बुधवार, 3 अप्रैल 2013

अधनंगों के देश में खरबों का तमाशा!


अधनंगों के देश में खरबों का तमाशा!

(लिमटी खरे)

भारत गणराज्य जिसे कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था को ब्रितानी अंग्रेजों ने फिर मुगलों ने जमकर लूटा। 1947 में जब भारत देश को स्वाधीनता मिली उसके बाद माना जा रहा था कि देश की तस्वीर बदलेगी। बकौल अण्णा हजारे अब देश को काले अंग्रेज लूट रहे हैं। देश में आधी से ज्यादा आबादी के पास दो जून की रोटी मयस्सर नहीं है, उस भारत गणराज्य में अरबों खरबों रूपए की लागत से आईपीएल का आयोजन हास्यास्पद ही माना जाएगा। इस आयोजन में रूपहले पर्दे के करोड़पति अरबपति अदाकार, सियासी दुनिया के कलाकार, कारोबारी आदि की भूमिका है। इनके मन में देश के गरीबों के प्रति हमदर्दी लेशमात्र नहीं है। इनका कोई सामाजिक सरोकार भी नहीं बचा है। जिस देश में आधी से ज्यादा आबादी के पास खाने के लाले पड़े हैं उस देश में क्या मंहगी टिकिट लेकर गरीब गुरबे गेंद और बल्ले का खेल खेल देखने की बात सोच भी पाएंगे। इस तरह के आयोजनों से देश में अपराध बढ़ने की आशंकाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि युवा इसे देखने के लोभ में पैसा कमाने के लिए गलत रास्ता अख्तियार करने में शायद ही गुरेज करें। आज देश के हुक्मरानों ने भारत गणराज्य को बजार समझ लिया है। रियाया कराह रही है पर मनमोहन सिंह सरकार देश में नग्न तमाशे की इजाजत दे रहे हैं।

