रविवार, 29 अगस्त 2010

नक्‍सलवाद आया कहां से

स्‍टार न्‍यजू एजेंसी 19 अप्रेल 2010

फोरलेन विवाद का सच ------------------- 18

पेंच कान्हा तो काल्पनिक पर पेंच सतपुड़ा करीडोर पर चालू है काम

सतपुड़ा के टाईगर्स की सैरगाह बनेगा पेंच और महाराष्ट्र

खटाई में पड़ सकता है नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा नागपुर एनएच

जुड़ जाएंगे सतपुड़ा, पेंच और मेलघाट

बिना रोकटोक आ जा सकेंगे वन्य जीव

करीडोर का दायरा होगा साढ़े तेरह हजार हेक्टेयर

पेंच और सतपुड़ा कारीडोर के बीच से प्रस्तावित है नरसिंहपुर छिंदवाड़ा नागपुर एनएच

प्रस्तावित है सतपुड़ा, पेंच टाईगर रिजर्व कारीडोर

(लिमटी खरे)

नई दिल्ली 29 अगस्त। मध्य प्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा जिले में फैले पेंच टाईगर रिजर्व, होशंगाबाद जिले के सतपुड़ा टाईगर रिजर्व और महाराष्ट्र के मेलघाट टाईगर रिजर्व को मिलाकर ‘सतपुड़ा टाईगर रिजर्व‘ बनाना प्रस्तावित है, जिससे नरसिंहपुर से बरास्ता छिंदवाड़ा, सौंसर नागपुर जाने वाले प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्ग के बनने के मार्ग प्रशस्त होते नहीं दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस मार्ग को उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारे में शामिल कराने के षणयंत्र का ताना बाना बुना जा रहा है।

मध्य प्रदेश वाईल्ड लाईफ बोर्ड के उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा देश के तीन बड़े टाईगर रिजर्व सतपुड़ा, पेंच और मेलघाट को आपस में जोड़कर सतपुड़ा टाईगर कॉरीडोर पिछले साल प्रस्तावित किया था, इसका काम अचानक ही कुछ दिनों बाद ठण्डे बस्ते के हवाले कर दिया गया है। सूत्रांे ने आगे कहा कि इस कारीडोर का काम अगर निर्विध्न पूरा कर लिया जाता है तो तीनों टाईगर रिजर्व के बाघ देश के हृदय प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र तक की आसानी से सैर कर सकेंगे।

सूत्रों ने कहा कि बाघों पर आए संकट और उनकी कम होती संख्या के मद्देनजर इस तरह के कारीडोर बनाने का काम का फैसला राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा लिया गया है। इससे बाघों की सुरक्षा आसान हो जाएगी। पिछले साल के अगस्त माह में सतपुड़ा नेशनल पार्क प्रबंधन ने आरंभ भी कर दिया था।

भौगोलिक दृष्टिकोण से अगर देखा जाए तो इन तीनों ही पेंच, सतपुड़ा और मेलघाट टाईगर रिजर्व की सीमाएं आपस में मिलती हैं। इससे वन्य जीव इन तीनों में ही स्वच्छंद विचरण करते रहते हैं। इन परिस्थितियों में बाघ एवं अन्य दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव सदा ही शिकारियों के निशानों पर रहा करते हैं। माना जा रहा है कि तीनों टाईगर रिजर्व की सीमाओं को जोड़कर कारीडोर बनाने से सुरक्षा के साथ ही साथ अन्य दूसरी समस्याओं का समाधान भी आसानी से ही निकाला जा सकता है।

सूत्रों ने आगे कहा कि इस कारीडोर में होशंगाबाद के अलावा, छिंदवाड़ा, बैतूल के साथ ही साथ महाराष्ट्र प्रदेश के कुछ हिस्सों का समावेश इसमें किया जाना प्रस्तावित है। इस प्रस्तावित सतपुड़ा टाईगर कॉरीडोर में तीनों नेशनल पार्क मिलकर वन्य जीवों की सुरक्षा का दायित्व निभाएंगे। अगर कोई वन्य जीव एक नेशनल पार्क से निकलकर दूसरे नेशनल पार्क में जा पहुंचता है तो वहां के सुरक्षा कर्मी उस पर निगरानी रखेंगे। विभाग का मानना है कि कॉरीडोर बनने से बाघों की सुरक्षा और अधिक मजबूत होगी।

