिक के खिलाफ पुलिस कार्यवाही ना होना आश्चर्य का ही विषय है।
पुलिस सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को आगे बताया कि जंगल होम रिसोर्ट से लगे दो और रिसोर्ट में भी इस तरह की संदिग्ध गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो इन तीन रिसोर्ट में सटोरियों ने चार लाख रूपए एडवांस देकर कमरे बुक कर रखे हैं।
विवेचना अधिकारी ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को दूरभाष पर बताया कि जब जंगल होम रिसोर्ट में पुलिस की दबिश दी गई तो आरोपी कमरे को अंदर से बंद कर पीछे से भाग खड़े हुए। बाद में होटल प्रबंधक द्वारा दूसरे कमरे से पीछे की लाबी में जाकर दरवाजा खोला गया।
उन्होंने बताया कि कमरे में काफी मात्रा में मोबाईल और लगभग आधा दर्जन सिम भी बरामद हुईं। इसके अलावा वहां एक इंडिगो मांजा कार एमपी 22 सीए 1054 भी लावारिस हालत में खड़ी मिली जो सिवनी निवासी किसी दिव्य कुमार राय के नाम पर पंजीकृत है।
विवेचना अधिकारी ने आगे बताया कि यह कमरा सिवनी में मरझोर निवासी संदीप सराठे के नाम पर बुक था। होटल में तीन लोगों के रूकने की खबर भी पुलिस को दी गई है। उन्होंने कहा कि वे गुरूवार को संदीप सराठे और कार मालिक दिव्य कुमार राय के बयान दर्ज करेंगे।
वहीं पुलिस सूत्रों की मानें तो वहां कम से कम आधा दर्जन से ज्यादा लोग थे जो क्रिकेट का सट्टा खिलवा रहे थे। पुलिस सूत्रों ने यह भी बताया कि कुछ लोगों द्वारा माननीय न्यायालय में अग्रिम जमानत की अर्जी भी लगवाई थी। सूत्रों की मानें तो इसमें संदीप सराठे के अलावा कोई साहू और सनोडिया परिवार के सदस्य भी शामिल बताए जा रहे हैं।

पुलिस सूत्रों ने आगे कहा कि सटोरियों के तार उपर तक प्रभावशाली लोगों से जुड़े हैं अतः वे दबाव बनवाकर पुलिस डायरी में नाम तब्दील करवाने के प्रयास में जुट गए हैं। सूत्रों की मानें तो जप्त मोबाईल में कोडवर्ड में लगभग पांच सौ लोगों के मोबाईल नंबर भी सेव कर रखे गए हैं।

अतिक्रमण का लगा सिवनी को रोग!

अतिक्रमण का लगा सिवनी को रोग!

(शरद खरे)