छटवां इंडियान प्रीमियर लीग क्रिकेट टूर्नामेंट कल शाम को आरंभ हो गया। इसके उद्यघाटन समारोह को टीवी पर देश दुनिया के लोगों ने देखा होगा। विकसित देशों के लोगों ने इसकी भव्यता को देखकर अंदाजा लगा ही लिया होगा कि भारत देश के हुक्मरान देश की गरीबी का जो चित्रण करते हैं वह असल नहीं छद्म है। मुंबई में स्टेडियम जाने पर भले ही किंग खान यानी शाहरूख खान पर प्रतिबंध हो पर कोलकता में वे दीपिका पादुकोण और कैटरीना कैफ के साथ कमर मटकाते नजर आए। इसी आईपीएल में शाहरूख खान पर शराब पीकर अभद्रता करने का आरोप है, और इसी आईपीएल में वे दिलेरी से ठुमके लगा रहे हैं। मतलब साफ है कि आईपीएल के आयोजनकर्ताओं का कोई ईमान धरम नहीं है।
एक जमाना था जब देश में टीवी नहीं था। याद पड़ता है कि 1983 में जब भारत ने विश्व कप हासिल किया था तब रात में रेडियो पर क्रिकेट की कामेंटरी सुनने के लिए मोहल्ले मोहल्ले लोगों की भीड़ जमा रहती थी। जसदेव सिंह, दिलीप दोषी जैसे कामेंटरेटर अपनी जादुई आवाज में लोगों को बांधे रखा करते थे। धीरे धीरे समय ने अपना चक्कर चलाया और अब टीवी पर सब कुछ दिखने लगा। वह समय था जब टेस्ट क्रिकेट को लोग धेर्य से देखा करते थे। उस समय वन डे क्रिकेट को ज्यादा पसंद नहीं किया जाता था।
समय बदला और अब फटाफट क्रिकेट यानी ट्वंटी ट्वंटी ने अपना रंग जमा लिया है। आज देश में फटाफट क्रिकेट बहुत ज्यादा लोकप्रिय हो चुका है। क्रिकेट से ज्यादा पूछ परख हाकी की हुआ करती थी, विडम्बना ही कही जाएगी कि हाकी को बड़े प्रायोजक नहीं मिल पाए तो हाकी ने कालांतर में दम ही तोड़ दिया है। फटाफट क्रिकेट आज गेंद और बल्ले का गेम ना होकर एक बहुत बड़ा व्यापार बन चुका है। आज क्रिकेट के खिलाड़ी भी इस पवित्र खेल को पेशे की तरह अपनाने लगे हैं। खिलाड़ी क्रिकेट की मंडी में अपना सौदा कर रहे हैं जो चिंतनीय है।
आज कार्पोरेट घरानों ने इस खेल के खिलाड़ियों पर पानी की तरह पैसा बहाया है। सभी एक लगाकर दस कमाना चाहते हैं। यह तभी संभव हो पाएगा जब इन घरानों को खेल कम मैदान में सर्कस ज्यादा हो। कहने का तातपर्य इतना ही है कि अगर सीधे सीधे क्रिकेट हो तो इनका पैसा शायद ही वसूल हो पाए, पर खेल के बजाए तमाशा कर अच्छा खासा पैसा कमाया जा सकता है।
विडम्बना देखिए कि इस भारत गणराज्य में जहां नारी को पूरे कपड़े में सौंदर्य की देवी माना जाता है वहां टीवी पर घरों में माताओं बहनों के सामने चीयर्स गर्ल के रूप में छोटी स्कर्ट में चौके छक्के या आउट होने पर अश्लील नाच करते दिखाया जाता है। इस पर सैंसर बोर्ड या सूचना प्रसारण मंत्रालय को आपत्ति इसलिए नहीं होती है क्योंकि इस तमाशे से सरकार को भी करों के रूप में आय होती है। एक अनुमान के अनुसार इस तमाशे में दस हजार करोड़ रूपए से भी ज्यादा का तमाशा होता आया है।
अगर आय के स्त्रोत इसी तरह के रखने हैं तो सरकार को चाहिए कि वैश्यालयों को खुला लाईसेंस दे दे। प्रतिबंधित दवाओं और नशीले पदार्थों को पान की दुकानों के माध्यम से बिकवाना आरंभ कर दे, हत्या लूट जैसे जघन्य अपराधों को भी बड़ी राशि चुकाकर वैध बना दे, घरोंघर शराब बनवाने की छूट प्रदान कर दे। इस तरह के नंगे फूहड़ नाच करावाकर सरकार किस संस्कृति का पोषण कर रही है यह बात समझ से परे ही है।
हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि फटाफट क्रिकेट के आयोजकों को देश की दशा और दिशा से सरकारों की तरह ही लेना देना नहीं है। इन आयोजकों को देश से भी कोई लेना देना नहीं है, इनका कोई ईमान धरम नहीं है, इनका कोई सामाजिक सरोकार नहीं है। देश में आज क्या परिस्थितियां हैं इस बात से ये कोसों दूर सिर्फ और सिर्फ अपना हित ही परमोधर्म मानकर चल रही हैं।
देश में महाराष्ट्र के भयंकर सूखे से सभी आवगत हैं। इसी सूबे से आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शरद पंवार केंद्र में कृषि मंत्री बनकर किसानों के हितों के संवंर्धन का प्रहसन कर रहे हैं। इस सूबे में पानी के लिए किसान त्राहीमाम त्राहीमाम कह रहे हैं। इस सूबे की भाजपा की इकाई यहां आईपीएल का विरोध कर रही है। भाजपा के विरोध को सियासी चश्मा लगाकर देख रहे हैं अन्य सियासी दल।
कितने आश्चर्य की बात है कि इसी सूबे में स्यंभू संत आसाराम बापू हजारों लिटर पानी रंग में घोलकर बर्बाद कर आनंदित होते हैं, दूसरी और फटाफट क्रिकेट के लिए पिचों की क्योरिंग आदि में हजारों लिटर पानी बहा दिया जाएगा, पर किसानों के लिए पानी की बारी आते ही केंद्र और राज्य सरकारें हाथ खड़े कर देती हैं!
देश में कमोबेश सारे राजनीतिक दल इस आयोजन में अपनी मौन सहमति देते नजर आ रहे हैं। सूबे में पानी की एक एक बूंद के लिए लोग तरस रहे हैं वहीं स्टेडियम में पिच के रखरखाव के लिए लगभग 22 लाख लीटर पानी बहा दिया जाएगा। पत्रकार से राज्य सभा के रास्ते संसदीय सौंध तक पहुंचने वाले मंत्री राजीव शुक्ल ने फटाफट क्रिकेट के बचाव में बचकाने और गैरजिम्मेदाराना वक्तव्य दिए हैं जिनकी निंदा होना चाहिए, वस्तुतः एसा हो नहीं रहा है।
बकौल राजीव शुक्ल अगर आईपीएल नहीं हुआ तो भी सूखा खत्म नहीं होने वाला है। सवाल यह है कि अगर इस तरह का फूहड़ आयोजन हो रहा है, जिसमें पानी की बर्बादी हो रही हो अश्लीलता परोसी जा रही हो, शाहरूख खान जैसे टीम के मालिक शराब पीकर स्टेडियम में दंगा फसाद पर आमदा हों और फिर राजीव शुक्ला इस तरह के बयान दें तो इसका मतलब क्या यह नहीं लगाया जाना चाहिए कि कांग्रेस और केंद्र सरकार खुद ही देश में नंगाई और अनाचार को प्रश्रय दे रही है।
क्या इसे यह नहीं माना जाए कि सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस और कांग्रेस नीत संप्रग सरकार अपनी जिम्मेदारियों और जवाबदेही से मुंह मोड़ रही है? हालात देखकर लगने लगा है मानो इटली मूल की कांग्रेस की राजमाता श्रीमति सोनिया गांधी की अगुआई में कांग्रेस ने भी पाश्चात संस्कृति में अपने आप को ढाल लिया है, मनमोहन सिंह और उनकी सरकार ने भारत गणराज्य को बाजार ही समझ लिया है!
दरअसल मीडिया में भी आईपीएल के विज्ञापन पटे पड़े हैं तो भला कोई इसकी मुखालफत कैसे करे। यह चुनाव नहीं है अतः माना जा सकता है कि यह पेड न्यूज का मामला नहीं है, पर भारतीय प्रेस परिषद को स्वतः ही इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए। अगर मीडिया इसके दुष्प्रभाव को रेखांकित नहीं कर रहा है तो कहीं ना कहीं विज्ञापन इसकी वजह हैं। विज्ञापनों के अहसान तले दबकर देश के साथ अगर अन्याय को बर्दाश्त कर रहा है घराना पत्रकारिता का जनम वर्तमान मीडिया तो उसकी भी निंदा की जानी चाहिए। (साई फीचर्स)

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए पौने चार अरब


नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लिए पौने चार अरब

(शरद)