पिछले साल 05 सितम्बर को एक राष्ट्रीय अखबार को दिए साक्षात्कार में पेंच नेशनल पार्क के पूर्व और सतपुड़ा नेशनल पार्क के क्षेत्र संचालक नयन सिंह डुगरियाल ने इस बात को स्वीकारा था कि सरकार ने सतपुड़ा, पेंच और मेलघाट के टाईगर रिजर्व को मिलाकर कॉरीडोर बनाना तय किया है। योजना पर काम आरंभ किया जा चुका है। कराीडोर बनने के बाद तीनों नेशनल पार्क के बाघों की सुरक्षा बढ़ जाएगी, वे दूसरे नेशनल पार्क में आराम से विचरण कर सकेंगे।

सतपुड़ा कॉरीडोर के अस्तित्व में आने के बाद इसका दायरा 13 हजार 346 हेक्टेयर हो जाएगा। इसकी जद में 63 वन ग्राम और 6781 परिवार आ रहे हैं। इस कारीडोर की कुल मानवीय आबादी बढ़कर 35 हजार 323 हो जाएगी। उल्लेखनीय होगा कि इन लोगों को कारीडोर में संचालित होने वाली समस्त योजनाओं का लाभ विशेष तौर पर मिल सकेगा।

यहां उल्लेखनीय होगा कि पेंच और कान्हा नेशनल पार्क के बीच के काल्पनिक वाईल्ड लाईफ कारीडोर को ध्यान में रखकर उत्तर दक्षिण कारीडोर का काम रोकने के लिए एक गैर सरकारी संस्था सर्वोच्च न्यायायल में अपील दायर की है। पेंच और कान्हा का कॉरीडोर काल्पनिक है, पर सतपुड़ा, पेंच और मेलघाट के लिए तो बाकायदा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित किया गया है। बावजूद इसके न तो केंद्रीय वन एवं पर्यावरण विभाग और न ही वाईल्ड लाईफ ट्रस्ट जैसे गैर सरकारी संगठन को इस बात की कोई परवाह है कि इसके बीच से होकर गुजरने वाले नरसिंहपुर छिंदवाड़ा, सौंसर नागपुर नेशनल हाईवे को न केवल हरी झंडी दिखाई गई है, वरन छिंदवाड़ा से नागपुर ब्राडगेज रेल लाईन का काम भी जोर शोर से किया जा रहा है।

मजे की बात तो यह है कि इस मामले में अब किसी का ध्यान नहीं गया है। हर कोई नरसिंहपुर से लखनादौन सिवनी, खवासा होकर नागपुर जाने वाले उत्तर दक्षिण फोरलेन गलियारे का काम रूकवाने के लिए भूतल परिवहन मंत्री कमल नाथ को दोषी मानकर नरसिंहपुर से छिंदवाड़ा होकर नागपुर जाने वाले प्रस्तावित नेशनल हाईवे में अडंगा लगाने की बात कह और सोचकर इसको रूकवाने की तैयारी रहा है, जबकि उसमें यह पेंच तो अपने आप पहले ही फंस चुका है।

अब माननीय सर्वोच्च न्यायायल भी अगर सिवनी से खवास के मार्ग को पेंच नेशनल पार्क और वन्य जीवों के लिए खतरे की बात को मानकर इसका निर्माण रोकना प्रस्तावित करता भी है तो एक बात तो तय हो चुकी है कि यह मार्ग सिवनी से छिंदवाड़ा सोंसर होकर नागपुर तो किसी भी कीमत पर नहीं जा पाएगा, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा ही पेंच सतपुड़ा और मेलघाट को मिलाकर सतपुड़ा टाईगर कारीडोर बनाने का काम पिछले साल आरंभ करवा चुका है।