बुधवार, 3 अप्रैल 2013

जानें चंद्रगहण के बारे में


जानें चंद्रगहण के बारे में

(पण्डित दयानंद शास्त्री)

नई दिल्ली (साई)। नव सम्वत्सर विक्रम संवत 2070 आगामी 11 अप्रेल से आरम्भ होने जा रहा हें अगर आपके काम बन रहे हैं, तो अच्घ्छी बात है, अगर रुकावटें सामने खड़ी हैं तो घबराइये नहीं। सन् 2013 में पांच ग्रहण होंगे किंतु भारत में एक ही ग्रहण खग्रास चंद्रग्रहण होगा। वह भी अंगुल से भी कम होगा।
पंडित  दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस साल 25 अप्रैल को हनुमान जयंती पर अल्प खंडग्रास चंद्रग्रहण होगा। यह संयोग 16 साल बाद बना है। इस दिन हनुमत आराधना का विशेष महत्व होगा। इससे पहले 15 अप्रैल, 1995 को ग्रस्तोदय चंद्रग्रहण और दो अप्रैल 1996 को खंडग्रास चंद्रग्रहण हनुमान जयंती पर आए थे।हनुमान जयंती पर पूर्ण चंद्रग्रहण का संयोग अब चार अप्रैल 2015 को बनेगा।
खग्रास चंद्रग्रहण- चौत्र शुक्ल पूर्णिमा गुरुवार दिनांक 25/26 अप्रैल 2013 को अर्द्ध रात्रि को होगा।
इस ग्रहण का यम नियम-सूतक 25  अप्रेल,2013 (गुरुवार) को दोपहर में 04  बजकर 21  मिनट से शुरू होगा तथा ग्रहण का प्रारंभ स्पर्श (26  अप्रेल) रात्रि में 01  बजकर 21  मिनिट से होगा तथा मोक्ष शुद्धि रात्रि 01  बजकर 35 मिनिट पर होगी( कुल ग्रहण अवधि  --32  मिनट)
पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार  नववर्ष का यह पहला चंद्रग्रहण भारत में देखा जा सकेगा। आंशिक चंद्रग्रहण तब होता है जब चांद का एक भाग पृथ्वी की छाया में छिपने के कारण कुछ देर के लिए सूर्य की रोशनी से महरूम हो जाता है, हालांकि यह तभी होता है, जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा सीधी रेखा में हो।
पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यह खण्डग्रास चंद्रग्रहण स्वाती नक्षत्र तथा तुला राशि में लगेगा। इसलिए इस राशि और इस नक्षत्र में पैदा हुए जातकों को इस ग्रहण का प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस राशि का स्वामी शुक्र है इसलिए शुक्र का जप, दान आदि करना लाभदायक हो सकता है।
पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस साल कुछ राशियों में ग्रहों पर सूर्य एवं चंद्र की दृष्टि बदलने वाली है। और तब हो सकता है आपकी किसमत चमक उठे, या फिर अचानक भाग्घ्य खुल जाये और तरक्घ्की के रास्घ्ते पर आप चल पड़ें। ऐसा संभव है साल के पांच दिनों में। ये पांच दिन ग्रहण के हैं। इस साल यानी वर्ष 2013 में 2 सूर्य ग्रहण पड़ेंगे और 3 चंद्र ग्रहण। यदि आप गर्भवती हैं, या आपके घर में कोई महिला गर्भवती है या फिर आप इस साल फेमिली प्घ्लानिंग करने जा रहे हैं, तो इन तिथियों को कैलेंडर में नोट कर लें।
वर्ष 2013 में 10 मई को वल्याकार सूर्यग्रहण होगा। सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की लुका छिपी का यह रोमांचक नजारा भारत में नही देखा जाएगा, क्योंकि इस खगोलीय घटना के समय में अमावस की काली रात होगी। वल्याकार सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा कुछ इस तरह आ जाता है कि पृथ्वी के निहारने पर सौर मंडल का मुखिया चमकदार कंगन की तरह दिखाई देता है।