नई दिल्ली (साई)। केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने १२वीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान नक्सल प्रभावित राज्यों में आधारभूत ढांचे के लिये योजनायें जारी रखने को सहमति प्रदान कर दी है। इस पर कुल तीन अरब ७३ करोड की लागत आयेगी जिसमें से दो अरब ८० करोड़ रूपये केन्द्र सरकार और ९३ करोड़ रूपये राज्य सरकार देगी।
गृह मंत्रालय के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इन प्रस्तावों में प्रभावित राज्यों में विशेष बलों के लिये प्रशिक्षण ढांचा, आवास सुविधाएं, शस्त्र, वाहन और अन्य सम्बन्धित वस्तुओं में सुधार करना और कमी को दूर करना शामिल है। मंत्रिमंडल समिति ने २०१३-१४ मौसम के लिये पटसन का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर २३ सौ रूपये प्रति क्विंटल तय किया है। यह पिछले मौसम से सौ रूपये प्रति क्विंटल अधिक है।
मंत्रीमण्डल समिति ने मध्य प्रदेश के राजमार्ग के नाम से मशहूर राजधानी से संसकारधानी को जोड़ने वाली सड़क के लिए मंजूरी दे दी है। आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास योजना के तहत मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-१२ के जबलपुर-भोपाल खंड को चार लेन करने को भी मंजूरी दे दी है।
वहीं पीएमओ के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि केन्द्र सरकार के कर्मचारियों का महंगाई ७२ प्रतिशत से बढ़ाकर ८० प्रतिशत करने पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। कल नई दिल्ली में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने पत्रकारों को बताया कि वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम के बैठक में उपस्थित न होने को देखते हुए महंगाई भत्ते के प्रस्ताव पर फिलहाल निर्णय नहीं लिया गया है। चिदम्बरम, जापान की सरकारी यात्रा पर है।

जारी रहेगी ब्याज दरों में कटौती


जारी रहेगी ब्याज दरों में कटौती

(टी.विश्वनाथन)

टोक्यो (साई)। वित्तमंत्री पी चिदम्बरम ने रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में और कटौती किये जाने का समर्थन किया है। जापान के तोक्यो में एक निजी टेलीविजन चैनल के साथ भेंट में उन्होंने कहा कि सरकार ब्याज दर में कमी का अनुरोध रिजर्व बैंक से करती रहेगी। रिजर्व बैंक अगले महीने की तीन तारीख को वर्ष-२०१३-१४ के लिए मौद्रिक नीति की घोषणा करेगा। चिदम्बरम ने कहा कि मुद्रास्फीति की प्रमुख दर में कमी आई है और आठ प्रतिशत विकास दर हासिल करने की दिशा में प्रयास करने की आवश्यकता है।
श्री चिदम्बरम ने कहा कि भारत में आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि की क्षमता है और देश अगले बीस-पच्चीस वर्ष तक यही दर रख सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने पिछले दो वर्षों के दौरान उद्योग जगत की चिंताएं दूर करने के उपाय किए हैं और भारत को विदेशी निवेश का अधिक आकर्षक लक्ष्य बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बीमा, बैंकिंग और प्रबंधन कंपनियों ने भारत में निवेश करने में रूचि दिखाई है और सरकार इसका स्वागत करेगी।

असम के लिए नाबार्ड ने दिए पांच अरब


असम के लिए नाबार्ड ने दिए पांच अरब

(पुरबाली हजारिका)

गोवहाटी (साई)। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक-नाबार्ड ने चालू वित्त वर्ष के दौरान असम में विकास कार्यों के लिए पांच अरब रुपये मंजूर किये हैं। नाबार्ड के अध्यक्ष प्रकाश बख्शी ने यह जानकारी कल असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को दी। हमारे संवाददाता ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया है कि यह धन राशि ग्रामीण ढांचागत विकास कोष के तहत दी जाएगी।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के दिल्ली ब्यूरो ने बताया कि असम के ग्रामीण इलाकों में पिछले तीन वर्ष में रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के तहत इस योजना में हुए कामों की नाबार्ड ने तारीफ की है। ग्रामीण इलाकों में बैंक ने कई क्षेत्रों की पहचान की है जहां पर काम करने की और जरूरत है। असम सरकार ग्रामीण सड़क निर्माण, कोल्ड स्टोरेज और सिंचाई के संसाधनों के विकास पर नाबार्ड के तहत पांच सौ करोड़ रुपया खर्च करेगी। यह मदद रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के जरिये दिया जायेगा।

मोदी का नया लोकपाल


मोदी का नया लोकपाल

(जलपन पटेल)

अहमदाबाद (साई)। गुजरात विधानसभा ने नया लोकायुक्त विधेयक पारित कर दिया है। इस विधेयक के कानून बनने पर भ्रष्टाचार रोधी लोकपाल की नियुक्ति में राज्यपाल और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का वर्चस्व सीमित हो जाएगा। गुजरात लोकायुक्त आयोग विधेयक-२०१३ कल सदन ने बहुमत से पारित कर दिया। विपक्षी कांग्रेस ने इसके विरोध में सदन से वाकआउट किया। उसका कहना था कि यह विधेयक भ्रष्टाचार को पर्दे में रखने की नरेन्द्र मोदी सरकार की चाल है।
मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि नया गुजरात लोकायुक्त आयोग विधेयक में लोकायुक्त की नियुक्ति में राज्यपाल और हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की भूमिका खत्म कर दी गयी है। इस विधेयक में मुख्यमंत्री की अगुवाई में सात सदस्यों की पसंदगी समिति का प्रावधान है जिसके द्वारा दिये गये नाम को राज्यपाल को मंजूरी देनी होगी।
सूत्रों ने साई न्यूज को आगे बताया कि यह समिति के अन्य सदस्यों में मुख्यमंत्री द्वारा पसंद किया गया एक मंत्री, विधानसभा अध्यक्ष, विपक्ष का नेता, हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का एक प्रतिनिधि और राज्य सतर्कता आयोग शामिल रहेंगे। लोकायुक्त का नया विधेयक ऐसे समय लाया गया है जब राज्यपाल द्वारा अगस्त २०११ में सेवानिवृत न्यायमूर्ति आरए मेहता की नियुक्ति पर मोदी सरकार अपनी कानूनी लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में हार चुकी है। 