सिवनी जिले में अतिक्रमण हर तरफ जोर शोर से फैल रहा है। संबंधित विभाग और जनप्रतिनिधि मौन ही रहकर सब देख सुन रहे हैं। सिवनी शहर के चारों ओर कैंसर के मानिंद, अतिक्रमण पसर चुका है, जिसकी परवाह किसी को नहीं है। शहर की सीमाओं पर चेचक के मानिंद पसरा अतिक्रमण वाकई दुखदायी साबित होता जा रहा है।
महाकालेश्वर टेकरी, जनता नगर, झिरिया, हड्डी गोदाम, डूंडा सिवनी, लूघरवाड़ा आदि क्षेत्रों में जिसका मन जहां चाहा वहां उसने अपना आशियाना या दुकान बना ली। धीरे धीरे ये अतिक्रमणकारी इसे अपनी निजी संपत्ति समझने लगते हैं। एक समय के बाद इन्हें विस्थापित करने में जिला प्रशासन की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलक जाती हैं।
सिवनी शहर के अंदर भी अतिक्रमण का यही आलम है। दुकानदारों ने सड़कों को सकरा कर दिया है। नगर पालिका परिषद के कार्यालय के सामने ही अतिक्रमण का बुरा हाल है। सालों से सरकारी कार्यालयों के आसपास केंटीन के लिए निर्धारित स्थान ना होने के चलते चाय पान की गुमटियां भी वर्षों से यहां लग रही हैं।
युवा एवं उत्साही जिला कलेक्टर भरत यादव ने सिवनी शहर को अतिक्रमण से मुक्त करवाने का प्रयास किया था, पर उनकी मुहिम को बीच में ही अपरिहार्य कारणों से रोकना पड़ा है। अब एक बार फिर शहर की सड़कें अतिक्रमण से पट गई हैं, जिससे आवागमन प्रभावित हुए बिना नहीं है।
1991 - 92 में तत्कालीन स्थानीय शासन मंत्री बाबू लाल गौर द्वारा प्रदेश में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया था। उस समय भोपाल की सड़कें देखने लायक हुआ करती थीं। भोपाल सहित प्रदेश भर में सड़कों के हाल इस कदर बेहतर हो गए थे कि लोगों ने दिल से बाबू लाल गौर को धन्यवाद दिया था।
उस समय सिवनी के तत्कालीन जिला कलेक्टर पुखराज मारू ने सिवनी में डोजर, बुलडोजर का उपयोग कर अतिक्रमण को ढहाया था। उसके बाद सिवनी में सड़कें कुछ हद तक चलने लायक हो पाई थी। शहर की जीवन रेखा जीएन रोड़ भी उस समय काफी साफ सुथरी दिखाई पड़ती थी।
उसके पहले नेहरू रोड़ पर व्यापारियों द्वारा सड़कों पर सामान फैलाए जाने की शिकायतें आम हुआ करती थी। उस दौर में कोतवाली के पास एक बड़ा वाहन होता था। कोतवाली का यह डग्गा जब नेहरू रोड़ पर निकलता तो व्यापारी ना केवल अपना सामान अंदर कर लिया करते थे, वरन् साईकिलों के उस दौर में साईकिल तक दुकानों के अंदर हो जाया करती थीं।
शनैः शनैः प्रशासन के ढीले रवैए के चलते जिला मुख्यालय में अतिक्रमण एक बार फिर सुरसा की तरह मुंह उठाने लगा। शहर में अनेक बैंक ऐसे हैं जिनके पास पार्किंग का अभाव है। किराए के भवनों में लग रहे इन बैंक के सामने वहां आने वालों की भीड़ लगी होती है जिसके चलते आवागमन बाधित हुए बिना नहीं रहता है।
बड़े जैन मंदिर के बाजू में महाराष्ट्र बैंक के सामने तो सड़क पर खड़े वाहनों के चलते आवागमन दिन में कई बार अवरूद्ध होता है, इसके अलावा कचहरी चौक पर स्टेट बैंक की शाखा के सामने भी यही आलम रहता है। मजे की बात तो यह है कि अनुविभागीय दण्डाधिकारी कार्यालय के बाहर मुख्य सड़क पर अतिक्रमण कर साईकल स्टेंड बना दिया गया है जिससे कलेक्टोरेट, सिंधी कालोनी और कचहरी जाने आने वालों को असुविधा का सामना करना पड़ता है।
गांधी भवन से पोस्ट आफिस तक के हिस्से में सड़कों पर ही वाहन सुधारने का काम धड़ल्ले से होता है। वहीं गांधी भवन से गणेश चौक तक के मार्ग में सड़कों पर भवन निर्माण सामग्री, टेंकर, ट्रेक्टर, डंपर आदि की भीड़ से आवागमन बाधित हुए बिना नहीं रहता है।
बारापत्थर क्षेत्र में भी भारी वाहन, डंपर, दस चका से बड़े वाहनों की रेलमपेल भी दुर्घटनाओं को न्योता देती नजर आती है। पता नहीं कैसे शहर के नाकों पर यातायात पुलिस के कारिंदे होने के बाद भी ये वाहन शहर के अंदर नो एंट्री वाले समय में कैसे घुस आते हैं?
शहर में ना जाने कितने बस स्टेंड बन चुके हैं। मुख्य बस स्टेंड़, प्राईवेट बस स्टेंड, बरघाट नाका, कचहरी चौक, मिशन स्कूल के सामने, गणेश चौक सर्किट हाउस,, छिंदवाड़ा चौक, शंकर मढ़िया ना जाने कहां कहां निजी वाहन रोक रोककर सवारी भरते नजर आते हैं। पर इन्हें देखने की फुर्सत यातायात पुलिस के पास शायद नहीं है।
शहर में जहां देखों वहां यात्री बस खड़ी दिखाई दे जाती है। ज्यारत नाके के पास, पोस्ट आफिस से भैरोगंज पहुंच मार्ग, दलसागर तालाब के मुहाने से हनुमान मंदिर होकर भैरोगंज पहुंच मार्ग आदि स्थानों पर यात्री बस, डम्पर, निजी वाहन यातायात को प्रभावित करते नजर आते हैं।
जिला प्रशासन से अपेक्षा है कि शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने की गई प्रभावी पहल को पुनः आरंभ किया जाए, एवं शहर भर में बेतरतीब तरीके से खड़े होने वाहनों को रोकने के लिए यातायात पुलिस को निर्देश दिए जाएं। साथ ही साथ शहर में प्रवेश के समस्त स्थानों पर तैनात पुलिस या नगर सेना के नुमाईंदों को स्पष्ट तौर पर ताकीद किया जाए कि नो एंट्री वाले समय में शहर में प्रतिबंधित वाहनों का प्रवेश रोका जाए।