अतः नियम एवं संयम के साथ स्नान जप, तप, और हवन यज्ञ के द्वारा बाधाओं की निवृत्ति एवं सुखों की प्राप्ति के लिए अनुष्ठान करना चाहिए।
दिव्य पर्वों में ग्रहण का भी विशेष स्थान है। ग्रहण के समय भोजन आदि करने से अनेक रोग होते हैं। इसीलिए आहार आदि अनेक कार्य वर्जित हैं। उस समय जो घड़े में भरा जल या भोजन रखा हो, वह भी फिर उपयोग करने योग्य नहीं होता।
पंडित  दयानन्द शास्त्री के अनुसार मन तथा बुद्धि पर पड़े प्रभाव से लाभ उठाने के लिए जप, ध्यानादि का विधान है। ग्रहण के समय किए गए जप, यज्ञ, दान आदि का सामान्य की अपेक्षा बहुत अधिक महत्व वर्णित है। ग्रहण के समय स्त्री प्रसंग से नर-नारी दोनों की नेत्र ज्योति क्षीण हो जाती है। अनेक बार अंधे होने का भी भय हो जाता है।
वर्ष 2013 में 25 मई को उपच्छाया चंद्रग्रहण का नजारा दिखाई देगा। इस वक्त पूर्णिमा का चंद्रमा पूरा नजर आएगा, लेकिन उसकी तेज चमक कुछ देर के लिए खो जाएगी और पृथ्वी का उपग्रह धुंधला दिखाई देगा, जो भारत में नहीं निहारा जा सकेगा, क्योंकि उस समय देश में सूरज चमक रहा होगा। उपच्छाया संबंधी जानकारी देते हुए गुप्त ने बताया कि यह चंद्रग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा पेनुम्ब्रा (ग्रहण के समय धरती की परछाई का हल्का भाग) से होकर गुजरता है। इस समय चंद्रमा पर पडऩे वाली सूर्य की रोशनी आंशिक रूप से कटी प्रतीत होती है और ग्रहण को चंद्रमा पर पडऩे वाली धुंधली परछाई के रूप में देखा जा सकता है। पूर्ण सूर्यग्रहण के समय विशेष खगोलीय स्थिति के कारण पृथ्वी से देखने पर पूरा सूर्य चंद्रमा की ओट में छिपा प्रतीत होता है।
पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस प्रकार ग्रहण का प्रभाव तर्क एवं परीक्षण से भी सिद्ध है। ग्रहण काल में मन माने आचरण से मानसिक अव्यवस्था और बुद्धि विकार तो होता ही है साथ ही शारीरिक स्वास्थ्य की भी बड़ी हानि होती है। अतः इस संबंध में सबको सावधान रहना चाहिए साथ ही कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।
चंद्रग्रहण के कारण बाजारों में हलचल रहेगी। दालें, बाजरा, तिल, सरसों, अलसी, सोयाबीन के भाव बढ़ेंगे। खाद्यान्न महंगे होंगे। सोने  -चाँदी   की कीमतों में गिरावट आएगी। राजनीतिक क्षेत्र में उथल-पुथल रहेगी। हालांकि जनता के हित में कोई  कदम उठाया जा सकता है।
0 साल के दो सूर्य ग्रहण-
इस साल पड़ने वाले सूर्य ग्रहण की बात करें तो पहला 10 मई और दूसरा 3 नवंबर को पड़ेगा। इन दोनों तिथियों पर आपकी करियर लाइव, निजी जीवन, आय के स्रोत, परिवार, प्रेम-संबंध, आदि में व्घ्यापक परिवर्तन हो सकते हैं। खुशियां आ सकती हैं या हो सकता है दुरूख घर कर जाये, लिहाजा आपको इन तिथियों पर विशेष सावधानी बरतनी होगी। बेहतर होगा यदि उन सभी बातों का पालन करें, जो बड़े बुजुर्ग बताते हैं।
0 साल के तीन चंद्र ग्रहण------