बढ़ सकता है सेट टॉप बाक्स लगावाने का समय


बढ़ सकता है सेट टॉप बाक्स लगावाने का स
मय

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। देश में डिजिटीकरण के दूसरे चरण के तहत ३८ शहरों के १ करोड़ ६० लाख परिवारों में से करीब एक-चौथाई निर्धारित समय सीमा में सेट टॉप बॉक्स नहीं लगवा पाये हैं। उन्हें स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक इस काम के लिये कुछ मोहलत दी जा रही है।
सूचना और प्रसारण सचिव उदय कुमार वर्मा ने बताया कि लोगों को असुविधा से बचाने के लिए सरकार स्थानीय परिस्थितियों को देखते हुए सेट टॉप बॉक्स लगवाने के लिए १० से १५ दिन का समय दे सकती है। हालांकि सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि डिजिटीकरण की समय सीमा बढ़ाई नहीं जाएगी और बढ़ी हुई मोहलत की अवधि शहरों की परिस्थितियों के मुताबिक अलग-अलग होगी।
वहीं दूसरी ओर हैदराबाद से समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के ब्यूरो से जाकिया जरीन ने बताया कि आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने हैदराबाद और विशाखापत्तनम में सेट टॉप बॉक्स लगाने की केन्द्र सरकार की समय सीमा पर दो सप्ताह के लिये रोक लगा दी है। हैदराबाद और विशाखापत्तनम को डिजिटीकरण के दूसरे चरण के तहत अधिसूचित किया गया था, जिसकी समय सीमा ३१ मार्च को समाप्त हो गई।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना और न्यायमूर्ति विलास अफजल पुरकार की पीठ ने एक पत्रकार की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि जो लोग अब तक सेट टॉप बॉक्स नहीं लगवा सके हैं, उनकी सुविधा के लिये विभिन्न चौनलों का प्रसारण अगले दो सप्ताह तक पहले की तरह जारी रहना चाहिए।

सिवनी : करवट लेने लगी सिवनी में कांग्रेस की राजनीति


करवट लेने लगी सिवनी में कांग्रेस की राजनीति

(शमीम खान)

सिवनी (साई)। मध्य प्रदेश और केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली सुश्री विमला वर्मा और मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष हरवंश सिंह ठाकुर के प्रभाव वाले सिवनी जिले में विधानसभा चुनाव 2013 के पहले अब सियासी करवट महसूस की जाने लगी है।
27 जनवरी 2012 को जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हीरा आसवानी के नेतृत्व में जिला कांग्रेस कमेटी का गठन किया गया था, जिसमें 9 उपाध्यक्ष, 11 महामंत्री, 17 संगठन मंत्री, 13 कार्यकारिणी सदस्य और 07 स्थाई आमंत्रित सदस्यों का समावेश था, जिसमें मो. असलम खान का पत्ता कट हो गया था, जिन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई थी। बताया जाता है कि लगभग 15 से 16 कांग्रेसी नेता मो. असलम को कार्यकारिणी में लिये जाने के पक्ष में नहीं थे, जिसके लिये लगभग सभी 16 नेताओं ने बर्रा पहुंचकर ठा. हरवंश सिंह को स्पष्ट रूप से यह कह दिया था कि यदि श्री खान को कोई पद सौंपा गया तो हम कोई पद नहीं लेंगे। संभवतः इसलिए उस समय गठित की गई कार्यकारिणी में मो. असलम खान को नहीं रखा गया, लेकिन 01 वर्ष बाद अचानक जिला कांग्रेस कमेटी में ठा. हरवंश सिंह के द्वारा जिला कांग्रेस के महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद में श्री खान की ताजपोशी करना और उन 16 नेताओं द्वारा इसका विरोध न करना राजनैतिक खेमों में चर्चा का विषय बना हुआ है।
वहीं दूसरी ओर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हीरा आसवानी को पंगु करके उनके स्थान पर नरेश मरावी को जिला कांग्रेस कमेटी में कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका सौंपी गई है। नरेश मरावी को अचानक ही उपर उठाना जिला कांग्रेस के नेताओं के गले नहीं उतर रहा है। कहा जा रहा है कि नरेश मरावी ने भी कांग्रेस के एक आला क्षत्रप के खिलाफ तलवार पजाना आरंभ कर दिया था जिससे उन्हें भी काम देना बड़े नेता की मजबूरी थी।

सिवनी : लोकार्पण और भूमिपूजन की सूची तो जारी करो पीआरओ साहब!


लोकार्पण और भूमिपूजन की सूची तो जारी करो पीआरओ साहब!

(अखिलेश दुबे)

सिवनी (साई)। शासन, प्रशासन और प्रेस के बीच सेतू का काम करने वाले जिला जनसंपर्क अधिकारी घनश्याम सिरसाम ने मुख्यमंत्री के आगमन के पूर्व और जाने के पश्चात लंबी चौड़ी विज्ञप्ति जारी कर बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 47.94 करोड़ के 40 निर्माण कार्याे का लोकार्पण एवं 13.55 करोड़ की लागत के 02 निर्माण कार्याे का भूमिपूजन भी किया, परंतु श्री सिरसाम ने आज तक मीडिया के माध्यम से यह बताने की जहमत नहीं उठाई कि कौन- कौन से निर्माण कार्याे का लोकार्पण किया और कौन- कौन से कार्याे का भूमिपूजन जबकि हमारे प्रबुद्ध पाठक हमसे यह पूछ रहे हैं कि यदि मुख्यमंत्री जी ने कोई लोकार्पण किया तो कम से कम उनकी सूची तो जारी करो, परंतु हम अपने सम्मानीय पाठको को क्या बतायें कि जिस तरह वह अधिकार से हमसे यह पूछ लेते हैं कि हम यह बता दे कि मुख्यमंत्री जी ने कौन- कौन से कार्याे का लोकार्पण और भूमिपूजन किया। यह बात अधिकारी- मीडियाकर्मी जिला जनसंपर्क अधिकारी घनश्याम सिरसाम से नहीं पूछ सकते क्योंकि वह साहब है और यदि किसी ने इस तरह के कोई सवाल श्री सिरसाम से पूछा तो वह पीआरओ के माध्यम से जारी होने वाले विज्ञापन रोक देते हैं, लेकिन प्रबुद्ध पाठकों के लोकप्रिय समाचार पत्र के लिए पीआरओ साहब के विज्ञापन के से ज्यादा प्रबुद्ध पाठकों का सहयोग और आर्शीवाद मायने रखता है, इसलिए हम अखबार के जरिये जिला प्रशासन से यह तो पूछ ही सकते हैं कि वह मुख्यमंत्री द्वारा किये गये लोकार्पण और भूमिपूजन की जानकारी देने में परहेज क्यों कर रहे हैं?

राजा के खिलाफ गैरजमानती वारंट!


राजा के खिलाफ गैरजमानती वारंट!

(सुधीर कुमार)

उज्जैन (साई)। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और एआईसीसी महासचिव दिग्विजय सिंह एवं सांसद प्रेमचंद गुड्डू के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार दोनों को उज्जैन कोर्ट में तारीख पर आना था। उनके नहीं आने पर कोर्ट ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।
मामला 17 जुलाई 2011 का है, जब दिग्विजय सिंह उज्जैन में एक निजी होटल के उदघाटन समारोह में आए थे, उस समय भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा जूना सोमवारिया में काले झण्डे दिखाए गए थे। इस दौरान दिग्विजय सिंह के काफिले और भाजयुमो में झडप और मारपीट हुई थी। भाजयुमो द्वारा उस समय प्रकरण दर्ज कराया गया था। पुलिस द्वारा उस समय कांग्रेस के 4 लोगों जयसिंह दरबार, अनंतनारायण मीणा, मुकेश भाटी और असलम लाला पर प्रकरण दर्ज किया था। बाद में दिग्विजय सिंह और सांसद प्रेमचंद गुड्डू पर भी प्रकरण दर्ज हुआ।

15 में शादी बाल विवाह नहीं!


15 में शादी बाल विवाह नहीं!

(मणिका सोनल)

नई दिल्ली (साई)। सियासी फिजां में एक बात जमकर उछल रही है कि क्या 15 साल की आयु में विवाह किया जाए तो वह बाल विवाह होगा या विधिमान्य विवाह! क्या सरकार ने विवाह की आयु 15 साल कर दी है। आपको सुनकर ये आश्चर्य लगेगा पर ये सच है।
यौन सम्बन्ध बनाने को लेकर मचे बवाल के बीच केन्द्र सरकार ने पति-पत्नी को 15 साल की उम्र में ही सम्बन्ध बनाने की छूट दे दी है, जबकि पहले यह उम्र 16 साल थी। इससे एक तरह से 15 साल की लड़की से शादी कर उसके साथ शारीरिक सम्बंध बनाने की कानूनी छूट मिल गई है।
लोकसभा से पिछले माह पारित कानून के मसौदे में दुष्कर्म की परिभाषा में स्पष्ट कहा गया कि सामान्य स्थिति में 18 साल तक की लड़की से सम्बन्ध बनाने को दुष्कर्म माना जाएगा, भले ही उसमें लड़की की सहमति रही हो। इसके विपरीत पति-पत्नी के मामले में 15 साल से ऊपर की लड़की की सहमति से शारीरिक सम्बन्ध बनाने को दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। केन्द्र सरकार ने दिल्ली दुष्कर्म प्रकरण के बाद फरवरी 2013 अध्यादेश के जरिए बनाए कानून में यह उम्र 16 साल कर दी थी, लेकिन चुपके से संशोधित विधेयक में यह उम्र पहले की तरह ही 15 कर दी गई।
लोकसभा सदस्यों ने भले ही उम्र घटाकर 15 साल करने पर आपत्ति नहीं की, लेकिन राज्यसभा सदस्यों के पास मौका है कि वे इस पर आपत्ति कर सकते हैं। अभी यह विधेयक राज्यसभा में पारित होना बाकी है। बच्चों से यौन अपराधों से संरक्षण कानून में 18 साल से कम उम्र में सजा का प्रावधान है। आईपीसी धारा 375 में दुष्कर्म की परिभाषा में संशोधन के लिए लाए जा रहे कानून के तहत पति-पत्नी के मामले में 15 साल से ऊपर सहमति से संबंध को दुष्कर्म नहीं माना है। बाल विवाह रोकने के बने कानून में 18 साल से कम उम्र में शादी को अपराध माना है, लड़का या लड़की को शादी की निर्घारित आयु का होने पर कम उम्र में की गई शादी को रद्द कराने का अधिकार तक दिया गया है।
आईपीसी में पहले पति-पत्नी के मामले में 15 साल से अधिक उम्र में सम्बंध बनाने को दुष्कर्म नहीं माना हुआ था। फरवरी 2013 में अध्यादेश के जरिए किए संशोधन में यह उम्र बढ़ा कर 16 साल कर दी गई। 19 मार्च को लोकसभा में पारित विधेयक में उम्र फिर 15 साल कर दी।

शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर केन्द्र सरकार का गैर जिम्मेदार रवैया


शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर केन्द्र सरकार का गैर जिम्मेदार रवैया