हिंदू धर्म की मान्घ्यता के अनुसार चंद्र ग्रहण अच्घ्छा नहीं माना जाता है। इस साल पहला चंद्र ग्रहण 25 अप्रैल को पड़ेगा, दूसरा 25 मई को और तीसरा 18 अक्घ्तूबर2013 को। इन तिथियों पर आप गरीबों को दान दें। गरीबों को भोजन करायें, मंत्रों का उच्घ्चारण करें, जिनमें गायत्री मंत्र सर्वश्रेष्घ्ठ फल देगा। अपने ईष्घ्ट देव का ध्घ्यान करें। भोजन नहीं करें। ग्रहण के बाद स्घ्नान करें और ताज़ा भोजन करें। साथ ही यदि आप गर्भवती हैं तो आपके होने वाले बच्घ्चे पर ग्रहण के प्रभाव से बचाने के लिये एकांत स्घ्थान पर बैठ जायें और ईश्घ्वर का ध्घ्यान करें। यह काम आप सूर्य ग्रहण के समय भी करें।
उपछायी चंद्रग्रहण चूंकि ग्रहण की छाया की उप छाया होती है, जो सीधे नजर नहीं आती। इसलिए इसे ग्रहण की श्रेणी में नहीं माना जाता।  
ग्रहण में दान करें रू ज्योतिषाचार्य पंडित  दयानन्द शास्त्री के अनुसार  ग्रहण मोक्ष के पश्चात गर्म कपड़े, काला कंबल, छाता, उड़द, इमरती, तिल, गुड दान करने और पवित्र नदी में स्नान करने से ग्रहण के दुष्प्रभावों से बचा जा सकता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित  दयानन्द शास्त्री के अनुसार ग्रहण का प्रभाव मनुष्यों पर शुभ-अशुभ दोनों ही तरह से पड़ता है। अशुभ प्रभाव से बचने के लिए और शुभ प्रभाव को और अधिक लाभकारी बनाने के लिए उक्त उपाय कारगर हो सकते हैं। प्रस्तुत हैं ग्रहण से बचने के कुछ खास उपाय।।।।
ग्रहण काल में इन मंत्रों का जाप करें।
- घ् सों सोमाय नमः
- घ् रां राहवे नमः
- घ् नमः शिवाय
-ज्योतिषाचार्य पंडित  दयानन्द शास्त्री के अनुसार चंद्रमा मूलतः मन का देवता है। राहु-केतु के निकट होने से अंधकार की स्थिति में मानसिक अशांति और तनाव उत्पन्न होता है। इस ग्रहण से बीमार, मानसिक विकृति वाले लोगों को अधिक कष्ट हो सकता है। अतरू दुर्घटना, मानसिक रोग और तनाव से बचने के लिए चंद्रग्रहण पर राहु से संबंधित उपाय करने चाहिए।
-ज्योतिषाचार्य पंडित  दयानन्द शास्त्री के अनुसार सबसे पहले घर के प्रमुख द्वार व खिड़कियों पर गेरू से स्वस्तिक या घ् का चिन्ह अंकित करे, यदि यह संभव न हो तो कम से कम उसके आस-पास गेरू के कुछ टुकड़े अवश्य रखे। यह ग्रहण से उत्पन्न विकिरण को घर में प्रवेश से प्रभावशाली तरीके से रोकता है।
-रसोई व अन्न भंडार की सुरक्षा-----ज्योतिषाचार्य पंडित  दयानन्द शास्त्री के अनुसार रसोई के द्वार पर थोड़ा सा गेरू या ज़रा सा गोबर लगा देना बहुत ही प्रभावशाली व शुभ माना जाता है जिससे आपकी रसोई ग्रहण के प्रभाव से बच जाती है और शुद्धता बनी रहती है। जहां कहीं भी आपने रसोई के स्टोर बनाया हो और सभी सूखे सामानों में मुख्यतः राशन में तुलसी के पत्ते व कुछ कुछ घास रखना ग्रहण के प्रभाव से मुक्ति व सुरक्षा देता है।
-गर्भवती स्त्री की सुरक्षा------किसी भी गर्भवती स्त्री को ग्रहण में बाहर (खुले में) नहीं निकलना चाइये, दहलीज़ नहीं पार करनी चाइये। उसकी सुरुक्षा के लिए परिवार के सदस्यों को चाहिए के उसके कमरे के प्रवेश पर गेरू औऱ गोबर से स्वस्तिक बनाए। स्वस्तिक या घ् अंकित कर दें।
- पूरे परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करें-----ज्योतिषाचार्य पंडित  दयानन्द शास्त्री के अनुसार ग्रहण से पूर्व या ग्रहण उपरांत ब्रह्मण को अन्न का दान करना आपके पूरे परिवार को ग्रहण के दोष से मुक्त कर ईश्वर की कृपा दिलाता है।