(प्रदीप चौहान)

नई दिल्ली (साई)। शिक्षा के अधिकार अधिनियम पर केन्द्र सरकार का गैर जिम्मेदार रवैये के कारण शिक्षा के अधिकार तय समय सीमा अर्थात् 31 मार्च 2013 तक निर्धारित किये गये लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाया। उक्त आशय के विचार मध्यप्रदेश की स्कूल शिक्षा मंत्री श्रीमती अर्चना चिटनिस ने आज यहां आयोजित केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार (कैब) की 61वीं बैठक मंे रखे। केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा आयोजित बैठक की अध्यक्षता केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री एम.एम. पल्लमराजू ने की। बैठक में शशि थरूर, जितेन प्रसाद, केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्रियों के अलावा अन्य राज्यों के शिक्षा मंत्री, शिक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य और मंत्रलाय के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
बैठक में बोलते हुए श्रीमती चिटनिस ने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम केन्द्रीय सरकार और अन्य सभी पार्टियों की सहमति से संसद में पास किया गया था। अधिनियम के अनुसार सबको शिक्षा देने का अधिकार के सफल क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राज्य और केन्द्र सरकार दोनों की बनती है। श्रीमती चिटनिस ने बताया कि केन्द्र सरकार ने निजी स्कूलों के माध्यम से वंचित वर्गों को सर्व शिक्षा अभियान के लक्ष्य के हासिल करने में हुए व्यय की प्रतिपूर्ति न करने से केन्द्र सरकार ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम की धार-7 का उल्लंघन किया है। साथ ही श्रीमत चिटनिस ने कहा कि अधिनियम की धारा-6 के अनुसार शिाक्षा के अधिकार अधिनियम द्वारा निर्धारित लक्ष्य 31 मार्च 2013 तक हासिल किया जाना अनिवार्य था जिसको कि केन्द्र सरकार के ढुलमुुल रवैये के कारण निर्धारित समय सीमा में हासिल नहीं कर पाये।
श्रीमती चिटनिस ने बताया कि वर्ष 2012-13 में मध्यप्रदेश में शिक्षा के अधिकार के लिए पारित 2400 करोड़ रूपये के बजट मंे से केन्द्र सरकार ने 1100 करोड़ रूपये कम दिया है। यही नहीं केन्द्र सरकार ने मार्च माह के कर्मचारियों के वेतन का खर्चा न दे पाने कारण 167 करोड़ रूपये भी राज्य सरकार ने अपने बजट में से दिया जो कि केन्द्र सरकार को सामान्य रूप से देना चाहिए था। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि ऐसी स्थिति में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत लगभग 50 हजार शिक्षिकाओं की भर्ती करने का कार्य असंभव सा लगता है। मध्यप्रदेश सरकार ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत पूरी जिम्मेदारी और निष्ठा से अपना भरपूर योगदान और सहयोग दिया है। किन्तु केन्द्र सरकार ने उसी अनुपात में न तो सहायता राशि दी है और न ही इच्छा शक्ति दर्शायी है। ऐसी स्थिति में छात्रों और शिक्षक का 301 के अनुपात का लक्ष्य हासिल करना असंभव लगता है।         

हरियाणा की हुड्डा सरकार का पुतला फूंक कर विरोध जताया


हरियाणा की हुड्डा सरकार का पुतला फूंक कर विरोध जताया

(राजकुमार अग्रवाल)

कैथल (साई)। राज्य में बढ़ी हुई बिजली दरों को लेकर लोगों का गुस्सा सड़क पर उतर आया। जिसमें हरियाणा भाजपा एवं हजकां की जिला इकाई ने विरोध स्वरूप हरियाणा की हुड्डा सरकार का पुतला फूंक कर विरोध जताया। सैकड़ों की संख्या में लोगों का हजूम स्थानीय जवाहर पार्क में राज्य सरकार द्वारा बढ़ाई गई बिजली दरों के विरोध में इक-ा होकर एक जलूस की शक्ल में पेहवा चौंक पर पहुंचा, जहां पर राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और हुड्डा सरकार का पुलता फूंक कर लोगों को जागरूकता की तरफ ले जाने का प्रयास किया। इस अवसर पर भाजपा के जिलाध्यक्ष राजपाल तंवर व हजकां के जिलाध्यक्ष नरेश ढांडा के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने अपना विरोध जताया। दोनो नेताओं ने कार्यकर्ताओं को आह्ववान किया कि राज्य की कांग्रेस सरकार आम जनता के हितों से खिलवाड़ करने पर तुली हुई है। साथ ही किसानों को भी तबाह करने पर तुली हुई है, क्योंकि समय बेसमय हुड्डा सरकार ने बिजली की दरों में जबरदस्त बढौतरी कर आम जन की कमर तोड़ कर रख दी है। राज्य में बिजली की दर बढ़ाए जाने से आम जनता को जो खामियाजा भुगतना पड़ेगा, उसकी भरपाई आखिर कौन करेगा? डीजल व पेट्रोल तरह बिजली की दरों में बढौतरी भी महंगाई बढ़ाएगी। क्योंकि बिजली का प्रयोग घरेलू ही नहीं उद्योगिक कार्यों में भी होता है। दोनो पार्टियों के नेताओं ने राज्य सरकार से बिजली दरों की बढौतरी को वापिस लेने की मांग करते हुए चेताया और कहा कि राज्य की जनता अब जाग चुकी है। हुड्डा सरकार को संभल जाना चाहिए। इस अवसर पर सतीश सिरटा, विरेंद्र छौत, सुरेश क्योड़क, पूर्व मंत्री नरेंद्र शर्मा, पूर्व विधायक बनारसी दास, कृष्ण ढांड़, सतपाल बरसाना, ऋषिपाल क्योड़क, रोहताश राणा, सुभाष हजवाना, रमेश गोपेरा सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।

हाबड़ी स्कूल से अज्ञात चोरों ने उड़ाया लाखों का सामान


हाबड़ी स्कूल से अज्ञात चोरों ने उड़ाया लाखों का सामान

(ब्यूरो कार्यालय)

नई दिल्ली (साई)। गांव हाबड़ी के रावमावि की कंप्यूटर लैब व एजुसैट रूम से रविवार की रात को चौंकीदार के न होने पर अज्ञात चोरों द्वारा लाखों रूपए का सामान बेधड़क हो फॉरव्हीलर में डालकर उड़ा ले जाने का सनसनीखेज समाचार है। अनुमानतरू चोरों द्वारा लगभग 3 लाख रूपए का सामान चुराए जाने का अनुमान है। चोरों द्वारा सारा सामान पूर्व नियोजित योजन के तहत चौपहिया वाहन में लादकर ले जाया गया है। मौके पर कंपयूटर रूम के बाहर टायरों  व गेट पर पड़े मैट पर चोरों के जूते के निशान साफ तौर पर उकरे हुए हैं। 
ग्रामीणों में हाबड़ी स्कूल में घटित हो रही चोरी की निरंतर घटनाओं पर शिक्षा विभाग के लापरवाह रवैए पर गहरा रोष उत्पन्न हो गया है और वे इस मामले का अब पूरी गंभीरता से लिए हुए हैं। उनका कहना है कि वे अब चोरों को पकड़वाकर ही दम लेंगे।  ग्रामीणों ने चोरी की वारदात में स्कूल के ही किसी स्टाफ सदस्य की मिलभगती की पूरी आशंका जाहिर की है। यही शक ग्रामीणों द्वारा मौके पर तहकीकात के लिए थाना पूंडरी से दल बल के साथ पहुंचे इंस्पैक्टर अंग्रेजसिंह के आगे भी जाहिर किया गया व स्कूल में पुरूष चौंकीदार न होने पर गहरा रोष प्रकट किया गया है। सरपंच सतपाल द्वारा मोबाईल से चोरी की सूचना देने पर पुलिस यहां पहुंची थी। सरपंच ने बताया कि उसको चोरी की सूचना स्कूल में स्वीपर कम चौंकीदार के पद पर कार्यरत भतेरी नामक महिला के पति औमप्रकाश ने दी।
0 क्या हो रही हैं निरंतर चोरी
पंच जानपाल कोटिया, रवि, सुरेश, औमप्रकाश आदि ग्रामीणों से मिली जानकारी अनुसार स्वीपर कम चौंकीदार के पद पर भतेरी नामक महिला चौंकीदार होने के कारण ही हाबड़ी के स्कूल में घटित हुई चोरी की यह चौथी घटना है। पहले भतेरी स्कूल में स्वीपर के पद पर ही कार्यरत थी। मगर बाद में सरकार द्वारा नई नीति के तहत रात को स्कूलों की निगरानी हेतू लगभग 15000 रूपए की तनख्वाह से स्वीपर कम चौंकीदार का पद निर्धारित करते हुए 1 कर्मचारी की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए थे। तब भतेरी ने रात के पहरे के लिए अपने पति को चौंकीदार रखने का हल्फिया ब्यान देकर स्वीपर कम चौंकीदार के पद पर कार्यरत हो गई थी। उसके बाद सन् 2008 में शिक्षा विभाग द्वारा स्वरपर कम चौंकीदार के पद पर महिला कर्मचारी को न रखे जाने के आदेश जारी किए गए थे। विभिन्न स्कूलों में इन आदेशों के लिखित में लागू होने के बाद भतेरी द्वारा अपने पति को रात के पहरे पर स्कूल में निश्चित तौर पर नहीं भेजा गया। चोरी की रात रविवार को भी उसका पति औमप्रकाश स्कूल में रात को पहरे के लिए ड्यूटी पर तैनात नहीं था। ग्रामीणों का आरोप है कि एक तरफ तो भतेरी स्कूल के पहरे पर रात को तैनात रखने के लिए अपने पति का एफेडेविट देकर स्वीपर कम चौंकीदार के लिए सरकार द्वारा निर्धारित लगभग 15000 रूपए तनख्वाह ले रही है दूसरी ओर सरकार के 2008 के आदेशों पर वह अपने पति को निश्चित तौर पर ड्यूटी पर भी नहीं भेज रही है। ग्रामीणों ने उसका तबादला किसी दूसरे स्कूल में करके रावमावि हाबड़ी में स्वीपर कम चौंकीदार के पद पर किसी पुरूष की नियुक्ति की मांग की है ताकि स्कूल में स्थायी रूप से रात को पहरा दिया जा सके।
ग्रामीणों ने बताया कि सन् 2008 के बाद हाबड़ी स्कूल में चौंकीदार की गैर मौजूदगी में चोरी की 4 घटनाएं घट चुकी हैं। इनमें 2 घटनाएं कुछ माह पूर्व नवंबर 2012 व जनवरी 2012 में घटित हो चुकी हैं। तब चोरों द्वारा स्कूल के कंपयूटर रूम से चोरों द्वारा वही सामान चुराया गया था जो चालू हालत में था। खराब या बेकार पड़े सामान पर चोरों ने हाथ नहीं डाला था जिससे पता चलता है कि चोरी की वारदात में स्कूल के ही किसी जानकार सदस्य का हाथ है। ग्रामीणों ने बताया कि स्कूल में वर्तमान में प्रधानाचार्य की भी स्थायी नियुक्ति नहीं है।
0 डायरेक्टर को लिखा गया है
स्वीपर कम चौंकीदार के पद पर पुरूष की स्थायी नियुक्ति हेतू लिखित शिकायत  शिक्षा विभाग के डायरेक्टर पंचकूला को भेजी गई है। वहां से इस बारे में कोई लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं। उनक ी नियुक्ति बरसाना के राकवमावि में है।   पिछले 8 महीने से ही वे हाबड़ी स्कूल में प्रधानाचार्य का अतिरिक्त कार्यभार संभाले  हुए हैं। उनकी गैर मौजूदगी में अध्यापक सुरेश कुमार को प्रभारी नियुक्त किया गया है।
0 मोटी तनख्वाह देने में पंचायत असमर्थ
सरपंच सतपाल सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत मोटी तनख्वाह देकर निजी चौंकीदार रखने में असमर्थ है। कम तनख्वाह पर कोई भी व्यक्ति रात को स्कूल का पहरा देने के लिए तैयार नहीं है। स्वीपर कम चौंकीदार के पद पर पुरूष को रखकर ही समस्या का समाधान हो सकता है। पंचायत द्वारा इस बारे में शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया है लेकिन कोई हल नहीं निकला है।
0 चोरों को नहीं बख्शा जाएगा
निरीक्षक पूंडरी अंग्रेज सिंह के अनुसार पुलिस द्वारा मोके पर जाकर हर प्रकार से जांच पड़ताल की गई है। स्कूल मे स्थायी चौंकीदार न होने के कारण ही स्कूल में बार-बार चोरी की घटनाएं घट रही हैं। वारदात में संलिप्त पाए जाने पर कंपयूटर लैब प्रभारी, अन्य स्टाफ सदस्य, विद्यार्थी या किसी बाहर के सदस्यों को भी बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानाचार्य की शिकायत पर पुलिस द्वारा अज्ञात चोरों के विरूद्ध मामाला दर्ज कर लिया गया है। पुलिस द्वारा पूरी मुस्तैदी से छानबीन की जा रही है।
0 चोरों द्वारा चुराया गया सामान
प्रभारी सुरेश कुमार ने बताया कि चोरों द्वारा एजूसैट रूम से लगभग 50000 रूपए लागत की 50 इंची एल.सी.डी./ एल.ई.डी. के अतिरिक्त 2 बैटरी व 1 यू्.पी.एस. चुराया गया है। कंपयूटर रूम से 8 मोनीटर, 8 सी.पी.यू., 8 कीबोर्ड, 10 माऊस चुराए गए हैं।
1पाई21-चोरी के बाद 1 मोनीटर को छोड़कर खाली पड़ा कंपयूटर लैब।
1पाई22-एजूसैट रूम से एल.सी.डी./ एल.ई.डी. चुराने के बाद खाली पड़ी अलमारी को दिखाते पंच।
1पाई15-मौके पर ग्रामीणों से पूछताछ करते पुलिस इंस्पैक्टर अंग्रेज सिंह।
1पाई14-गेट के बाहर पड़े रेत पर उकरे टायरों के निशान
1पाई13-कंपयूटर लैब के गेट पर पड़े मैट पर उकरे जूतों के निशान।
1पाई16-जानकारी देते अतिरिक्त प्रधानाचार्य जयकुमार अग्रवाल व प्रभारी सुरेश कुमार। 