- सर्व दोष मुक्त-----किसी भी वास्तु दोष निवारण के लिए ग्रहण के सूतक काल से शुरू कर के 3 बजे से शुरू करके रात्रि 330 तक। यदि कोई भी व्यक्ति वास्तु देवता के मंत्र घ् वास्तु पुरुषाय नमरू का यथा सामर्थ जाप करता है तो उसके सभी वास्तु दोषों में तत्काल कमी आती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित  दयानन्द शास्त्री के अनुसार इस खण्डग्रास चंद्रग्रहण ( गुरुवार, दिनांक 25/26 अप्रैल 2013 ) का सभी राशियों पर प्रभाव निम्न होगा  -
0 मेष राशि -----
मेष राशि वाले व्यक्तियों के लिए यह ग्रहण उनके सप्तम भाव में लगेगा। इसलिए जीवनसाथी से संबंधित परेशानी हो सकती हैं या जीवनसाथी को शारीरिक कष्ट भी हो सकता है।
0 वृष राशि -----
वृष राशि वाले व्यक्तियों की कुण्डली में यह ग्रहण छठे भाव में घटित होगा। इसलिए आपको रोग आदि घेरे रह सकते हैं। आपको गुप्त चिन्ताएँ भी सता सकती हैं।
0 मिथुन राशि -----
आपकी राशि से यह ग्रहण पांचवें भाव में लग रहा है। आपके खर्चे अधिक होगें और आमदनी कम हो सकती है। आपके कार्य विलम्ब से बन सकते हैं। इसलिए मन खिन्न रह सकता है।
0 कर्क राशि-----
आपकी राशि से यह ग्रहण चतुर्थ भाव में घटित होगा। आपके रुके हुए कार्य बन सकते हैं। कार्य सिद्धि की संभावना बनती है।
0 सिंह राशि-----
आपकी जन्म राशि सिंह है और सिंह राशि से तीसरे भाव में ग्रहण लग रहा है। इस समय आपके प्रयास दोगुने हो सकते हैं और आपको उनका अनुकूल फल भी मिल सकता है। धन लाभ की भी संभावना बनती है।
0 कन्या राशि-----
आपकी कन्या राशि से दूसरे भाव में यह ग्रहण लगेगा। इस ग्रहण के प्रभावस्वरुप आपको कुटुम्ब संबंधी परेशानियो का सामना करना पड़ सकता है। आपको धन हानि हो सकती है। आप यात्राओं पर जा सकते हैं।
0 तुला राशि------
तुला राशि में ही यह ग्रहण घटित हो रहा है। इस ग्रहण के प्रभाव से आपको शारीरिक कष्ट हो सकते हैं। दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। मानसिक चिन्ताएँ घेर सकती हैं।
0 वृश्चिक राशि------
इस राशि से बारहवें भाव में ग्रहण लगेगा। इस ग्रहण के प्रभाव से आपके खर्चे बने रह सकते हैं। आपके अपव्यय हो सकते हैं अथवा धन हानि उठानी पड़ सकती है।
0 धनु राशि -----
आपकी जन्म राशि से एकादश भाव में यह खग्रास चंद्रग्रहण लग रहा है। आपकी उन्नति के योग बनते हैं और आपको लाभ आदि मिलने की भी संभावना बनती है।
0 मकर राशि ------
आपकी जन्म राशि मकर से यह ग्रहण दशम भाव में घटित हो रहा है। आपको रोग सता सकते हैं। आपको अकारण कष्ट घेर सकते हैं। आप बिना कारण बहय से ग्रस्त हो सकते हैं। व्यवसायिक क्षेत्र में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है।
0 कुंभ राशि -----
0 कुंभ राशि से यह ग्रहण नवम भाव में घटित हो रहा है। आपका भाग्य आपका साथ देने में कंजूसी कर सकता है। आपको चिन्ताएँ बनी रह सकती है। संतान पक्ष की ओर से भी मन असंतुष्ट हो सकता है अथवा संतान को कष्ट हो सकता है।
0 मीन राशि ------
आपकी मीन राशि से यह ग्रहण अष्टम भाव में लग रहा है। आपको शत्रुभय सता सकता है। आपको लाभ भी प्राप्त होने की संभावना बनती है। आपको यह लाभ उम्मीद से कुछ कम हो सकता है।

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