मुजफ्फरनगर : चार सगी बहनों पर तेजाब फेंका


चार सगी बहनों पर तेजाब फेंका

(सचिन धीमान)

मुजफ्फरनगर (साई)। उत्तर प्रदेश के शामली से एक दिल दहला देने वाली खबर है। कुछ बाइक सवार युवकों ने स्कूल से ड्यूटी देकर लौट रहीं चार सगी बहनों पर पिचकारी से तेजाब फेंक दिया। चारों बहनें बुरी तरह झुलस गई हैं। वहां से गुजर रही एक और युवती भी तेजाब से झुलस गई। तीन बहनों को दिल्ली रेफर किया गया है। बाकी का स्थानीय अस्पतालों में इलाज चल रहा है।
वारदात मंगलवार को कांधला के नई बस्ती इलाके में हुई। जानकारी के मुताबिक कमरजहां (24), आयशा (22), ईशा (21) और सोनम (19) चारों बहनें पेशे से टीचर हैं। इन दिनों चारों की हिंदू इंटर कॉलेज में बोर्ड एग्जाम में ड्यूटी लगी हुई थी। मंगलवार शाम को चारों बहनें ड्यूटी देकर घर लौट रही थीं। वे जैसे ही कैराना रोड स्थित चार खंभा चौक के पास पहुंचीं, पीछे से आए पल्सर सवार तीन युवकों ने उन पर तेजाब से हमला कर दिया। वहां से गुजर रही एक युवती अलीशा भी तेजाब की चपेट में आ गई।
लड़कियों की चीख-पुकार सुनकर लोग जमा हो गए। पांचों लड़कियों को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। ईशा, सोनम व कमरजहां को दिल्ली रेफर कर दिया गया है। अलीशा, आयशा का एक स्थानीय अस्पताल में इलाज चल रहा है। बताया जा रहा है कि लड़कियों पर तेजाब पिचकारी से फेंका गया। एक युवक बाइक चला रहा था, जबकि पीछे बैठे दोनों युवकों के हाथ में पिचकारी थी। उसी से दोनों युवकों ने एक साथ तेजाब की बौछार कर दी। इस वारदात को अंजाम देने वाले वाइक सवार युवकों का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा है। पुलिस बाइक सवार युवकों की तलाश में जुटी है। युवकों ने इस वारदात को क्यों अंजाम दिया, इसका भी पता नहीं चल पाया है।